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द पावर ऑफ डिसिप्लिन बुक में ऑथर डेनियल
वाल्टर बताते हैं कि कैसे हम अपने जीवन
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में डिसिप्लिन को बढ़ाकर अपने गोल्स को
आसानी से हासिल कर सकते हैं हमारी नेचुरल
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टेंडेंसी होती है कि हम तुरंत मिलने वाली
खुशी और आराम को चुनते हैं जबकि डिसिप्लिन
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और मेहनत की राह थोड़ी कठिन लगती है लेकिन
डैनियल का मानना है कि सही हैबिट्स एंड
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माइंडसेट डेवलप करने से हम अपने जीवन में
बेहतर डिसिप्लिन ला सकते हैं इस किताब में
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डेनियल वाल्टर समझाते हैं कि कैसे हम
प्रोडक्टिव हैबिट्स बना सकते हैं किस तरह
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से हमारे शरीर और दिमाग में डिसिप्लिन की
बाधाएं होती हैं और हमें किन चुनौतियों का
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सामना करना होता है हेलो फ्रेंड्स बुक
इनसाइडर पर आप सभी का स्वागत है आज हम बात
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करने वाले हैं द पावर ऑफ डिसिप्लिन बुक के
बारे में जिसको लिखा है डेनियल वाल्टर ने
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एक छोटे से कस्बे में रहने वाला रवि एक
साधारण लड़का था लेकिन उसकी आंखों में
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सपने बड़े थे वह हमेशा से कुछ बड़ा करना
चाहता था उसकी सबसे बड़ी चाहत थी कि वह
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खुद को डिसिप्लिन बनाए ताकि वह अपने जीवन
में कुछ बड़ा हासिल कर सके लेकिन उसकी
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सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही थी कि वह
डिसिप्लिन में रह ही नहीं पाता था हर सुबह
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रवि अपने दिन की शुरुआत बड़े जोश से करता
वह अपने लिए टाइम टेबल बनाता समय पर उठने
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का वादा करता और पूरे दिन में क्या-क्या
करना है इसकी लिस्ट भी बनाता पर दिन के
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अंत तक वह वही पुरानी गलतियों में फंस
जाता सुबह उठने का वादा टूट जाता लिस्ट
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अधूरी रह जाती और वह फिर से वही पुरानी
आलसी जिंदगी जीने लगता उसे समझ नहीं आ रहा
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था कि आखिर क्यों वह खुद पर काबू नहीं रख
पा रहा फिर एक दिन उसकी मुलाकात एक
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बुजुर्ग आदमी से हुई वह आदमी गांव के बाहर
एक पुराने पीपल के पेड़ के नीचे बैठा हुआ
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था उसकी आंखों में गहरी समझ और चेहरे पर
सुकून था रवि उसे देखकर रुक गया बुजुर्ग
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ने मुस्कुराते हुए रवि से कहा तू परेशान
दिख रहा बेटा क्या बात है रवि ने
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धीरे-धीरे अपनी परेशानी उस आदमी को बता दी
उसने कहा मैं अपने जीवन में कुछ बड़ा करना
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चाहता हूं लेकिन मुझसे डिसिप्लिन नहीं हो
पाता मैं हर बार कोशिश करता हूं पर कुछ ही
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दिनों में हार मान लेता हूं मैं समझ नहीं
पा रहा कि आखिर में क्यों बार-बार असफल हो
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जाता हूं बुजुर्ग ने ध्यान से रवि की
बातें सुनी और फिर बोले बेटा तुझे द पावर
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ऑफ डिसिप्लिन के बारे में पता है रवि ने
सिर हिला दिया नहीं यह क्या है बुजुर्ग ने
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अपने पास रखी किताब उठाई और कहा यह किताब
एक बहुत खास चीज सिखाती है डिसिप्लिन कैसे
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बनाया जाए इसका सबसे पहला सबक है क्रेविंग
कंसिस्टेंसी तेरी सबसे बड़ी परेशानी यही
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है कि तू बदलाव से डरता है तेरा दिमाग
चाहता है कि तू वही करता रहे जो तू हमेशा
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से करता आया है यही कारण है कि तू बार-बार
असफल हो जाता है रवि ने आश्चर्य से पूछा
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लेकिन मैं कैसे इस इस डर को जीत सकता हूं
बुजुर्ग ने कहा तेरा दिमाग बदलाव से
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घबराता है वह चाहता है कि तू आराम में रहे
क्योंकि बदलाव से उसे डर लगता है जब भी तू
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कुछ नया करने की कोशिश करेगा तेरा दिमाग
तुझे रोकने की कोशिश करेगा लेकिन याद रख
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बदलाव ही तुझे उस जगह पहुंचा सकता है जहां
तू जाना चाहता है रवि ने ध्यान से सुना
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उसे महसूस हुआ कि उसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम
यही थी वह अपनी पुरानी आदतों में ही फंसा
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हुआ था उसे बदलाव से डर लगता
और इसी वजह से वह आगे नहीं बढ़ पा रहा था
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बुजुर्ग ने आगे कहा तुझे हर दिन छोटे-छोटे
कदम उठाने होंगे शुरुआत में बदलाव मुश्किल
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लगेगा लेकिन जैसे जैसे तू लगातार कोशिश
करेगा तेरा दिमाग भी इसे अपनाने लगेगा रवि
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ने धीरे से सिर हिलाया उसे लगने लगा कि
उसकी प्रॉब्लम का हल मिल गया था वह जानता
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था कि अब उसे बदलाव की आदत डालनी होगी भले
ही शुरुआत में उसे कितना ही असहज लगे
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बुजुर्ग ने आखिर में कहा न रख बदलाव ही
तुझे सफलता के रास्ते पर ले जाएगा और एक
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दिन तू खुद पर गर्व करेगा कि तूने अपने डर
को पीछे छोड़ दिया चेहरे पर एक नई उम्मीद
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की चमक आ गई उसने ठान लिया था कि वह अब हर
दिन छोटे-छोटे बदलाव करेगा और अपने डर से
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लड़कर आगे बढ़ेगा अब वह जान गया था कि
उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद उसके
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दिमाग की थी और उसे ही जीतना था इस तरह
रवि की जिंदगी में एक नया मोड़ आया लेकिन
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यह बस शुरुआत थी
उसे अभी बहुत कुछ सीखना था और यह पहला कदम
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था उस लंबी यात्रा का जो उसे सच्ची सफलता
की ओर ले जाएगी रवि अब हर दिन थोड़ा-थोड़ा
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बदलाव करने की कोशिश कर रहा था उसने
बुजुर्ग की बातें दिल से लगाई थी और
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क्रेविंग कंसिस्टेंसी पर काम शुरू कर दिया
था लेकिन बदलाव करना जितना आसान लगता है
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उतना होता नहीं कुछ दिनों तक तो रवि ने
अच्छा काम किया पर फिर से एक प्रॉब्लम
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सामने आने लगी उसे लगा कि वह अब बदल चुका
है और यहीं उसने गलती कर दी एक दिन जब रवि
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फिर से उसी पीपल के पेड़ के नीचे बैठा था
वह बुजुर्ग वहां फिर से आए उनकी निगाहें
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फिर से रवि के चेहरे पर टिकी जैसे वह सब
समझ रहे हो रवि ने थोड़ा झेंप हुए कहा
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मुझे लग रहा था कि मैंने अपने जीवन में
बदलाव लाना शुरू कर दिया है लेकिन कुछ
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दिनों बाद फिर से वही पुरानी आदतें वापस आ
गई बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा यह बहुत
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स्वाभाविक है बेटा बदलाव लाने का सफर लंबा
होता है और इसमें एक बहुत ही जरूरी चीज है
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जो तुझे समझनी होगी तुझे अ पावर ऑफ
डिसिप्लिन का दूसरा सबक सिखाने का समय आ
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गया है रवि ने उत्सुकता से पूछा दूसरा सबक
क्या है बुजुर्ग ने बताया दूसरा सबक है
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ओवर एस्टीमेट पर्सनल एबिलिटीज यानी अपनी
क्षमताओं का गलत अनुमान लगाना जब हम सोचते
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हैं कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन असल
में हमारी क्षमता उतनी नहीं होती तो हम
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असफल हो जाते हैं अगर आपको हमारी फ्री
समरी अच्छी लगती है तो तो आप हमारे चैनल
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को सब्सक्राइब कर सकते हैं हमारी मेंबरशिप
खरीद सकते हैं या हमें यूपीआई के थ्रू
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सपोर्ट कर सकते हैं अब समरी पर वापस चलते
हैं रवि ने ध्यान से सुना लेकिन इसका मेरी
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प्रॉब्लम से क्या संबंध है बुजुर्ग ने
समझाते हुए कहा देख जब तूने थोड़ा बदलाव
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किया तो तुझे लगा कि तूने बहुत कुछ हासिल
कर लिया है तुझे लगा कि अब तुझे और मेहनत
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की जरूरत नहीं है और यहीं पर तेरी गलती
हुई यह वही होता है जिसे हम
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डनियर जब हम खुद को जितना काबिल समझते हैं
असल में उतने होते नहीं हमें लगता है कि
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हम सब कुछ कर सकते हैं लेकिन असल में हम
अपनी कमजोरियों को नजरअंदाज कर रहे होते
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हैं रवि की आंखों में सवाल थे तो मैं इसे
कैसे सुधार सकता हूं बुजुर्ग ने कहा इसके
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लिए सबसे पहले तुझे अपनी असली क्षमताओं का
सही-सही अंदाजा लगाना होगा तुझे अपने आप
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से ईमानदार होना होगा और इसके लिए एक बहुत
अच्छी तकनीक है फीडबैक लेना जब तक तू किसी
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अनुभवी व्यक्ति से सलाह नहीं लेगा तू अपनी
असली क्षमताओं को पहचान नहीं पाएगा रवि ने
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सिर हिलाते हुए कहा मुझे हमेशा लगता है कि
मैं कुछ कर लूंगा और फिर मैं असफल हो जाता
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हूं बुजुर्ग ने कहा यही है तेरा असली मसला
तू अपने आप पर बहुत ज्यादा भरोसा करता है
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लेकिन मेहनत कम करता है जब तुझे लगता है
कि तूने कुछ हासिल कर लिया तब असल में
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तेरी मेहनत बस शुरू होती है यही वह पल है
जब तुझे रुकना नहीं है बल्कि और मेहनत
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करनी है रवि ने गहरी सांस ली और
प्रोक्रेस्टिनेशन
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मुझे अक्सर ऐसा लगता है कि मैं काम डालता
रहता हूं और अंत में वह काम कभी पूरा ही
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नहीं होता बुजुर्ग ने गंभीरता से जवाब
दिया प्रोक्रेस्टिनेशन तेरा सबसे बड़ा
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दुश्मन है यह दो रूपों में आता है पहला तू
कठिन काम को छोड़कर आसान और तत्काल संतोष
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देने वाले कामों में उलझ जाता है दूसरा तू
काम करने से पहले इतना ज्यादा योजना बनाने
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में समय बिताता है कि असली काम के लिए समय
बचता ही नहीं रवि ने चौक हुए कहा हां मैं
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हमेशा योजना बनाने में ज्यादा समय बर्बाद
कर देता हूं बुजुर्ग ने कहा योजना बनाना
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बुरा नहीं है लेकिन जब तक तू 70 प्र
निश्चित ना हो जाए कि तुझे क्या करना है
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तब तक योजना बनाते रहना एक प्रॉब्लम बन
जाता है उस बिंदु के बाद तुझे काम शुरू कर
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देना चाहिए याद रख जितनी जल्दी तू काम
शुरू करेगा उतना जल्दी तेरा
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प्रोक्रेस्टिनेशन दूर होगा रवि ने महसूस
किया कि उसकी प्रोक्रेस्टिनेशन की आदत ने
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उसे कितना पीछे धकेल दिया था वो अक्सर
कठिन काम को बात के लिए टाल देता था और
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फिर कभी-कभी वह काम कर ही नहीं पाता था
उसने खुद से वादा किया कि अब से वह
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प्रोक्रेस्टिनेशन को जीतने की कोशिश करेगा
बुजुर्ग ने आखिरी सलाह देते हुए कहा तुझे
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अपनी असली क्षमताओं को जानने की जरूरत है
और इसके लिए तुझे ईमानदारी से खुद का
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आंकलन करना होगा साथ ही तुझे काम शुरू
करने में देरी नहीं करनी चाहिए जब भी तुझे
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लगे कि तू बस सोचता जा रहा है तो समझ ले
कि अब काम शुरू करने का समय है रवि ने
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बुजुर्ग की बातें ध्यान से सुनी अब उसे
समझ आ गया था कि बदलाव सिर्फ शुरू करना ही
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नहीं बल्कि लगातार मेहनत और खुद की
क्षमताओं का सही आंकलन करना भी जरूरी है
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उसने मन ही मन ठान लिया कि अब वह ना सिर्फ
बदलाव करेगा बल्कि अपनी असल क्षमताओं को
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भी सही से पहचाने का और मेहनत से पीछे
नहीं हटेगा लेकिन यह तो बस उसकी यात्रा का
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दूसरा कदम था अभी उसे और भी बहुत कुछ
सीखना था और उस बुजुर्ग की बातें उसकी राह
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को और आसान बना रही थी रवि ने अपनी जिंदगी
में बुजुर्ग की सिखाई हुई बातें अपनानी
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शुरू कर दी थी वह खुद को बेहतर बनाने और
अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की कोशिश में था
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लेकिन एक दिन उसे महसूस हुआ कि जितनी
मेहनत वह कर रहा था वह नाकाफी लग रही थी
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उसकी अपेक्षाएं काफी बड़ी थी लेकिन परिणाम
उतने उत्साहजनक नहीं थे निराश होकर वह फिर
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से उसी पीपल के पेड़ के नीचे जा बैठा जहां
उसकी मुलाकात उस बुजुर्ग से हुई थी
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कुछ देर बाद वही बुजुर्ग वहां फिर से आए
रवि ने अपनी परेशानी को छुपाने की कोशिश
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की लेकिन बुजुर्ग उसकी आंखों में छिपी
उदासी को समझ चुके थे वह धीरे से बोले आज
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फिर से परेशान लग रहा है बेटा क्या हुआ
रवि ने गहरी सांस ली और बोला मैंने आपकी
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सिखाई बातें मानी बदलाव करने की कोशिश की
लेकिन अब लग रहा है कि शायद यह सब मेरे बस
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का नहीं है मैं जितना सोचता हूं कि मेन कर
लूंगा उतना हो नहीं पाता मेरे सपने बहुत
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बड़े हैं लेकिन उन तक पहुंचने में जितना
समय लग रहा है उससे मैं हिम्मत खो रहा हूं
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बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा यही तो
तेरी अगली सीख है तेरे सपनों में कोई
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बुराई नहीं है लेकिन प्रॉब्लम तेरी अवा
स्तक अपेक्षाओं यानी अवा स्तक अपेक्षाओं
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में है रवि ने सवालिया नजरों से उनकी ओर
देखा अवा स्तक अपेक्षाएं इसका क्या मतलब
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है बुजुर्ग ने समझाते हुए कहा बहुत बार हम
अपने लक्ष्यों को पाने के लिए जितना समय
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और मेहनत चाहिए उसे सही से नहीं समझ पाते
हम सोचते हैं कि सब कुछ जल्दी हो जाएगा और
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जब वह नहीं होता तो हम हिम्मत हार जाते
हैं यह वही होता है जब हम अपनी अपेक्षाओं
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को अ वास्तविक रूप में सेट कर लेते हैं और
जब हमें अपेक्षा अनुसार परिणाम नहीं मिलते
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तो हम खुद को असफल मानने लगते हैं रवि ने
सिर हिलाते हुए कहा मुझे लगता है कि मैंने
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भी यही किया मैंने सोचा कि कुछ दिनों की
मेहनत से सब कुछ बदल जाएगा बुजुर्ग ने कहा
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बिल्कुल और जब तुझे तुरंत परिणाम नहीं
मिले तो तूने खुद से ही उम्मीदें तोड़ दी
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यही है अवा स्तक अपेक्षाओं का जाल देख
किसी भी काम में समय और मेहनत लगती है अगर
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तू एक बड़ा लक्ष्य तय करता है तो उसे पाने
के लिए धैर्य और समर्पण की जरूरत होती है
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रवि ने थोड़ी निराशा से पूछा तो फिर क्या
मैं अपने सपनों को छोड़ दूं बुजुर्ग ने
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प्यार से उसकी ओर देखा और कहा नहीं बेटा
सपने कभी मत छोड़ना पर हां उन्हें पाने के
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लिए अपनी अपेक्षाओं को यथार्थ के धरातल पर
रखना सीख अपने आप से यह मत कह कि सब कुछ
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तुरंत हो जाएगा इसके बजाय अपनी मेहनत का
सही आंकलन कर और जितना समय व प्रयास चाहिए
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उसे समझने की कोशिश कर रवि ने बुजुर्ग की
बातों को ध्यान से सुना उसे लगा जैसे उसकी
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गलतफहमी धीरे-धीरे साफ हो रही थी बुजुर्ग
ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा मान ले
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कि तुझे बुनाई सीखनी है अगर तू सोचता है
कि एक हफ्ते में तू कुशल हो जाएगा तो यह
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तेरा भ्रम होगा बुनाई एक कला है और इसे
सीखने में समय लगेगा शुरुआत में तुझे हो
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सकता है कि मुश्किल हो लेकिन जब तू नियमित
अभ्यास करेगा धीरे-धीरे तुझ में निपुणता आ
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जाएगी बस यही तेरी समझ में कमी है तू अपने
लक्ष्य के लिए जो समय और मेहनत चाहिए उसे
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कम आंकता है रवि ने सिर झुकाते हुए कहा
मैं समझ गया मैंने बहुत जल्दी परिणाम की
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उम्मीद की थी मैंने सोचा था कि मैं तुरंत
सफल हो जाऊंगा और जब नहीं हुआ तो मैं
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निराश हो गया बुजुर्ग ने सिर हिलाते हुए
कहा बिल्कुल और जब तू इतनी जल्दी उम्मीद
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छोड़ देता है तो तू अपने आप को सफलता से
दूर करता है यह अ वास्तविक अपेक्षाएं तुझे
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हिम्मत हारने पर मजबूर कर देती हैं अगर तू
धैर्य रखे और अपने लक्ष्य को सही समय दे
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तो तुझे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता
रवि ने एक गहरी सांस ली और पूछा तो मुझे
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क्या करना चाहिए बुजुर्ग ने समझाते हुए
कहा सबसे पहले तो तुझे अपने लक्ष्य का सही
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सही आंकलन करना होगा देखना होगा कि वह
लक्ष्य पाने में कितना समय और मेहनत लगेगी
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और सबसे जरूरी बात तुझे हर दिन
थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ना होगा अपनी
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अपेक्षाओं को यथार्थवादी बनाना होगा जितनी
जल्दी तू इसे समझेगा उतनी जल्दी तेरा सफर
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आसान हो जाएगा रवि ने बुजुर्ग की बातों को
गंभीरता से लिया उसे अब समझ में आ रहा था
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कि उसके सपने बड़े थे लेकिन उन्हें पूरा
करने के लिए उसे जितनी मेहनत और धैर्य की
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जरूरत थी वह उसने सही से नहीं समझा था
बुजुर्ग ने अंत में कहा सपने बड़े होने
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चाहिए लेकिन उनके लिए रास्ता भी बड़ा होना
चाहिए अगर तुझे खुद को सफलता की ओर ले
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जाना है तो तुझे अपने अंदर का धैर्य और
मेहनत को सही दिशा में लगाना होगा और सबसे
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जरूरी बात तुझे खुद से नकारात्मक बातें
नहीं करनी चाहिए खुद पर यकीन रख और
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छोटी-छोटी जीतों से हिम्मत पाता जा ऐसा
करने से तेरे अंदर खुद
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बखुदा रवि ने अब ठान लिया था कि वह इस बार
अपनी अपेक्षाओं को यथार्थवादी बनाएगा वह
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समझ चुका था कि कोई भी बड़ा सपना मेहनत
समय और धैर्य मांगता है अब उसे
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जल्दी-जल्दी परिणाम की चिंता नहीं थी वह
जान गया था कि उसे अपने सपनों को पूरा
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करने के लिए सही रास्ते पर लगातार चलते
रहना होगा रवि की जिंदगी में एक नया मोट
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तब आया जब उसने बुजुर्ग की बातों को ध्यान
से सुना और उन्हें अमल में लाना शुरू किया
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उसके अंदर एक नई ऊर्जा थी एक नई समझ और
सच्ची अनुशासन की जा लेकिन व यह यह भी
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जानता था कि उसे अब भी बहुत कुछ सीखना
बाकी है इसलिए जब वह अगली बार पीपल के
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पेड़ के नीचे बुजुर्ग से मिला तो वह तैयार
था अगली सीख लेने के लिए बुजुर्ग
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मुस्कुराते हुए बोले बेटा अब तक तूने बहुत
कुछ सीखा है तुझे अवा स्तक अपेक्षाओं से
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बचना आ गया है और तुझे खुद पर और अपनी
मेहनत पर यकीन होना शुरू हो गया है अब
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अगली बात जो तुझे समझनी है वह है
डिस्कंफर्ट यानी असुविधा के साथ सहज होना
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रवि ने थोड़ा उलझन में बुजुर्ग की ओर देखा
और पूछा असुविधा के साथ सहज होना इसका
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क्या मतलब है बुजुर्ग ने गहरी सांस लेते
हुए कहा देख जीवन में अनुशासन तभी आता है
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जब हम उन कामों को करने की आदत डालते हैं
जो हम करना नहीं चाहते अगर तू हमेशा
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उन्हीं चीजों को करता रहेगा जिनसे तुझे
आराम और खुशी मिलती है तो अनुशासन कैसे
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सीखेगा अनुशासन का असली मतलब है अपने आराम
के दायरे से बाहर निकलकर उनका कामों को
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करना जो तुझे असुविधा जनक लगते हैं लेकिन
जो तुझे आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है रवि
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ने सिर हिलाते हुए कहा मुझे समझ आ रहा है
कि आप क्या कहना चाहते हैं लेकिन मैं इस
00:16:10
डिस्कंफर्ट को कैसे अपनाओ बुजुर्ग ने
मुस्कुराते हुए कहा यही तो तुझे सिखाने
00:16:15
आया हूं देख असुविधा से डरना बहुत
स्वाभाविक है हमारा मन हमेशा उसी दिशा में
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जाता है जहां हमें सबसे ज्यादा आराम मिलता
है लेकिन अगर तुझे अपने लक्ष्यों तक
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पहुंचने का असली रास्ता देखना है तो तुझे
अपने आराम के दायरे से बाहर निकलना होगा
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रवि ने बुजुर्ग से पूछा तो मुझे शुरुआत
कहां से करनी चाहिए बुजुर्ग ने एक पेड़ के
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पास बैठे कुत्ते की ओर इशारा करते हुए कहा
देख इस कुत्ते को यह आराम से बैठा है इसे
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खाने की चिंता नहीं सोने की चिंता नहीं
इसे बस आराम चाहिए लेकिन इंसान अगर ऐसे
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आराम से बैठा रहेगा तो क्या वह आगे बढ़
पाएगा रवि ने थोड़ी देर सोचा और फिर जवाब
00:16:54
दिया नहीं शायद नहीं बुजुर्ग ने फिर कहा
बिल्कुल सही तुझे अपनी जिंदगी में वह काम
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करने की आदत डालनी होगी जो तुझे असुविधा
जनक लगते हैं जैसे अगर तुझे पार्टी में
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जाना ज्यादा अच्छा लगता है और काम करना
मुश्किल तो तुझे अपनी इच्छाओं को कंट्रोल
00:17:11
करना होगा काम करने से तुझे जो लाभ मिलेगा
वह पार्टी के आनंद से कहीं अधिक होगा यही
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है असुविधा में सहज होने की कला रवि ने
ध्यान से सुना और सोचा कि वह कई बार ऐसे
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ही छोटी-छोटी चीजों में खुद को असुविधा
जनक महसूस करता था वह मंच पर जाने से डरता
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था नए लोगों से मिलने से घबराता था और जब
भी उसे किसी कठिनाई का सामना करना होता तो
00:17:36
वह पीछे हट जाता था बुजुर्ग ने उसकी सोच
को भांपते हुए कहा अगर तुझे मंच पर जाने
00:17:42
से डर लगता है तो शुरुआत छोटे कदमों से कर
जैसे तू अपने दोस्तों के साथ जाकर कराओ के
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मैं गाना गा सकता है इससे तुझे यह अनुभव
होगा कि असुविधा का सामना कैसे करना है और
00:17:53
धीरे-धीरे तेरा डर कम होता जाएगा रवि को
यह बात समझ में आ गई उसने सोचा कि यह सही
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है कि वह सीधे किसी बड़े मंच पर जाकर भाषण
नहीं दे सकता लेकिन छोटे-छोटे कदम लेकर
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अपने डर को कम जरूर कर सकता है बुजुर्ग ने
कहा असुविधा से निपटने के लिए सबसे जरूरी
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बात है कि तू उसे छोटी-छोटी चुनौतियों के
रूप में देख अगर तू सीधे बड़ी असुविधा हों
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का सामना करेगा तो हो सकता है तुझे हिम्मत
हारने पड़े इसलिए हमेशा छोटे कदमों से
00:18:23
शुरू कर ताकि तुझे धीरे-धीरे असुविधा में
भी सहज होने की आदत हो जाए र ने फिर सवाल
00:18:29
किया लेकिन अगर मैं बार-बार असफल हो गया
तो यह डर मेरे अंदर हमेशा रहता है बुजुर्ग
00:18:35
ने गंभीरता से कहा असफलता का डर हर किसी
के अंदर होता है लेकिन यही डर तुझे
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असुविधा में फंसाए रखता है अगर तू हर बार
असफल होने के डर से पीछे हटेगा तो तेरा
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अनुशासन कभी नहीं बन पाएगा तू यह समझ ले
कि असुविधा अस्थाई होती है लेकिन अगर तू
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उसे झेलने की हिम्मत रखेगा तो तेरा
आत्मविश्वास और तेरी काबिलियत दोनों बढ़ें
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रवि को अब लग रहा था कि उसे असफलता के डर
को हटाकर नए अनुभवों को अपनाना होगा उसने
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बुजुर्ग से कहा मैं समझ गया मुझे अपने
आराम के दायरे से बाहर निकलकर छोटे-छोटे
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कदम उठाने होंगे बुजुर्ग ने मुस्कुराते
हुए कहा बिल्कुल सही और याद रखना असुविधा
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में ही असली विकास छिपा है जब तू अपने डर
अपनी असुविधा को अपनाए तभी तू खुद को नई
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ऊंचाइयों पर पहुंचा पाएगा रवि ने मन ही मन
ठान लिया कि वह अब हर दिन एक नया असुविधा
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जनक कदम उठाएगा चाहे वह कितना भी छोटा
क्यों ना हो उसे पता चल गया था कि अनुशासन
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का मतलब सिर्फ काम करना नहीं बल्कि उन
कामों को करना है जो उसे मुश्किल लगते हैं
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और जिनसे वह बचता आया है बुजुर्ग ने
जाते-जाते एक आखिरी बात कही याद रख सफलता
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उन्हीं को मिलती है जो असुविधा में भी
आराम ढूंढ लेते हैं असुविधा को दोस्त बना
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और देख फिर तेरे साथ क्या-क्या बदलाव होता
है रवि ने मुस्कुराते हुए हिलाया और मन ही
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मन सोचा कि अब वह असुविधा से भागेगा नहीं
बल्कि उसका सामना करेगा वह जान चुका था कि
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यही रास्ता उसे उसके सपनों तक ले जाएगा
रवि ने बुजुर्ग की हर बात को गहराई से
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आत्मसात कर लिया था वह जान चुका था कि
सफलता के रास्ते पर चलने के लिए उसे सिर्फ
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असुविधा से ही नहीं बल्कि खुद से भी लड़ना
होगा अनुशासन के पथ पर आगे बढ़ने के लिए
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रवि ने खुद को पूरी तरह बदलने का निर्णय
लिया हर दिन वह खुद को असुविधा जनक
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परिस्थितियों में डालने लगा शुरुआत
छोटी-छोटी चीजों से की जैसे सुबह जल्दी
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उठकर दौड़ना दोस्तों की पार्टी छोड़कर
पढ़ाई करना और अपने डर का सामना करने के
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लिए नए लोगों से मिलना धीरे-धीरे उसे
एहसास हुआ कि वह पहले से ज्यादा
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आत्मविश्वास और मानसिक रूप से मजबूत हो
रहा था फिर एक दिन जब वह उसी पीपल के पेड़
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के नीचे बुजुर्ग से मिलने पहुंचा तो उसकी
आंखों में आत्मविश्वास की चमक थी बुजुर्ग
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ने उसे देखते ही पहचान लिया कि रवि अब एक
नया इंसान बन चुका है जो असुविधा को गले
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लगाकर अपनी सीमाओं को तोड़ चुका है
बुजुर्ग मुस्कुराए और बोले अब तुझे मेरी
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जरूरत नहीं बेटा तूने खुद को खोज लिया है
अब तेरा सफर खुद तुझे सिखाएगा रवि ने
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बुजुर्ग के पांव छूकर धन्यवाद किया और कहा
आपकी सीख ने मुझे बदल दिया है अब मैं
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जानता हूं कि अनुशासन का असली अर्थ क्या
है और कैसे उसे हासिल करना है बुजुर्ग ने
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कहा याद रखना बेटा जीवन में असुविधा और
चुनौतियां हमेशा रहेंगी लेकिन जब तक तेरे
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पास अनुशासन है तू किसी भी मुश्किल का
सामना कर सकता है रवि ने सिर हिलाया और एक
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नई ऊर्जा के साथ अपने भविष्य की ओर कदम
बढ़ाया अब वह जानता था कि असुविधा ही असली
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सफलता की कुंजी है उसने ना केवल अनुशासन
सीखा था बल्कि आत्मविश्वास और मानसिक
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दृढ़ता भी हासिल की थी वह लड़का जो कभी
खुद से लड़ता था अब अपने सपनों की ओर तेजी
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से बढ़ रहा था उसकी कहानी खत्म नहीं हुई
थी बल्कि अब शुरू हो रही थी एक ऐसी कहानी
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जहां वह हर असुविधा को पार कर अपने
लक्ष्यों को हासिल करने वाला था तो
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फ्रेंड्स यह थी हमारी आज की बुक समरी आपको
कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और
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धन्यवाद आपका समरी एंड तक सुनने के लिए