Islamic ethics in the light of Surah Hujrat #muhammadmakki #surahhujurat #ethics

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https://www.youtube.com/watch?v=Xid-dA2vobg

Ringkasan

TLDRThe video elaborates on the importance of prayer (Namaz) in Islam and discusses Surah Al-Hujurat, which provides guidance on the conduct of Muslims towards the Prophet Muhammad (peace be upon him) and among themselves. It emphasizes the need for respect, unity, and the avoidance of gossip and mockery. The Surah was revealed in a context involving the Prophet and his companions, offering insights into respectful interaction and community harmony. The video warns against the spread of rumors and highlights the significance of good character and mutual respect among Muslims, advocating for peaceful resolutions to conflicts.

Takeaways

  • 🕌 Prayer (Namaz) is fundamental in Islam.
  • 🤝 Muslims should respect the Prophet Muhammad (peace be upon him).
  • 🗣️ Avoid gossip and mockery among each other.
  • 💬 Good character is essential for community harmony.
  • 🕊️ Unity among Muslims is crucial for peace.
  • 📖 Surah Al-Hujurat provides guidance on social conduct.
  • 🔍 Verify news before spreading it to avoid harm.
  • 🤲 Resolve conflicts through dialogue and reconciliation.
  • 👥 The community supports each other in Islam.
  • 💡 Respect and mutual understanding strengthen bonds.

Garis waktu

  • 00:00:00 - 00:05:00

    The discussion begins with the significance of prayer (Namaz) in Islam, emphasizing its importance and the teachings surrounding it. The speaker highlights the need to understand the relationship between Muslims and the Prophet Muhammad (peace be upon him) as well as the interactions among Muslims themselves.

  • 00:05:00 - 00:10:00

    The speaker introduces Surah Al-Hujurat, explaining its two main themes: the proper attitude of Muslims towards the Prophet and the conduct among themselves. The name 'Hujurat' refers to the rooms of the Prophet, and the surah addresses the etiquette of communication and respect towards him.

  • 00:10:00 - 00:15:00

    The narrative continues with a historical context where the Prophet was approached by various tribes seeking leadership. The first three verses of Surah Al-Hujurat were revealed in response to a debate among companions about appointing a leader, emphasizing the importance of consulting the Prophet in such matters.

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    The speaker elaborates on the importance of maintaining a respectful demeanor in the Prophet's presence and the consequences of spreading unverified information. The discussion touches on the need for Muslims to verify news before sharing it, especially in the age of social media.

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    The final part emphasizes the unity among Muslims, comparing them to a single body where the pain of one is felt by all. The speaker stresses the importance of mutual respect, avoiding mockery, and the significance of good character in maintaining harmony within the community.

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Video Tanya Jawab

  • What is the main theme of Surah Al-Hujurat?

    The main theme is about the proper conduct of Muslims towards the Prophet Muhammad and among themselves, emphasizing respect and unity.

  • Why is Surah Al-Hujurat significant?

    It provides guidance on social conduct, respect, and the importance of maintaining harmony within the Muslim community.

  • What does the video say about gossip?

    The video warns against gossip and spreading rumors, highlighting the negative impact it can have on the community.

  • How should Muslims treat each other according to the video?

    Muslims should treat each other with respect, avoid mockery, and work towards unity and peace.

  • What does the video mention about the importance of prayer?

    It emphasizes the significance of prayer (Namaz) as a fundamental practice in Islam.

  • What is the relationship between Muslims and the Prophet Muhammad according to the video?

    Muslims should show utmost respect and follow the guidance of the Prophet Muhammad.

  • What does the video say about the consequences of bad speech?

    It highlights that bad speech can lead to serious consequences and emphasizes the importance of speaking well of others.

  • What is the role of community in Islam as discussed in the video?

    The community plays a crucial role in supporting each other and maintaining a peaceful and respectful environment.

  • How does the video suggest resolving conflicts among Muslims?

    It suggests that conflicts should be resolved through dialogue and reconciliation.

  • What is the significance of good character in Islam?

    Good character is essential for maintaining harmony and respect within the community.

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    का रिश्ता स्टेशन में हमने नमाज के हवाले
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    से तस्वीर के साथ पड़ा था
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    हैं और पुराणों सुन्नत की रोशनी में यह
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    जैसा लिया था कि नमाज़ की अहमियत और
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    व्याख्या की गई है
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    और इंशाल्लाह आज के सेक्शन में हम इस्लाम
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    के एक और अहम शुभ
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    अख्यात के हवाले से क़ुरआने करीम के सूरए
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    गुजरात की रोशनी में पढेंगे
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    कि चुनाचे सूरत के दो बुनियादी मौज़ूआत है
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    का पहला मौजूद यह है कि आप सल्लल्लाहू
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    अलैही वसल्लम के साथ मुसलमानों का रवैया
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    कैसा होना चाहिए
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    मैं उनसे गुफ्तगू कानदास कैसा हो उनके साथ
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    चलने का अंदाज कैसा हो उनके साथ बैठने का
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    अंदाज के समूह
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    और दूसरा व सूखे है कि मुसलमानों का आपस
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    में रहन-सहन और रवैया कैसा हो उनकी मां
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    शरत और सुसाइटी सिस्टम कैसा हो
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    है और कौन सी वह अगला की बुराइयां है
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    जिससे वह पास हो और कैसे एक पुरअमन इस्लाम
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    ई वास क्राइंग किया जा सके
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    कि अब सवाल यह पैदा होता है कि इस सूरत को
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    सूर्य गुजरात क्यों कहा जाता है
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    अब तो जवाब इसका यह है कि गुजरात
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    अरबी में उतरे की जगह है
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    कि जो कमरे को कहते हैं
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    कि इस सूरज की 64वीं आयत में नदिया क्रीम
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    सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के
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    रिहाइशी कमरों के पीछे से आपको आवाज देने
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    से मना फ़रमाया गया है
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    है इस वजह से इस सूरत का नाम सूर्या
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    गुजरात रखा गया है तो इस सूरत की बिदाई 5
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    आयत है इसका शुक्र पर नाज़िल हुई थी और वह
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    यह कि हुजूर सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम के
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    पास अरब के मोबाइल के बहुत सारे वह पूरा
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    आया करते थे तो
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    यहां पर आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम
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    उन्हीं में से किसी को फायदा के लिए कबीले
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    का अमीर और सरदार व करण वर्मा देते थे एक
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    मर्तबा कबीले तमीम का एक वक्त आप
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    सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम की ख़िदमत में
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    आया
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    अभी आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने उनमें
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    से किसी को भी नहीं बनाया था और ना ही इस
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    सिलसिले में कोई बात की थी लेकिन आप
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    सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम की मौजूदगी में
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    ही हजरत अबू बकर रज़ी अल्लाह ताला अनहो और
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    हज़रत उमर रदियल्लाहो तअला अन्हु ने यह
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    वड़ा शुरू कर दिया कि इनमें से किसको अमीर
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    बनाया जाए हजरत अबू बकर ने एक नाम लिया
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    हजरत उमर ने दूसरा नाम लिया
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    है और इन दोनों बुजुर्गों ने अपनी-अपनी
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    राय की ताईद इस तरह करना शुरू कर दी के
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    कुछ बहस का माहौल पैदा हो गया है हैं और
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    इसमें दोनों की आवाजें बुलंद होना शुरू हो
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    गई है
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    कि इस पर सूर्य गुजरात की पहली तीन आयतें
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    नाज़िल हुई है
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    है जिसमें यह हिदायत की गई कि जिन वहां
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    इलाज का फैसला नबी-ए-करीम सरकारी दो आलम
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    सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम को करना हो और
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    आपने उनके बारे में कोई मशवरा बिना तलब
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    किया हो और वह लास्ट में आप से पहले कोई
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    राय कायम कर लेना और उस पर इसरार करना यह
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    बहस करना आपके अदब के खिलाफ है कि अगर से
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    की पहली आयत इस खास मौके पर नाज़िल हुई थी
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    लेकिन अलिफ
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    इस्तेमाल फरमाइश है ताकि यह वसूली हिदायत
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    दी जाए कि किसी भी मामले में हजरत
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    सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम से आगे बढ़ना
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    मुसलमानों के लिए दुरुस्त नहीं है
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    इसमें यह बात भी दाखिल है कि अगर आप
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    सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के साथ चलना हो
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    तो आपसे आगे ना बढ़ाए नीस आप सल्लल्लाहू
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    अलेही वसल्लम ने जिंदगी के मुताबिक होठों
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    से जो बिद्ध होकर फरमाई हैं उनसे आगे
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    निकलने की कोशिश ना की जाए
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    कि इसके बाद दूसरी और तीसरी आयतों में यह
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    हिदायत दी गई है कि आप सल्लल्लाहो अलेही
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    वसल्लम की मजलिस में बैठकर अपनी अब्बास आप
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    सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की आवाज से बुलंद
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    नहीं करनी चाहिए
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    आपसे कोई बात कहनी हो तो वह भी व्रत आवाज
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    से नहीं कहनी चाहिए
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    है बल्कि आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की
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    मजलिस में आवाज नीचे रखने का इस्तेमाल
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    करना जरूरी है
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    कि आगे आयत नंबर 6 में अल्लाह ताला बयान
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    फरमा रहे हैं कि आयल नदीना फ्रूट निंजा
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    अफवाह सिर्फ बड़ी सफलता जरूर अनंत शिव
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    विहार पुश भिक्षु फालतू
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    इस त्यौहार में
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    कि
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    अगर कोई आदमी तुम्हारे पास कोई खबर लेकर
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    तो अच्छी तरह तेज कर लिया करो
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    तुम नादानी से कुछ लोगों को नुकसान पहुंचा
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    दो और फिर अपने किए पर शर्मिंदा हो
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    अब इस आयत के साथ डुब में बशरी ने वाक्य
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    कल फरमाया है
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    थे और वो बात है यह है कि हजरत खालिफ
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    बब्बा रजि अल्लाह ताला अनहो जो के सहाबी
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    रसूल है
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    इनको आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने
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    तमिलनाडु स्थित के पास जकात वसूली करने के
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    लिए भेजा है
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    कि जब यह उनकी बस्ती के करीब पहुंचे तो वह
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    लोग आंख अगर आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम
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    के भेजे हुए इलाइची और तौसिफ के इस्तकबाल
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    के लिए बड़ी तादाद में बस्ती के बाहर जमा
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    हो गए
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    हजरत अली बिरहा रसूलल्लाह ताला अन्हु यह
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    सब देते हैं यह लोग लड़ाई करने के लिए
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    बाहर निकल आए हैं क्योंकि बास रिवायत में
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    यह भी आता है कि उनके और बंधु स्थित के
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    दरमियान जमाने चाहिए लिखित में दुश्मनी थी
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    है इसलिए हजरत बिजली बिल बकाया राशि
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    अल्लाह ताला अनु को यह खतरा हुआ कि वह लोग
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    पुरानी दुश्मनी की बिना पर उनसे लड़ने के
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    लिए ना निकल आए हो
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    थे इसी दौरान किसी शरीर आदमी रे उनसे यह
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    कहा कि लोग आप से लड़ने के लिए बाहर निकले
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    हैं
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    चुनांचे हज़रत अली विनोबा बस्ती में दाखिल
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    होने के बजाय वहीं से वापस लौट गए और जाकर
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    आला हजरत सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम से
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    अर्ज़ किया कि पर उत्तेजित के लोगों ने
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    जकात देने से इनकार कर दिया है
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    है और वह लड़ाई के लिए निकले हुए हैं
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    कि हजरत सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने जब यह
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    सुना तो हजरत खालिद बिन वलीद रजि अल्लाह
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    ताला अनु को हुक्म फ़रमाया कि तुम जाओ और
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    जाकर इस वाक्य की 33 करूं कि अगर वापसी उन
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    लोगों ने सरकशी की हो तो उससे जिहाद करो
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    कि चुनांचे हज़रत खालिद बिन वलीद
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    रदियल्लाहो तअला अन्हु वहां पहुंचे तो पता
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    चला कि वह लोग तो इस्तकबाल के लिए जमा हुए
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    थे और उन्होंने सख्त देने से इंकार नहीं
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    किया था
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    तो इस पर यह आयत नाज़िल हुई और उस शरीर
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    आदमी को इस आयत में पाचक करार दिया गया है
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    परत वर्ली तो यह तब भी की गई है कि तन्हा
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    उस शरीर आदमी की खबर पर भरोसा करने के
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    बजाय पहले उस खबर की 33 करनी चाहिए थी अ
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    कि यह आयत अगर के खास मौके के तहत नाज़िल
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    हुई है लेकिन उम्मत को यह तालीम दी गई है
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    कि अगर कोई खबर आए तो उसको आगे फैलाने से
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    पहले उसकी अच्छी तरह तेज करनी चाहिए
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    है और जैसा कि आपको मालूम है कि आजकल सोशल
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    मीडिया का दौर है और मुख्तलिफ सच्ची और
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    झूठी खबरें हमारे पास आती रहती हैं
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    इसलिए कोई भी बात आगे भेजने से पहले उसकी
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    अच्छी तरह तीर करनी चाहिए
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    को चुना चेक और हदिश में आप सल्लल्लाहू
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    अलैही वसल्लम ने फरमाया
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    आज के आदमी के झूठा होने के लिए इतना ही
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    काफी है कि वह हर सुनी सुनाई बात को आगे
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    फैला दे दो
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    कि सूर्या गुजरात की आयत नंबर 10 में
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    अल्लाह ताला बयान फरमाते हैं कि इन नवल
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    मीणा ने हुआ तुम फसलें फूल बनना अ कई को
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    वक्त अगला खून तो हम उन दो
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    अब इस आयत का तरीका यह है क्या न के साथ
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    फरमाया कि मुसलमान आपस में भाई-भाई है
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    है इसलिए अपने भाई के दरमियान 16 करवाओ
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    और अल्लाह ताला से डरो ताकि तुम्हारे साथ
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    रहने का वादा किया है
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    कि चुनाव सिसायत की रोशनी में मुसलमानों
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    को चाहिए कि वह मिल-जुलकर मोहब्बत और अमन
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    के साथ रहें हैं
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    को आपस में लड़ाई झगड़े ना करें तो
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    है और अगर कभी दो मुसलमानों के दरमियान
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    लड़ाई झगड़ा हो भी जाए तो उनके दरमियां
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    दोस्ती और सुलह करवा दी जाए तो
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    कि चुनाव के लिए करीब सरकारी दो आलम
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    सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने भी मुसलमानों
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    के आपसी ताल्लुकत को कुरान शरीफ और हदीस
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    के अंदर बयान फ़रमाया है
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    है और यह बात बयान फ़रमाए है कि मुसलमानों
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    के दरमियान आपस में कैसा ताल्लुक होना
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    चाहिए
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    21 हदीस हजरत अबू सारी रजि अल्लाह ताला
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    अन्हु से रिवायत है के अल्लाह के रसूल
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    सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया
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    कि एक मुसलमान को दूसरे मुसलमान से
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    ताल्लुक एक मजबूत इमारत जैसा है कि उसका
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    एक हिस्सा दूसरे हिस्से को मजबूत करता है
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    आज रात सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने एक हाथ
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    कि उंगलियां दूसरे हाथ की उंगलियों डालकर
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    फरमाया कि मुसलमानों को इस तरह एक-दूसरे
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    के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए जिस तरह
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    इमारत की इंटेल वाहक मिलकर मजबूत तिलावत
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    जाती हैं इसी तरह उम्मते मुस्लिमा एक किला
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    है और हर मुसलमान उसकी एक ही फिर
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    थे उनमें आपस में वही ताल्लुक होना चाहिए
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    जो किले की एक चीज का दूसरी इससे होता है
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    तो फिर आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने
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    अपने एक हाथ कि उंगलियां दूसरे हाथ की
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    उंगलियों डाल कर दिखाया कि मुसलमानों के
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    मुताबिक अपराध और तप को बाहर व्यवस्थित
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    होकर इस तरह घुमाते वाहिद बनकर रहना चाहिए
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    मैं इसी तरह हजरत उस्मान बिन बशीर रज़ी
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    अल्लाह ताला अन्हु से रिवायत है की
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    रसूल्लल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने
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    फरमाया कि सब मुसलमान एक जिस्म की तरह है
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    कि अगर उसकी आंख में तकलीफ हो तो उसका
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    सारा जिसे उस दर्द और तकलीफ को महसूस करता
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    है
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    मैं इसी तरह अगर उसके सर्वे तकलीफ हो तो
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    उसका सारा जिस्म उस तकलीफ में शरीक हो
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    जाता है
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    पूरे उम्मते मुस्लिमा दो या एक जिस्म और
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    जान है है और उसके अपराध उसके आजा है कि
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    एक उसमें अगर तकलीफ हो तो उसके सारे आजा
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    तकरीर को महसूस करते हैं
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    मैं इसी तरह पूरी घुमतें इस्लामियां को हर
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    मुसलमान पर की तकलीफ महसूस करनी चाहिए और
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    उसके द दुख और दर्द में बराबर का शरीक
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    होना चाहिए
  • 00:11:36
    कि आगे आयत नंबर 11 और 12 वें लगाला इरशाद
  • 00:11:39
    फरमाते हैं कि या यह नदी ना मन्नू लाल यह
  • 00:11:45
    कुंठा साइन गुरु-गंभीर हो
  • 00:11:49
    निशा विदिशा इन
  • 00:11:54
    विजुअल
  • 00:12:00
    सब्सक्राइब
  • 00:12:07
    लुट-लुट
  • 00:12:15
    सब्सक्राइब
  • 00:12:23
    लौह तत्व रही है
  • 00:12:27
    और आयत नंबर 11 का तरीका यह है कि अल्लाह
  • 00:12:30
    तआला ने फरमाया कि विमान वालों ना तो तुम
  • 00:12:34
    मुझसे व्रत दूसरे वर्गों का मजाक उड़ाएं
  • 00:12:37
    हो सकता है कि वह यानी जिन का मजाक उड़ाया
  • 00:12:41
    जा रहा है खुद उनसे बेहतर हो
  • 00:12:44
    है और ना औरतें दूसरी औरतों का मजाक
  • 00:12:47
    उड़ाएं हो सकता है कि वह यानी जिन का मजाक
  • 00:12:50
    उड़ाया जा रहा है उन्हें बेहतर है मैं और
  • 00:12:54
    तुम एक दूसरे को ताना दिया करो और एक
  • 00:12:58
    दूसरे को हुए अलगाव से पुकारो और आयत नंबर
  • 00:13:02
    12 का तर्जुमा यह क्या लगता है राधेश्याम
  • 00:13:05
    वर्मा है कि विमान वालों बहुत से
  • 00:13:08
    गुब्बारों से बचों
  • 00:13:10
    इसलिए के बाद हनुमान गुना होते हैं हैं और
  • 00:13:14
    किसी की टो विदा लगो इसी तरह एक दूसरे की
  • 00:13:17
    इज्जत ना करो च तुम में से कोई शख्स इस
  • 00:13:20
    बात को पसंद करेगा का यह वह अपने मुर्दा
  • 00:13:23
    भाई का गोश्त खाए यह तीन अ इससे तो तुम
  • 00:13:27
    खुद नफरत करते हो अल्लाह ताला से डरो बेशक
  • 00:13:32
    अल्लाह ताला बड़ा तोहफा कुबूल करने वाला
  • 00:13:34
    है और वह बहुत ज्यादा मेहरबान है
  • 00:13:38
    12 आया तो वे अलग-अलग 6 चीजों की व्याख्या
  • 00:13:42
    फरमाइश
  • 00:13:43
    जिनकी वजह से वाष्र्णेय अंदर लड़ाई और
  • 00:13:47
    इलाहाबाद पैदा होते हैं और आपस में झगड़े
  • 00:13:50
    पैदा होते हैं
  • 00:13:52
    कि चुनाव से पहले मुमानियत यह बयान की गई
  • 00:13:55
    है कि एक दूसरे का मजाक ना उड़ाएं
  • 00:13:59
    दूसरी इमारत यह बयान की है कि एक दूसरे पर
  • 00:14:03
    अपना लगाओ
  • 00:14:04
    तीसरी वारदात यह बयान फ़रमाए गई है कि एक
  • 00:14:09
    दूसरे को ऐसे नामों से पुकारा जिससे दूसरे
  • 00:14:12
    सलमान को तकलीफ पहुंची हो
  • 00:14:15
    134 घुमाने आज यह बयान फ़रमाए गई है कि
  • 00:14:19
    कसरतें जुबान से बच्चों
  • 00:14:21
    पांचवी हमारे हाथ यह बयान फ़रमाए गई है कि
  • 00:14:26
    बुराई तलाश करने के लिए एक दूसरे की
  • 00:14:29
    जासूसी
  • 00:14:30
    और 31वें स्थान पाया के अंदर यह बयान
  • 00:14:34
    फ़रमाए गई है कि एक दूसरे की इज्जत ना करो
  • 00:14:39
    है इंशाह अल्लाह अमेज़ चीजों को थोड़ी
  • 00:14:42
    तस्वीर के साथ शरीयत की रोशनी में आपके
  • 00:14:44
    सामने बयान पर उनका यह पहली चीज जिसकी
  • 00:14:48
    आयात में व्याप्त है वह यह है कि मुसलमान
  • 00:14:51
    आपस में एक दूसरे का मजाक ना उड़ाएं
  • 00:14:54
    क्योंकि इससे दूसरे मुसलमान की सारी
  • 00:14:58
    तकलीफें
  • 00:14:59
    और सलमान को तकलीफ पहुंचाना हराम
  • 00:15:05
    घृत वह सब थे जिसके हाथ और दूसरा मुसलमान
  • 00:15:11
    में पूछ रहे दूसरी चीज जिसकी छाया में
  • 00:15:16
    वह अलग है
  • 00:15:18
    है लंच का मतलब है किसी का यह बयान करना
  • 00:15:22
    है
  • 00:15:23
    कि अब चाहे वह भूखा तब के अंदर मौजूद हो
  • 00:15:26
    तो भी इसका तस्करा करना दुरुस्त नहीं है
  • 00:15:30
    है और वह है बुखार तब के अंदर मौजूद रहे
  • 00:15:32
    हो तब तो इस गुना की शिद्दत और भी बढ़
  • 00:15:36
    जाती है
  • 00:15:37
    के बाद रिवायात में आता है कि अगर कोई
  • 00:15:41
    शख्स
  • 00:15:42
    है कि कोई ऐप किसी दूसरे की तरफ मजबूत
  • 00:15:45
    करता है तो उस वक्त तक उसको बहुत नहीं
  • 00:15:48
    आएगी जब तक अल्लाह ताला उस शख्स को उस
  • 00:15:53
    हेल्प के अंदर बुध तलाश न कर दो
  • 00:15:55
    और तीसरी चीज जिसकी इन आयात में मुख्यत है
  • 00:16:00
    वो एक दूसरे को बुरा नाम से पुकारना है
  • 00:16:04
    कि अल्लाह ताला ने फरमाया कि भला तनाव व
  • 00:16:08
    सुलभ
  • 00:16:09
    यानी एक दूसरे को पूरा नाम से पुकारो
  • 00:16:14
    जिन
  • 00:16:16
    नामों को
  • 00:16:19
    तय करने चाहिए
  • 00:16:22
    कि जैसे किसी को अंधा कर दिया कान्हा कह
  • 00:16:26
    दिया बहरा कर दिया तो जाहिर है जिसको इन
  • 00:16:31
    नामों से पुकारा जाए का या उसको किस तकलीफ
  • 00:16:35
    होगी कभी भी बुरी आदतों की वजह से नाम पड़
  • 00:16:38
    जाते हैं
  • 00:16:39
    तो बस लग किसी ने चोरी की तो उसको चोर कहा
  • 00:16:42
    जाने लगा
  • 00:16:44
    तो फिर उसने तोबा कर ली
  • 00:16:46
    थे तभी उसको चोर कहा जा रहा है
  • 00:16:50
    कि कोई भी ऐसा लख्या नाम जिससे उसका तब को
  • 00:16:53
    तकलीफ हो उसकी दुलारी हो उससे बचना चाहिए
  • 00:16:58
    हदीस शरीफ़ में आता है कि आप सल्लल्लाहओ
  • 00:17:00
    अलैही वसल्लम ने फरमाया कि सलमान को तकलीफ
  • 00:17:04
    पहुंचाना हराम है यह याद रखना कि है कि
  • 00:17:09
    हुकूम दो तरह के होते हैं
  • 00:17:12
    कि एक हफ्ते अल्लाह का है दूसरा हक बंदूक
  • 00:17:16
    है
  • 00:17:17
    कि अब अगर अल्लाह के हक में कोई कमी यह
  • 00:17:19
    होता ही हो जाती है तो अल्लाह ताला से
  • 00:17:22
    उम्मीद है कि वह माफी मांगने और तो वह
  • 00:17:25
    करने से माफ कर दे दो
  • 00:17:27
    है लेकिन याद रखिए कि बंदूक का हक़ उस
  • 00:17:30
    वक्त तक माफ नहीं होता जब तक वह बंदा खुद
  • 00:17:34
    माफ कर दें कि जिस का हक मारा गया है
  • 00:17:37
    इसलिए बंदूक में तौर पर खयाल रखना चाहिए
  • 00:17:43
    उनके अपने ही ना हो तो
  • 00:17:46
    कि आप बोर की जीत कि जब इस आयत में मजाक
  • 00:17:50
    उड़ाने बुरा-भला कहने और बड़े नामों से
  • 00:17:54
    पुकारने की मुलाकात है तो किसी का हक
  • 00:17:57
    मारने कितना बड़ा गुनाह होगा
  • 00:17:59
    1 मर्तबा दबी यह क्रीम सरकारे दो आलम
  • 00:18:02
    सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने सहाबा इकराम
  • 00:18:05
    से पूछा कि तुम जानते हो कि सबसे बड़ा
  • 00:18:09
    पुरस्कार है
  • 00:18:11
    मैं तो साहब अरे जवाब दिया कि या
  • 00:18:14
    रसूलल्लाह जिसके पास देर हम उद्धार हो तो
  • 00:18:19
    आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने जवाब दिया
  • 00:18:21
    कि वह पुलिस व है कि जिसके पास रुपया पैसा
  • 00:18:25
    या फिर हम दोनों दूर रहो उस लिस्ट व है जो
  • 00:18:29
    क़यामत के दिन ने किया लेकर आएगा लेकिन
  • 00:18:33
    किसी को सताया होगा किसी का हक मारा होगा
  • 00:18:36
    किसी को गाली दी होगी उन तमाम लोगों को
  • 00:18:41
    इसकी लेकर दे दी जाएगी
  • 00:18:44
    है और जब ने किया खत्म हो जाएंगी तो उन
  • 00:18:47
    लोगों की बुराइयां इसके सर डाल दी जाएगी
  • 00:18:50
    कि यह तक के वह सब जो नीतियों का अंबार
  • 00:18:54
    लेकर आया था गुनाहों का अंबार अपने सर पर
  • 00:18:57
    जमा कर लेगा और फिर उसे जहन्नुम में डाल
  • 00:19:00
    दिया जाएगा
  • 00:19:02
    कि यह होगा सबसे बड़ा वह प्लीज जो लोगों
  • 00:19:05
    के हक मारने की वजह से जहन्नुम में जाएगा
  • 00:19:09
    लिए याद रखिए इंसान जवान का इस्तेमाल
  • 00:19:13
    आसानी से कर लेता है लेकिन उसको एहसास भी
  • 00:19:17
    नहीं होता कि उससे कितनों का दिल दुखे
  • 00:19:20
    चित्रों पर इज्जत पड़ी कहां-कहां वह बात
  • 00:19:24
    बनते-बनते बिगड़ गए इन आयात में जिन बातों
  • 00:19:28
    से रोका जा रहा है उनमें ज्यादातर जवान की
  • 00:19:32
    बेटियां और बुराइयां हैं
  • 00:19:35
    एक हदीस शरीफ़ में आता है कि आदमी वास
  • 00:19:38
    मर्तबा देखने में मामूली सी बाद अब से
  • 00:19:41
    निकालता है लेकिन वह उसको जमीन की
  • 00:19:44
    गहराइयों में पहुंचा देती है ई वास सुरे
  • 00:19:46
    के बिगाड़ में जवान का सबसे बड़ा दल है
  • 00:19:50
    वास्तव आप इसका ज़ख्म इतना गहरा होता है
  • 00:19:53
    कि इसका भरना आसान नहीं होता एक व्यवसाय
  • 00:19:58
    रहता है जरा हाथों से नानी रहल श्याम वल
  • 00:20:03
    आयुक्त आवाज यह दिशांत
  • 00:20:06
    है इसका मतलब यह है कि नेताओं के जख्म भरे
  • 00:20:09
    जा सकते हैं लेकिन जो जख्म जुबान से लगता
  • 00:20:12
    है वह भरा नहीं जा सकता है
  • 00:20:15
    है इसलिए खास तौर पर बोलने से पहले सोचना
  • 00:20:18
    चाहिए कि यह बात समान से निकाली जाए या
  • 00:20:22
    नहीं आ
  • 00:20:24
    234 चीज जिसके बारे में अल्लाह ताला ने
  • 00:20:27
    फरमाया है वह यह है कि कसरतें जुबान से
  • 00:20:30
    बच्चों बहुत ज्यादा जुबान करने से बच्चों
  • 00:20:34
    इसलिए उसके बाद हनुमान गुना के अंदर दाखिल
  • 00:20:38
    है
  • 00:20:39
    कि यह बात इंसान की शख्सियत के अंदर दाखिल
  • 00:20:43
    है कि वह आम तौर पर जल्दी बदगुमान हो जाता
  • 00:20:46
    है कि बुरे बुरा ख्यालात उसको घेर लेते
  • 00:20:49
    हैं किसी के बारे में अच्छा गुमान करना
  • 00:20:52
    उसके लिए करें मुश्किल होता है
  • 00:20:55
    आयत में इसीलिए फ़रमाया गया है कि कसरत
  • 00:20:58
    हनुमान से बच्चों फिर उसकी वजह यह बयान
  • 00:21:01
    फ़रमाए गई है कि बाद हनुमान बुरा की हद तक
  • 00:21:05
    पहुंच जाते हैं
  • 00:21:06
    कि किसी के बारे में अच्छा गुमान करना
  • 00:21:09
    आदमी के लिए आम तौर पर नुकसान तो नहीं
  • 00:21:11
    होता लेकिन बदजुबानी के स्रौत वास मर्तबा
  • 00:21:16
    बहुत ही ज्यादा सख्त होते हैं इसलिए बेहतर
  • 00:21:19
    यह होता है कि अगर किसी के बारे में
  • 00:21:22
    मालूमात पूरी तरह हो तो उसके बारे में
  • 00:21:25
    रखें किसी दूसरे के बारे में अगर अच्छा है
  • 00:21:31
    तो कयामत में यह सवाल नहीं होगा कि
  • 00:21:34
    ब्रेकअप के बारे में क्यों रखा लेकिन अगर
  • 00:21:39
    किसी के बारे में
  • 00:21:41
    तो क़यामत के दिन उस के बारे में जरूर
  • 00:21:44
    पूछा जाएगा कि आपके बारे में क्यों रखा है
  • 00:21:49
    21 हदीस में रबी या खरीफ सरकारे दो आलम
  • 00:21:52
    सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया का या
  • 00:21:55
    खूब दिन
  • 00:21:57
    थकावट हदीस
  • 00:22:00
    है इसका मतलब यह है कि बदजुबानी से बच्चों
  • 00:22:03
    इसलिए के बदगुमानी सबसे बड़ा झूठ है
  • 00:22:07
    है इसलिए बदजुबानी से बचने की कोशिश करनी
  • 00:22:11
    चाहिए पांचवी मुमानियत
  • 00:22:14
    है जिसका इनायत के अंदर जिक्र है वह
  • 00:22:17
    जस्टिस है
  • 00:22:19
    जो अलार्म एक साथ फरमाते हैं बलात् जस्सु
  • 00:22:22
    यानि सब्सक्राइब
  • 00:22:25
    आदमी जब किसी से बदगुमान होता है तो उसकी
  • 00:22:29
    टोह में पड़ता है उसकी हर पल हर पल हरकत
  • 00:22:33
    पर उसकी जगह होती है
  • 00:22:35
    कि उसके पीछे वह अपने जासूस लगा देता है
  • 00:22:38
    और फिर उसकी अच्छाइयां भी उसको बुराई की
  • 00:22:41
    शक्ल में नज़र आने लगती है किसी मुसलमान
  • 00:22:44
    के लिए यह दुरुस्त नहीं है कि वह अपने
  • 00:22:47
    मुसलमान भाइयों के तलाश करें यह हर किसी
  • 00:22:51
    के अंदर होते हैं किसी के अंदर मामूली और
  • 00:22:55
    किसी
  • 00:22:56
    इस्लामी घुम यह कि आदमी से चश्म पोशी करें
  • 00:23:01
    और भला उसे
  • 00:23:04
    अलबत्ता जो लोग के बाद और इस्लाम के
  • 00:23:08
    दुश्मन हैं उनके हालात से उत्पन्न होने के
  • 00:23:11
    लिए जासूसी करने
  • 00:23:13
    की इच्छुक है ताकि उनकी कमजोरी से होकर उन
  • 00:23:19
    पर काबू पाया जा सका है
  • 00:23:22
    कि 30वां नियत जिसके बारे में अल्लाह ताला
  • 00:23:25
    ने इरशाद फरमाया
  • 00:23:27
    वह भी अ
  • 00:23:29
    कि चुनांचे अल्लाह तआला फरमाते हैं
  • 00:23:32
    को बुलाया तब बारु भेजना है
  • 00:23:36
    अब इस आयत का मतलब यह है कि तुम एक दूसरे
  • 00:23:40
    की इज्जत ना करो रिश्वत कहा जाता है कि
  • 00:23:44
    पीठ पीछे किसी की बुराई करना है और हदीस
  • 00:23:47
    में इसकी वजह पुस्तक सिर्फ वह झूठ है
  • 00:23:51
    कि चुनांचे हज़रत सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम
  • 00:23:53
    ने एक मर्तबा सामूहिक राम को खिताब करते
  • 00:23:57
    हुए फरमाया है
  • 00:23:58
    है कि तुम जानते हो कि तिब्बत क्या है का
  • 00:24:02
    प्रसाद ही काम
  • 00:24:04
    को विश्वास दिलाया कि अजवाइन यूज किया
  • 00:24:06
    अल्लाह और उसके रसूल ज्यादा जानते हैं
  • 00:24:10
    आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कि
  • 00:24:13
    अपने भाई का सब्सक्राइब जो इसको पसंद है
  • 00:24:18
    कौन सा बैक राम ने पूछा कि या रसूलल्लाह
  • 00:24:21
    अगर मेरे भाई में वह अपना पसंदीदा चीज
  • 00:24:24
    मौजूद हो जो मैं कह रहा हूं तो क्या फिर
  • 00:24:28
    भी वह विवाद में शामिल होगी तो आप
  • 00:24:30
    सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कि अगर
  • 00:24:33
    उसके अंदर वह चीज मौजूद है तब ही तो तुम
  • 00:24:37
    यदि बात कि अगर वह चीज उसमें मौजूद ही
  • 00:24:40
    नहीं है तो तुमने उस पर तोहमत लगाई जो भी
  • 00:24:44
    वक्त से भी बड़ा गुनाह है
  • 00:24:46
    है आमतौर पर लोग इस गलतफहमी का शिकार रहते
  • 00:24:50
    हैं कि अगर किसी की ऐसी बुराई बयान की जाए
  • 00:24:53
    जो उसके अंदर मौजूद है तो यह इज्जत नहीं
  • 00:24:55
    है इस हदीस में के बाद आप सल्लल्लाहू
  • 00:24:59
    अलैही वसल्लम ने साफ तौर पर बयान कर दी कि
  • 00:25:03
    तिब्बत तो जब ही है जब उसके अंदर मौजूद हो
  • 00:25:07
    अगर बुराई मौजूद नहीं तो यह बहुत आसान है
  • 00:25:11
    इल्जाम तरह
  • 00:25:13
    शीघ्र से भी बड़ा है
  • 00:25:17
    कि मौजूदा दौर में यह बीमारी अच्छे-अच्छे
  • 00:25:20
    दीनदार हलकों में भी मौजूद हो गई है कि इस
  • 00:25:24
    हदीस में आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने
  • 00:25:26
    इसको बदतरीन गुना हो अंदर शामिल किया है
  • 00:25:30
    21 हदीस में आता है किसी वक्त इससे भी
  • 00:25:34
    बड़ा गुनाह है साहब एक राम दसरथ के रसूल
  • 00:25:37
    अल्लाह
  • 00:25:39
    [संगीत]
  • 00:25:40
    सब्सक्राइब करें तो आप सल्लल्लाहू अलैही
  • 00:25:43
    वसल्लम ने फरमाया कि आदमी करता है तो कर
  • 00:25:48
    लेता है तो अल्लाह ताला उसकी को कुबूल
  • 00:25:51
    फरमाए
  • 00:25:52
    और व्रत करने वाले कि उस वक्त नहीं होती
  • 00:25:57
    जब तक वह सब माफ कर दे जिसकी उसने की है
  • 00:26:02
    है जिसकी उसने पीठ पीछे बुराई बयान की गई
  • 00:26:04
    है
  • 00:26:06
    मैं सिर्फ गुजरात की आयत नंबर 13 में लगा
  • 00:26:10
    ले साथ फरमाते हैं या यह 10 लाख
  • 00:26:14
    लुट लो एक बजाना को शुरू व ललिता आर यू इन
  • 00:26:21
    अख्यर
  • 00:26:24
    लुहा वीर
  • 00:26:28
    तब तक गुडबाय शायद का यह है कि लगा लें और
  • 00:26:31
    साथ फरमाया कि लोगों
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    हकीकत यह है कि हमने तुम सबको एक मर्द और
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    औरत पैदा किया है
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    है और तुम्हें मुतालिक पोगो है और
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    खानदानों में इसलिए तकसीम किया है ताकत
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    उसमें एक दूसरे की पहचान कर सकूं
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    रहता लकीर में सबसे ज्यादा करो और
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    सबस्क्राइब
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    में सबसे ज्यादा पुस्तकें और अल्लाह से
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    डरने वाला और
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    सब कुछ जानते हैं और हर चीज से बेखबर है
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    कि इस आए थे करीब पर मूसा बात का यह अजीब
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    उसूल बयान फ़रमाया है कि किसी की इज्जत और
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    शराफत का त्यौहार उसकी कोई और उसका कबीरा
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    यह वतन नहीं है
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    के बल के इज्जत और शराफत का ताल्लुक उसके
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    तवा की बुनियाद पर है कि जो लोग सबसे
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    ज्यादा अल्लाह से डरने वाले हैं वह अल्लाह
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    ताला के नजदीक सबसे ज्यादा कर रहा है
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    आप सब लोगों को अल्लाह ताला ने एक बर्थ
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    जाति हजरत आदम और एक औरत यानि हज़रत हव्वा
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    अलैहिस्सलाम से पैदा फरमाया है और नतालिया
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    ने लोगों को तारीफ दान और कबीलों के अंदर
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    तक टीम कर दिया है और यह तक सिर्फ इसलिए
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    दही किया ताकि लोग एक-दूसरे पर फक्र करें
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    यह अपनी बड़ाई जाता है बल्कि उसका मकसद
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    सिर्फ यह है कि लोग एक दूसरे को पहचान सके
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    कि यह सफलता कबीले से ताल्लुक रखता है और
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    यह सफलता कबीले से ताल्लुक रखता है बाकी
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    अल्लाह ताला के नजदीक वह सब सबसे ज्यादा
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    पीले इज्जत है जो उसके हक मांग पर सबसे
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    ज्यादा चलने वाला हो
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    और फिर चाहे वह किसी भी रंग नस्ल या कबीले
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    से ताल्लुक रखने वाला है
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