VIDEO: Balochistan BIG Uprising Begins in Pakistan | Coup & Civil War Fears Grip Pakistan

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https://www.youtube.com/watch?v=d1byK4NnMPY

摘要

TLDRPidato ini merupakan panggilan emosional untuk bangsa Baloch untuk menyadari perjuangan mereka dan melawan penindasan. Pembicara menekankan pentingnya kesadaran kolektif masyarakat Baloch terhadap hak-hak mereka, mengajak semua orang untuk bersatu dalam perjuangan untuk kebebasan. Dia juga menyoroti penderitaan yang dialami oleh wanita Baloch, anak-anak yang kehilangan orang tua, serta orang-orang yang menjadi korban kekerasan. Pesannya kuat: hanya dengan bersatu dan berjuang bersama, mereka bisa meraih keadilan dan kebebasan.

心得

  • ✊ **Perjuangan Bangsa Baloch**: Mengajak untuk bangkit melawan penindasan.
  • 🚺 **Suara Perempuan**: Menyoroti pentingnya suara perempuan dalam perjuangan.
  • 👵 **Doa untuk Syuhada**: Mengingat para syuhada adalah penting bagi identitas.
  • 💔 **Kondisi Memilukan**: Banyak korban dari kekerasan yang harus diingat.
  • 🕊️ **Keberanian untuk Berjuang**: Setiap individu harus berpartisipasi dalam perjuangan.
  • 📢 **Kesadaran Kolektif**: Pentingnya kesadaran tentang hak-hak Baloch.
  • 📅 **Hari Peringatan**: 25 Januari sebagai hari untuk mengenang perjuangan.
  • 💪 **Unifikasi Komunitas**: Mengajak semua untuk bersatu dalam perjuangan.
  • 🎓 **Pendidikan untuk Semua**: Menghargai pendidikan bagi generasi muda.
  • 🌍 **Identitas Baloch**: Kesadaran akan pentingnya identitas sebagai bangsa.

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    Dalam video ini, sebuah pidato bersemangat disampaikan oleh seorang pemimpin Baloch. Ia mengajak semua orang untuk bersatu melawan ketidakadilan yang dihadapi oleh masyarakat Baloch. Pidato tersebut mencerminkan rasa sakit dan kekecewaan yang dirasakan oleh orang-orang Baloch akibat penindasan yang berkelanjutan. Selama pidato, pemimpin ini mengingatkan hadirin tentang pentingnya memperjuangkan hak-hak mereka dan tidak melupakan para syuhada yang telah berjuang untuk masa depan Baloch. Ia juga menyerukan agar masyarakat Baloch bangkit dan mengambil bagian dalam perjuangan ini, terutama mendorong wanita untuk berkontribusi dan tidak membiarkan ketidakadilan terus berlanjut.

思维导图

视频问答

  • Apa tema utama pidato ini?

    Tema utama adalah perjuangan dan identitas bangsa Baloch melawan penindasan.

  • Bagaimana pembicara menggambarkan kondisi masyarakat Baloch?

    Pembicara menggambarkan masyarakat Baloch sebagai teraniaya dan mengalami ketidakadilan.

  • Apa seruan pembicara kepada rakyat Baloch?

    Pembicara menyerukan rakyat Baloch untuk bangkit melawan penindasan dan bersatu untuk kebebasan.

  • Siapa yang menjadi fokus utama dalam pidato ini?

    Fokus utama adalah pada perempuan Baloch, anak-anak yatim, dan para korban penindasan.

  • Mengapa penting untuk mengingat para syuhada?

    Para syuhada harus diingat sebagai simbol perjuangan dan pengorbanan untuk kemerdekaan.

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    नारे
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    बलोच नारा
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    बलचिस्तान नारा
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    बलचिस्तान बोलो नसल
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    कुशी बोलो नसल
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    [प्रशंसा]
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    खुशी मखू अली जी
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    खान आज सवामी इ्तमा है शरीफ जितने भी लोग
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    हैं उन सब से मैं दबंदी करती हूं अपील
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    करती हूं कि रियासत की तमाम पॉलिसियों के
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    खिलाफ यजा हो जाओ जाती जिंदगी को छोड़कर
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    कौमी जिंदगी कौमी शूर के लिए अपनी जिंदगी
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    को वफ कर दो कौमी एहसासात के बगैर कौमी
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    शूर के बगैर हमारी जिंदगी कोई मायने नहीं
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    रखती है हमारी एक ही पहचान है वो बलोच है
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    और बलोच आज मजलूम है बलोच गुलाम है और जो
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    इस हकीकत को नहीं मानता है वो बलोच के
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    मुखालिफ रियासत का आमीन बलचिस्तान में बस
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    अब दो है एक जालिम एक मजलूम जो भी बलोच
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    अपने अब सब बंदी करनी चाहिए बोंचो अब नई
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    सब बंदी की जरूरत है ये सब बंदी होनी
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    चाहिए कि कौन किस तरफ खड़ा है कौन जालिम
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    की तरफ खड़ा है और कौन मजलूम की तरफ खड़ा
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    है मैं पैगाम देना चाहती हूं इस जलसेगाह
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    से हर रोज नाम कौम परस्त
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    को जिसका काम यही है कि कैसे बलोचों के
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    खून का सौदा किया जाए कि बाहर आ जाओ बाहर
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    आ जाओ और बलोच आवाम खड़ी हुई है
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    इस्लामाबाद में उस चटकती सर्दी में जब
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    मैंने बलोच बच्चों को देखा तो मैंने भी
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    देखा कि काश ये स्कूल जाते काश ये यतीम
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    यतीमों की जिंदगी ना गुजारते मैंने इन
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    बीवा औरतों को
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    देखा। मैंने इनको देखा कि कैसे वो तड़प
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    रही है कि उनके शौहर कहां है। मैंने इन
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    मांओं को देखा। वो मां जिनके बच्चों ने
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    सिर्फ हमारे मुस्तकबिल के लिए बलोच के
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    मुस्तकबिल के लिए अपना अपनी जवानी टॉर्चर
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    से जिनको आपने अपने टार्चर सेलों में
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    मारा। जिनकी जो जो शहीद हो गए थे उन्होंने
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    इस इंकलाब का ख्वाब देखा था जो आज मेरे
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    सामने है। हम आपको याद दिलाते रहेंगे कि
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    आपने हमारी कितनी नस्लें अपनी तो से उड़ाए
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    हैं। हम आपको याद दिलाते रहेंगे कि हम कभी
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    नहीं भूलेंगे अपने शहीदों को। हम हम है
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    उनमाई कब्रों के वारिस जिनको आप देखते हो
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    ना वो बलोच की कब्र है बलोच नस्ल की कब्र
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    है सांप की खबरें हैं बलोच अपने शहीदों के
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    वारिस है बलोच अपने शहीदों को कभी नहीं
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    भूलेगा ना आप लोगों को
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    भूलने याद करना 25 जनवरी 25 जनवरी को रोज
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    नसल कुशी का दिन है वो दिन जब हम आपको
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    आपके आकर बताएंगे
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    आपको बताएंगे कि आपने कितने नौजवानों को
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    मारा है। आपने कितने औरतों को बेवा दिया
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    है। अपनी धरती के धरती पर पड़े हुए हर भूत
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    का हिसाब लेंगे। ये बलोच कौम का वादा है।
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    मुझे आज इस जलसे में इंकलाब की बू आ रही
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    है। वो
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    इंकलाब जिसका ख्वाब हमारे शहीदों ने देखा।
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    वो
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    इंकलाब जिसके लिए ये माएं 151 सालों से
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    तड़प रही है। उनकी आंखों के आंसू खुश हो
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    चुके हैं। उनकी बूढ़ी हड्डियों में जान
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    नहीं रही है कि वो तस्वीर उठा सके।
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    माएं अपने बेटों की पैदाइश पर रोते हैं,
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    तड़पते हैं। आज इस पाकिस्तानी रियासत ने
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    हम जब यहां सब बैठे हुए हैं। एक आखरी
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    क्लास की जमायत के बच्चे को वहां आग किया
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    है। हो पाकिस्तानी
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    रियासत तब तक तारीख के सफों में ये भी
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    लिखा जाएगा कि बलोचों की इतनी बहाद और
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    नौजवान नस्ल थी जिसने फौज को पीछे कर
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    दिया। रियासत के सामने मिलते खड़े हो
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    गए। आज मैं
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    मारंग आप सब से आपकी बहन होकर आपकी
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    बचिस्तान की बेटी होकर हाथ जोड़कर अपील
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    करती हूं कि मैं रहूं या ना रहूं। ये
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    आवामी तहरीक आप सब की अमानत है। इस पर
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    खयानत नहीं करना
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    है। अभी डरना नहीं है। अभी डरना नहीं है।
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    पाकिस्तान और उसके नाम दानिश बैठकर सोच
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    रहे हैं कि बलोच जज्बाती है। एक हफ्ते बाद
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    वो चुप हो जाएगा। उसको बताना है कि वो लोग
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    जज्बाती नहीं है। नजरियाती
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    है। 21 दिसंबर जब आपकी औरतों की सलवारें
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    खींची गई उस दिन को याद रखना
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    है। उस दिन को भूलना नहीं है। अपनी
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    याददाश्तों में पहुंचपुर के उस दिन को याद
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    रखना कि जब आपकी औरतों के हौसले इतने
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    मजबूत थे तो बच्चे को निकाल दिए इन्होंने।
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    फिर शबारों पर हाथ लगाया बेगैरतों ने।
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    वो निकले हुए दुपट्टे और आपके सामने लाई
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    है। एक मे लाई है एक मेयर के तौर पर कि य
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    जाओ
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    जाओ यक जाओ जाओ इस कौम को देखो ये बदब वही
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    कौम है जिसने बंगालियों की औरतों की असमत
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    दरी की। ये हम पर हम पर रहम नहीं करेगी।
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    ये कभी रहम नहीं कर सकती हम पर। पाकिस्तान
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    के जालिम लश्कर ने अपने नापाक फौजियों को
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    ट्रेनिंग दी हुई है कि कैसे रात गए रात गए
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    मुश्किलों की तरह बलोचों के घरों पर
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    हमलावर हो
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    जाओ। ये वही बुदिल है जिनकी पतलूने
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    बंगालियों ने उतारी
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    थी। जब अपने से ताकतवर फौज के सामने आते
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    हैं तो पतलूने उतर जाती है।
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    मगर उनको ये हकीकत नहीं बोलना चाहिए कि ये
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    ये धरती मीर मेहरा खान की धरती
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    है। ये धरती अब्दुल अजीज की धरती है। और
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    ये धरती नवाब खैर बखश की धरती है। शहीद
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    बालाश की धरती है। शहीद करीमा की धरती
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    है। ये डराने से डरने वाले नहीं
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    है। ये मारने से रोकने वाले नहीं है। आओ
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    वो लोग जो बोलते थे की बलोचो की तादाद चंद
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    में आओ इस इंकलाब को देखो, इन लोगों को
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    देखो, देखो इन्हें, आओ
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    देखो। आंखें खोलकर इस हवानी ताकत को देखो।
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    जो तुम्हारी
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    डॉलर ज्यादा डॉलरों से भर-भर कर तुमने
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    हमारी कौम को पीछे करने की कोशिश की। यहां
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    हर घर ने हर घर ने एक शहीद को कांडा दिया
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    है। यहां हर घर ऐसा है। हर मां के दिल में
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    ये डर है कि तब ये फौजी आकर उसको पकड़ेंगे
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    या उसके बेटे को पकड़ेंगे?
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    [प्रशंसा]
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    के द
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    शुरू के तो जंग
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    के
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    खिलाफ खत्म कब असो हम रियासत नमोना अमो
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    रियासत बच वरनास
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    कैसे वो
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    किताब सलास के बंद बंद
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    रसत हथियार के सुने हथियार के सुने के
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    बारे वो हैरान थे देख तो सही पंजाब का जर्
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    वो बोलते पढ़ा लिखा पंजाब औरतों को आजादी
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    देने की उनकी बड़ी-बड़ी तहरीकें हमें हमें
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    देखकर हैरान थे। बलोच औरत होकर मार्च पे
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    निकली हो। बलोच औरत होकर मर्द भी तुम्हारे
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    पीछे निकले। मैं उनसे कहती हूं कि ये मेरी
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    खुशकिस्मती है कि बलोच औरत बूचिस्तान में
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    पैदा हुई है। ये मेरा शर्म है। ये मेरा
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    एजाज है कि मैं बूचिस्तान में पैदा हुई
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    हूं।
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    जहां मेरा मकाम मेरे कौम परस्तों ने मुझे
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    इस इस समाज में सबसे बड़ा मकाम दिया है।
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    ये तहरीक ये आखरी जंग ना सही लेकिन ये वो
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    जंग है जिसमें अब हर औरत को अपने घर से
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    निकलना पड़ेगा। हर औरत को निकलना पड़ेगा।
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    हर औरत को निकलना पड़ेगा। अपने बच्चों के
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    अंदर निकलना पड़ेगा। इसमें बूचिस्तान के
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    हर फर्द को अपना हिस्सा देना पड़ेगा। चाहे
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    वो 80 साला तमाश है, चाहे वो औरत है, चाहे
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    वो बच्चा है, चाहे वो मर्द है। निकलो अपने
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    घरों से और मैं आपसे कहती हूं अपनी औरतों
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    को बुनियादी तमाम तमाम हुकूक दे दो। उनको
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    पढ़ाई से ना रोके। उनको किसी भी चीज से ना
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    रोके और साबित करें इस रियासत को कि हम
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    आजाद।
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    सब्सक्राइब टू वन इंडिया एंड नेवर मिस एन
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    अपडेट।
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