क्या सब कुछ भाग्य के ही अधीन है ? | Swami Rajeshwaranand Ji Maharaj | Pravachan | Ram Katha

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https://www.youtube.com/watch?v=GWdYGnuxT1A

الملخص

TLDRNy tantara dia manasongadina ny fifandraisana sy ny ady eo amin'ny toetra ao amin'ny Ramayana, indrindra i Ram, Bharat, ary Kaushalya. I Bharat dia maniry ny hanampy an'i Ram hamerina any Ayodhya, nefa sahirana amin'ny fitiavany sy ny adidiny. Ny fivoriana ao amin'ny panchayat dia mitaky fanapahan-kevitra sarotra momba ny ho avin'izy ireo, ary ny padhuka dia manampy an'i Bharat hitazona ny lanjan'ny fanjakana. Ny tantara dia manasongadina ny fitiavana, ny adidy, ary ny maha-zava-dehibe ny asa sy ny vokany amin'ny fiainana.

الوجبات الجاهزة

  • 🌟 Ny fitiavana sy ny adidy dia mifandray amin'ny fanapahan-kevitra.
  • 🤝 Bharat dia maniry ny hanampy an'i Ram.
  • 👑 Ny padhuka dia manampy an'i Bharat hitazona ny lanjan'ny fanjakana.
  • 💔 Kaushalya dia manan-kery sy feno fitiavana.
  • 🗣️ Ny fivoriana ao amin'ny panchayat dia mitaky fanapahan-kevitra sarotra.
  • ⚖️ Ny 'karm vivas' dia manondro ny maha-zava-dehibe ny asa.
  • 💡 Ny tantara dia manasongadina ny vokatra amin'ny fiainana.
  • 🌈 Ny fitiavana dia mitarika amin'ny fanapahan-kevitra tsara.
  • 🕊️ Ny adidy sy ny fitiavana dia mitaky fifandanjana.
  • 📜 Ny tantara dia manan-danja amin'ny fianakaviana sy ny fiaraha-monina.

الجدول الزمني

  • 00:00:00 - 00:05:00

    Kausalya dia milaza fa tsy misy olona afaka manome tsiny, fa ny zava-mitranga dia vokatry ny asa sy ny vintana. Ny fahoriana sy ny fahasambarana dia miankina amin'ny asa sy ny vintana, ary ny fitiavana sy ny faniriana dia mitarika ny olona amin'ny fanapahan-kevitra. Kausalya dia manahy momba an'i Ram, saingy mino izy fa ny fandehanan'i Ram any an'ala dia ho tsara ho an'ny rehetra, na dia manahy aza izy.

  • 00:05:00 - 00:10:00

    Ny fitiavan'i Bharat an'i Ram dia mivaingana, ary maniry izy fa hifandray amin'i Ram. Sunaina dia manampy amin'ny fanapahan-kevitra, ary ny fitiavana sy ny faniriana dia mitarika ny fanapahan-kevitra. Janaka dia manam-pahaizana amin'ny raharaha ara-dalàna sy ny politika, ary manam-pahaizana amin'ny fitiavana sy ny faniriana, saingy manam-pahaizana ihany koa amin'ny fanapahan-kevitra.

  • 00:10:00 - 00:19:20

    Bharat dia maniry ny hifandray amin'i Ram, ary ny fitiavana sy ny faniriana dia mitarika ny fanapahan-kevitra. Ny fifandraisana sy ny fitiavana dia manan-danja amin'ny fanapahan-kevitra, ary ny fitiavana dia mitarika ny fanapahan-kevitra. Bharat dia manam-pahaizana amin'ny fitiavana sy ny faniriana, ary ny fitiavana dia mitarika ny fanapahan-kevitra.

الخريطة الذهنية

فيديو أسئلة وأجوبة

  • Inona no antony mahatonga an'i Bharat ho sahirana?

    Bharat dia sahirana satria tsy afaka miaina tsy misy an'i Ram, ary maniry ny hanampy azy hamerina any Ayodhya.

  • Inona no dikan'ny padhuka?

    Ny padhuka dia manam-pahaizana sy fanohanana ho an'i Bharat, manampy azy hitazona ny lanjan'ny fanjakana.

  • Ahoana no fihetseham-pon'i Kaushalya momba ny fanapahan-kevitry ny zanany?

    Kaushalya dia manan-kery sy feno fitiavana, maniry ny ho an'ny zanany, Ram, nefa mahatsapa ny adidy sy ny fitiavana.

  • Inona no tanjon'ny fivoriana ao amin'ny panchayat?

    Ny tanjon'ny fivoriana dia ny handray fanapahan-kevitra momba ny ho avin'i Ram sy Bharat.

  • Inona no dikan'ny 'karm vivas'?

    Ny 'karm vivas' dia manondro ny maha-zava-dehibe ny asa sy ny vokany amin'ny fiainana.

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الترجمات
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التمرير التلقائي:
  • 00:00:00
    कौशल्या कहे दोष न का हो किसी का दोष
  • 00:00:06
    नहीं यह तो कर्म विवस दुख सुख क्षति लाहु
  • 00:00:11
    दुख सुख हानि लाभ भाग्य के आधीन है कर्म
  • 00:00:15
    विवस
  • 00:00:17
    है और देवी मोह बस सोच बादी विधि प्रपंच
  • 00:00:22
    अस अचल
  • 00:00:23
    अनादि विधाता का प्रपंच किसी को समझ में
  • 00:00:26
    नहीं आता
  • 00:00:32
    लेकिन एक बात का मुझे दुख है श्री राम जी
  • 00:00:36
    के बन जाने का नहीं राम जाहि वन राज तज भल
  • 00:00:40
    परिणाम न पोच राम जी वन को चले जाए लौटकर
  • 00:00:44
    आ जाएंगे परिणाम अच्छा होगा बुरा नहीं
  • 00:00:48
    होगा तो फिर आपके आंखों में आंसू क्यों
  • 00:00:52
    कौशल्या जी ने कहा राम जी की सौगंध मैंने
  • 00:00:55
    आज तक नहीं की लेकिन चित्रकूट जैसे तीर्थ
  • 00:00:59
    में मैं राम जी की सौगंध करके कह रही हूं
  • 00:01:01
    गवर हीय कह
  • 00:01:16
    कौशलाया गत नाही भरत जी के हृदय में छिपा
  • 00:01:20
    हुआ प्रेम
  • 00:01:23
    है भरत राम के बिना नहीं रह
  • 00:01:27
    सकते इसलिए सुनैना जी
  • 00:01:30
    आप महाराज जनक से प्रार्थना करें पंचायत
  • 00:01:34
    में ऐसा फैसला हो कि भरत जी राम जी के संग
  • 00:01:37
    चले
  • 00:01:41
    जाए श्री सीता जी को लेकर विदा हुई सुनैना
  • 00:01:45
    जी जनक जी के पास आई जनक जी ने बेटी को
  • 00:01:48
    वनवास निवेश में
  • 00:01:52
    देखा भयो प्रेम परितोष विष
  • 00:01:56
    कीी मन में स्वाभिमान का उदय हुआ कि मेरी
  • 00:01:59
    बेटी के ऐसे त्याग का जीवन लेकिन मन में
  • 00:02:03
    एक बात
  • 00:02:05
    आई किसी व्यक्ति ने अपनी बेटी का विवाह
  • 00:02:08
    किया बड़े ठाट वाट
  • 00:02:11
    से बेटी की विदा हुई ससुराल
  • 00:02:15
    गई देवयोग दूसरे दिन उसकी मृत्यु हो
  • 00:02:19
    गई सभी लोग जुड़े शोका कुल था परिवार उस
  • 00:02:23
    बेटी का पिता भी आया
  • 00:02:25
    था सबने अपनी अपनी श्रद्धांजलि दी पिता ने
  • 00:02:29
    कहा
  • 00:02:30
    कि बेटी की समाधि बनाओ तो उस पर यह दो
  • 00:02:33
    पंक्तियां मेरी ओर से लिखा देना
  • 00:02:37
    क्या दिया जो कुछ भी दे सकते थे हम इस
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    उम्मीदे ना मुरादी में कफन देना ही भूले
  • 00:02:45
    थे फकत सामान्य शादी में हम यही देना भूल
  • 00:02:49
    गए थे जनक जी भी सोचते हैं कि हम ये
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    वनवास का जो वेश धारण किया ये वस्त्र देना
  • 00:02:59
    भूल गए
  • 00:03:02
    श्री जानकी जी की ओर देखकर कहा पुत्र
  • 00:03:05
    पवित्र किए कुल दो दोनों कुलों को पवित्र
  • 00:03:07
    किया बेटी श्री जानकी
  • 00:03:12
    जी माता से विनय करके लौटकर अपने शिविर
  • 00:03:17
    में आ
  • 00:03:19
    गई जनक जी से मां सुनैना ने कहा जो
  • 00:03:24
    कौशल्या जी ने कहा था जनक जी उठकर बैठ गए
  • 00:03:28
    देवी
  • 00:03:29
    धर्म राजनीति ब्रह्म
  • 00:03:34
    विचार अत्यंत जटिल विषय है धर्म के बारे
  • 00:03:38
    में निर्णय करना कठिन किम कर्म किम अकर्म
  • 00:03:41
    कवियो अत्र मोहिता बड़े बड़े बुद्धिमान
  • 00:03:44
    मोहित होते हैं और
  • 00:03:48
    राजनीति कुछ भी निर्णय पूर्वक कहना कठिन
  • 00:03:51
    होता
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    है ब्रह्म विचार
  • 00:03:55
    वेदांत वेदांत अकथ का कथ्य है जो नहीं कहा
  • 00:04:01
    जा सकता उसको ही कहा जा रहा है कितना कठिन
  • 00:04:05
    पर श्री जनक जी कहते तीनों विषयों में
  • 00:04:08
    मेरा अधिकार
  • 00:04:09
    है पर मेरी ऐसी सूक्ष्म बुद्धि भी सो मति
  • 00:04:13
    मोर भरत महिमा ही कहे काह छु सकत न छाही
  • 00:04:19
    ऐसी मेरी बुद्धि भरत जी की महिमा क्या
  • 00:04:22
    कहेगी उनकी परीक्षाएं भी नहीं छू
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    सकती भरत जी के गुण तो एक ही है जो जानते
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    हैं वे हैं श्री राम भरत महा महिमा सुन
  • 00:04:35
    रानी जान राम न सक ही
  • 00:04:41
    बखानी पर भरत कथा भव बंध
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    विमोचन पूरी रात यही चर्चा करते
  • 00:04:48
    रहे इधर श्री भरत सब सो रहे हैं पर दो भाई
  • 00:04:55
    जाग रहे हैं एक नेम के कारण एक प्रेम के
  • 00:05:00
    कारण एक राम जी के चिंतन में एक राम जी की
  • 00:05:05
    चिंता में एक सजग लोचन है एक सजल लोचन
  • 00:05:10
    है नेम के कारण जाग रहे हैं श्री लक्ष्मण
  • 00:05:14
    और प्रेम के कारण जाग रहे हैं श्री भरत
  • 00:05:18
    लक्ष्मण जी राम जी के चिंतन में जाग रहे
  • 00:05:20
    हैं भरत जी राम जी की चिंता में जाग रहे
  • 00:05:24
    हैं नींद नहीं आती श्री भरत यही सोचते हैं
  • 00:05:30
    केही विधि होय राम अभिषेक मोही अव कलत
  • 00:05:34
    उपावन एक मुझे कोई उपाय समझ में नहीं
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    आता अहो अहो इस शिलाखंड पर बैठा कौन तपोधन
  • 00:05:43
    एकटक रहा निहार गगन को करता अश्रु
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    विसर्जन मन में एक बात
  • 00:05:51
    आई माता कौशल्या के कहने से राम जी लौट
  • 00:05:57
    जाएंगे मैं मां कौशल्या से ही कहूंगा मन
  • 00:06:01
    में हर्ष की लहर उठी
  • 00:06:04
    लेकिन फिर विषद आ
  • 00:06:07
    गया कौशल्या माता के कहने से लौट तो
  • 00:06:10
    चलेंगे श्री राम लेकिन कौशल्या माता
  • 00:06:13
    कहेंगी तब
  • 00:06:16
    ना मात कहे बहु रही रघु राऊ लेकिन राम
  • 00:06:21
    जननी हठ करवी की काऊ व्यंग कितना मधुर है
  • 00:06:26
    वे राम जी की जननी है वे हठ करना क्या
  • 00:06:29
    जाने हट करना तो भरत की मां को आता है राम
  • 00:06:33
    की मां हट करना क्या
  • 00:06:36
    जाने श्री राम जी की मैया हट नहीं
  • 00:06:40
    करेंगी तो गुरु जी के कहने से तो राम जी
  • 00:06:43
    अवश्य लौट जाएंगे ठीक है मैं गुरुदेव से
  • 00:06:45
    प्रार्थना करूंगा फिर हर्ष लेकिन लगा के
  • 00:06:49
    बात बनेगी नहीं मुनि पुनि कहो राम रुच
  • 00:06:53
    जानी राम जी का जैसा रुख देखेंगे गुरु जी
  • 00:06:56
    वैसे ही बोलेंगे
  • 00:06:59
    तो एक ही है ना गलत चाहता हूं ना सही
  • 00:07:02
    चाहता हूं जो तुम चाहते हो मैं वही चाहता
  • 00:07:05
    हूं प्रभु तेरी हां में मेरी भी हां है और
  • 00:07:09
    तुम्हारी नहीं मैं नहीं चाहता
  • 00:07:12
    हूं अच्छा भरत ही क्यों नहीं
  • 00:07:17
    कहते मैं
  • 00:07:20
    कहूंगा क्या कह
  • 00:07:22
    [संगीत]
  • 00:07:23
    पाऊंगा मैंने आज तक राम जी की ओर मुख
  • 00:07:27
    उठाकर देखा नहीं है
  • 00:07:30
    दर्शन तपत ना आज लगी प्रेम प्यासे नैन
  • 00:07:33
    मेरे
  • 00:07:34
    नेत्र भगवत दर्शन से कभी तृप्त नहीं
  • 00:07:39
    हुए और अगर मैं हट करूं तो मैं तो सेवक
  • 00:07:43
    हूं सेवक का धर्म चला जाएगा जो हट करू तो
  • 00:07:47
    निपट कुकर्म हर गिरते गुरु सेवक
  • 00:07:52
    धर्म करके नजरे इनायत वो आए मगर क्या कहे
  • 00:07:56
    यार हमको उसी वक्त पर अपने ों गुनाहों की
  • 00:08:00
    याद आ गई इसलिए उनसे नजरें मिला ना सके
  • 00:08:04
    मैं कैसे
  • 00:08:05
    कहूंगा पूरी रात बीत गई एक जुगती न मन
  • 00:08:09
    ठहराने सोचत भरत ही रन बिहानी सवेरे
  • 00:08:13
    गुरुदेव के पास आए प्रणाम
  • 00:08:17
    किया गुरुदेव ने कहा कि
  • 00:08:20
    भरत मुझे तुमसे एक बात कहनी थी
  • 00:08:27
    क्या श्री सीताराम
  • 00:08:29
    लौट जाएंगे पर एक शर्त है तुम दोनों भाई
  • 00:08:32
    बन को चले
  • 00:08:35
    जाओ गुरु जी ने य शर्त बहुत सोच समझ के
  • 00:08:38
    रखी
  • 00:08:40
    ी भरत जी राम जी के बिना रह नहीं सकेंगे
  • 00:08:43
    शर्त ऐसी रखो जिसमें राम जी के बिना रहना
  • 00:08:47
    हो तो भरत जी कहेंगे गुरु जी यह कैसे हो
  • 00:08:50
    सकता है तो मैं कहूंगा फिर राम जी कैसे
  • 00:08:52
    लौट सकते हैं लेकिन जब गुरु जी ने कहा कि
  • 00:08:56
    तुम दोनों भाई वन में चले जाओ
  • 00:08:59
    सुनत वचन पुल के दो भ्राता दोनों भाई
  • 00:09:02
    पुलकित हो गए भ प्रमोद परिपूर्ण
  • 00:09:06
    गाता भरत जी ने गुरुदेव के चरणों में
  • 00:09:09
    प्रणाम करते हुए कहा गुरुदेव क्या इतनी
  • 00:09:13
    छोटी सी शर्त पर श्री राम अयोध्या लौट
  • 00:09:15
    जाएंगे मेरे सीताराम अयोध्या लौट
  • 00:09:20
    जाएंगे गुरु जी ने कहा भरत य छोटी शर्त
  • 00:09:23
    नहीं है राम जी के बिना 14 वर्ष रहना है
  • 00:09:31
    भरत जी ने कहा कि गुरुदेव मेरे सीताराम
  • 00:09:34
    सिंहासन आसीन हो
  • 00:09:36
    जाए तो 14 वर्ष की कौन कहे मैं आपके चरणों
  • 00:09:41
    की सौगंध करके कहता हूं कानन करो जन्म भरी
  • 00:09:46
    वास मैं जीवन भर वन में रह
  • 00:09:49
    सकता अरे फिर तुम्हें राम जी नहीं मिलेंगे
  • 00:09:53
    ना मिले पर यही क्या कम है कि मेरे कान
  • 00:09:57
    सुनते रहेंगे मेरे जी राजा है प्रसन्न है
  • 00:10:01
    आनंद में
  • 00:10:04
    है वशिष्ठ जी फिर बोल नहीं सके तत सुख
  • 00:10:15
    [संगीत]
  • 00:10:29
    बने रहो नीक रहो मेरे प्यारे बने रहो
  • 00:10:38
    नियरे रहो चाहे न्यारे बने रहो नियर रहो
  • 00:10:46
    चाहे न्यारे बने
  • 00:10:49
    रहो नीके रहो मेरे प्यारे बने रहो नीके
  • 00:10:57
    रहो
  • 00:11:00
    प्यारे बने रहो श्रवन
  • 00:11:05
    से सुन सुन सुख
  • 00:11:10
    पाऊ शवन से सुन सुन सुख
  • 00:11:16
    पाऊ इतने ही
  • 00:11:19
    प्राण आधार बने रहो इतने
  • 00:11:25
    प्राण आधार बने रहो
  • 00:11:30
    नीक रहो मेरे प्यारे बने रहो नीक रहो मेरे
  • 00:11:39
    प्यारे बने रहो नीके रहो मेरे प्यारे बने
  • 00:11:48
    र भरत महा महिमा जल रासी मुनि मत ठण तीर
  • 00:11:54
    अवला पंचायत में आए श्री राम जी ने देखा
  • 00:11:59
    जनक जी विराजमान है वशिष्ठ जी विराजमान
  • 00:12:03
    है भरत जी हैं सब सभा
  • 00:12:06
    है राम जी ने कहा कि
  • 00:12:11
    गुरुदेव निर्णय कर दे गुरु जी ने कहा कि
  • 00:12:15
    मैं निर्णय नहीं कर सकता भरत भगति बस भई
  • 00:12:18
    मति मोरी मेरी बुद्धि तो भरत जी की भक्ति
  • 00:12:21
    के बस में हो गई भरत सनेह विचार न
  • 00:12:26
    राखा तो आप कुछ तो कहे गुरुदेव ने कहा
  • 00:12:29
    मोरे जान भरत रुचि राखी जो कीजिए सो सुभ
  • 00:12:32
    सिव
  • 00:12:36
    साखी राम तुम ही कुछ फैसला करो राम जी ने
  • 00:12:40
    कहा गुरुदेव विद्यमान आपनी मिथ लेस मोर कव
  • 00:12:44
    सब भाति भदे सु आप बैठे हैं महाराज जनक
  • 00:12:47
    बैठे मेरा बोलना भद्दा
  • 00:12:50
    लगेगा दो पंच चुन
  • 00:12:53
    लिए गूढ़ स्नेह भरत मन माही और जनक जी
  • 00:12:58
    जाहि राम गु सनेह भरत जी के पंच जनक जी और
  • 00:13:04
    राम जी की ओर से पंच श्री वशिष्ठ जी पर
  • 00:13:07
    दोनों पंच कुछ निर्णय करने की स्थिति में
  • 00:13:10
    नहीं तो तीसरा सरपंच चुन
  • 00:13:12
    लिया तीसरा सरपंच कौन सकल विलोक भरत मुख
  • 00:13:17
    बनई न उतर दे श्री भरत जी
  • 00:13:21
    ने देखा उठकर खड़े हो गए राम जी को बोलने
  • 00:13:27
    में जहां भद्दा लग रहा वहां श्री भरत जी
  • 00:13:29
    बोल रहे हैं भरत जी ने कहा कि प्रभु बाहर
  • 00:13:32
    भी आप हैं और मेरे भीतर हृदय में भी आप
  • 00:13:34
    हैं अगर आपको बाहर से बोलने में कुछ भद्दा
  • 00:13:37
    लग रहा है तो भीतर से बोल दीजिए वाणी मेरी
  • 00:13:40
    होगी बात आपकी होगी और भरत भारती मंजु
  • 00:13:45
    मराली श्री भरत जी सरस्वती जी का स्मरण
  • 00:13:49
    करते हैं मानो भरत जी नहीं सरस्वती जी बोल
  • 00:13:52
    रही हैं और सरस्वती जी के माध्यम से राम
  • 00:13:55
    जी बोल रहे हैं यही है वाणी भक्त की होती
  • 00:13:58
    है
  • 00:13:59
    बात भगवान की होती है श्री भरत जी ने
  • 00:14:04
    कहा मैं तो बस सेवा चाहता
  • 00:14:07
    ह भगवान ने कहा मुझे अवध ले चलकर मेरी
  • 00:14:12
    सेवा करो या मेरे साथ चलकर मेरी सेवा करो
  • 00:14:16
    श्री भरत जी बोले दोनों बात नहीं कह रहा
  • 00:14:18
    हूं फिर आज्ञा समन सु साहिब सेवा आदेश मिल
  • 00:14:24
    जाए आज्ञा मिल जाए राम जी पुलकित हो गए
  • 00:14:29
    राम जी ने कहा कि भरत पित आए सुपाल दो भाई
  • 00:14:33
    दोनों भाई पिता की आज्ञा का पालन करें मैं
  • 00:14:37
    जानता हूं कि तुम्हें इसमें बड़ी कठिनाई
  • 00:14:39
    निर्णय हो
  • 00:14:41
    गया भरत जी ने पांच दिन में चित्रकूट का
  • 00:14:44
    दर्शन किया आज सुंदर दिन जानकर जाने की
  • 00:14:48
    बात मन में है पर राम जी कुछ कहने में
  • 00:14:51
    संकोच कर रहे हैं तो राम जी ने सोचा कि हम
  • 00:14:59
    कैसे कहे कि आप लोग
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    जाओ कोई दूसरा कह दे तो श्री राम जी ने
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    देखा
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    गुरु
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    [प्रशंसा]
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    नप गुरु नृप
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    भरत सभा अवलो
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    की
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    सकुची राम पुनि अवनी
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    [संगीत]
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    गुरुदेव की ओर देखा आप कह दे गुरुदेव मन
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    ही मन सोच रहे हैं कि मेरा काम तो जीव को
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    भगवान से मिलाना है मिले मिलाए को अलग
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    करना तो नहीं श्री जनक जी की ओर देखा पर
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    श्री जनक जी कहते हैं कि मैंने तो कोई
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    फैसला किया नहीं मैं कैसे कह दूं कि
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    जाओ कोई और व्यक्ति कह
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    दे और उसके बाद राम जी ने सकुची राम पु
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    लोक धरती की ओर
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    देखा भरत जी समझ गए उठकर खड़े हुए आय सु
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    देय देव अब सब सुधारी मोर आप आज्ञा दे
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    दे आधार मिल जाए भगवान ने पादुका दी श्री
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    भरत जी ने पादुका अपने सिर पर रख
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    ली भगवान ने कहा कि भरत तुमने मुझसे आधार
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    मांगा था हमने तो तुम्हारे सिर पर भार डाल
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    दिया भरत जी ने कहा कि प्रभु भार नहीं
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    आधार
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    है आधार कहीं सिर पर रखा जाता है हां
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    प्रभु कब का सिर पर ज्यादा भार आ जाए तो
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    आधार सिर पर ही रखना होता है लोगों ने
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    मेरे सिर पर अयोध्या का भार डाल दिया आपने
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    पादुका दे दी अब राज्य का भार उठाने का
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    आधार मिल गया अब वो राज्य का भार जो मेरे
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    सिर पर था आज से पादुका पर
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    रहेगा सिर पर लोग कुछ सामान रखना हो तो
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    पगड़ी का आधार रख लेते हैं इसी तरह राज्य
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    का भार सिर पर था आपने पादुका दी अब
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    पादुका के आधार पर राज्य का भार
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    रहेगा भरत वह तो ठीक है पर पादुका किसकी
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    है क प्रभु आपकी राम जी ने कहा कि तुम तो
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    अयोध्या ले जा रहे हो फिर कैसे फैसला होगा
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    कि पादुका
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    मेरी भरत जी ने कहा फैसला हो जाएगा पादुका
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    अगर चित्रकूट में रहती तो आपके पद में
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    रहती और पादुका अगर अयोध्या में रहेगी तो
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    आपके पद पर रहेगी ये पादुका कभी पद से अलग
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    हो ही नहीं सकती चाहे पद में रहे चाहे पद
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    पर रहे पद में रहे तो पद का भार पादुका पर
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    और पद पर रहे तो पद का भार पादुका पर भरत
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    सो तो ठीक है लेकिन तुमने तो पनही मांगी
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    थी मोरे शरण रामहि की पनही और तुम्हें
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    पादुका मिल गई श्री भरत जी ने कहा यह भी
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    अच्छा रहा पनही माने जूता यह भी पांव में
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    रहता है और पादुका खड़ाऊ यह भी पांव में
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    रहती है लेकिन एक अंतर है जूता पांव को
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    संभालता है और खड़ाऊ को पांव संभालता है
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    अगर मुझे पनही मिली होती तो आपके चरणों को
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    मुझे संभालना होता पर पादुका मिल गई है अब
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    आपके जब पादुका मिली है तो आपके चरण ही
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    मुझे संभालेंगे और मैं तो यही चाहता हूं
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    कि आपके चरण मुझे समान है खड़ाऊ में एक
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    खूंटी खूंटी को अंगुर अंगुली मिलकर पकड़
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    लेते हैं मैं लकड़ी की खड़ाऊं की तरह पड़ा
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    रहूं चरणों में और मेरे विश्वास की खूंटी
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    को अंगुरी तरह से एक ओर से प्रभु आप और
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    अंगुली की तरह से एक ओर से जानकी माता
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    दोनों मिलकर संभाले रहे यही मैं चाहता
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    हूं भगवान ने कहा कि भरत सो तो ठीक है
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    लेकिन तुम्हें आधार क्या मिला
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    भरत जी ने कहा कि प्रभु मुझे भी आधार मिल
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    गया अब आपको खोजने के लिए मुझे बन बन नहीं
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    भटकना पड़ेगा क्यों पादुका मैं लेकर जा
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    रहा हूं और
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    प्रभु पादुका चरणों के पास चलकर नहीं आती
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    चरण ही वहां चलकर आते हैं जहां पादुका
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    होती है
الوسوم
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