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एक बार एक व्यक्ति अपनी ससुराल जा रहा था
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मित्र से मिलने गया मित्र ने कहा कहां आज
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बड़े तैयार दिखाई दे रहा उसने कहा ससुराल
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जा रहे तुम भी चलो मित्र बोला यह कोई ले
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जाने का ढंग है पहले से बताते तो हम भी
00:00:14
अपने कपड़े आदि पहनकर तैयार
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रहते मित्र बोला कपड़ों में क्या हमारी
00:00:20
पहन लेना देत लेत मन संक न धरी मित्रता
00:00:24
में क्या हमारे पहन लेना ठीक
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है मित्र ने ने कपड़े दे दिए उसने पहन लिए
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दोनों मिलकर ससुराल गए अब वहां लोगों ने
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बड़ा स्वागत सत्कार किया पड़ोस में बैठने
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के लिए गए तो एक ने पूछा बहुत दिन बाद आए
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आपकी बड़ी प्रतीक्षा हो रही थी आपके आने
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से बड़ा अच्छा लगा लेकिन आपके साथ कौन है
00:00:47
अब उन्होंने परिचय देना शुरू हमारे मित्र
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बहुत अच्छे आदमी
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है बोले कहां जा रहे हो हमने कहा ससुराल
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हमने कहा तुम भी चलो बोले कपड़े नहीं है
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तो कपड़े भी हमारे ही पहने हैं
00:01:00
मित्र बहुत
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अच्छे अब मित्र को बड़ा बुरा
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लगा एकांत पाकर मित्र ने कहा मैं तो जा
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रहा हूं तुम्हारे जैसा हमने आदमी नहीं
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देखा लोग हमारे बारे में पूछते कि कपड़ों
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के बारे में तो कपड़ों के बारे में काहे
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को बताते हो अरे बोला अब क्षमा करो गलती
00:01:21
हो गई अब अब नहीं
00:01:23
बोलूंगा दूसरी जगह फिर बैठने गए लोगों ने
00:01:26
परिचय पूछा कहने लगे हमारे बड़े अच्छे
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मित्र हैं और हमने कहा ससुराल जा रहे एक
00:01:30
ही कहने से हमारे साथ आ गए और कहते कहते
00:01:33
निकल गया कपड़े अब मित्र फिर डांटे का कि
00:01:37
कपड़े तो लोगों ने कहा कपड़े क्या कपड़े
00:01:40
तो बोले
00:01:42
कपड़े इनके अपने है ये खुद खुद के कपड़े
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पहने हैं
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केने और लोगों ने सोचा कपड़े तो सब खुद के
00:01:52
पहनते हैं
00:01:54
इसमें मित्र ने फिर कहा कि अब मैं नहीं
00:01:56
रुकूंगा तुमने फिर कपड़ों के बारे में तो
00:02:00
कहा हमने तो तुम्हारे ही बताए तो बताए
00:02:02
क्यों लोग हमारे बारे में पूछते कि कपड़ों
00:02:04
के बारे
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में बोला अब मैं कहूंगा ही नहीं बिल्कुल
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नहीं कहूंगा मित्र फिर रुक गया पर तीसरी
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जगह बैठने गए लोगों ने परिचय पूछा कि आप
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तो बड़े अच्छे आ आपके साथ हमारे मित्र हैं
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बड़े प्रेमी हैं एक ही कहने से हमारे साथ
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आए और इनकी जितने गुण गाए जाए सब कम है
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लेकिन क्षमा करें हम कपड़ों के बारे में
00:02:24
कुछ नहीं कहना
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चाहते अ फिर कपड़े
00:02:30
अभी तर भरे कपड़े हम जो चीज खाएंगे डकार
00:02:34
में गंध भी तो उसी की आएगी
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तो भीतर जो भरा हो वही बाहर
00:02:43
दिखेगा निराकार हूं मैं ना साकार हूं भक्त
00:02:46
की भावना से तदा का हू भक्त मुझे जिस
00:02:50
दृष्टि से देखता है उसी दृष्टि से मैं
00:02:52
दिखाई पड़ता हूं अपने भाव के अनुसार भगवान
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का दर्शन होता है
00:03:00
सब भगवान को अलग-अलग रूपों में देख रहे
00:03:03
हैं अलग-अलग भावना से देख रहे हैं कोई
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प्रेम से भर रहे हैं कोई भय से भर रहे
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हैं यही विध रहा जाए जस भाव जिसको जैसी
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भावना रहे राम जी से अधिक राम जी के दास
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की महिमा मैंने एक संत के मुख से सुना था
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एक बार एक दंपति पति पत्नी मेले में
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गए अब मेला में उनका मेल बिछड़ गया ऐसा
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भीड़ का रेला पति एक तरफ पत्नी एक तरफ अब
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दोनों एक दूसरे को
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ढूंढे तो ऐसे मौके का फायदा उठाने वाले
00:03:41
लोग चूकते
00:03:44
कहां राम जी का मंदिर था
00:03:48
सामने पुजारी बोला क्या बात है बोले बहुत
00:03:51
ढूंढ रहे हैं पत्नी यहीं कहीं खो गई अरे
00:03:54
बोले भगवान से प्रार्थना करो
00:03:56
चलो बड़े संपन्न आदमी थे पुराने जमाने की
00:04:00
बात एक थाल में लड्डू मंगा कर रख लिए 500
00:04:05
रुपए रख दिए और प्रार्थना करने लगे अब तो
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रघुनाथ कृपा कर दो घरनी को लगे ना बिना
00:04:17
घरनी
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को सामने हनुमान जी का मंदिर था व अलग
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हनुमान जी के मंदिर के पुजारी ने सोचा कि
00:04:27
इतने लड्डू और रुपया सब रही
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जाएगा इधर आता तो ठीक रहता तो वहीं से
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बैठे बैठे बोला सेठ जी वहा क चले ग य आओ
00:04:39
ार से बोला य आओ सेठ जी थाल ले आव
00:04:45
इथे कर देय कृपा जो लला अंजनी को हनुमान
00:04:51
जी के पास ले आओ काम बन
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जाएगा कपिराज से प्रीत बनी
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[संगीत]
00:05:01
करो फिर से मुख देख सको पत्नी
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को सेठ जी बोले कैसी बात करते हो हनुमान
00:05:10
जी तो सेवक है राम जी तो इनके स्वामी है
00:05:12
हम सीधे स्वामी के पास पहुंचे सेवक के पास
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आने की क्या जरूरत है राम जी कर सकते हैं
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सब
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कुछ अरे बोले सेवक स्वामी की बात छोड़ो
00:05:22
अपने अपने विभाग की बात
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है यह काम उनसे नहीं बनेगा क्यों नहीं
00:05:28
बनेगा राम जी सब कुछ कर सकते तो मेरी
00:05:30
पत्नी को भी खोज सकते हैं हनुमान जी के
00:05:32
मंदिर का पुजारी बोला कि जाने दो तेरी
00:05:35
त्रिया को मिलावे कहा जो पतो ना लगाए सके
00:05:42
अपनी
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को तुम्हारी पत्नी को क्या ढूंढेंगे उनकी
00:05:47
भी खो गई थी तो यही गए थे
00:05:52
ढूंढने और उसने तो अपने मतलब के लिए तर्क
00:05:55
दिया पुजारी पर सेठ जी के मन में बात जम
00:05:58
गई हनुमान जी के मंदिर पर आए सचमुच उनकी
00:06:01
पत्नी भी आ गई वही दर्शन के
00:06:04
लिए सबके मुख से निकला कि भाई विनोद में
00:06:07
ही सही पर राम ते अधिक राम कर
00:06:13
दासा हनुमान जी की आज भी पूछ है लेकिन यह
00:06:19
पूछ है
00:06:20
क्यों क्योंकि जास हृदय आगार बस राम सर
00:06:24
चाप धर अभिमान हृदय में रखने वालों की पूछ
00:06:28
नहीं रहती भगवान को हृदय में रखने वालों
00:06:31
की पूछ रहती
00:06:34
है यह विचार करो तुम्हें भगवान ने बनाया
00:06:37
कि भगवान को तुमने
00:06:43
बनाया वह आदमी सोचने लगा कि हम तो भगवान
00:06:46
की पूजा के लिए जा रही कहां से तर्क करने
00:06:49
वाला रास्ते में मिल गया यह तो उसने कहा
00:06:52
कि भैया तुम बताओ क्या करें
00:06:54
हम हम तो मंदिर में दिया रखने जा रहे हैं
00:06:57
पूर्वजों से हमारे
00:07:00
पितर यही करते आए हैं तो व क्या बोला इतने
00:07:04
दिनों से गलती चली आए तो क्या सही मान ली
00:07:07
जाएगी इसका अर्थ तुम भी गलत तुम्हारी
00:07:10
पीढ़ियां भी
00:07:12
गलत उस व्यक्ति ने कहा तो हम क्या करें यह
00:07:15
बताओ वो बोला विचार करो यह दिए में ज्योति
00:07:19
कहां से आई अब है विचित्र बात की नहीं अब
00:07:24
दिए में ज्योति कहां से आई उस व्यक्ति ने
00:07:26
सोचा कि अगर हम कह दें कि माचिस की तीली
00:07:29
से आई
00:07:30
तो यह पूछेगा कि तीली में कहां से आई इस
00:07:33
कहां का तो अंत ही नहीं
00:07:35
है उस व्यक्ति ने बड़ा अच्छा काम किया
00:07:38
जैसे उसने पूछा कि दिए में ज्योति कहां से
00:07:40
आई उसने फूंक मारकर दिही बुझा
00:07:44
दिया जैसे ही दिया बुझाया तो उस व्यक्ति
00:07:47
ने कहा तुमने दिया क्यों बुझा दिया तो यह
00:07:50
व्यक्ति बोला अब तुम ही बताओ दिए की
00:07:52
ज्योति कहां
00:07:57
गई कहां गई उसने कहा इसका क्या
00:08:01
अर्थ इस व्यक्ति ने कहा कि जहां गई वहीं
00:08:04
से आई
00:08:06
थी आई थी हम नहीं बता सकते गई थी तुम नहीं
00:08:09
बता सकते काहे को बेकार विवाद में पड़ते
00:08:16
हैं अच्छा इस तर्क से
00:08:19
कुछ हल भी नहीं होता कुछ हाथ भी नहीं
00:08:23
लगता तर्क से आप कुछ भी सिद्ध कर दो
00:08:27
महाभारत का कहते हैं तर्को
00:08:30
प्रतिष्ठा इस तर्क की कोई प्रतिष्ठा नहीं
00:08:38
है
00:08:40
देखो एक व्यक्ति पढ़कर
00:08:43
आया उसने
00:08:47
बहुत विद्या अर्जित की
00:08:54
थी मां ने कहा कि बेटा तू अभी अभी लौटा है
00:09:01
स्वल्पाहार कर ले दो लड्डू खा
00:09:05
ले बेटा बोला पहले मेरी विद्या का चमत्कार
00:09:08
देखो जो मैंने पढ़ा
00:09:10
है मां बोली क्या चमत्कार बेटा बोला असंभव
00:09:14
को संभव सिद्ध कर
00:09:16
दूं मां बोली कैसे करेगा जो है नहीं उसको
00:09:20
कैसे सिद्ध
00:09:22
करेगा पिता भी पास आकर बैठ गया कि देखे
00:09:27
विद्या बेटा बो लड्डू कितने रखे हैं मां
00:09:30
बोली दो बेटा बोला
00:09:33
तीन कहा कैसे बो अभी सिद्ध कर देता हूं क
00:09:37
गिनो मां ने गिनना शुरू किया एक लड्डू में
00:09:40
एक दूसरे लड्डू पर उंगली रखी दो बेटा बोला
00:09:44
दो और एक
00:09:48
तीन अब मां इधर से भी गिने एक बेटा कहे
00:09:52
ठीक दो बेटा तुरंत क दो और एक तीन गणित का
00:09:57
सिद्धांत जहा दो और एक तीन तो होते ही है
00:10:01
अब मां ने कहा कि बेटा मैं सिद्ध भले ही
00:10:03
ना कर पाऊ पर लड्डू तो दो है बेटा बोला
00:10:06
सिद्ध करो तो मानो लड्डू तो तीन
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है उसका पिता बैठा था पास
00:10:18
में और पिता भी तो उसी का पिता
00:10:25
था उसने कहा कि बेटा तुम्हारी मां बिना
00:10:28
पढ़ी लिखी है समझ नहीं है पर मुझे साफसाफ
00:10:31
दिखाई देरहे लड्डू तीन
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है तुमने जो सिद्ध किया बिल्कुल सही लड्डू
00:10:39
तीन है अब एक काम करना कहा क्या एक लड्डू
00:10:43
मैं खा लूंगा दूसरा लड्डू तुम्हारी मां खा
00:10:45
लेगी और तीसरा तुम खा
00:10:49
[प्रशंसा]
00:10:52
लेना अरे भाई हाथ लगा क्या
00:10:59
इश्क वाले कर गए त
00:11:01
मंजिलें इश्क वाले कर गए त मंजिलें आकि के
00:11:05
रास्ते दु स्वार्थ
00:11:11
है एक आदमी गांव में गया अपने मित्र के
00:11:15
साथ घूमने निकला तो छोटा सा गांव एक
00:11:19
व्यक्ति तेल बेचता था अकेला आदमी और भीतर
00:11:24
उसने कोलू चला रखा और बाहर बैठकर तेल बेचे
00:11:30
इस व्यक्ति ने देखा कि अकेला आदमी कैसे
00:11:32
करता है तो उसने कहा कि तुम यह बैल को
00:11:36
हकते नहीं हो और कैसे बिना तुम्हारे चलाए
00:11:39
चलता
00:11:41
है तो उस आदमी ने कहा कि बैल को मैं हाक
00:11:45
देता हूं और जब चलने लगता है तो बाहर आकर
00:11:47
बैठ जाता
00:11:49
हूं तो उसे पता नहीं लगता कि तुम पीछे
00:11:53
हो तेल बेचने वाले ने कहा हमने उसकी आंख
00:11:56
पर पट्टी बांध रखी
00:12:01
सो तो ठीक है लेकिन तुम बाहर बैठे हो बैल
00:12:03
अगर चलना बंद कर दे तो तुम्हें कैसे पता
00:12:06
लगेगा तेल बेचने वाला बोला हमने उसके गले
00:12:09
में घंटी बांध रखी चलना बंद होता घंटी
00:12:12
बजनी बंद हो जाती हम फिर जाक आंख देते हैं
00:12:15
पर वह तार्किक मानने कोई तैयार नहीं वह
00:12:18
कहने लगा कि नहीं यह भी कोई बात नहीं हुई
00:12:20
कहा क्यों कहा ऐसा भी तो हो सकता है कि
00:12:22
बैल एक ही जगह खड़ा-खड़ा गर्दन हिलाता
00:12:25
रहे एक ही जगह खड़ा खड़ा गर्दन हिलाता रहे
00:12:28
तो भी तो घंटी बजेगी तेल बेचने वाला हाथ
00:12:31
जोड़ के बोला बाबू जी वह बैल है आपकी तरह
00:12:36
तार्किक नहीं
00:12:42
है एक बार दो बड़े संपन्न श्रीमंत सेठ
00:12:47
बैठे थे आपस में चर्चा हुई एक बोला हमारा
00:12:51
नौकर बड़ा मूर्ख
00:12:53
है दूसरा बोला हमारे नौकर से ज्यादा मूर्ख
00:12:56
नहीं हो सकता पहले वाला बोला नमूना
00:12:59
देखोगे उस अरे इधर आ बुलाया र दिए जाओ
00:13:04
बाजार से टेलीविजन ले आओ 10 में और वो रप
00:13:08
लेकर चला गया टेलीविजन
00:13:11
ले उसने अपने मित्र का देखा इसका यह र में
00:13:15
टेलीविजन लेने जा
00:13:18
रहा दूसरा बोला कि अब हमें अपने नौकर का
00:13:22
नमूना दिखाने का अवसर दो हां उसने अपने
00:13:24
नौकर को बला इधर आओ हां कहिए सा तुम ऐसा
00:13:28
करो ि तुमने देखा है हां देखा ऑफिस में
00:13:31
चले जाओ हां तो वहां जाक ये देखो हम वहां
00:13:34
है कि
00:13:36
नहीं और दूसरा भी चला
00:13:41
गया मालिक दोनों हंस रहे थे कि कैसे मूर्ख
00:13:44
है लेकिन ये मूर्ख की पहचान अपने को मूर्ख
00:13:47
समझे जिसे अपनी मूर्खता समझ में ना आए वो
00:13:50
दोनों मिल गए
00:13:51
वहां नौकर मिले तो कहने लगे हमारा मालिक
00:13:54
बड़ा मूर्ख है
00:13:59
क्यों कह रहा था र में टेलीविजन ले आओ
00:14:01
टेलीविजन तो चार ले जाते पर उसे यह तो
00:14:04
सोचना चाहिए था आज इतवार है बाजार बंद है
00:14:08
बोलो और दूसरा क्या कहता है हमारा मालिक
00:14:12
और ना समझ हमसे कहता तो ऑफिस में जाकर
00:14:14
देखो हम वहां है कि नहीं हमको भेजने की
00:14:17
क्या जरूरत थी फोन नहीं कर सकता
00:14:23
था दोनों ही नहीं समझ रहे एक गुरु जी ने
00:14:26
एक चेला बनाया
00:14:29
तो
00:14:30
चेला बनते ही वो बोला कि गुरु जी अब आप
00:14:33
गुरु हम चेला हमें कुछ
00:14:37
सुना पहले शिष्य लोग कहते महाराज कुछ समझा
00:14:40
दो अब समझा
00:14:43
सुनाओ तो गुरु जी ने कहा कि बेटा राम राम
00:14:46
किया करो अरे कय साधारण सब लोग लेते इसमें
00:14:49
क्या
00:14:50
है गुरु जीी भी समझ गए चेला नहीं गुरु ही
00:14:53
मिला
00:14:55
है तो गुरु जी ने कहा बेटा रामायण रामचरित
00:14:59
मानस रामायण और सब बोले ये भी साधन हि सब
00:15:02
लोग गाते हैं रामायण में क्या
00:15:04
है ऊंचा सुनाओ ऊंची
00:15:08
बात गुरु जी ने कहा फिर
00:15:11
गीता हां ये कुछ कुछ चलेगी तो गुरु जी
00:15:15
बोले महात्मा आज सुनाते हैं गीता कल
00:15:17
सुनाएंगे महात्मा ही सुनाओ तो गुरु जी ने
00:15:20
वही श्लोक सर्वो उपनिषद गाव दोग धा गोपाल
00:15:24
नंदन और ब सभी उपनिषद जो है सो गाए हैं
00:15:27
दोने वाले भगवान श्री कृष्ण है और यह गीता
00:15:30
ज्ञान ही दुग्ध है पान करने वाला बछड़ा
00:15:32
अर्जुन है और चेला कहे वाह महाराज आ आ
00:15:36
महाराज क्या बात क्या बात वाह वाह वाह सो
00:15:40
गुरु जी एक घंटे की जगह डेढ़ घंटे बोलते
00:15:43
रहे बाद में गुरु जी ने कहा कि बेटा कुछ
00:15:47
समझ में ना आया हो तो पूछ
00:15:49
लो बोला हमें समझना है आप कम समझाते हो हम
00:15:53
ज्यादा समझते
00:15:55
हैं गुरु जी नेने मन ही मन कहा कि हम ही
00:15:58
नहीं समझ पहले
00:16:00
तुम्हे लेकिन फिर भी कहा कि हम गुरु जी
00:16:05
हैं तो कुछ तो पूछ लो गुरु होने की
00:16:10
कुछ अच्छा तो और सब समझ में आए एक एक
00:16:14
अक्षर समझ में एक जरा सी बात समझ में नहीं
00:16:16
आई गुरु जी बोले वो क्या बोले आप बारबार
00:16:19
कहते थे दो गधा गोपाल नंदना तो यह दो गधा
00:16:22
कौन
00:16:23
थे
00:16:27
बोलो गुरुजी ने माथा पीटा चेला बोला बताया
00:16:32
नहीं दो गधा कौन थे गुरु जी बोले एक हम और
00:16:35
दूसरे तुम एक गांव में रहता था कोई
00:16:39
व्यक्ति उसकी नाक कट गई झगड़े में या किसी
00:16:44
तरह कट गई अब कौन वहां तक पता लगाने जाए
00:16:48
कट गई अब बिचारा परेशान एक तो नाक कट गई
00:16:53
गांव में जहां से भी निकले सभी लोग कहते
00:16:56
नक भैया
00:16:59
कोई कहता नकटे ताऊ कोई नकटे चाचा कोई राम
00:17:03
राम भी करता तो कहता नकटे चाचा राम
00:17:06
राम उस बिचारे को बड़ा बुरा लगे लेकिन करे
00:17:11
क्या नाक को छुपावे भी तो
00:17:14
कैसे कान कटे तो कुछ टोपी लगा ले कपड़ा
00:17:18
बांध ले आंख ना हो तो चश्मा लगा ले नाक का
00:17:22
क्या करें सीधे सामने
00:17:26
साफ तो उसने सोचा नाक कट गई तो नकटे की
00:17:29
कोई इज्जत तो होती नहीं
00:17:32
है तो उस नकटे ने इज्जत पाने के लिए एक
00:17:37
युक्ति सोची क्या साधु बन
00:17:44
जाओ ताकि हमारी कटी हुई नाक पर ध्यान ना
00:17:48
जाए पर लोग भी तो विचित्र बिचारा साधु भी
00:17:52
हो गया तो भी लोग कहते नकटे बाबा
00:17:56
आए नकटे स्वामी जी
00:18:01
अब बड़ी मुसीबत और कोई कहता न तो दूसरे
00:18:05
लोग डांटते ऐसे बोलते हो साधु है ऐसे मत
00:18:08
बोलो तो उसे लगता कि शायद पक्ष में हो
00:18:11
लेकिन वो भी यही पूछता महाराज कैसे कट
00:18:18
गई अब उसको लगा
00:18:21
कि क्या
00:18:23
करें तो एक कुटिल योजना उसने मन में
00:18:27
बनाई एक आदमी ने एकांत में आकर पूछा कि
00:18:30
नाक कैसे कट गई
00:18:33
बोला ये बहुत बड़े रहस्य की बात
00:18:37
है कटी नहीं है हमने खुद काटी
00:18:40
है सो
00:18:42
क्यों एक दिन भगवान ने
00:18:46
कहा स्वप्न
00:18:49
में तू मुझे चाहता है मेरा भक्त है तो
00:18:53
मेरे लिए क्या कर सकता
00:18:55
है तो मैं तुझे प्राप्त हो जाऊं
00:19:00
मैंने स्वप्न में कहा आप जो कहे सिर काट
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कर रख दो भगवान ने कहा सिर नहीं केवल नाक
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काट
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ले मैं दर्शन दूंगा और सदा तुम्हारे सामने
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रहूंगा तो जब से नाक कटी काट दी मैंने
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भगवान प्रकट हो गए और देखो यह दिख रहे हैं
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सामने दर्शन रहा जय हो प्रभु यह भगवान दिख
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हमेशा रहते हमको खूब दिखते हैं और भगवान
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ने एक बात और कही थी कि तुम जिसकी काट
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दोगे उसे भी देखेंगे
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अब भगवान का दर्शन कौन नहीं चाहता नाक कटे
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तो
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कटे बोले लोग भले ही कुछ समझे नाक कटे तो
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भगवान मिल र है तो कहा एक बात है
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क्या हमको भी मिलेंगे भगवान हां मिलेंगे
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ने काहे को नाक कटवा दो बोले नहीं नाक जाए
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तो जाए दर्शन तो
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हो तो क आ जाओ सवेरे
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गया उसकी भी
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काट अब कहीं भगवान ऐसे मिलते हैं उसकी नाक
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कटी उसने कहा हमें तो नहीं दिख रहे कहीं
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बोला हमें भी नहीं
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दिखते फिर हमारी का काट दी हम अकेले
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परेशान
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थे सब दो हो गए अब उस बिचारे को मिला कुछ
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नहीं था उस नकटे के पास और नट के किसी को
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कुछ मिलता भी नहीं लेकिन क्योंकि अपनी नाक
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कट गई तो मजबूरी थी अब वही हल्ला मचाने
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भगवान दिख य दिख रहे प्रत्यक्ष दिख रहे
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सामने दिख रहे अब पहले तो एक कहता
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था अब दो कहने
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लगे
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बोलो प्रचार इतना हावी हो जाता
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है कि प्रचार
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[संगीत]
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इतना प्रभावपूर्ण ढंग से जीवन में अपना
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प्रभाव डालता है कि प्रचार के चक्कर में
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आदमी विचार करने भूल जाता
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है विचार बिचारा जैसी
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कोताज कोई क अरे क्या बात करते हो अगर कुछ
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नहीं होता तो इतना
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होता तो आदमी फिर चुप रह जाए अब दो कहने
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लगे आ यह दिख रहे भगवान ये दिख रहे दो में
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से किसी को नहीं दिख रहे पर की नाक कटी थी
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तो मजबूरी में कहना कि दिख रहे हैं तो
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तीसरे ने भी कटवा लि तीन हो गए अरे तीन
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क्या उन्होंने 300 कर दिए धीरे-धीरे 3000
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हो गए इतने नाक
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कटी अब जब भीड़ हो गई तो आदमी को विश्वास
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करना मजबूरी थी मिले होंगे भगवान इतने लोग
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नाक
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कटाते नकट का समूह का समूह चल पड़ा भीड़
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की भीड़ नकट की किसी को कुछ नहीं मिला सब
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हल्ला मचा रहे झूम रहे मिल गए ये मिल ग वो
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तो एक साहसी आदमी आया उसने कहा हमारी कटी
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सु कटी औरों की तो बचा
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ले तब उसने हिम्मत करके कहा कि यहां कुछ
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नहीं
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है यही
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है भीड़ के साथ एक ही शब्द है
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भाड़ भीड़
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भाड़ भीड़ अक्सर आदमी को भाड़ में ले जाती
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है अब प्रचार की क्या बात कहे आप अन्यथा
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ना ले मैं श्री राम कथा ही कह रहा हूं एक
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पल नहीं जिए जो इंसान की तरह एक पल नहीं
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जिए जो इंसान की तरह वि पुज रहे हैं आजकल
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भगवान की
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तरह एक पल नहीं जिए जो इंसान की तरह रहे
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आजकल भगवान की तरह मेहरबानी मीडिया
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[संगीत]
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की मेहरबानी मीडिया की रुपयों की वजह से
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दुनिया में छा गए हैं तूफान की
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तरह उपदेश दे रहे हैं औरों को शांति
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का उपदेश दे रहे हैं औरों को शांति का आपस
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में लड़ रहे हैं पहलवान की
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तरह और फूलों की तर
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खिलते मिलते नहीं है
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संत फूलों की तरह खिलते मिलते नहीं है संत
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टीवी के खुलते खुलते दुकान की
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तरह और राजेश त्याग हरि को धनियां के हाथ
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में साधु भी बिक रहे हैं सामान की तरह
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क्या यह विडंबना
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है और यह बात मुझे तब याद आती
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जब मैं सोचता हूं कि राम जी के दर्शन के
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लिए अयोध्या की देवियां भी गई पर सहज
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श्रृंगार क्योंकि जानती हैं भगवान सहजता
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पर रीते हैं आप जैसे हैं वैसे ही भगवान के
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सामने पहुंच जाए अच्छा आप जैसे हैं वैसे
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ही भगवान के सामने पहुंच जाए तो आप भगवान
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के लिए अनमोल
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है और अग आप जैसे है वैसे ही दुनिया के
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सामने पहुंच जाए
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तो आप करोड़ों के भी हो तो दो कौड़ी
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के और आप हो कुछ और देखें कुछ तो दो कौड़ी
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के भी हो तो करोड़ों
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के पर बनावट जहां चले तो ठीक पर भगवान के
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य तो चले इसलिए सहज श्रृंगार सहजता ही
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जीवन का श्रृंगार है
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सरलता एक व्यक्ति अपनी ससुराल गया
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गांव का रहने वाला
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था पत्नी शिक्षित मिल
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गई ससुराल पहुंच गया बिना सूचना
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के उसकी देवी ने बड़ी प्रशंसा कर रखी थी
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कि बड़े सुयोग्य हैं बहुत समझदार हैं तो
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उसकी सहेलियां इकट्ठी हो गई वह भोजन के
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लिए बैठे पत्नी मन ही मन डर रही थी कि
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इतनी इनकी बात बनाई है और यह कैसे हैं सो
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तो मैं जानती ही
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हूं चलो तो गांव की परंपरा वो भोजन बनाने
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बैठी चूड़े पर और
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उसने सामने उनको बिठाया भोजन करें अब उसकी
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सहेलियां परोस रही थी भोजन बार-बार
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पूड़ी साग थाली में आया वोह ऐसा विचित्र
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आदमी एक पूड़ी उठा गए सोच रहा था छोटी सी
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पूड़ी है इसके टुकड़े करना ग्रास करना तो
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बेकार है
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पूड़ी ही ग्रास
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है व एक पूड़ी में साग रखे
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और अब उस देवी को बड़ा संकोच लगा बड़ी लाज
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लगी किसीने नाक कटवा दी और सहेलियां
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मुस्कुरा मुस्कुरा कर क जैसा आपने कहा था
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वैसे ही है बड़े समझदार है
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[प्रशंसा]
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बहुत तो महिला बड़ी विवेक वती थी उसने
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सोचा कि बात किसी तरह बन
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जाए तो वह तो पूरी खाई जा रहे उसको था कि
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हमारी तरफ देखे तो हम इशारा
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करें तो जैसे उस उधर देखा तो उसने भोजन
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बनाते बनाते इशारा किया उंगली द उठाई गवार
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पन पति को
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देख एक एक पूरी के ग्रास दुई करे जा दो
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उंगली उठाई कम से कम एक पूड़ी के दो दो
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टुकड़े तो
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करो इतनी छोटी भी नहीं है कि तुम दो
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टुकड़े ना
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करो पति ने समझा कि हमारी पत्नी पूरी
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सहानुभूति के साथ कह रही थके हुए हो इतनी
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दूर से चल कर आए एक पूड़ी में क्या होता
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है दो
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दो अब तो एक पूड़ी उठावे उस पर साग रखे
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दूसरी पूड़ी उसके ऊपर रख
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दो दोए को चावे लागयो मूढ़ जब एक
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साथ तो पत्नी ने अपना माथा पीट लिया
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समझाने वाले तभी माथा पीटते हैं कि समझने
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वाला उल्टा ही
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समझे तो माथ ठोक त्रिया कहे लाज स डरे
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जा मथा पीटा लाज तो ख कुछ तो
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समझ पति ने समझा ओ बड़ी भूल हो रही थी
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पत्नी कह रही है कि यह पुणिया साधारण नहीं
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है पूजा की पड़िया है इन्हें पहले प्रणाम
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करो माथे से लगाओ फिर
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खाओ पतिदेव समझे की पावे के प्रथम इन
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पूजनीय पूर्ण को शीश पर धरे
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जा अब तो वो दो पूड़ी और साथ फिर माथे से
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लगा फिर
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खाए तो पत्नी ने
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अवसर देखा तो पति को समझाने के लिए चूल्हे
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से
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बोली एक लकड़ी लगाई अग्नि प्रज्वलित की और
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बोल उठी रोस भरी चूल्हे से चतुर नारी और
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चतुर नारी ने यही कहा अरे
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चूल्हे जैसो जरे आयो प्रथम तैसो ही जने जा
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इससे तो त पहले ही अच्छा था जैसा जल रहा
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था वैसे ही जलता रहे समझाने से तो और
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उल्टा हो
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गया कई बार लोग उल्टा ही समझते हैं