एक महात्मा जी ने साँप को चेला बनाया साँप के पसीने छूट गए - rajeshwaranand maharaj anmol hasya katha

00:08:23
https://www.youtube.com/watch?v=45uz-HmHMXM

Resumen

TLDRयह कहानी एक महात्मा की है जिन्होंने एक सांप को समझाया कि उसे किसी को परेशान नहीं करना चाहिए। सांप ने महात्मा की बात मानी लेकिन बच्चों द्वारा परेशान किये जाने से उसकी हालत खराब हो गई। महात्मा जब वापस आये, तो उन्होंने देखा कि सांप का स्वास्थ्य बहुत खराब है। उन्होंने सांप को समझाया कि शांत रहकर भी अपनी रक्षा करनी चाहिए। इस कहानी का मुख्य संदेश है कि शांत रहना और ज्ञान का सही तरीके से उपयोग करना आवश्यक है।

Para llevar

  • 🧘‍♂️ महात्मा ने सांप को शांत रहने का उपदेश दिया।
  • 🐍 सांप ने महात्मा की बात समझी लेकिन बच्चों से परेशान हुआ।
  • 👧👦 बच्चों ने सांप को मारने और पीटने का प्रयास किया।
  • ⚠️ महात्मा ने बताया कि केवल शांत रहना ही सही नहीं है।
  • 🤲 सांप की स्थिति देख महात्मा ने दुर्दशा का कारण पूछा।
  • 📚 ज्ञान का सही उपयोग और संयम आवश्यक है।
  • 🛡️ अपनी रक्षा करना भी जरूरी है।
  • 💪 महात्मा की सिखाई बातों का सही अर्थ समझना चाहिए।
  • 🌳 कहानी में वट वृक्ष की छाया का स्थान और महात्मा का विश्राम।
  • 🙏 उपदेश सुनकर सांप का बदलाव।

Cronología

  • 00:00:00 - 00:08:23

    महात्मा एक वट वृक्ष के नीचे विश्राम करने जाते हैं, लेकिन लोग उन्हें चेतावनी देते हैं कि वहां एक भयंकर सांप है। महात्मा अपनी मस्ती में सांप को समझाने का निर्णय लेते हैं। सांप महात्मा की बात समझ जाता है और उन्हें अपना गुरु मान लेता है। महात्मा सांप को उपदेश देते हैं कि किसी को न काटना और न सताना। सांप अब शांत रहता है, लेकिन बच्चे उसे परेशान करने लगते हैं। सांप की स्थिति खराब हो जाती है और वह मरणासन्न हो जाता है। महात्मा लौटकर सांप की दुर्दशा देखते हैं और उसे समझाते हैं कि उन्होंने शांत रहने का अर्थ नहीं समझा। महात्मा बताते हैं कि अपनी रक्षा करना भी जरूरी है।

Mapa mental

Vídeo de preguntas y respuestas

  • महात्मा ने सांप को क्या समझाया?

    महात्मा ने सांप को समझाया कि उसे किसी को नहीं काटना चाहिए और शांत रहना चाहिए।

  • सांप की स्थिति क्यों खराब हुई?

    सांप की स्थिति खराब हुई क्योंकि बच्चों ने उसे परेशान किया और उसकी हालत मरणासन्न हो गई।

  • महात्मा ने सांप से क्या कहा जब वह वापस लौटे?

    महात्मा ने सांप से कहा कि तुम्हारी दुर्दशा कुसंग से नहीं, बल्कि सत्संग से हुई है।

  • सांप ने महात्मा के कहने पर क्या किया?

    सांप ने महात्मा की बात समझकर किसी को नहीं काटा।

  • कहानी की शिक्षा क्या है?

    कहानी की शिक्षा है कि हमें अपने ज्ञान को सही तरीके से अपनाना चाहिए और संयम रखना चाहिए।

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Subtítulos
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Desplazamiento automático:
  • 00:00:00
    एक महात्मा जा रहे थे वट वृक्ष दिखाई पड़ा
  • 00:00:03
    गांव के बाहर उसकी छाया में विश्राम करने
  • 00:00:05
    का मन हुआ उधर जाने लगे लोगों ने कहा बाबा
  • 00:00:09
    उधर मत जाना क्यों बड़ा भयंकर सर्प रहता
  • 00:00:12
    है सांप रहता है महात्मा भी अपनी मस्ती
  • 00:00:16
    कते चलो उसको भी समझाएंगे
  • 00:00:18
    साधुओं का स्वभाव होता सांपों को भी
  • 00:00:21
    समझाने लगते चलो और दौड़ा उधर से
  • 00:00:25
    सा महात्मा बोले रहने दे रहने दे
  • 00:00:28
    य इस योनि में पड़ा
  • 00:00:31
    है अब तो सुधर जा सांप समझ गया संत की बात
  • 00:00:38
    उस जमाने की बात है कहानी कह दी सांप भी
  • 00:00:41
    समझ गया तब सांप भी समझ जाते थे तो आदमी
  • 00:00:44
    नहीं
  • 00:00:45
    समझते सांप शिष्य हो
  • 00:00:48
    गया महात्मा बोले देख अब तू संत हो का
  • 00:00:52
    शिष्य हो
  • 00:00:53
    गया किसी को मत
  • 00:00:56
    काटना ठीक है महाराज किसी को मत सता ठीक
  • 00:01:00
    है महाराज नहीं
  • 00:01:03
    सता महात्मा ने सबसे कहा कि अब साधु का
  • 00:01:07
    उपदेश स सुनकर सांप समझ गया अब कोई डर
  • 00:01:11
    नहीं महात्मा तो चले गए अब बालक
  • 00:01:15
    गए दूर खड़े हो गए सांप कुछ नहीं बोला उस
  • 00:01:18
    पर पत्थर मारा तो कुछ नहीं बोला एक ने पूछ
  • 00:01:22
    पर लात रखी तो सांप कुछ नहीं बोला दूसरे
  • 00:01:25
    ने उसका मुंह पकड़ लिया तो वो कुछ नहीं
  • 00:01:27
    बोला अब बालकों ने उसे पूछ पकड़ के ऐसे
  • 00:01:31
    रस्सी की तरह घुमाना शुरू किया और वो तो
  • 00:01:33
    गुरु जी का पक्का भक्त था कैसे बोले बट
  • 00:01:38
    वृक्ष की डाली में रस्सी की तरह डाले बालक
  • 00:01:40
    झूला
  • 00:01:43
    झूले घर चले जाए फिर लौटकर झूला
  • 00:01:46
    झूले पांच दिन में ही सांप की दशा
  • 00:01:50
    ऐसी बिल्कुल मरणासन्न हो गया जगह जगह से
  • 00:01:55
    रक्त बहता था बुरी
  • 00:01:57
    दशा गुरुजी लौटे के अपने शि से मिलते
  • 00:02:03
    चले खूब आवाज लगावे पता ही नहीं लगे कहां
  • 00:02:06
    है श देखा इधर उधर देखा बिल्कुल गुरु जी
  • 00:02:11
    बोले बेटा तुम्हारी यह दुर्दशा किस कुसंग
  • 00:02:15
    से हुई है साब बोला गुरु जी क्षमा करें
  • 00:02:19
    कुसंग से नहीं सत्संग से हुई
  • 00:02:24
    है आपने चेला बनाया कैसे
  • 00:02:29
    आपने उपदेश दिया कि शांत रहो गुरु जी बोले
  • 00:02:33
    कि तुमने मर्म नहीं समझा शांत रहने के लिए
  • 00:02:37
    मैंने कहा था लेकिन एक बात तो याद रखते
  • 00:02:40
    क्या मैंने काटने के लिए मना किया था फुप
  • 00:02:43
    काने के लिए थोड़ी मना किया था काटोगे तो
  • 00:02:47
    दूसरे को हानि पहुंचेगी और फुफकार होगे
  • 00:02:50
    नहीं तो तुम ही नहीं
  • 00:02:51
    बचोगे तो दूसरे को हानि मत पहुंचाओ पर
  • 00:02:55
    अपनी रक्षा तो
  • 00:02:57
    करो लक्ष्मण जी का यही त
  • 00:03:01
    युद्ध ना हो पर य उपद्रव भी तो ना
  • 00:03:05
    हो युद्ध ना हो पर यह उपद्रव भी ना
  • 00:03:11
    हो राम जी ने कहा कि लक्ष्मण तुम परेशान
  • 00:03:14
    मत
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    हो इनका इलाज तो अभी होता है और
  • 00:03:24
    इसीलिए श्रीमद वाल्मीकि रामायण में
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    अध्यात्म रामायण में आनंद रामायण में यहां
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    तक श्री केशवदास जी की लिखी हुई
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    रामचंद्रिका में परशुराम जी के आने का
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    वर्णन तब है कब जब राम जी की बारात जनकपुर
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    से लौटकर अयोध्या आ रही थी तो रास्ते में
  • 00:03:44
    परशुराम जी मिले पर यह श्री तुलसीदास जी
  • 00:03:47
    की प्रस्तुति है वह कहते हैं कि जंगल में
  • 00:03:50
    मोर नाचा किसने देखा समाधान वहां होना
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    चाहिए जहां समस्या
  • 00:03:55
    है और इसीलिए राम जी मनी मन बोले लक्ष्मण
  • 00:03:59
    तुम चिंता मत करो हम तुम को इशारा नहीं कर
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    रहे शस्त्र उठाने के लिए
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    लेकिन इनका इलाज तो अभी हुआ जाता है इनकी
  • 00:04:08
    दवाई तो अभी बुलाते हैं इसीलिए लिखा है
  • 00:04:12
    तेही अवसर सुनी सेव धनु
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    भंगा ही अवसर सुने शिव
  • 00:04:21
    धनु ही
  • 00:04:24
    अवसर शवन
  • 00:04:33
    कमल
  • 00:04:34
    पतंगा
  • 00:04:42
    [संगीत]
  • 00:04:44
    आयल कमल पत
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    कमल
  • 00:04:53
    पतंग ही
  • 00:04:57
    अवसर ही अवसर अ
  • 00:05:02
    अव शिव धनु
  • 00:05:05
    भंग
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    [संगीत]
  • 00:05:13
    ज शिव धनु भंगा ते ही
  • 00:05:17
    अवसर उसी समय परशुराम जी
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    आए और यही श्री रामचरित मानस की कथा का
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    वैशिष्ट्य है कि जहां समस्या वही समाधान
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    अब परशुराम जी मुख्य द्वार में आकर खड़े
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    हो गए फरसा लेकर देख रगुपति वेश कराला आप
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    कल्पना करो चारों तरफ चार दीवारी मुख्य
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    द्वार एक उसी में परशुराम जी फरसा लेकर
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    खड़े हो गए जितने राजा लोग थे अब उस राजा
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    की दशा सुनो जो हाथ उठाकर क उठो सीता जी
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    को छुड़ा लो इनसे दोनों भाइयों को पकड़ कर
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    बांध
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    लो उसने जो सामने देखा
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    उसकी यह दशा कि हाथ ऊपर से नीचे नहीं आ
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    सकता मुह खुला रह गया आंख बंद ना हो बगल
  • 00:06:10
    में बैठे हुए राजा ने
  • 00:06:12
    कहा ढीले कैसे पड़ गए हमें बोलो ना बोलो
  • 00:06:16
    बो अब बोले क्या उधर ही देखे तो राजा ने
  • 00:06:20
    कहा हुआ क्या इसको तो वह भी उधर देखो जो
  • 00:06:24
    देखा परशुराम
  • 00:06:28
    जी कोई ग
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    लुकाई दुबले पतले राजा मोटे मोटे राजाओं
  • 00:06:34
    के पीछे छिप
  • 00:06:36
    गए मोटे मोटे राजा कहां जाए कोई गे
  • 00:06:41
    लुकाई कोई गे लुकाई कोई भागे चुपचाप
  • 00:06:47
    कोई कोई बैठे जैसे सूंघ गया
  • 00:06:52
    सांप अरे बाप रे बाप रघुपति बलोक सब भूप
  • 00:07:00
    उठे का अरे बाप दे बा रघुपति भी लोग सब
  • 00:07:07
    भूप गए का अरे बाप रे
  • 00:07:11
    बाघ रघुपति लो की सब भूप उठे काम अरे बाप
  • 00:07:17
    रे बाप रघुपति दिलो के सब भूप
  • 00:07:24
    [प्रशंसा]
  • 00:07:26
    गए एक ने कहा कि भगवान पर श्रम दूसरा बोला
  • 00:07:29
    क्रोध में है तीसरा बोला प्रणाम करने चलो
  • 00:07:33
    चौथा बोला प्रणाम करने जाए
  • 00:07:35
    कौन जो प्रणाम करने जाएगा सिर झुकाए वो
  • 00:07:39
    नीचे ही रहेगा के ऊपर
  • 00:07:44
    जाएगा किसी ने कहा कि नहीं प्रणाम करोगे
  • 00:07:47
    तो और जल्दी
  • 00:07:50
    मरोगे तो जो जहां था वहीं से पित समेत ले
  • 00:07:56
    ले निज नामु लगे करन सब दंड प्रणाम सब धन
  • 00:08:00
    प्रणाम
  • 00:08:02
    करने परशुराम जी जिसकी ओर गौर से देखते कि
  • 00:08:06
    इसको पहले भी कहीं देखा है वही समझता था
  • 00:08:10
    कि बस हमारी आयु के दिन पूरे हो
  • 00:08:15
    गए ही सुभाय चित हित जानी सो जान जन आयु
  • 00:08:21
    खुटानी
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