Dhirubhai Ambani Real Story By Pushkar Raj Thakur

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https://www.youtube.com/watch?v=Rvl60OSmqD4

Ringkasan

TLDRThis video narrates the early entrepreneurial journey of Dhirubhai Ambani, highlighting his visionary mindset even during his initial days working at a petrol pump. Ambani's approach exemplified a strong business acumen, as he sought opportunities beyond his job. Inspired by a toy seller, he decided to enter the toy business, negotiating directly with wholesalers to get better prices by purchasing in bulk. By doing so, Dhirubhai Ambani was not only able to start earning additional income but also built a network that extended the business's reach. He involved his colleagues, which allowed a significant expansion of his sales and ensured passive income through each toy sold by his team. The video underscores the principle of creating a system that generates passive income, thus accruing wealth even without direct involvement in day-to-day operations, illustrating a key facet of true wealth creation - making money work for you while minimizing personal exertion.

Takeaways

  • 💼 Dhirubhai Ambani started at a petrol pump but thought like a businessman.
  • 🧸 He saw an opportunity in the toy-selling business.
  • 💡 Negotiated directly with wholesalers for bulk buying discounts.
  • 🤝 Expanded the business by involving other workers for sales.
  • 🔄 Created a network-driven business model.
  • 📈 His system led to passive income and wealth creation.
  • 🗣 Inspired others to follow similar business models.
  • 🌟 Emphasizes creating wealth through systems and networks.
  • 🛠 Hard work combined with smart strategies leads to sustainable growth.
  • 💰 'Making money while sleeping' as a wealth creation principle.

Garis waktu

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    This video narrates the story of Dhirubhai Ambani, who was known for his enterprising mindset even while working at a petrol pump. He never saw himself as an employee but as a businessman looking for opportunities. One day, at the petrol pump, he noticed a toy seller who was selling toys to the car owners. Dhirubhai inquired about the toy business and learned the toy vendor bought toys for 50 paise each and sold them for one rupee. Seeing a business opportunity, Dhirubhai approached the wholesaler to strike a better deal, committing to purchase more quantities. He managed to negotiate a price of 50 paise per toy if he ordered in large quantities.

Peta Pikiran

Video Tanya Jawab

  • What was Dhirubhai Ambani's early job?

    He worked at a petrol pump.

  • What business idea did Dhirubhai Ambani pursue while working at the petrol pump?

    He decided to sell toys as a side business.

  • How did Dhirubhai Ambani buy toys at a lower price?

    He negotiated with a wholesaler to get toys at a reduced price by buying in bulk.

  • How did Dhirubhai Ambani increase his income from toy selling?

    He recruited fellow petrol pump workers to sell toys and earned a commission from each sale.

  • What was Dhirubhai Ambani's key business strategy?

    Building a network and creating a system for passive income.

  • What inspired other petrol pump workers to join Dhirubhai's business?

    They saw the benefits of earning extra income by selling toys.

  • What is the central theme of the video about wealth creation?

    Creating a system that generates passive income, even while sleeping.

  • How did Dhirubhai Ambani's approach exemplify a business mindset?

    He focused on leveraging resources and building networks for sustainable income.

  • What message does the video convey about hard work and wealth?

    It emphasizes creating systems for passive income rather than relying solely on hard work.

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    यह वीडियो उस व्यक्ति के बारे में है
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    जिन्हें आप बहुत अच्छे से जानते हैं यह
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    वीडियो है धीरू भाई अंबानी जी के बारे में
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    आपको पता है धीरू भाई अंबानी जी पेट्रोल
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    पंप पर काम किया करते थे और जब वोह
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    पेट्रोल पंप पर काम करते थे माइंडसेट उनका
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    एक बिजनेसमैन वाला ही था उनका माइंडसेट
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    कभी भी नौकरों वाला नहीं था एंप्लॉयज वाला
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    नहीं था उनका माइंडसेट था कि मुझे कुछ
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    बड़ा करना है तो व पेट्रोल पंप प जब काम
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    करते थे तब वो एक अपॉर्चुनिटी की तलाश में
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    थे कि मुझे कुछ और मिल जाए कि मैं अपनी
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    जॉब के साथ-साथ भी कर सकूं तो एक शाम हुआ
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    क्या एक खिलौने वाला पेट्रोल पे आया और वो
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    गाड़ी वाले को बोलता कि जो गाड़ी आती थी
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    पेट्रोल पंप पे की पेट्रोल भरवाने के लिए
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    वहां पे आके बोलता कि मेरे से खिलौना ले
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    लो खिलौना ले लो तो एक बार ीरू भाई उमानी
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    जी ने उस खिलौने वाले को बोला कि जरा इधर
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    आओ कितने का है ये खिलौना उस शख्स ने बोला
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    ये खिलौना ₹1 का है धीरू भाई अंबानी जी ने
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    बोला अरे मैं इस खिलौने को खरीदना नहीं
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    चाहता मैं भी तेरी तरह बेचना चाहता हूं ये
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    बता तुझे कितने का पड़ा मैं भी तेरे साथ
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    यही काम करूंगा मेरी शिफ्ट ओवर हो जाती है
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    5:00 बजे मेरे पास 3 घंटे का टाइम होता है
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    तो 5:00 से आठ के बीच में मैं भी तेरे साथ
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    ये खिलौने बेचना चाहता हूं तो उसने कहा यह
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    खिलौना मैं ₹ का लाता हूं यहां पे एक
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    होलसेलर की दुकान है वहां से मैं लेकर आता
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    हूं मुझे ₹ का पड़ता है उन्होंने पूछा कि
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    कितने खिलौने बेच लेते हो तुम दिन में तो
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    उसने कहा बाऊ जी 10 खिलौने कभी 15 खिलौने
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    बिक जाते हैं तो मिनिमम दिन के 10 खिलौने
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    बिक जाते हैं तो एक खिलौने पर अगर र बचते
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    हैं तो 10 खिलौनों पर 00 की कमाई हो जाती
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    है उन्होंने कहा ठीक 00 की कमाई दिन की हो
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    जाती है मैं भी करना चाहता हूं मुझे बताओ
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    कौन सी दुकान से तुम खिलौने लेकर आते हो
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    अब धीरू भाई अंबानी जी चले जाते हैं उस
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    दुकानदार के पास जिससे वह खिलौने वाला
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    खिलौने खरीदता था अब वो होलसेलर सेम रेट
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    बोलता है धीरू भाई अमानी जी को कि 0 का
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    खिलना पड़ेगा तुम खरीद सकते हो जितने चाहो
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    उतने तो धीरू भाई मनी जी बोलते मुझे तुमसे
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    10 खिलौने नहीं चाहिए मैं तुमसे कई खिलौने
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    लेना चाहता हूं और एक ही बार में पहला
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    ऑर्डर 100 खिलौने से ज्यादा का दूंगा अब
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    मुझे बताओ कि कितने का मुझे प्राइस पड़ेगा
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    और मैं रोज तुमसे 100 खिलोने खरीदूंगा
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    धीरू भाई अमानी जी को वो होलसेलर बोलता है
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    अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हें एक खिलौना
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    50 का दे दूंगा 70 की जगह 50 का दे दूंगा
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    धीरू भाई अमानी जी बोलते हैं ठीक है मैं
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    कल आऊंगा अपने साथ कुछ लोगों को लेकर आप
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    उन लोगों को खि होने दे देना ₹ के हिसाब
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    से और जो 0 बचेंगे मतलब मेरी 50 में आपसे
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    बात हो गई है जो ₹ बचेंगे वो मैं आपसे बाद
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    में ले लूंगा आप उन्हें ₹ का दे देना अब
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    धीरू भाई मा लीजिए क्या करते हैं अपने
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    पेट्रोल पंप पे वापस जाते हैं वहां पे जो
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    10 12 वर्कर्स काम करते थे उन सबको बोलते
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    हैं कि हम अपनी शिफ्ट के बाद पार्ट टाइम
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    में खिलौने बेच सकते हैं और खिलौने बेचने
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    के साथ-साथ होगा क्या कि हमारी यहां से तो
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    एक पगार आ ही रही है हमारी सैलरी तो आ ही
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    रही है सैलरी के साथ-साथ हम एक एक्स्ट्रा
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    इनकम आ जाएगी अगर हम खिलौने बेचेंगे तो हम
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    रेड लाइट प खिलौने बेच सकते हैं हम यहां
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    पर खिलौने बेच सकते हैं हम पेट्रोल पंप पे
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    जो गाड़ियां आती है उन परे खिलौने बेच
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    सकते हैं यहां पर हमारी कमाई हो जाएगी तो
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    सारे लोग कहते हैं तो बहुत बढ़िया बात है
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    हम सब चलते हैं तो उन सब के सब लोगों को
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    लेकर चले जाते हैं उस होलसेलर के पास हर
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    इंसान 10 खिलौने खरीद लेता है अब 10 लोग
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    वहां पर पहुंच जाते हैं और 10 लोग 1010
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    खिलौने खरीद लेते हैं तो कितने खिलौने बिक
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    गए एक बार में 100 खिलोने बिक गए जैसा
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    धीरू भाई मनी जी ने बोला था अब वो लोग
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    क्या करते हैं रोज खिलने बेचने लग जाते
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    हैं रोज वो उस होलसेलर के पास आते हैं
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    खिलौने खरीदते हैं और खरीदने के बाद जाके
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    बेचते हैं हर इंसान को कितने रुपए बच रहे
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    हैं एक खिलौने पर ₹ की कमाई तो 10 खिलौनों
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    प 00 की कमाई आप लोगों को लग रहा होगा तो
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    बहुत बढ़िया है पर धीरू भाई अंबानी जी का
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    सोचिए कि उन्होंने क्या किया उन्होंने चला
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    दिया यहां पर बिजनेस माइंड अब 10 लोगों से
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    उन्हें कितनी कमाई हो रही है यह जानते हैं
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    एक इंसान से उन्हें एक खिलौने के ऊपर 0 की
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    कमाई होती है बिना कुछ किए एक बार
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    उन्होंने मिलवा दिया होलसेलर से अगर वोह
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    10 खिलौने खरीदते है तो 00 की कमाई होती
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    है और 10 लोग जब 10 खिलौने खरीदते हैं
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    मतलब 100 खिलौने बिकते हैं तो उनकी 2000
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    की कमाई होती है वह लोग मेहनत करके तीन
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    घंटे पार्ट टाइम मेहनत करके 10 द खिलौने
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    बेच रहे हैं और यहां पर एक बार मेहनत करके
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    धीरू भाई अंबानी जी के कितने खिलौने बिक
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    रहे हैं 100 खिलोने ने और यहां पर व 2000
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    कमा रहे हैं यह फर्क होता है एक इंसान जो
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    खुद मेहनत करके पैसा कमाता है और एक इंसान
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    जो एक सिस्टम क्रिएट करता है यहां पर इस
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    स्टोरी के अंदर धीरू भाई अंबानी जी ने
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    क्या किया एक सिस्टम बनाया एक नेटवर्क
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    बनाया एक नेटवर्क क्रिएट किया अकेले काम
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    नहीं किया अब आगे क्या होता है इसे जानिए
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    और लोग जानने लग जाते हैं कि भाई तुम लोग
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    जो पेट्रोल पंप पर काम कर रहे हो य खिलौने
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    बेचते उसमें फायदा क्या होता है तो दूसरे
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    पेट्रोल पंप के लोग भी इंस्पायर हो जाते
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    हैं कि हम भी यही करेंगे अभी तो एक
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    पेट्रोल पंप के लोग खिलौने बेच रहे थे अब
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    तीन-चार पेट्रोल पंप और साथ में थे वो सब
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    लोग भी आके धीरू भाई अमानी जी से मिलते
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    हैं कि यह काम कैसे हो सकता है धीरू भाई
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    अंबानी जी सेम काम करते हैं कि होलसेलर के
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    पास ले जाते हैं और जैसे जैसे लोग बढ़
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    जाते हैं वैसे-वैसे धीरू भाई अंबानी जी की
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    कमाई बढ़ जाती है वो कहती है एक बार
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    सिस्टम क्रिएट कर दो लोगों को फायदा होगा
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    वो और लोगों को बताएंगे उन्हें फायदा होगा
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    और लोगों को बताएंगे और क्योंकि आपका
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    मार्जिन जैसे कि धीरू भाई उमानी जी का
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    होलसेलर के साथ फिक्स्ड हो गया आपका कंपनी
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    के साथ फिक्स्ड हो जाता है आपको पैसे आते
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    रहेंगे और इसे रिकरिंग इनकम बोलते हैं इसे
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    पैसिव इनकम बोलते हैं बिना काम कि यह पैसा
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    कमाना बोलते हैं इसे सिस्टम बिल्ड करना
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    बोलते हैं तो अगर आज तक आप यह सोच रहे हो
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    कि मैं खुद बहुत काम करूंगा और पैसे कमाऊ
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    ा तो आप गलत सोच रहे हो आप छोटा सोच रहे
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    हो अगर आप ये जानना चाहते हो कि अमीरी
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    एक्चुअल में वेल्थ क्रिएशन कहते किसे हैं
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    तो यहां पे एक बहुत छोटी सी चीज है सिर्फ
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    अगर आप काम करके पैसा कमा रहे हो तो आप
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    वेल्थ नहीं क्रिएट कर पाओगे वो कहते हैं
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    कि अगर आपको सोते सोते भी पैसे आ रहे हैं
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    तो आप एक्चुअल में वेल्थ क्रिएट कर रहे हो
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    इफ यू आर मेकिंग मनी वाइल यू आर स्लीपिंग
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    देन यू आर गेटिंग रिच आप लोग काम नहीं भी
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    करते तब भी पैसे कमाते हो क्योंकि आपका
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    नेटवर्क काम करता है
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    [संगीत]
Tags
  • Dhirubhai Ambani
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