Govt. Can’t Take Over Judiciary; SC Judge Calls SC Order Milestone #lawchakra #supremecourtofindia

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Ringkasan

TLDREl reciente fallo del Tribunal Supremo de la India sobre las demoliciones con bulldozer ha generado un debate considerable, con opiniones divididas en el ámbito político y legal. La jueza BV Nagaratna insistió en que demoler propiedades sin un debido proceso judicial es ilegal e inconstitucional, subrayando la importancia del respeto a los derechos fundamentales en una democracia. En respuesta, se han introducido nuevas directrices que exigen una notificación previa y una audiencia antes de cualquier demolición. Este fallo ha sido aclamado por diversos líderes, destacando la necesidad de justicia y procesos justos para todos, criticando la práctica anterior de utilizar estas demoliciones como herramientas de intimidación política.

Takeaways

  • ⚖️ El Tribunal Supremo de India emitió nuevas directrices para las demoliciones.
  • 📢 La jueza BV Nagaratna expresó sus preocupaciones sobre las demoliciones sin juicio.
  • 🏠 Las demoliciones deben notificarse legalmente con 15 días de anticipación.
  • 🔍 Las prácticas arbitrarias amenazan la confianza en el estado de derecho.
  • 🎤 Personalidades destacadas han analizado críticamente el fallo.
  • 📝 Se afirma que sin el debido proceso, las demoliciones son inconstitucionales.
  • 🚨 La nueva normativa busca prevenir el abuso de poder ejecutivo.
  • 🔄 Los tribunales deben evitar convertirse en herramientas del ejecutivo.
  • 🥺 La democratización depende de la rendición de cuentas y la transparencia.
  • 🗣️ Los ciudadanos deben estar informados de sus derechos en una democracia.

Garis waktu

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    El reciente fallo del Tribunal Supremo de India sobre las demoliciones con bulldozers ha provocado una ola de reacciones y debates acalorados. Especialmente la opinión de la jueza del Tribunal Supremo, Justice BV Nagarathna, quien ha criticado esta práctica y ha defendido el debido proceso legal como fundamental en una democracia. Ella argumenta que las demoliciones sin un juicio adecuado son ilegales e inconstitucionales, enfatizando que la ley debe ser aplicada de manera justa y que la responsabilidad es fundamental. La decisión del Tribunal Supremo busca poner fin a las demoliciones arbitrarias y proteger los derechos fundamentales de las personas, estableciendo directrices estrictas que exigen notificaciones legales y audiencias justas antes de cualquier demolición.

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Pertanyaan yang Sering Diajukan

  • ¿Qué dijo la jueza BV Nagaratna sobre las demoliciones con bulldozer?

    La jueza indicó que las demoliciones sin un proceso judicial son ilegales e inconstitucionales.

  • ¿Cuáles son las nuevas directrices del Tribunal Supremo respecto a las demoliciones?

    Las demoliciones no deben realizarse sin una notificación legal adecuada y se debe ofrecer una audiencia previa al propietario.

  • ¿Qué preocupación expresó la jueza sobre el uso de las órdenes?

    Expresó preocupación por el uso excesivo de órdenes como atajo para eludir el escrutinio legislativo.

  • ¿Qué impacto tienen las demoliciones arbitrarias según esta normativa?

    Socavan la confianza pública en el sistema judicial y el estado de derecho.

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    वैसे तो सुप्रीम कोर्ट के रिसेंटली आए
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    लैंडमार्क जजमेंट्स को काफी लोगों ने
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    प्रेज किया था इस जजमेंट के आते ही हर
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    फील्ड से कई तरह के रिएक्शंस और डिस्कशंस
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    देखने को मिले थे पॉलिटिकल लीडर्स और
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    पार्टीज तो इस पर चर्चा कर ही रहे थे
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    लेकिन इसी बीच लीगल फ्रेटरनिटी के लोगों
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    की जो ओपिनियन सुनने को मिले हैं वह काफी
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    ज्यादा दिलचस्प और डिबेटेबल थी आपको बता
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    दूं कि इस डिबेट ने अब और ज्यादा आग इसलिए
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    भी पकड़ ली है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के
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    एक फीमेल जज ने सुप्रीम कोर्ट के इस
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    लैंडमार्क जजमेंट और बुलडोजर जस्टिस जैसे
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    प्रैक्टिस पर अपने विचार पेश किए हैं
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    सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नाग
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    रत्ना ने एक जबरदस्त और सोचने पर मजबूर कर
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    देने वाली स्पीच दी है जो डेमोक्रेसी
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    कानून और एग्जीक्यूटिव ओवर री जैसे
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    टॉपिक्स को टच करती है यह स्पीच उन्होंने
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    जस्टिस एस नाथ रजन सेंटेना मेमोरियल
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    लेक्चर के दौरान चेन्नई में दी जिसमें
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    उन्होंने बुलडोजर डिमोलिशंस पर सुप्रीम
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    कोर्ट के एक रिसेंट जजमेंट की तारीफ की है
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    और इसका नॉलेजेबल और क्रिटिकल एनालिसिस
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    दिया आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि अपने
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    स्पीच में उन्होंने एक बात क्लियर कर दी
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    कि अगर किसी व्यक्ति की प्रॉपर्टी बिना
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    किसी जुडिशियस प्रोसेस के तोड़ दी जाए तो
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    यह एक इलीगल और अनकंस्टीट्यूशनल एक्ट है
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    लेकिन यह बस एक पार्ट है उनकी स्पीच का इस
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    वीडियो में हम डिटेल में समझेंगे कि
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    उन्होंने क्या कहा सुप्रीम कोर्ट के
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    बुलडोजर डिमोलिशंस पर क्या नए गाइडलाइंस
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    आए हैं और कैसे यह सब कुछ लोकतंत्र और आम
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    इंसान के फंडामेंटल राइट्स के लिए
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    रिलेवेंट है साथ ही कुछ रिनाउंड
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    पर्सनेलिटीज द्वारा दिए गए इंटरव्यूज भी
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    देखेंगे जहां उन्होंने इस जजमेंट को
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    क्रिटिकली एनालाइज किया है आपने कभी टीवी
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    पर या न्यूज़पेपर में देखा होगा कि किसी
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    का घर या दुकान बुलडोजर से तोड़ दिया गया
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    और फिर बोला गया कि इलीगल लीगल
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    कंस्ट्रक्शन थी या उस व्यक्ति का कोई
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    क्रिमिनल रिकॉर्ड था लेकिन यह प्रैक्टिस
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    एक बड़े सवाल को जन्म देती है क्या बिना
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    किसी लीगल ट्रायल के किसी की प्रॉपर्टी
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    तोड़ देना सही है यही सवाल सुप्रीम कोर्ट
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    और जस्टिस बीवी नाग रत्ना के सामने आया जब
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    बुलडोजर डिमोलिशंस का मुद्दा उनकी स्पीच
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    का एक हिस्सा बना जस्टिस नाग रत्न ने कहा
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    डेमोक्रेसी के बेसिक प्रिंसिपल में यह
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    नहीं लिखा कि किसी को बिना जुडिशियस
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    प्रोसेस के सजा दी जाए अगर आप बिना ट्रायल
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    के प्रॉपर्टी डिमोलिश करते हैं तो आप
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    कानून का मजाक उड़ाते हैं जहां एक तरफ
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    जस्टिस नाग रत्ना ने सुप्रीम कोर्ट के इस
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    जजमेंट को एक माइ स्टोन कहा जो रूल ऑफ लॉ
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    को मजबूत बनाता है वहीं दूसरी तरफ
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    इंडिपेंडेंट इन्वेस्टिगेटिंग जर्नलिस्ट
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    सौरव दास ने एक इंटरव्यू दिया देखिए उसमें
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    उन्होंने क्या कहा है आप देखेंगे कि 2 साल
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    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे लेकिन जो
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    बुलडोजर इंजस्टिस होते रहा देश में अब
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    जाके चलिए एक अच्छे बेंच के पास वो गया वो
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    बेंच ने बहुत ही मतलब एक स्टे भी लगा दिया
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    पूरा पैन इंडिया स्टे लगा दिया लेकिन वो
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    बहुत ही बाद में हुआ इतने सालों तक वो
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    बुलडोजर इंजस्टिस चलते रहा चीफ जस्टिस
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    चंद्रचूड़ जो लिबर्टी के बारे में
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    उन्होंने बोला था कि एक दिन भी अगर जेल
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    में कोई रहा इलीगली वो दिन के बराबर है
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    ऐसा मतलब एक्ट ऐसा स्टेटमेंट नहीं था
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    लेकिन उनका सेंटीमेंट वही था ऐसे चीफ
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    जस्टिस के अंडर अगर सुप्रीम कोर्ट को इतना
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    टाइम लग गया बुलडोजर इंजस्टिस को देखने
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    में तो आप फिर कैसे वो लेसी आप डिसाइड
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    करेंगे उनका लेगे क्या है आप देखेंगे आपकी
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    लेसी के बारे में इनका चीफ जस्टिस चंद्र
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    चूट का इतना
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    डिस्परेयूनिया इस्तेमाल कई बार पॉलिटिकल
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    टूल के रूप में होता है जो अक्सर
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    माइनॉरिटी या पॉलिटिकली मार्जिनलाइज्ड
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    कम्युनिटीज को टारगेट करता है इसलिए यह
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    सिर्फ एक लीगल मुद्दा नहीं बल्कि एक सोशल
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    और पॉलिटिकल चैलेंज भी है हालांकि सुप्रीम
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    कोर्ट ने रीसेंट जजमेंट में बुलडोजर
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    डिमोलिशंस पर स्ट्रिक्ट गाइडलाइंस भी दी
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    है जस्टिसेज बीआर गवई और केवी विश्वनाथन
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    की बेंच ने जब ये जजमेंट दिया जिसमें कहा
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    गया कि नो डिमोलिशन शुड बी कैरिड आउट
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    विदाउट प्रॉपर लीगल नोटिस सिर्फ यही नहीं
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    बेंच ने और भी कई रिमार्क्स पास किए
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    स्टेटिंग अ फेयर ट्रायल इज द राइट ऑफ एवरी
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    इंडिविजुअल नो मैटर द एलिगेशंस बेंच ने
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    क्लियर किया कि एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स जो
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    बिना जुडिशियस अप्रूवल के डिमोलिशन
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    ऑर्डर्स देते हैं उनके अगेंस्ट स्ट्रिक्ट
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    अकाउंटेबिलिटी होनी चाहिए इन जजमेंट्स के
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    बाद सुप्रीम कोर्ट ने क्लियर किया कि
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    डिमोलिशन से पहले एक 15 दिन का नोटिस दिया
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    जाना जरूरी है और प्रॉपर्टी ओनर को एक
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    पर्सनल हियरिंग का मौका मिलना चाहिए अगर
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    यह प्रोसेस फॉलो नहीं किया गया तो ऑफिशल्स
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    के अगेंस्ट कंटेम प्रोसीडिंग्स हो सकती है
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    आगे आपको बता दूं कि जस्टिस नाग रत्ना की
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    स्पीच भी एक रिफ्लेक्शन थी जुडिशरी और
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    एग्जीक्यूटिव के रोल्स पर उन्होंने
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    बुलडोजर डिमोलिशंस के टेक्स्ट में कहा दिस
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    इज वन स्टार्क एग्जांपल ऑफ एग्जीक्यूटिव
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    एक्सेसेस इन रिसेंट इयर्स उन्होंने यह भी
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    हाईलाइट किया कि जुडिशरी का रोल सिर्फ
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    कानून बनाने तक सीमित नहीं है जुडिशरी का
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    असली रोल है कानून का फेयर इंप्लीमेंटेशन
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    इंश्योर करना अगर जुडिशरी अपनी
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    रिस्पांसिबिलिटी नहीं निभाएगी तो
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    डेमोक्रेसी एक मोबोक्रेसी बन जाएगी
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    उन्होंने एक और क्रिटिकल पॉइंट उठाया और
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    कहा ऑफिशल्स हु कैरी आउट डिमोलिशंस
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    आर्बिटर शुड बी मेड टू आंसर फॉर देर
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    एक्शंस अकाउंटेबिलिटी इज नॉन नेगोशिएबल इन
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    अ डेमोक्रेसी बुलडोजर डिमोलिशंस के अलावा
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    जस्टिस नागर ने ट्राइब ल्स पर भी बात की
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    ट्रिब्युनल्स का असली मकसद हाई कोर्ट्स का
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    बर्डन कम करना है लेकिन आज यह सिस्टम
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    एग्जीक्यूटिव कंट्रोल का शिकार है
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    उन्होंने कहा ट्रिब्युलस हैव इंक्रीजिंगली
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    बिकम टूल्स फॉर द एग्जीक्यूटिव टू
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    इंटरफेयर इन जुडिशियस फंक्शंस दिस
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    थ्रेटेंस द सेपरेशन ऑफ़ पावर्स इं शंड इन
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    अ कांस्टिट्यूशन जस्टिस नाग रतना के
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    वर्ड्स में ट्रिब्युलस शुड नॉट बिकम अ
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    रिहैबिलिटेशन मैकेनिज्म फॉर रिटायर्ड जजेस
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    दे शुड सर्व द पर्पस दे वर ओरिजनली
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    इंटेंडेड फॉर यह बात एक बड़ी डिबेट को
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    जन्म देती है कि क्या ट्रिब्युनल्स अपने
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    असली ऑब्जेक्टिव्स का अचीव कर पा रहे हैं
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    या नहीं जस्टिस नाग रत्ना ने ऑर्डिनेंस
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    मेकिंग पावर्स के मिसयूज पर भी अपनी चिंता
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    व्यक्त की कई सरकारें ऑर्डिनेंसस का
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    इस्तेमाल एक शॉर्टकट के रूप में करते हैं
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    जिसमें लेजिस्लेटिव अप्रूवल की जरूरत नहीं
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    होती उन्होंने कहा इन रिसेंट इयर्स
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    ऑर्डिनेंस मेकिंग हैज बिकम अ कन्वीनियंस
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    टूल फॉर बायपासिंग लेजिस्लेटिव स्क्रूटनी
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    दिस इज डीप प्रॉब्लमैटिक फॉर अ डेमोक्रेसी
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    यह बात उन्होंने डीसी वा दवा वर्सेस स्टेट
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    ऑफ बिहार केस के रेफरेंस के साथ रखी
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    जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डिनेंसस को
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    बार-बार रिप्रोमल्गेशन करने की प्रैक्टिस
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    को अनकंस्टीट्यूशनल डिक्लेयर किया था
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    जस्टिस नाग रतना ने अपनी स्पीच के एक और
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    क्रिटिकल हिस्से में प्रेसिडेंट और
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    गवर्नर्स के
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    डिस्क्रेसियस प्रिंसिपल्स के मुताबिक होना
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    चाहिए ना कि किसी पर्सनल या पॉलिटिकल
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    इंटरेस्ट के लिए उन्होंने एमफसा इज किया द
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    सेटिस्फैक्ट्रिली
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    दे मस्ट एक्ट इन अकॉर्डेंस विद द रूल ऑफ
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    लॉ नॉट आर्बिट्रेरी विम्स उनका यह
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    स्टेटमेंट एक इंपॉर्टेंट रिमाइंडर है कि
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    पॉलिटिकल प्रेशर्स जुडिशरी या
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    एग्जीक्यूटिव की इंपार्शियल्टी को इंपैक्ट
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    नहीं करना चाहिए सभी जा जानते हैं कि
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    बुलडोजर डिमोलिशंस का इंपैक्ट सिर्फ एक
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    व्यक्ति तक सीमित नहीं है यह पूरे सोसाइटी
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    के लिए एक प्रेसिडेंट सेट करता है अगर
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    बिना जुडिशियस प्रोसेस की डिमोलिशन होती
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    रहेगी तो आम नागरिक का कानून पर भरोसा कम
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    होगा सुप्रीम कोर्ट ने ऑब्जर्व किया द रूल
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    ऑफ लॉ कैन नॉट एजिस्ट इफ एक्शंस आर टेकन
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    विदाउट फॉलोइंग ड्यू प्रोसेस आर्बिट्रेरी
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    डिमोलिशंस अंडर माइन पब्लिक फेथ इन द
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    जुडिशरी जस्टिस नाग रत्ना का यह कहना था
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    कि डेमोक्रेसी का असली एसेंस तभी सफल होता
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    है जब अकाउंटेबिलिटी और ट्रांसपेरेंसी
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    दोनों हो जस्टिस नाग रत्ना ने डेमोक्रेसी
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    का असली मकसद डिफाइन करते हुए कहा
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    डेमोक्रेसी इज नॉट मरली अबाउट मेजॉरिटी
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    रूल इट इज अबाउट एलिवेटर पब्लिक ओपिनियन
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    थ्रू इंक्लूजन ऑफ डायवर्जेंट एंड
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    कांट्रेरियन आइडियाज उन्होंने यह भी कहा
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    कि अगर जुडिशरी और मीडिया डिसेंट वॉइसे को
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    सप्रे करते हैं तो डेमोक्रेसी का असली
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    मतलब खत्म हो जाता है खैर कब तक डिसेंडिंग
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    वॉइसे स्रेस होने से फ्री रहती है इसका तो
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    पता नहीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के
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    डायरेक्शंस पर एसपी चीफ अखिलेश यादव के
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    व्यूज हम आपको सुना सकते हैं आज सुप्रीम
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    कोर्ट का बड़ा फैसला आया है 1 अक्टूबर तक
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    हालाकि रोक लगा दी उसके बाद एक और भी
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    उसमें फैसला आ देखिए
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    बुलडोजर न्याय नहीं हो सकता है बुलडोजर
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    अनकंस्टीट्यूशनल था बुलडोजर लोगों को
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    डराने के लिए था बुलडोजर जानबूझ करके
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    विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए था मैं
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    धन्यवाद और बधाई दूंगा सुप्रीम कोर्ट के
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    फैसले को जिसने बुलडोजर को रोकने का काम
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    किया है मुख्यमंत्री जी और खासकर उत्तर
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    प्रदेश की सरकार और बीजेपी के लोग इस
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    बुलडोजर को इतना महिमा मंडल कर रहे थे कि
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    ब र ही न्याय हो गया है और इनके तमाम
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    कार्यक्रमों में इनकी रैलियों में इस बात
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    को यह इतना बढ़ा चढ़ा कर के लेकर के आते
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    थे जिससे लोगों के अंदर भय पैदा कर सके अब
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    जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है मैं
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    समझता हूं बुलडोजर रुकेगा और न्यायालय से
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    न्याय मिलेगा ग्लोरिफिकेशन के ऊपर भी इसको
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    ग्लोरिफाई जिस तरह से किया जाता था यह
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    तरीका था भारतीय जनता पार्टी का लोगों को
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    डराने के लिए उन्होंने न्याय के लिए
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    बुलडोजर बना दिया था
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    बोजन अन्याय का प्रतीक हो सकता है न्याय
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    का प्रतीक नहीं हो सकता को ले भी आपवा ऐसे
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    ही कांग्रेस लीडर और सुप्रीम कोर्ट लॉयर
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    विवेक तनखा ने भी देखिए सुप्रीम कोर्ट के
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    बुलडोजर जस्टिस वर्डिक्ट पर क्या कहा है
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    हिस्टोरिक डे फॉर इंडिया ए हिस्टोरिक
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    जजमेंट फ सिविल लिबर्टी आ कंसर्न एंड
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    इंडिविजुअल पर्सनल लाइफ एंड लिबर्टी
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    कंसर्न सुप्रीम कोर्ट है थ द स्टेट थ द
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    स्टेट फॉर दिस बुलडोजर राज और बुलडोजर
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