I read 100 HINDU Books. 🕉 Here’s WHAT I Learned!
Résumé
TLDRThe speaker shares insights gained from extensive study of Hindu scriptures, emphasizing three fundamental truths. Firstly, they explain that the universe is relative, meaning that the existence and meaning of things are dependent on each other. This relativity spans emotions, thoughts, and physical properties. Secondly, they discuss the interconnectedness of all existence, emphasizing that everything relies on one another, echoing the idea of 'All in each and each in all'. Lastly, the video highlights the apparent order in the universe contrasted with the disorder at a microscopic level, illustrating that the apparent order results from the complex interplay of numerous elements. These concepts are supported by references from various Hindu texts, proposing a deeper understanding of reality beyond surface appearances.
A retenir
- 📚 Extensive study of Hindu texts reveals profound truths.
- 🔍 The universe and its meanings are relative.
- 🤝 All existence is interdependent and interconnected.
- ⚖️ Apparent order arises from undercurrents of chaos.
- 💭 Each thought and emotion relies on others for meaning.
- 📖 Vedic scriptures emphasize the duality of reality.
- 🌌 The nature of existence challenges surface perceptions.
- 🔗 Knowledge of the self leads to a greater understanding of reality.
- 🌱 A path of higher consciousness transcends relativity.
- 🌏 Explore deeper truths for a meaningful life.
Chronologie
- 00:00:00 - 00:05:00
The speaker shares insights gained from extensive study of Hindu scriptures, emphasizing three fundamental truths about the universe and the concept of relativity in all aspects of existence. He encourages viewers to contemplate these themes for a deeper understanding of spirituality.
- 00:05:00 - 00:10:00
The discussion progresses to the idea of complete liberation from duality, referencing the works of Maharishi Patanjali and the notion of absolute knowledge (Ritambhara Pragya) that one achieves through yogic practice. This understanding transcends time and space, introducing the concept of higher dimensions of consciousness.
- 00:10:00 - 00:15:00
The speaker elaborates on how everything in the universe is interdependent, countering the notion that the universe consists solely of separate particles; rather, it is formed of interconnected actions and processes. This interconnectedness is illustrated through references from various scriptures, highlighting the unity of all creation.
- 00:15:00 - 00:21:36
The final learning revolves around the apparent order of the universe amid its inherent disorder. Drawing parallels with scientific principles, the speaker notes that the universe, despite reflecting order, is composed of chaotic interactions. This aligns with the notion of 'Maya' in Hinduism, which suggests that reality is often not as it appears, prompting a deeper quest for knowledge and understanding.
Carte mentale
Voir plus de résumés vidéo
Allbirds Tree Runner Go Review - Amazing Warm Weather Shoes
Allbirds Runner Protect and Runner Up Protect Shoe Review
Compound Interest
The two words that stand between you and your next big idea | Emma Mcilroy | TEDxPortland
Why Are Siddhas Keeping Goddess Bala Tripura Sundari Secretive | Dr. Pillai
Manipulation Expert: How to Control Any Conversation and Read Their Mind Instantly!
- 00:00:00साथियों मैं पिछले कई सालों से हिंदू
- 00:00:01ग्रंथों और पुस्तकों को पढ़ रहा हूं चाहे
- 00:00:03वो उपनिषद हो दर्शन हो धर्म शास्त्र हो
- 00:00:06पुराण हो या फिर संप्रदाय विशेष की
- 00:00:08पुस्तकें हो और जहां आप में से बहुत से
- 00:00:10लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या पढ़ा जाए
- 00:00:12कौन सी पुस्तक अच्छी है वहां यह भी प्रश्न
- 00:00:14उठता है कि इतना सब कुछ पढ़ने के बाद आखिर
- 00:00:17पता क्या चला क्या ही जान लिया और जो जाना
- 00:00:20क्या उसको केवल हिंदू होने के नाते मान
- 00:00:22लिया या उस पर विचार विमर्श के साथ आधुनिक
- 00:00:24चिंतन भी किया साथियों मैं ऐसा व्यक्ति
- 00:00:26बिल्कुल भी नहीं हूं कि लिखा है तो बस मान
- 00:00:29लिया मैंने ग्रंथों को पढ़ने के बाद उस पर
- 00:00:31मंथन किया और सैकड़ों पुस्तकों को पढ़ने
- 00:00:33के बाद मुझे बात पता चली तीन फंडामेंटल
- 00:00:36चीजें हैं जिसे वैदिक ऋषि मुनि हमें और
- 00:00:38आपको समझाना चाहते थे आप 10 ग्रंथ पढ़ो
- 00:00:41100 ग्रंथ पढ़ो या हजार ग्रंथ पढ़ो लेकिन
- 00:00:43ब्रह्मांड और ईश्वर से जुड़े यही तीन सत्य
- 00:00:46आपको किसी ना किसी रूप में हर एक ग्रंथ
- 00:00:49में मिल जाएंगे और इसीलिए मैंने निश्चय
- 00:00:51किया कि इनको आपके सामने रखा जाए जिससे एक
- 00:00:54वीडियो के माध्यम से वर्षों से अर्जित किए
- 00:00:56गए ज्ञान का लाभ आप उठा पाएं तो यह वीडियो
- 00:00:58आप अंत तक देखिएगा क्योंकि यह एक वीडियो
- 00:01:01सैकड़ों पुस्तकों के बराबर है साथियों आप
- 00:01:03सभी का हाइपर क्वेस्ट के एपिसोड नंबर 142
- 00:01:05में स्वागत है आप सभी चैनल को सब्सक्राइब
- 00:01:07कर लें बेल आइकन को दबाकर नोटिफिकेशंस भी
- 00:01:10ऑन कर लें जिससे हाइपर क्वेस्ट की सभी
- 00:01:12वीडियोस आपको तुरंत मिल जाया करें साथियों
- 00:01:14बिना किसी विलंब के आज की वीडियो को
- 00:01:16प्रारंभ करते हैं
- 00:01:28अब साथियों मनुष्य के सामने ब्रह्मांड को
- 00:01:30लेकर बहुत बड़े-बड़े प्रश्न हैं उनमें से
- 00:01:32एक बड़ा प्रश्न यह है कि आखिर यह
- 00:01:34ब्रह्मांड यह संसार चलता कैसे है और मैंने
- 00:01:37जितने भी हिंदू ग्रंथ पढ़े हैं और मैं हर
- 00:01:39चीज का रेफरेंस दूंगा उन मंत्रों का उन
- 00:01:41श्लोकों का जहां से मैंने सीखा है या मैं
- 00:01:44कोई भी बात क्लेम करता हूं तो हर एक हिंदू
- 00:01:46ग्रंथ में बताया गया है कि यह संसार
- 00:01:48रिलेटिव है यानी हर एक चीज की जो मीनिंग
- 00:01:50है वो दूसरी चीजों के कारण ही होती है
- 00:01:53किसी भी चीज की अपनी खुद की मीनिंग नहीं
- 00:01:55होती और यह नियम हर एक चीज पर लागू होता
- 00:01:57है चाहे वो मैटर हो मैटर की प्रॉपर्टीज हो
- 00:02:00या फिर आपके विचार क्यों ना हो हर एक चीज
- 00:02:02जो मीनिंग बनाते हैं वो केवल इसीलिए
- 00:02:04मीनिंग बना पाते हैं क्योंकि दूसरी चीजें
- 00:02:07उपलब्ध हैं एग्जांपल के लिए आपको कोई भी
- 00:02:09चीज गर्म ठंडी बड़ी-छोटी या लंबी मोटी
- 00:02:11लगती है लेकिन असल में अपने आप में वो ऐसी
- 00:02:14नहीं होती वो गरम ठंडी बड़ी-छोटी या
- 00:02:16लंबी-मोटी दूसरों के सापेक्ष लगती है आप
- 00:02:19छोटी चीज देखें इसलिए कोई चीज बड़ी लगती
- 00:02:21है आप पतली चीज देखें इसीलिए कोई चीज मोटी
- 00:02:24दिखती है अपने आप में कुछ पतला मोटा
- 00:02:26बड़ा-छोटा या गरम ठंडा नहीं होता और चीजें
- 00:02:29ही नहीं बल्कि आपके इमोशंस भी आप सुखी
- 00:02:32इसलिए होते हैं क्योंकि आपने दुख देखा है
- 00:02:34दुख है इसीलिए सुख है सुख है इसीलिए दुख
- 00:02:36है आप किसी एनवायरमेंट में डरते हैं
- 00:02:38क्योंकि आप किसी एनवायरमेंट में सुरक्षित
- 00:02:40महसूस किए हुए हैं तो ये एक दूसरे के
- 00:02:42रिलेशन में चीजें चलती हैं और केवल चीजें
- 00:02:44और इमोशन ही नहीं बल्कि आपके विचार भी आप
- 00:02:46कुछ सोचते भी हैं तो वो फ्री नहीं होता उस
- 00:02:49सोचने से उस एक विचार मात्र से हजारों नए
- 00:02:52विचार जन्म ले लेते हैं जैसे अगर आपने
- 00:02:54सोचा कि वाह यह सेब कितना मीठा है तो उसी
- 00:02:57विचार के साथ यह भी विचार जन्म ले लेता है
- 00:03:00कि इसके पहले आपने फीके सेब भी खाए हैं तो
- 00:03:03चाहे मैटर हो मैटर की प्रॉपर्टीज हो
- 00:03:05इमोशंस हो आपके विचार हो इमेजिनेशन हो यह
- 00:03:08सब एक दूसरे पर डिपेंडेंट हैं इनकी अपने
- 00:03:10आप में कोई सत्ता नहीं होती इसलिए हिंदू
- 00:03:13ग्रंथों में संसार को रिलेटिव कहा गया है
- 00:03:15और ये जो सुखदख होते हैं ठंडा गर्म है
- 00:03:18लंबा चौड़ा है ये जो द्वंदात्मक प्रकृति
- 00:03:20है ये उसी रियलिटी के दो पहलू हैं ये एक
- 00:03:23दूसरे से अलग नहीं है गर्म ठंडा एक दूसरे
- 00:03:25से अलग नहीं होते यह एक ही रियलिटी के दो
- 00:03:28पहलू मात्र हैं और इसमें एक कदम और आगे
- 00:03:30जाया जाता है आप यह भी नहीं कह सकते कि
- 00:03:32रियलिटी हमेशा एग्जिस्ट करती है क्योंकि
- 00:03:34एग्जिस्ट करना ये जो थॉट है ये जो थ्योरी
- 00:03:37है इसके साथ-साथ यह विचार भी जन्म लेता है
- 00:03:39कि चीजें एग्ज़िस्ट नहीं भी करती हैं तो
- 00:03:41रियलिटी एग्ज़िस्ट भी करती है और
- 00:03:43एग्ज़िस्ट नहीं भी करती है ये रियलिटी के
- 00:03:45दो पहलू हैं जैसे फॉर एग्जांपल अगर आप
- 00:03:48पार्टिकल फिजिक्स में जाएं और एटम्स की
- 00:03:50बात करें या उससे छोटे पार्टिकल्स की बात
- 00:03:52करें तो एक स्थान पर एक समय में वो एटम या
- 00:03:55वो पार्टिकल एक्जिस्ट करता है या नहीं
- 00:03:57एक्सिस्ट करता है आप नहीं बता सकते वो
- 00:03:59एक्सिस्ट भी कर सकता है वो एक्सिस्ट नहीं
- 00:04:01भी कर सकता है ये उस रियलिटी के दो पहलू
- 00:04:04हैं जो एक दूसरे के रिलेटिव हैं रॉबर्ट
- 00:04:07ओपनह हैमर अपनी साइंस एंड दी कॉमन
- 00:04:08अंडरस्टैंडिंग में लिखते हैं कि अगर पूछा
- 00:04:10जाए कि क्या इलेक्ट्रॉन की पोजीशन सेम बनी
- 00:04:12रहती है तो आंसर है नहीं और अगर पूछा जाए
- 00:04:15कि क्या इलेक्ट्रॉन की पोजीशन चेंज होती
- 00:04:17रहती है तब भी आंसर है नहीं और ऐसा ही
- 00:04:20विवरण हमें अपने उपनिषदों में मिलता है जब
- 00:04:22हम परम सत्य की बात करते हैं इस उपनिषद
- 00:04:24में परम सत्य को लेकर कहा गया है कि वह ना
- 00:04:26तो गति करता है और ना ही स्थिर है ना तो
- 00:04:29दूर है ना ही पास है ना अंदर है और ना ही
- 00:04:32बाहर है यानी परम सत्य अल्टीमेट रियलिटी
- 00:04:35किसी भी प्रकार की डुअलिटी या रिलेटिवनेस
- 00:04:37से परे है वो एब्सोल्यूट है और अगर हमें
- 00:04:40भी इस परम सत्य तक पहुंचना है तो हमारे
- 00:04:42ग्रंथ भी यही बताते हैं कि आपको डुअलिटी
- 00:04:45के ऊपर उठना होगा रिलेटिवनेस को पीछे
- 00:04:47छोड़ना होगा और अपनी कॉन्शियसनेस के एक
- 00:04:49हायर डायमेंशन में जाना होगा मैं पहले
- 00:04:51आपको कुछ रेफरेंसेस दे देता हूं उसके बाद
- 00:04:54हम यह समझेंगे कि क्यों हमें हायर
- 00:04:56डायमेंशन में जाना होगा साथियों मैंने
- 00:04:57उपनिषद से तो आपको एक रेफरेंस दे दिया अब
- 00:04:59आते हैं दर्शन की तरफ अगर आप महर्षि
- 00:05:01पतंजलि जी के योग सूत्र को देखें उनके योग
- 00:05:04दर्शन में जो अंतिम स्थिति होती है किसी
- 00:05:06योगी की जो सर्वोच्च अवस्था होती है उसमें
- 00:05:09उसकी धर्म में एक समाधि लगती है ये एक
- 00:05:11निर्बीच समाधि है समाधियों के विषय में
- 00:05:13बहुत ढेर सारी बातें बताई है महर्षि
- 00:05:15पतंजलि जी ने और मैंने अपने शिक्षण मैप पर
- 00:05:17योग दर्शन को विधिवत पढ़ाया है सभी 195
- 00:05:20सूत्रों की विधिवत और सरल भाषा में
- 00:05:22व्याख्या की है तो अगर आपको ये समझना है
- 00:05:24कि धर्म में एक समाधि क्या है निर्बी
- 00:05:26समाधि क्या है तो आप उस कोर्स में ज्वाइन
- 00:05:28कर सकते हैं यहां पर मैं आपको इतना बता
- 00:05:30देता हूं कि निर्भी समाधि के बाद योगी के
- 00:05:32अंदर ऋतंभरा प्रज्ञा जन्म लेती है अब ये
- 00:05:35ऋतंबरा प्रज्ञा क्या है रितंबरा प्रज्ञा
- 00:05:37वही एब्सोल्यूट नॉलेज है जहां हमें
- 00:05:40पहुंचना है उसके पहले जितनी नॉलेज होती है
- 00:05:42वो रिलेटिव होती है उसे सापेक्ष प्रज्ञा
- 00:05:44कहते हैं लेकिन जो निरपेक्ष प्रज्ञा है
- 00:05:47उसे हम रितंबरा प्रज्ञा कहते हैं वो
- 00:05:49एब्सोल्यूट नॉलेज है और ये जो रितंबरा
- 00:05:51प्रज्ञा होती है ये सभी अशुद्धियों से दूर
- 00:05:53और अनंत होती है इसके साथ-साथ इंटरेस्टिंग
- 00:05:55बात यह भी है कि रिलेटिविटी केवल स्पेस
- 00:05:57में नहीं होती कि चीजों में हम मीनिंग देख
- 00:05:59रहे हैं और रिलेटिवनेस देख रहे हैं कि यह
- 00:06:01छोटा है इसलिए वो बड़ा है समय में भी होती
- 00:06:04है आप कालखंड में भी कालक्रम में भी चीजों
- 00:06:07की मीनिंग बनाते हैं कल ऐसा हुआ था आज ऐसा
- 00:06:09हुआ है संबंध बनाते हैं तो कालक्रम भी
- 00:06:12समाप्त हो जाता है अगर आप अंतिम सूत्रों
- 00:06:14में जाएंगे तो वहां पर महर्षि पतंजलि जी
- 00:06:16बताते हैं कि कालक्रम भी समाप्त हो जाता
- 00:06:18है तो चीजें केवल स्पेस में ही नहीं बल्कि
- 00:06:21टाइम में भी एब्सोल्यूट हो जाती हैं
- 00:06:22क्योंकि काल धर्म भी समाप्त हो जाता है तो
- 00:06:25इस संसार में हर एक चीज रिलेटिव है यहां
- 00:06:27तक कि समय भी और इसको बाद में आइंस्टाइन
- 00:06:30ने प्रूव भी किया है अपनी रिलेटिविटी
- 00:06:31थ्योरी में कि स्पेस के साथ-साथ टाइम भी
- 00:06:33रिलेटिव है इसीलिए वो 4d स्पेस टाइम की
- 00:06:36बात करते हैं लेकिन जब हम इसी संसार में
- 00:06:38अलग-अलग आध्यात्मिक मार्गों के माध्यम से
- 00:06:40चेतना के अगले स्तर पर हायर डायमेंशन में
- 00:06:43जाते हैं तो ये रिलेटिविटी समाप्त हो जाती
- 00:06:45है ये द्वंद समाप्त हो जाते हैं ये
- 00:06:47डुअलिटी समाप्त हो जाती है और हम
- 00:06:49एब्सोल्यूट नॉलेज की तरफ बढ़ जाते हैं जो
- 00:06:51परम सत्य है अब इसको हायर डायमेंशन क्यों
- 00:06:53कहा जा रहा है इसको एक छोटे से एग्जांपल
- 00:06:55से मैं समझाऊंगा मान लीजिए कि आपके पास एक
- 00:06:57कंगन है मोटा कंगन है और आपने उसका क्रॉस
- 00:06:59सेक्शन लिया तो आपको टू डी सर्किल्स
- 00:07:02मिलेंगे और अगर आप उस टू डायमेंशनल फ्रेम
- 00:07:04में चले जाएं तो आपको ये दोनों सर्किल
- 00:07:06अलग-अलग दिखेंगे आपको लगेगा कि यह एक
- 00:07:07सर्किल a है और यह सर्किल b है और इन
- 00:07:10दोनों का आपस में कोई लेना देना नहीं है
- 00:07:12लेकिन जब आप 2d से निकल कर 3d में जाएंगे
- 00:07:14थ्री डायमेंशनल स्पेस में आएंगे और जब आप
- 00:07:16पूरे कंगन को देखेंगे तो आपको पता चलेगा
- 00:07:19कि सर्किल ए और सर्किल बी एक ही कंगन के
- 00:07:22पार्ट हैं वो दोनों एक दूसरे से डिफरेंट
- 00:07:24नहीं है इसीलिए जब आप एक डायमेंशन से
- 00:07:26दूसरी डायमेंशन में जाते हैं हायर
- 00:07:28डायमेंशन में जाते हैं तो आपको पता चलता
- 00:07:30है कि जो रिलेटिविटी आपको दिख रही है जो
- 00:07:32चीज आपको गर्म और ठंडी लग रही है वो एक ही
- 00:07:35रियलिटी का पार्ट है जब आप हायर डायमेंशन
- 00:07:37में जाते हैं हमने उपनिषद और दर्शनों से
- 00:07:39तो रेफरेंसेस देख लिए भगवत गीता में भी
- 00:07:42श्री कृष्ण जी यही समझाते हैं अगर आप
- 00:07:44अध्याय सात के श्लोक 27 को देखें तो वहां
- 00:07:46पर श्री कृष्ण जी इस रिलेटिव डुअलिटी से
- 00:07:49ऊपर उठने को कहते हैं वो बताते हैं कि ये
- 00:07:50जो डुअलिटीज हैं ये इल्ल्यूजंस हैं जिससे
- 00:07:53सभी जीव ग्रस्त हैं और जो भी जीव इस
- 00:07:55डुअलिटी से ऊपर उठ जाता है वही मोक्ष का
- 00:07:58अधिकारी है और इसके साथ-साथ केवल हिंदू
- 00:08:00ग्रंथ ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म ग्रंथ में
- 00:08:02भी संसार को रिलेटिव बताया गया है और अगर
- 00:08:04आप शैव दर्शन देखें तो वहां पर भी यह माना
- 00:08:07गया है कि जो शिव हैं वो एब्सोल्यूट हैं
- 00:08:09लेकिन आगे चलकर संसार के निर्माण में वो
- 00:08:12अपने आप को डबल ट्रिपल और मल्टीफोल्ड
- 00:08:14बनाते हैं तो साथियों सैकड़ों हिंदू
- 00:08:16ग्रंथों को पढ़ने के बाद जो पहली चीज मुझे
- 00:08:19समझ में आई कि यह संसार रिलेटिव है यहां
- 00:08:21पर हर एक चीज की अपनी कोई मीनिंग नहीं
- 00:08:23होती कोई फंडामेंटल प्रॉपर्टी नहीं होती
- 00:08:25और फंडामेंटल जो है वो एब्सोल्यूट है वो
- 00:08:28निरपेक्ष है और वही परम सत्य है साथियों
- 00:08:31आइए अब दूसरी लर्निंग की तरफ बढ़ते
- 00:08:36हैं साथियों अब आप अपने फोन पर मोबाइल पर
- 00:08:40गुरुकुल आचार्यों से संस्कृत सीख सकते हैं
- 00:08:42साथ में हिंदू दर्शनों से उपनिषदों से
- 00:08:44जुड़कर जीवन के गुण रहस्यों को समझ सकते
- 00:08:46हैं और ना केवल समझ सकते हैं बल्कि उस
- 00:08:49ज्ञान से किसी भी प्रकार के तनाव ए्जायटी
- 00:08:52फियर से ऊपर उठ सकते हैं हमारे शिक्षणम
- 00:08:54प्लेटफार्म पर आप प्राचीन भारतीय आचार्यों
- 00:08:56के ज्ञान से विजनरी लीडर बन सकते हैं 1
- 00:08:59लाख से भी ज्यादा विद्यार्थी शिक्षणम
- 00:09:01प्लेटफार्म पर दैनिक रूप से भारतीय ज्ञान
- 00:09:03परंपरा से जुड़कर अपना जीवन बेहतर बना रहे
- 00:09:06हैं और आगामी होली के उपलक्ष में हम अपने
- 00:09:08प्रत्येक कोर्स पर 50% तक का डिस्काउंट भी
- 00:09:11दे रहे हैं तो यह आपके लिए बहुत अच्छा
- 00:09:12अवसर है सनातन धर्म के गहरे ज्ञान से
- 00:09:14जुड़ने का यदि आप भी सत्य को खोज रहे हैं
- 00:09:16और साथ में जीवन की छोटी-छोटी चीजों से
- 00:09:19उठकर एक मीनिंगफुल लाइफ बिताना चाहते हैं
- 00:09:21तो मैं आप सभी का शिक्षणम पर स्वागत करता
- 00:09:23हूं आपको सारी डिटेल्स नीचे डिस्क्रिप्शन
- 00:09:25बॉक्स और कमेंट सेक्शन में मिल जाएगी आप
- 00:09:27सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं आइए अब
- 00:09:30दूसरी लर्निंग के बारे में जानते हैं तो
- 00:09:32साथियों पहली लर्निंग में हमने जाना था कि
- 00:09:34संसार में हर एक चीज की मीनिंग तभी बनती
- 00:09:37है जब उसके रिलेशन में दूसरी चीज उपलब्ध
- 00:09:39होती है अब केवल मीनिंग ही नहीं बल्कि
- 00:09:41उसका अस्तित्व भी किसी वस्तु का अस्तित्व
- 00:09:43भी दूसरी वस्तु के अस्तित्व पर निर्भर
- 00:09:46करता है यदि मैं हूं मेरे एटम्स हैं तभी
- 00:09:49आप भी जिंदा हो आप भी एकिस्टेंस में हो
- 00:09:51यानी ब्रह्मांड की हर एक चीज दूसरी चीज से
- 00:09:54बंधी हुई है और यदि किसी एक चीज को गायब
- 00:09:56कर दिया जाए तो ब्रह्मांड पूरा का पूरा
- 00:09:59कोलैप्स कर जाएगा लेकिन यहां पर आप ये
- 00:10:01ध्यान रखिएगा कि हमारा ब्रह्मांड
- 00:10:03छोटे-छोटे पार्टिकल से नहीं बना है सनातन
- 00:10:05धर्म के अनुसार हमारा ब्रह्मांड छोटे-छोटे
- 00:10:08कर्मों से बना है और आज मॉडर्न साइंस में
- 00:10:10क्वांटम फिजिक्स के बाद ये बात मानी भी
- 00:10:13जाने लगी है क्योंकि जब हम क्वांटम लेवल
- 00:10:15पर जाते हैं तो हमें पार्टिकल्स नहीं
- 00:10:17दिखते पार्टिकल्स की जगह हमें कुछ एनर्जीस
- 00:10:19दिखती हैं एनर्जी फील्ड्स दिखती हैं जो उन
- 00:10:21पार्टिकल्स को लगातार जन्म देती रहती हैं
- 00:10:23और पार्टिकल्स लगातार मरते रहते हैं तो ये
- 00:10:26संसार ये ब्रह्मांड पार्टिकल से नहीं
- 00:10:28बल्कि प्रोसेससेस से बना है इवेंट से बना
- 00:10:30है यानी कर्मों से बना है अब हम कितने भी
- 00:10:32सूक्ष्म स्तर पर चले जाएं किसी भी
- 00:10:34पार्टिकल की खुद की कोई फंडामेंटल
- 00:10:37प्रॉपर्टी नहीं होती है हम जो भी
- 00:10:38प्रॉपर्टी डिटेक्ट करते हैं वो हम उस
- 00:10:41पार्टिकल के चारों ओर फैले दूसरे पार्टिकल
- 00:10:43के रिलेशन में डिटेक्ट करते हैं और चूंकि
- 00:10:46ये हर एक पार्टिकल पर लागू होता है यानी
- 00:10:48हर एक प्रोसेस हर एक कर्म पर लागू होता है
- 00:10:50तो ब्रह्मांड के एक कोने में अगर कोई
- 00:10:52पार्टिकल है कोई कर्म है तो ब्रह्मांड के
- 00:10:54दूसरे कोने में उपस्थित पार्टिकल या कर्म
- 00:10:56पर निर्भर करता है कर्म से बंधा होता है
- 00:10:59तो धर्म के अनुसार ब्रह्मांड एक दूसरे पर
- 00:11:02आश्रित एक दूसरे पर डिपेंडेंट कर्मों का
- 00:11:05जाल है और इसलिए आप कह सकते हैं कि हर एक
- 00:11:07वस्तु में हर एक चीज में दुनिया की सभी
- 00:11:10चीजें होती हैं और वो वस्तु वो चीज भी
- 00:11:12दुनिया की सभी चीजों के अंदर रहती है मतलब
- 00:11:15ऑल इन ईच एंड ईच इन ऑल यह जो फिलॉसफी है
- 00:11:18यह सैकड़ों पुस्तकों को पढ़ने के बाद
- 00:11:20मैंने सीखी है आइए कुछ रेफरेंसेस भी देखते
- 00:11:22हैं जैसे अगर उपनिषदों की बात करें तो इस
- 00:11:24उपनिषद के छठे श्लोक में कहा गया है कि वह
- 00:11:26व्यक्ति जो सबको अपने अंदर और अपने को
- 00:11:29सबके अंदर देखता है वो कभी किसी से घृणा
- 00:11:32नहीं करता ऐसे ही परमेश्वर श्री कृष्ण जी
- 00:11:34ने भी भगवत गीता के छठे अध्याय के 30वें
- 00:11:36श्लोक में कहा है कि जो मुझे हर चीज में
- 00:11:38देखते हैं और हर चीज को मुझ में देखते हैं
- 00:11:41मैं ना उनसे अलग होता हूं और ना वो मुझसे
- 00:11:43अलग होते हैं यही बात श्रीमद् भागवतम
- 00:11:45पुराण में भी कही गई है कि जो सबसे उन्नत
- 00:11:47भक्त होता है वो भगवान श्री कृष्ण को हर
- 00:11:49चीज में देखता है और हर चीज को भगवान श्री
- 00:11:51कृष्ण में देखता है और सनातन धर्म ही नहीं
- 00:11:54बल्कि बौद्ध धर्मी यह मानता है कि
- 00:11:56ब्रह्मांड में हर एक चीज अपनी ही जैसी चीज
- 00:11:58से बनी हुई है इसे फ्रैक्टल पैटर्न कहा
- 00:12:01जाता है महायान बौद्ध धर्म का एक बहुत
- 00:12:03प्रमुख ग्रंथ है अवंतसक सूत्र और इसमें
- 00:12:05ब्रह्मांड को एक पूर्ण कमल की तरह बताया
- 00:12:08गया है इस कमल की विशेषता यह है कि इस कमल
- 00:12:11का प्रत्येक भाग अपने आप में एक पूर्ण कमल
- 00:12:14है यानी कमल से ही कमल बना हुआ है यानी जब
- 00:12:17हम किसी चीज को देख रहे होते हैं तो उसके
- 00:12:19अंदर हम ब्रह्मांड की ही चीजों को पाते
- 00:12:21हैं इसी अवंतशक सूत्र में एक कुमार सुधाना
- 00:12:24की कहानी है जो अपने मिस्टिकल एक्सपीरियंस
- 00:12:26को बताते हैं और इस एक्सपीरियंस को बताते
- 00:12:28हुए वह बताते हैं कि उन्होंने एक टावर
- 00:12:30देखा और वो सैकड़ों टावर अपने ही जैसे
- 00:12:33सैकड़ों टावरों से बने हुए थे और आप किसी
- 00:12:35भी टावर में हो तो आप नहीं बता सकते कि आप
- 00:12:38किस टावर में हैं मेन टावर कौन सा है
- 00:12:41सनातन धर्म में इसे इंद्र जाल कहा गया है
- 00:12:43और इसका सर्वप्रथम वर्णन आपको अथर्ववेद के
- 00:12:46आठवें कांड के आठवें सूक्त के आठवें मंत्र
- 00:12:49में मिलता है इस इंद्र जाल के विषय में
- 00:12:50अष्टावक्र गीता में भी दिया गया है और
- 00:12:52बौद्ध धर्म में भी आप इसी अमथसक सूत्र की
- 00:12:55बात करेंगे तो यहां पर भी इंद्र जाल के
- 00:12:57विषय में बताया गया है यह इंद्र जाल है
- 00:12:59क्या यहां पर बताया गया है कि जब इंद्र ने
- 00:13:01इस ब्रह्मांड को इस संसार को बनाया तो इस
- 00:13:04संसार को एक जाल की तरह बनाया यानी वेब की
- 00:13:06तरह और इस जाल के हर बिंदु पर एक मोती
- 00:13:09बांध दी यह मोती ऐसे अरेंज की कि हर एक
- 00:13:11मोती में जितनी दूसरी मोतियां थी वो दिखती
- 00:13:14थी और वह मोती हर दूसरी मोती के अंदर भी
- 00:13:17दिखता था यानी ऑल इन ईच एंड ईच इन ऑल यह
- 00:13:20जो फिलॉसोफी है यह सनातन धर्म के मुख्य
- 00:13:22केंद्र में है आपको प्रत्येक ग्रंथ में
- 00:13:24मिलेगी और इसके बाद हमें यह पता चलता है
- 00:13:27कि हमारे ब्रह्मांड का कोई केंद्र है ही
- 00:13:29नहीं इनफैक्ट अगर आप बात करें तो स्पेस
- 00:13:32में जितने भी पॉइंट्स हैं और टाइम में
- 00:13:34जितने भी मोमेंट्स हैं वो सब अपने आप में
- 00:13:37केंद्रबिंदु हैं यानी हमारा ब्रह्मांड
- 00:13:39अनंत ब्रह्मांडों से मिलकर बना है और खुद
- 00:13:42भी अनंत ब्रह्मांडों को बनाता है यह मेरी
- 00:13:44दूसरी लर्निंग रही है सैकड़ों हिंदू
- 00:13:46पुस्तकों को पढ़ने के बाद आपको लगभग
- 00:13:48प्रत्येक ग्रंथ में प्रत्येक संप्रदाय में
- 00:13:50यह फिलॉसफी यह दर्शन अवश्य मिलेगा अब
- 00:13:52साथियों आइए तीसरी लर्निंग की तरफ बढ़ते
- 00:13:55हैं
- 00:13:59अब साथियों जब हम अपनी दुनिया को देखते
- 00:14:01हैं इस ब्रह्मांड को देखते हैं तो हमें एक
- 00:14:03व्यवस्था दिखाई देती है हमें एक ऑर्डर
- 00:14:05दिखता है जो प्लनेट्स हैं अपने ऑर्बिट्स
- 00:14:08में घूम रहे हैं जो हमारी ऋतुएं हैं सीजंस
- 00:14:10हैं एक निश्चित क्रम में आती हैं हमारी जो
- 00:14:12नेचर है हमारी जो प्रकृति है इसमें भी
- 00:14:15चीजें बहुत अच्छे से अरेंज्ड दिखती हैं
- 00:14:17सिमिट्री में दिखती हैं लेकिन अगर इन सब
- 00:14:19चीजों की आप गहराई में स्टडी करें सूक्ष्म
- 00:14:22स्तर पर जाएं तो वहां पर आपको एक
- 00:14:23अव्यवस्था दिखती है वहां पर कुछ भी
- 00:14:25ऑर्डरली नहीं होता अगर आप एटम्स की बात
- 00:14:28करें या उससे छोटे पार्टिकल्स
- 00:14:29इलेक्ट्रॉन्स की बात करें सब एटॉमिक
- 00:14:31पार्टिकल्स की बात करें तो आप निश्चित रूप
- 00:14:33से यह नहीं बता सकते कि कौन सा पार्टिकल
- 00:14:35किस समय में कहां पर है और वो अगले समय
- 00:14:38में किस तरफ मूव करेगा तो जहां दुनिया
- 00:14:40बड़े स्तर पर बहुत वृहद स्तर पर हमें एक
- 00:14:43अरेंजमेंट लगता है हमें एक ऑर्डर दिखाई
- 00:14:45देता है वहीं दुनिया जिन चीजों से बनी है
- 00:14:48जिन पार्टिकल से बनी है जिन प्रोसेससेस से
- 00:14:50बनी है जिन कर्मों से बनी है वो बिल्कुल
- 00:14:52भी ऑर्डरली नहीं है तो यहां हम देखते हैं
- 00:14:55कि डिसऑर्डर से ऑर्डरली चीजें बनी हैं और
- 00:14:58इसके बारे में सोचना मात्र ही कि कैसे
- 00:15:00डिसऑर्डर से ऑर्डर बन जा रहा है असंभव
- 00:15:02लगता है इसको एक एग्जांपल से समझें तो
- 00:15:04विज्ञान में हम इलेक्ट्रिक करंट नापते हैं
- 00:15:06इलेक्ट्रिक करंट क्या होता है कि किसी
- 00:15:08पॉइंट से एक सेकंड में कितने इलेक्ट्रॉन्स
- 00:15:11पास हो गए हैं या कितना चार्ज पास हो गया
- 00:15:13है इसको हम इलेक्ट्रिक करंट कहते हैं अब
- 00:15:15हम ये तो नाप लेते हैं कि किसी पॉइंट से
- 00:15:17एक सेकंड में कितना चार्ज पास हो गया
- 00:15:20कितने इलेक्ट्रॉन्स पास हो गए ये बड़ी
- 00:15:21पिक्चर है लेकिन अगर हम छोटी पिक्चर में
- 00:15:23जाएं अति सूक्ष्म स्तर पर जाएं तो हम नहीं
- 00:15:25बता सकते कि कौन सा इलेक्ट्रॉन कब पास हुआ
- 00:15:28है और ये इस वजह से नहीं होता कि आज हमारी
- 00:15:30अंडरस्टैंडिंग कम है लेकिन जैसे-जैसे हम
- 00:15:32प्रोग्रेस करेंगे हमारी अंडरस्टैंडिंग
- 00:15:34बढ़ेगी तो हम कल ये भी बता लेंगे कि कौन
- 00:15:36सा इलेक्ट्रॉन कहां से पास हुआ नहीं यह जो
- 00:15:38एरर्स हैं या यह जो हम नहीं जान पाते हैं
- 00:15:40यह जो अनिश्चितताएं हैं यह जो अनसर्टेनिटी
- 00:15:42है यह इनहेरेंट है इसीलिए हम अनसर्टेनिटी
- 00:15:45प्रिंसिपल पढ़ते हैं हजनबर्ग का इसीलिए हम
- 00:15:47श्रोडिंग का वेव इक्वेशन पढ़ते हैं
- 00:15:49क्योंकि उस स्तर पर जो इनहेरेंट एरर्स हैं
- 00:15:52या जो इनहेरेंट अनसर्टेनिटी है इसका मतलब
- 00:15:54यह है कि हम निश्चित रूप से किसी चीज को
- 00:15:57मार्क नहीं कर पाएंगे किसी चीज को नहीं
- 00:15:59बता पाएंगे इसलिए हम प्रोबेबिलिटीज बताते
- 00:16:01हैं किसी एटॉमिक इवेंट के होने की संभावना
- 00:16:04कितनी है यह हम पता कर सकते हैं वो इवेंट
- 00:16:07होगा या नहीं होगा यह हम क्लियरली
- 00:16:09सर्टेनली नहीं बता सकते लेकिन अभी भी यह
- 00:16:12प्रश्न बचा हुआ है कि कैसे डिसऑर्डरली
- 00:16:14चीजें ऑर्डर बनाती हैं और यह बहुत कठिन
- 00:16:17प्रश्न है लेकिन इसका उत्तर शडिंगर जी ने
- 00:16:19अपनी बुक व्हाट इज लाइफ में देने का
- 00:16:21प्रयास किया है वो कहते हैं डिसऑर्डरली
- 00:16:23चीजों से ऑर्डर आप तभी बना सकते हैं जब आप
- 00:16:26अरबों और खरबों की संख्या में डिसऑर्डरली
- 00:16:29चीजों को साथ में लाएं जैसे आपका शरीर
- 00:16:31अरबोंखरबों मतलब ट्रिलियंस ऑफ़ एटम से बना
- 00:16:34हुआ है आपका शरीर हजार 2000 5000 एटम से
- 00:16:37नहीं बन सकता क्यों नहीं बन सकता क्योंकि
- 00:16:39शडिंगर बताते हैं कि जब डिसऑर्डरली चीजें
- 00:16:41होती हैं जब आप प्रेडिक्ट नहीं कर सकते कि
- 00:16:43कौन सा आइटम कहां जाएगा और आप एक ऐसी चीज
- 00:16:46बना रहे हैं जो ऑर्डरली काम करेगा हमारा
- 00:16:48शरीर ऑर्डर में काम करता है अगर हम ऑर्डर
- 00:16:50में काम ना करें तो हम कुछ सर्टेनिटी में
- 00:16:52काम नहीं कर पाएंगे अब शडिंगर कहते हैं कि
- 00:16:54जब आप अरबों खरबों ट्रिलियंस में एटम्स को
- 00:16:56साथ मिलाते हैं तो भले सारे के सारे एटम्स
- 00:16:59रैंडम मूवमेंट कर रहे हो लेकिन एक समय में
- 00:17:01एक क्षण में बहुत ढेर सारे ऐसे एटम्स होते
- 00:17:04हैं जो ना चाहते हुए भी कुछ ऑर्डर बना
- 00:17:06देते हैं अब ये जो ऑर्डर होता है इसको
- 00:17:08बनाने वाले जो एटम्स होते हैं वो भी बदलते
- 00:17:11रहते हैं क्योंकि सारे एटम्स तो रैंडमली
- 00:17:12मूव कर रहे हैं लेकिन ऐसा होता है कि
- 00:17:15प्रत्येक क्षण कुछ ना कुछ एटम्स एक
- 00:17:17डायरेक्शन में या एक तरह के ऑर्डर में आते
- 00:17:19ही आते हैं जिससे हमारा ऑर्डरली जो बड़ी
- 00:17:22पिक्चर है वो बनती है इसलिए विज्ञान इसे
- 00:17:24स्टैटिस्टिकल नेचर ऑफ रियलिटी कहता है और
- 00:17:27धर्म में इसे माया कहा गया है ये जो माया
- 00:17:30होती है यह ना समझ में आने वाले डिसऑर्डर
- 00:17:32को ऑर्डर में बदलती है और इसीलिए सनातन
- 00:17:34धर्म में जगत को मिथ्या कहा गया है मिथ्या
- 00:17:37का मतलब इल्लुजन नहीं होता मिथ्या का मतलब
- 00:17:39होता है कि जो जैसा है वैसा दिख नहीं रहा
- 00:17:42और जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं इसको
- 00:17:45एग्जांपल से मैं समझाऊं तो आप रोज शाम को
- 00:17:47सूरज डूबता हुआ देखते हैं लेकिन क्या सूरज
- 00:17:49सच में डूबता है सूरज का डूबना एक मिथ्या
- 00:17:52है क्योंकि जैसा दिख रहा है सूरज डूबता
- 00:17:54हुआ दिख रहा है वैसा होता नहीं और जैसा
- 00:17:57होता है यानी पृथ्वी सूरज के चारों ओर घूम
- 00:17:59रही है ऐसा होता है ऐसा हमें दिखता नहीं
- 00:18:01तो जब आत्मबोध होता है जब ज्ञान होता है
- 00:18:04तब हम समझ पाते हैं कि पृथ्वी सूर्य के
- 00:18:06चारों ओर घूम रही है इसलिए सूर्य हमें ऐसा
- 00:18:08दिख रहा है इसीलिए ये जो जगत है जो
- 00:18:10डिसऑर्डर से जो कि रियलिटी है उससे बना है
- 00:18:13माया के कारण इसलिए यह जो जगत है यह
- 00:18:15मिथ्या है अब आइए सनातन धर्म ग्रंथों में
- 00:18:17इसके रेफरेंसेस देखते हैं अगर आप भगवत
- 00:18:19गीता से प्रारंभ करें तो भगवत गीता में
- 00:18:21स्वयं श्री कृष्ण जी जो परम सत्य और
- 00:18:23ब्रह्म है वो सातवें अध्याय के 25वें
- 00:18:25श्लोक में कहते हैं कि मैं सबको दिखाई
- 00:18:27नहीं पड़ता क्योंकि मैं योग माया से अपने
- 00:18:29आप को छुपा लेता हूं यहां पर बहुत से
- 00:18:31भाइयों के मन में यह प्रश्न उठेगा कि हो
- 00:18:33सकता है श्री कृष्ण जी कोई भगवान हों और
- 00:18:35वो अपने आप को छुपा लिए हों यहां पर कण की
- 00:18:37या एटम्स की बात नहीं हो रही है लेकिन
- 00:18:39आपको समझना पड़ेगा यहां स्वयं श्री कृष्ण
- 00:18:41जी अपने आप को ब्रह्म में परिणित करते हैं
- 00:18:43वह यूनिवर्स के कण-कण में है और इसको वो
- 00:18:4510वें अध्याय में बताते भी हैं कि वह
- 00:18:47ब्रह्मांड के प्रत्येक कण में समाए हुए
- 00:18:49हैं और ब्रह्मांड को सपोर्ट करते हैं अगर
- 00:18:52आप उपनिषदों की भी बात करें तो इस उपनिषद
- 00:18:54का पहला श्लोक ही कहता है कि ईशा वासम इदम
- 00:18:56सर्वम यति कििंच जगत्याम जगत यानी जो
- 00:18:59ईश्वर हैं वो इस सृष्टि के सभी चल अचल
- 00:19:02जिसमें गति है नहीं भी गति है प्रत्येक कण
- 00:19:05में समाए हुए हैं वास करते हैं ऐसे ही आप
- 00:19:08श्वेता श्वेत उपनिषद में जाएंगे तो छठे
- 00:19:10अध्याय के 11व श्लोक में भी सेम चीज बताई
- 00:19:12गई है तो श्री कृष्ण या परम सत्य या
- 00:19:15ब्रह्म यह प्रत्येक कण में है ब्रह्मांड
- 00:19:17के और माया से योग माया से जगत में अपने
- 00:19:20आप को रूपांतरित करते हैं डिसऑर्डर से
- 00:19:23ऑर्डर बनाते हैं और चकि जगत माया से बना
- 00:19:25है इसलिए जगत को मिथ्या कहा गया है यानी
- 00:19:27जगत जैसा है वैसा दिखता नहीं और जैसा
- 00:19:30दिखता है वैसा है नहीं और इसीलिए जगद्गुरु
- 00:19:33आदि शंकराचार्य जी ने ब्रह्म ज्ञानावली
- 00:19:35माला ग्रंथ के 20वें श्लोक में कहा है कि
- 00:19:37ब्रह्म सत्यम जगन मिथ्या जीवो ब्रह्मैव ना
- 00:19:40पराह यानी ब्रह्म सत्य है श्री कृष्ण सत्य
- 00:19:43है लेकिन जो जगत बनता है वो मिथ्या है और
- 00:19:46ऐसा लगभग सनातन धर्म के सभी संप्रदायों
- 00:19:48में कहा गया है अगर आप शास्त्र संप्रदाय
- 00:19:49में जाएंगे देवी स्त्रोत को पढ़ेंगे तो
- 00:19:51देवी स्त्रोत में भी कहा गया है कि या
- 00:19:53देवी सर्वभूतेशु भ्रांति रूपेण संस्थिता
- 00:19:56यानी देवी सर्वभूतेशु सभी भूतों में सभी
- 00:19:59कणों में भ्रांति रूपेण संस्थिता यानी
- 00:20:02भ्रांति पूर्वक यानी माया पूर्वक आप स्थित
- 00:20:05हो वहीं अगर आप शैव दर्शन में जाएंगे तो
- 00:20:07शिव स्वयं जो शुद्ध हैं शुद्ध ज्ञान हैं
- 00:20:10शुद्ध चेतना है वह भी माया से आच्छादित
- 00:20:12होकर इस सृष्टि का निर्माण करते हैं तो
- 00:20:14साथियों ये तीसरी सबसे बड़ी लर्निंग थी जो
- 00:20:16मैंने सैकड़ों हिंदू पुस्तकों को पढ़ने के
- 00:20:19बाद जानी है तो साथियों मैं आशा करता हूं
- 00:20:21कि इस वीडियो के माध्यम से सैकड़ों
- 00:20:23पुस्तकों के जो विचार है जो सनातन का कोर
- 00:20:25विचार है जो कोर फिलॉसफी है उसको निचोड़
- 00:20:28करके जो तीन सबसे बड़ी लर्निंग है वह आपको
- 00:20:31मिली है और आगे भी इस प्रकार की कोई चीज
- 00:20:33मैं सीखता हूं विद रेफरेंस आपसे जरूर शेयर
- 00:20:35करूंगा और साथियों यदि आप भी सत्य के
- 00:20:37मार्ग पर हैं हिंदू दर्शनों से और
- 00:20:39उपनिषदों से जुड़ना चाहते हैं तो आप हमारे
- 00:20:41शिक्षण प्लेटफार्म पर अवश्य जुड़े इस होली
- 00:20:43के महोत्सव पर आपको प्रत्येक कोर्स पर
- 00:20:45अच्छा डिस्काउंट मिल रहा है यह आपके लिए
- 00:20:47बहुत ही अच्छा अवसर है सनातन धर्म के गहरे
- 00:20:50ज्ञान से जुड़ने का आपको लिंक और डिटेल्स
- 00:20:52नीचे कमेंट सेक्शन और डिस्क्रिप्शन बॉक्स
- 00:20:54में मिल जाएंगी साथियों अगर आपको वीडियो
- 00:20:56पसंद आई है तो अपने दोस्तों में अपने
- 00:20:57परिवारजनों में साझा करें चैनल को
- 00:20:59सब्सक्राइब कर लें चैनल को सब्सक्राइब
- 00:21:01करने के साथ-साथ बेल आइकन पर भी जरूर
- 00:21:03क्लिक करें जिससे आपके नोटिफिकेशंस ऑन हो
- 00:21:05जाएंगे और हाइपर क्वेस्ट की जितनी भी
- 00:21:07वीडियोस होंगी वह आपको समय पर मिल जाएंगी
- 00:21:10इसके साथ-साथ मात्र ₹59 मंथली धनराशि में
- 00:21:12आप हाइपर क्वेस्ट के प्राउड मेंबर बन सकते
- 00:21:14हैं हम मेंबर्स को विशेष लाभ देते हैं
- 00:21:17हमारे जो पॉडकास्ट होते हैं उनका आपको
- 00:21:18अर्ली एक्सेस मिलता है एक प्राइवेट
- 00:21:20whatsapp ग्रुप मिलता है साथ में जो भी
- 00:21:22एक्सपर्ट हमारे एपिसोड्स में आने वाले हैं
- 00:21:24उनसे आप प्रश्न पूछ सकते हैं तो आप सभी का
- 00:21:27हाइपर क्वेस्ट पर स्वागत है साथियों इसी
- 00:21:29के साथ इस वीडियो को इस टॉपिक को यहीं पर
- 00:21:31दूंगा विराम अब मैं मिलूंगा एक नई वीडियो
- 00:21:33में नए टॉपिक के साथ तब तक के लिए जय श्री
- 00:21:35राम
- Hindu Philosophy
- Relativity
- Existence
- Interconnectedness
- Order and Chaos
- Vedic Texts
- Upanishads
- Brahman
- Consciousness
- Maya