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दोस्तों सिक्स्थ सेंचुरी बीसीई का समय
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इंडियन सिविलाइजेशन के पर्सपेक्टिव से
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काफी टुलेट टाइम था इस पीरियड में कई सारे
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चेंस हुए जिसका इंडियन सबकॉन्टिनेंट के
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कल्चर रिलीजन और सोसाइटी में लास्टिंग
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इंपैक्ट पड़े इन्हीं लास्टिंग इंपैक्ट्स
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में से एक है राइज ऑफ बुद्धिज्म एंड जेनिम
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जी हां बुद्धिज्म एंड जेनिम दो रिलीजस हैं
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जिनका इजेंस सिक्स्थ सेंचुरी बीसीई में
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हुए श्रम मूवमेंट के दौरान हुआ और इस तरह
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इंडियन सबटिनेंट विश्व के फोर रिलीजस या
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यानी कि हिंदुइज्म सखि ज्म बुद्धिज्म और
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जैनिज्म का बर्थ प्लेस बना आज के इस
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वीडियो में हम पूरे जैनिज्म और बुद्धिज्म
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के तमाम एस्पेक्ट्स जैसे इनका ओरिजन कहां
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और कैसे हुआ कौन से वह सोशल इकोनॉमिक और
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पॉलिटिकल फैक्टर्स थे जिसके कारण दो नए
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रिलीजस का इमरजेंस हुआ यह रिलीजस आपस में
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एक दूसरे से कैसे डिफरेंट है और इन दो
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रिलीजस के एडवेंटस इंडियन सोसाइटी में
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क्या चेंजेज हुए एसेट तो चलिए शुरू करते
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हैं व्हाट इज श्रम ना मूवमेंट दोस्तों
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जैसे कि हमने पहले भी बताया सिक्स्थ
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सेंचुरी बीसीई इंडियन सिविलाइजेशन में एक
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वाटर शेड टाइम पीरियड था जिसमें कई सारे
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रिलीजियस पॉलिटिकल चेंजेज हो रहे थे उस
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समय के डोमिनेंट वैदिक रिलीजन में
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रिचुअल्स का इंपॉर्टेंस काफी बढ़ गया था
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जिससे ब्राह्मण के सोशल प्रेस्टीज भी
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दूसरे वर्णों के मुकाबले काफी ज्यादा था
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ब्राह्मण के इस तरह के डोमिनेंस से समाज
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में एक अनसेटिस्फेक्शन फैल रहा था समाज के
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एक बहुत बड़े तबके को यह बिल्कुल भी पसंद
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नहीं था कि उनके रिलीजन में रिचुअल्स और
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ब्राह्मण मजम का इतना बोल बाला हो और इसी
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बढ़ते असंतोष से सिक्स्थ सेंचुरी बीसी में
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एक रिलीजियस मूवमेंट का जन्म हुआ जिसे हम
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श्रवण मूवमेंट के नाम से जानते हैं इस
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मूवमेंट के प्रोपाउंडर्स ने वैदिक रिलीजन
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में ब्राह्मण के बढ़ते इंपॉर्टेंस को
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खारिज किया और एटिस जम पर ज्यादा बल दिया
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शर्मनाक श्रमण मूवमेंट के अलावा और भी कई
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सारे फैक्टर्स थे जिसने बुद्धिज्म और ज को
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इमरजेंस और स्प्रेड होने में सहायता की
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उदाहरण के लिए इन दोनों रिलीजस ने नॉन
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वायलेंस और नॉन किलिंग्स ऑफ एनिमल्स की
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बात कही जो उस समय इमर्ज हो रहे
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एग्रीकल्चर इकॉनमी और ट्रेड एंड कॉमर्स के
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लिए जरूरी था वैश्य की बेटर होती इकोनॉमिक
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कंडीशंस और उनके द्वारा इन दोनों रिलीजस
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को पेट्रोनेट देना भी इन दोनों रिलीजस के
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इमर्ज और स्प्रेड होने के पीछे बहुत बड़ा
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फैक्टर बना इसके अलावा आम जनमानस भी इन
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रिलीजस के इन जनरल पीसफुल नेचर और सोशल
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इक्वलिटी के कांसेप्ट से अट्रैक्ट हुए और
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इस तरह इन दोनों रिलीजस का इंडियन
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सबकॉन्टिनेंट में एक अच्छा खासा फॉलोअर्स
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बेस बन गया जो आगे चलकर फॉरेन लैंड्स जैसे
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कि ईस्ट एशिया साउथ ईस्ट एशिया साउथ एशिया
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एटस में भी स्प्रेड हुआ खैर चलिए अब हम इन
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दोनों रिलीजस को जरा डिटेल्स में समझते
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हैं बुद्धिज्म बुद्धिज्म इंडिया में आज से
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करीब 2700 साल पहले एक रिलीजस फिलॉसफी की
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तरह शुरू हुआ प्रेजेंट टाइम में बात करें
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तो यह रिलीजन प्रेजेंट में साउथ एशिया
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ईस्ट एशिया और साउथ ईस्ट एशियन कंट्रीज का
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एक इंपॉर्टेंट रिलीजन है हालांकि भारत में
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इन दोनों रिलीजस के फॉलोअर्स काफी लिमिटेड
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नंबर्स में ही हैं बुद्धिज्म रिलीजन मेनली
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इसके फाउंडर सिद्धार्था गौतम की लाइफ
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एक्सपीरियंस और टीचिंग्स पर बेस्ड है
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सिद्धार्थ गौतम का जन्म 563 बीसीई में
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शाक्य क्लन में वैशाख पूर्णिमा के दिन
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लुंबिनी नेपाल में हुआ था 16 साल की ए में
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सिद्धार्था गौतम की शादी यशोधरा से हुई थी
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लेकिन इन्हें अपनी मैरिड लाइफ में कुछ खास
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इंटरेस्ट नहीं था इन्होंने 29 की एज में
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अपना घर त्याग दिया और एटिक बन गए गौतम के
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घर से निकलने के इवेंट को बुद्धिज्म में
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महाभिनिष्क्रमण कहा गया है आगे के छ सालों
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यह ट्रुथ और इनलाइटनमेंट की सर्च में
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यहां-वहां भटकते रहे बहुत मेहनत करने के
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बाद भी उन्हें वह संतुष्टि नहीं मिली जिसे
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वह ढूंढ रहे थे अंत में जाकर उन्होंने
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मॉडर्न बिहार के गया में एक पीपल ट्री के
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नीचे डीप मेडिटेशन करने का फैसला किया
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करीब 49 डेज के डीप मेडिटेशन के बाद गौतम
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को निर्वाना यानी इनलाइटनमेंट प्राप्त हुआ
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और वह बुद्धा यानी द इनलाइटें वन के नाम
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से जाने जाने लगे बुद्धा ने अपना पहला
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सर्मन अपने साथ के फाइव डिसाइल्स कोंडाना
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असजी भड़िया वप्पा और मनमा को सरना के
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डियर पार्क में दिया बुद्धिज्म में इस
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इवेंट को धम्मा चक्रा प्रवर्तन कहा गया है
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इनलाइटें होने के बाद महात्मा बुद्ध ने
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एक्सटेंसिवली ट्र ल किया और जगह-जगह
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उन्होंने सर्मन दिए आखिरकार 483 बीसीई में
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80 इयर्स की एज में उत्तर प्रदेश के कुशी
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नगर में महात्मा बुद्ध ने अपने प्राण
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त्याग दिए इस इवेंट को बुद्धिज्म में महा
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परिनिर्वाण कहा गया है दोस्तों बुद्धिज्म
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में बुद्धा के लाइफ इवेंट्स काफी
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सिग्निफिकेंट हैं और इसलिए उनकी लाइफ
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इवेंट से कुछ सिंबल्स को जोड़ा गया है
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जिसे बुद्धिज्म में ऑस्पी शियस माना जाता
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है जैसे कि लोटस और बुल उनकी बर्थ से
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जुड़ा हुआ है वहीं हॉर्स उनके रिनंसीएशन
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से जुड़ा हुआ है इसी तरह से बोधी ट्री
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उनके बुद्धा बनने से और उनके फुटप्रिंट्स
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उनके महापरिनिर्वाण को रिप्रेजेंट करते
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हैं डॉक्ट्रिन ऑफ बुद्धिज्म बुद्धा की
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डॉक्ट्रिन में अरिया सच्चाई यानी फोर नोबल
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ट्रुथ अष्टांग का मार्ग यानी एट फोल्ड पाथ
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मध्यम मार्ग यानी मिडिल पाथ और निर्वाना
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अटन करना बुद्धिज्म के कोर प्रिंसिपल्स
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हैं थ्री पिलर्स ऑफ हिस टीचिंग्स बुद्धा
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की टीचिंग में थ्री पिलर्स हैं जो है
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बुद्धा यानी टीचर धम्मा यानी टीचिंग्स और
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संघ यानी बुद्धिस्ट मक्स का
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ऑर्गेनाइजेशन इसके साथ ही फोर नोबल ट्रुथ
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बुद्धिज्म की टीचिंग का कोर है जो है दुखा
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समुदाया निरोधा और अष्टांग का मार्ग सबसे
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पहला है दुखा यानी ट्रुथ ऑफ सफरिंग
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बुद्धिज्म के अकॉर्डिंग हर कोई दुखी है और
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सफर कर रहा है जिसे बुद्धा ने सबम दुखम
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कहा है बुद्धा के अकॉर्डिंग डिजायर सफरिंग
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का मेन कॉज होते हैं इसके बाद है निरोधा
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जिसका मतलब है यह सफरिंग्स का एंड हो सकता
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है बुद्धा के अकॉर्डिंग पेन और सौरों को
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निर्वाना अटन कर एंड किया जा सकता है
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बुद्धा का फोर्थ और आखिरी नोबल ट्रुथ है
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अष्टांगी का मार्ग यानी सफरिंग्स को एंड
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करने और निर्वाना अटें करने के लिए एक एट
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फोल्ड पाथ को फॉलो करना होता है अब आखिर
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यह एट फोल्ड पाथ या अष्टांग का मार्ग है
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क्या आइए समझते हैं एट फोल्ड पाथ बुद्धा
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के एटफोल्ड पाथ एट इंटरकनेक्टेड एक्टिविटी
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से जुड़े हुए हैं जो कि कुछ इस तरह है पर
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है राइट विजन यानी हर किसी को अपने विजन
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सही रखनी चाहिए यहां विजन का मतलब है
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चीजों को सही पर्सपेक्टिव में देखना सेकंड
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है राइट थॉट या राइट एटीट्यूड राइट थॉट
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इमोशनल इंटेलिजेंस को
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सिग्निफीज राइट स्पीच ट्रुथ फुल क्लियर और
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अन हार्मफुल कम्युनिकेशन के कांटेक्ट में
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कहा गया है फोर्थ है राइट एक्शन राइट
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एक्शन के अंडर वायलेंस कमिट ना करना
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दूसरों की प्रॉपर्टी को अन एथिकली अवाय ना
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करना झूठ ना बोलना और इंटॉक्सिकेंट्स का
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यूज ना करना जैसे एक्शंस को रिकमेंड किया
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गया है दोस्तों फिफ्थ है राइट लाइवलीहुड
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जो एथिकल प्रिंसिपल्स नॉन एक्सप्लोइटेशन
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और करेक्ट एक्शन के बेसिस पर लाइफ जीने के
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बारे में कहता है एट फोल्ड पाथ में
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सिक्स्थ है राइट एफर्ट राइट एफर्ट अपनी
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लाइफ एनर्जी को ट्रांसफॉर्मेटिव पाथ की
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तरफ डायरेक्शन देने के लिए कहा जाता है
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सेवंथ है राइट माइंडफुल इसका मतलब है कि
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खुद के बिहेवियर और खुद को जानना
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बुद्धा कहते हैं कि इफ यू होल्ड योरसेल्फ
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डियर वच योरसेल्फ वेल और एट फोल्ड पाथ में
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आखिरी पात है राइट कंसंट्रेशन इसमें
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बुद्धा मेडिटेशन और कंसंट्रेशन के
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सिग्निफिकेंट को अंडरस्कोर करते हैं
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बुद्धा ने अपनी टीचिंग्स में अपने
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फॉलोअर्स को वर्ल्डली प्लेजरस से दूर रहने
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और एक्सट्रीम एब्सटीनेंस और एटिस जम से भी
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परहेज करने की बात कही है उन्होंने मिडिल
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पाथ यानी मध्यम मार्ग का कांसेप्ट दिया
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जिसमें ना ही एक्स्ट्रीम एसिम हो ना ही
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वर्ल्डली प्लेजरस के साथ एक्सट्रीम इंडेंस
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बुद्ध कहते हैं कि अगर कोई पर्सन एट फोल्ड
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पाथ फॉलो करेगा तो वह निर्वाणा अटन कर
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सकता है बुद्धा की टीचिंग्स का अल्टीमेट
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एम है निर्वाणा जो कि एक पाली वर्ड है
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जिसका मतलब है डिजायर्स के मोह से फ्री हो
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जाना निर्वाना से डिजायर्स ग्रीड ट्रेड
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इग्नरेंस अटैचमेंट्स और ईगो एटस जैसी
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नेगेटिव सेंटीमेंट्स एक्सटिंक्ट हो जाती
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है बुद्धिज्म फिलोसोफी में निर्वाना इसी
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ह्यूमन लाइफ में अचीव किया जा सकता है
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जबकि अदर रिलीजस में निर्वाना यानी मोक्ष
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लाइफ के एंड होने के बाद ही मिलता है
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बुद्धिज्म वैसे तो कर्मा के ट्रांस
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माइग्रेशन को एक्सेप्ट करता है लेकिन गॉड
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के एक्जिस्टेंस को डिनायर है और सोल को बस
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एक मिथ मानता है बुद्धिस्ट टेक्टस दोस्तों
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बुद्धा की टीचिंग ओरल फॉर्म में थी वह
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जहां भी गए वहां उन्होंने सर्मन में
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बुद्धिस्ट प्रिंसिपल्स प्रीच किए मक्स के
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संघों द्वारा उनके दिए टीचिंग्स को
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मेमराइज किया गया और बाद में इन
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प्रिंसिपल्स को कई सारे टेक्स्ट में लिखा
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गया बुद्धा के महापरिनिर्वाण के तुरंत बाद
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483 बीसीई में फर्स्ट बुद्धिस्ट काउंसिल
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कन्वीन किया गया जिसमें बुद्धा की ओरिजिनल
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टीचिंग्स को ऑथेंटिकेट करके रिटन फॉर्म
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में रिकॉर्ड किया गया और इसी तरह
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बुद्धिस्ट टेक्स्ट जिसे पिता कास भी कहा
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जाता है वह एक्जिस्टेंस में आए बुद्धिज्म
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में इन पिता कास को सेक्रेट माना जाता है
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और इनकी संख्या तीन है जो इस प्रकार है
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पहला सुत पटक दूसरा विनय पटक तीसरा अभि
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धमा पटक सुत पटक में मेनली बुद्धा के
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ओरिजिनल टीचिंग्स सर्मन एट्स का रिकॉर्ड
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रखा गया है सुत पटक फर्द को कई निकाया में
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भी डिवाइड किया गया है जैसे कि अंगूठा
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निकाया दिघा निकाया संयुता निकाया मझी मा
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निकाया और खुदा का निकाया इसी तरह विनय
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पिटक में भी
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मोनेस्ट्री
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एटस बताए गए
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आखिरी पीटकर कि अभिधम्मा पीटकर की
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टीचिंग्स की बुद्धिस्ट विद्वानों द्वारा
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फिलोसॉफिकल एनालिसिस की गई है लेकिन यह
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बुद्धिस्ट काउंसिल्स आखिर कहां और किनके
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द्वारा ऑर्गेनाइज किया गया है आइए समझते
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हैं बुद्धिस्ट काउंसिल्स दोस्तों अर्ली
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बुद्धिज्म को पॉपुलर और स्प्रेड करने में
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बुद्धिस्ट काउंसिल्स ने एक मेजर रोल प्ले
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किया इन काउंसिल्स में सेक्टरिंग क्लैशेस
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भी हुई जिससे बाद में कुछ मेजर बुद्धिस्ट
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स्कूल्स इमर्ज हुए आइए इनका कासिल को
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एक-एक करके देखते हैं फर्स्ट काउंसिल
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बुद्धा के महापरिनिर्वाण के तुरंत बाद यह
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काउंसिल ऑर्गेनाइज किया गया 483 बीसीई में
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किंग मगध और किंग अजय शत्रु के अंडर यह
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काउंसिल बिहार के राजगृह में ऑर्गेनाइज
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किया गया और इसकी प्रेसिडेंसी बुद्धिस्ट
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मोंक महाका स्यापा को सौंपी गई इस काउंसिल
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का मेन ऑब्जेक्टिव था महात्मा बुद्ध
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द्वारा दिए गए टीचिंग्स को कोडिफाई करना
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और मंस और नंस के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट
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तयार करना सेकंड काउंसिल बुद्धिस्ट सेकंड
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काउंसिल 383 बीसी में बिहार के वैशाली में
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किंग कालासोका के अंडर ऑर्गेनाइज किया गया
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था और इसकी प्रेसिडेंसी मोंक सभा कमी ने
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की थी थर्ड काउंसिल इसी तरह बुद्धिस्ट
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थर्ड काउंसिल 250 बीसी में बिहार के पाटली
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पुत्र में ग्रेट मोरियन किंग अशोका द्वारा
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ऑर्गेनाइज की गई थी और इस काउंसिल की
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प्रेसिडेंसी मुगली पुता तीसा ने की थी इस
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बुद्धिस्ट काउंसिल का मेन ऑब्जेक्टिव था
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संघ में करप्शन रिलेटेड इश्यूज को एड्रेस
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करना तृप्ता कास में थर्ड पिटा का यानी
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अभिधम्मा पटाका का कंपाइलेशन इसी काउंसिल
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के दौरान हुआ फोर्थ काउंसिल फोर्थ और आखरी
00:11:39
बुद्धिस्ट काउंसिल 72 एडी में कुंडल वलन
00:11:43
कश्मीर में कुशान एंपायर के किंग कनिष्क
00:11:45
ने ऑर्गेनाइज किया वसुमित्र ने इस काउंसिल
00:11:49
को प्रोसीड किया और असवा घोसा इनके
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डेप्युटी थे इस काउंसिल में बुद्धिज्म दो
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सेक्ट्स यानी महायना और हिना याना में
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डिवाइड हो गया दोस्तों जैसे कि हमने पहले
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बताया कि इन काउंसिल्स में डिफरेंट
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सेक्ट्स के मक्स ने एक दूसरे का विरोध
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किया और आगे चलकर बुद्धिज्म के कई सारे
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डिफरेंट स्कूल्स भी इमर्ज हुए इनमें से
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सबसे मेजर स्कूल्स थे महायना बुद्धिज्म और
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हिना याना बुद्धिज्म
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महायना स्कूल ऑफ बुद्धिज्म यह बुद्धिज्म
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के दो मेन स्कूल्स में पहला स्कूल है
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महेना एक संस्कृत वर्ड है जिसका मतलब होता
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है द ग्रेट व्हीकल यह स्कूल बुद्धा के
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आइडल वरशिप को सपोर्ट करता है बुद्धा के
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हेवनली नेस में बिलीव करता है इसका ओरिजन
00:12:30
नॉर्दर्न इंडिया और कश्मीर में हुआ और यह
00:12:32
वहीं से सेंट्रल एशिया ईस्ट एशिया और साउथ
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ईस्ट एशिया के कुछ पार्ट्स में स्प्रेड
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हुआ चाइना टिब कोरिया और जापान के
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ज्यादातर बुद्धिस्ट स्कूल्स महायान
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ट्रेडिशनल करते हैं हिना याना बुद्धिज्म
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का दूसरा मेन स्कूल है हिना याना जिसका
00:12:48
मीनिंग है लेसर वकल यह स्कूल बुद्धा की
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ओरिजिनल टीचिंग्स में बिलीव करता है यह
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स्कूल बुद्धा की आइडल वशिप नहीं करता और
00:12:56
मेडिटेशन और डिसिप्लिन के थ्रू इंडिविजुअल
00:12:59
एलिवेशन को अटेंड करने पर एमफसा इज करता
00:13:01
है नायना के अंदर ही एक और सेक्ट है थेरा
00:13:05
वदा थेरा वदा थरावद बुद्धिज्म का सबसे
00:13:09
एंसेट ब्रांच है यह बुद्धा की टीचिंग्स के
00:13:12
सबसे क्लोज है यह स्कूल श्रीलंका में
00:13:14
डिवेलप हुआ और वहां से यह साउथ ईस्ट एशिया
00:13:16
में स्प्रेड हो गया आज थेरा वदा कंबोडिया
00:13:19
लाओस म्यानमार श्रीलंका और थाईलैंड में एक
00:13:23
डोमिनेंट रिलीजन है इन सबके अलावा वजरा
00:13:26
याना और जैन बुद्धिज्म दो और मेजर
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बुद्धिस्ट स्कूल्स हैं वजरा वजरा को
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तांत्रिक बुद्धिज्म के रूप में जाना जाता
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है इस बुद्धिस्ट स्कूल का डेवलपमेंट 900
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सीई में टिब रीजन में हुआ यह स्कूल दूसरे
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बुद्धिस्ट स्कूल के कंपैरिजन में ज्यादा
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कॉम्प्लेक्शन स्कूल ऑफ बुद्धिज्म जन
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बुद्धिज्म यह महेना बुद्धिज्म का एक पार्ट
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ही है जो चाइना में तांग डायनेस्टी के रेन
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के दौरान ओरिजनेट हुआ था सेवंथ सेंचुरी
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आते-आते यह जापान तक स्प्रेड हो गया और
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मेडिटेशन इस बुद्धिस्ट
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ट्रेडिशनल फीचर है दोस्तों यहां तक हमने
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बुद्धिज्म और इससे जुड़ी चीजों के बारे
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में डिस्कस किया अब
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आइए जैनिज्म जैनिज्म एक एंसेट रिलीजन है
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जो नॉन वायलेंस के थ्रू लिबरेशन
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स्पिरिचुअल प्योरिटी और इनलाइटनमेंट अचीव
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करने का पाथ डिफाइन करता है इस रिलीजन को
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सिक्स्थ सेंचुरी बीसीई में लॉर्ड महावीरा
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द्वारा प्रोपेट किया गया था जैनिज्म के
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अकॉर्डिंग समय-समय पर 24 ग्रेड टीचर्स ने
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अवतार लिए और उन्हें तीर्थन का कहा गया
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महावीरा 24 तीर्थन का माने जाते हैं और
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सबसे पहले तीर्थन का ऋषभ नाथ माने जाते
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हैं तीर्थन का ऐसे लोग होते थे जिन्होंने
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जिंदा रहते हुए मोक्ष अचीव कर लिया हो
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यानी जिन्होंने सारी नॉलेज अटन कर ली हो
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तीर्थन का अपनी सेंसेस पर एब्सलूट कंट्रोल
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कर चुके होते हैं इसीलिए इन्हें जीना भी
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कहा जाता है जीना का मीनिंग होता है कनकर
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इनफैक्ट जैन वर्ड जीना वर्ड से ही बना है
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लॉर्ड महावीरा
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दोस्तों ऋषभ नाथ को जैनिज्म का फाउंडर
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माना जाता है लेकिन लॉर्ड महावीरा ने
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जैनिज्म को एक कंप्लीट रिलीजन की फॉर्म
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में असेंबल किया और इसके रियल फाउंडर
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कहलाए महावीरा का जन्म 540 बीसी में
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वैशाली के नियर सिचुएटेड एक विलेज
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कुंदग्राम में हुआ था यह जनत्रिका क्लन के
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प्रिंस थे जिसका रिलेशन मगध की रॉयल
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फैमिली से था 30 इयर्स की एज में इन्होंने
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अपना घर त्याग दिया और एटिक बन गए 12
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इयर्स तक ऑस्टेरिटी प्रैक्टिस करने के बाद
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इन्हें हाईएस्ट स्पिरिचुअल नॉलेज केवल की
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प्राप्ति हुई 42 इयर्स की एज में इन्होंने
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अपना पहला सर्मन पावा में दिया और 72
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इयर्स की एज में 468 बीसी में पाव पुरी
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में इन्होंने अपना शरीर त्याग दिया
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महावीरा ने वैदिक कल्चर के प्रिंसिपल्स को
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रिजेक्ट कर दिया इनका मानना था कि
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यूनिवर्स नेचुरल फिनोमिना का आउटकम है और
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गॉड की एसिस्टेंसिया कर दिया हालांकि इनका
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मानना था कि हर कोई अपने कर्मा के
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अकॉर्डिंग ही पनिश्ड होगा या रिवर्ड किया
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जाएगा टेनेट्स ऑफ जनि जम जनि जम मेनली सोल
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की लिबरेशन अटन करने के लिए एम करता है
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जिसमें किसी तरह के रिचुअल्स रिक्वायर्ड
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नहीं होते इसके तीन प्रिंसिपल्स हैं
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जिन्हें थ्री जूल्स या त्रिरत्न कहा जाता
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है जिसके थ्रू लिबरेशन अटें किया जा सकता
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है सोल की लिबरेशन के लिए जैन एथिक्स को
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तीनों जूल्स को फॉलो करना इंपॉर्टेंट होता
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है यह जूल्स है समयक दर्शन राइट फेथ सम्यक
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ज्ञान राइट नॉलेज और और सम्यक चरित्र राइट
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कंडक्ट सम्यक दर्शन का मतलब है प्री कंसीव
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नोशंस सुपरस्टिशस को अवॉइड कर थिंग्स को
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करेक्टली देखना वहीं सम्यक ज्ञान का अर्थ
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है यूनिवर्स के बारे में प्रेसा और एडिक्ट
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नॉलेज का होना और सम्यक चरित्र का अर्थ है
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स्वयं को इंपोर थॉट्स और एटीट्यूड से
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लिबरे करना दोस्तों जैनिज्म के अकॉर्डिंग
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त्रिरत्न को अंप्स करने के लिए पांच
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महाव्रत फॉलो करना जरूरी होते हैं जो है
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अहिंसा नॉन वायले
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सत्य ट्रुथ अस्तेय नॉन स्टीलिंग
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ब्रह्मचर्य चेस्टिटी और अपरिग्रह नॉन
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अटैचमेंट अहिंसा जैनिज्म का फंडामेंटल
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एस्पेक्ट है जैनिज्म के अकॉर्डिंग किसी भी
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लिविंग बीइंग को अनदर लिविंग बीइंग
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इंक्लूडिंग एनिमल्स प्लांट्स और इंसेक्ट्स
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को किल या हर्ट करने का राइट नहीं है
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जैनिज्म के अकॉर्डिंग किसी भी पर्सन को
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हमेशा सत्य बोलना चाहिए ऐसे लोग जिन्होंने
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अपनी ग्रीड फियर एंगर और ईगो को जीत लिया
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हो वही सत्य बोल सकते हैं
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वहीं अस्ते या के अकॉर्डिंग जैनिज्म
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रॉबिंग या दूसरे की प्रॉपर्टी को अन
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एथिकली ग्रैब करने के अगेंस्ट है यहां तक
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कि अगर कोई अपनी नीड से ज्यादा किसी से
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हेल्प या डोनेशन लेता है तो वह भी जैनिज्म
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में अस्ते या का उल्लंघन माना जाता है
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दोस्तों ब्रह्मचर्य का मीनिंग है खुद को
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किसी भी तरह के सेंशुअल प्लेजर से रिफ्रेड
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करना जैनिज्म सेंशुअल प्लेजर के थॉट्स को
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भी प्रोहिबिट करता है और अपरी ग्रह के
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अकॉर्डिंग जो भी पर्सन स्पिरिचुअल लिबरेशन
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सीक कर रहा है उसे अपने सभी पोजे शंस जो
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जो उसके फाइव सेंसेस को प्लीज करते हैं
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उनसे दूर होना कंपलसरी है जैनिज्म के
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अकॉर्डिंग इन पांच महाव्रत से किसी पर्सन
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को केवल मिल सकता है स्कूल्स ऑफ जैनिज्म
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दोस्तों महावीरा की डेथ के 200 इयर्स के
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बाद मगध में फैमिन पड़ा जिसे वहां जैनस का
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एक ग्रुप जैन मोंक भद्र बाहू की लीडरशिप
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में साउथ इंडिया को माइग्रेट कर गए इससे
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जैन रिलीजन साउथ इंडिया में भी स्प्रेड
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हुआ 12 इयर्स लॉन्ग फैमिन में साउथ इंडिया
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के जैन मोंक ग्रुप्स स्ट्रिक्ट
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प्रैक्टिसेस को कंटिन्यू करते रहे वहीं
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मगध के मंग्स ने लैक्स एटीट्यूड अडॉप्ट
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किया और वाइट क्लोथ्स वेयर करने लगे फैमिन
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के एंड में साउथ के जैन मंगस का ग्रुप
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वापस मगध रिटर्न हुआ इन दोनों ग्रुप्स की
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प्रैक्टिसेस में आई डिफरेंस ने जैन रिलीजन
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को दो सेक्ट्स में डिवाइड करवा दिया
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श्वेतांबर और दिगंबर दिगंबर दिगंबर जैन
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कंप्लीट न्यूडिटी में बिलीव करते हैं और
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मेल मंगस कोई भी क्लोथ वेयर नहीं करते वही
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नंस अनस्टिच्ड प्लेन वाइट साड़ी वेयर करती
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हैं
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दिगंबर पांच महाव्रत को फॉलो करते हैं और
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इस स्कूल का मानना है कि विमेंस लिबरेशन
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अचीव नहीं कर सकती हैं भद्र बाहू को इस
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सेक्ट का एक्सपोर्ट माना जाता है जो मगध
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फैमिन के टाइम पर साउथ इंडिया में मक्स को
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लेकर गए थे दिगंबर सेक्ट भी बाय द टाइम कई
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सब सेक्ट में डिवाइड हुआ जिनमें कुछ के
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नाम है मूला संघ बिस पंथा तेरा पंथा समय
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पंथा एट्स वहीं अगर बात की जाए श्वेतांबर
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स्कूल की तो श्वेतांबर इस सेक्ट के मंगस
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पांच महाव्रत में से सिर्फ चार महाव्रत ही
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फॉलो करते हैं यह सेक्ट ब्रह्मचर्य को
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फॉलो नहीं करता है इस सेक्ट में यह माना
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जाता है कि विमेंस भी लिबरेशन अचीव कर
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सकती हैं ये मंग्स वाइट क्लोथ्स वेयर करते
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हैं इसलिए इन्हें श्वेतांबर कहा जाता है
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स्थूल भद्र को इस सेक्ट का
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एक्सपोटल पूजक स्थानकवासी
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तेरापंथी
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एट्स जैन लिटरेचर दोस्तों अगर जैन लिटरेचर
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की बात करें तो इससे दो मेजर कैटेगरी में
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डिवाइड किया जाता है अगम और नॉन अग अगम
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अगम लिटरेचर वह है जिनमें लॉर्ड महावीर की
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प्रीचिंग्स इनके फॉलोअर्स ने कई टेक्टस
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में कंपाइल्ड किया है इन टेक्स्ट को
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कलेक्टिवली अगम कहा जाता है यह जैन रिलीजन
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की सेक्रेड बुक्स हैं जो प्रकृत लैंग्वेज
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में लिखी गई हैं वहीं नॉन अगम लिटरेचर में
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अगम लिटरेचर पर की गई कमेंट्री और
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एक्सप्लेनेशन को कंपाइल किया गया है इसके
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साथ ही नॉन अगम में एल्डरली मंगस और नंस
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के इंडिविजुअल वर्क को भी कंपाइल किया गया
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है यह टेक्स्ट प्रकृत संस्कृत हिंदी
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इंग्लिश जर्मन जैसी कई लैंग्वेजेस में
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कंपाइल्ड किए गए हैं दोस्तों आज के वीडियो
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में बस इतना ही मिलते हैं आपसे और भी
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इंटरेस्टिंग वीडियोस के साथ तब तक के लिए
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जय हिंद