Mansehra Ijtimah: Molana Yousaf Jamil Emotional & Important Messsage to Tablighi Jamat Leadership
Résumé
TLDRIn this video, the speaker addresses the leaders of the Tablighi Jamaat, expressing deep concern over the current state of the movement. He emphasizes that the essence of Tabligh, which is to invite people towards Allah, is being overshadowed by internal conflicts and leadership struggles. The speaker reflects on the historical significance of Tabligh, tracing its roots back to the prophets and highlighting its importance in guiding humanity. He laments the division within the movement and urges leaders to refocus on their original mission of spreading the message of Islam, rather than getting caught up in personal ambitions and rivalries.
A retenir
- 🕌 The essence of Tabligh is to invite people towards Allah.
- ⚖️ Internal conflicts are overshadowing the mission of Tabligh.
- 📜 Tabligh has historical roots tracing back to the prophets.
- 🔄 The speaker urges leaders to refocus on their original mission.
- 💔 Division within the movement is detrimental to its goals.
Chronologie
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The speaker addresses the leaders of the Tablighi Jamaat, expressing deep concern about the current state of the movement, which he feels has strayed from its original purpose of inviting people to Allah. He emphasizes the importance of Tabligh and the role of the prophets in spreading the message of Allah.
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He reflects on the historical significance of Tabligh, tracing its roots back to the time of Adam and the prophets, culminating in the responsibility given to the last prophet's community to continue this work until the Day of Judgment.
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The speaker highlights the establishment of the Tablighi movement by Maulana Ilyas in 1926, noting its growth and the widespread impact it has had across the globe, transforming countless lives and spreading guidance.
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Despite the successes, he laments the unfortunate developments within the Tablighi Jamaat, particularly the shift in focus from inviting people to Allah to internal leadership struggles and factionalism.
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He recalls a significant incident in 2016 involving the passing of a prominent leader, which he believes led to a decline in unity and effectiveness within the movement, resulting in divisions and conflicts among members.
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The speaker criticizes the current leadership for prioritizing their positions over the core mission of Tabligh, leading to a situation where the essence of the movement is being compromised.
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He expresses disappointment over the leadership's failure to recognize the detrimental effects of their actions, particularly the division that has emerged, which he believes has altered the direction of the Tabligh work.
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The speaker urges the leaders to reflect on their priorities and to return to the original mission of Tabligh, which is to unite the community and invite people towards Allah, rather than focusing on personal power and status.
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He emphasizes the need for humility and sincerity in leadership, calling for a return to the foundational principles of Tabligh, which should be about selflessness and dedication to the cause of spreading Allah's message.
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In conclusion, he appeals to the leaders to come together, address the divisions, and refocus on the mission of Tabligh, ensuring that the movement continues to thrive and fulfill its purpose of guiding humanity.
Carte mentale
Vidéo Q&R
What is the main concern of the speaker regarding Tablighi Jamaat?
The speaker is concerned that the essence of Tabligh is being overshadowed by internal conflicts and leadership struggles.
What historical significance does the speaker attribute to Tabligh?
The speaker traces the roots of Tabligh back to the prophets, emphasizing its importance in guiding humanity.
What does the speaker urge the leaders of Tablighi Jamaat to do?
He urges them to refocus on their original mission of spreading the message of Islam.
What does the speaker say about the division within the movement?
He laments the division within the movement and its negative impact on the mission of Tabligh.
How does the speaker view the current leadership of Tablighi Jamaat?
He expresses disappointment in the current leadership for prioritizing personal ambitions over the mission of Tabligh.
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- 00:00:00मैं बताना चाहता हूं कि
- 00:00:02आज मैं तबबलीग से नहीं तबबलीग वालों से
- 00:00:07मुखातिब हूं। और तबलीग वालों में से भी
- 00:00:11उनसे मैं आज मुखातिब हूं जिनके हाथ में
- 00:00:15तबबलीग की कयादत
- 00:00:18है। और जो मैं बात करने जा रहा हूं मैं
- 00:00:22इंतहाई दुख के साथ इंतहाई तकलीफ के साथ
- 00:00:27मैं यह पैगाम रिकॉर्ड करवा रहा हूं। मेरी
- 00:00:31बात को गौर से
- 00:00:33सुनिएगा कि तबलीग
- 00:00:36वाले तबलीग
- 00:00:39वाले तबलीग करने वाले को तबलीग से रोक रहे
- 00:00:45हैं। सुभान अल्लाह।
- 00:00:47[संगीत]
- 00:00:56बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम व सलातो
- 00:00:58व्सलामला नबी अमीन वला आही व असहाब अजमाईन
- 00:01:05अम्माबाद मेरे मोहतरम नाज़रीन मेरी आज की
- 00:01:10वीडियो बहुत ही ज्यादा अहमियत की हामिल
- 00:01:14है और जो जो मैं आगे चलूंगा अपनी बात आपके
- 00:01:19सामने पेश करूंगा आपको उस मेरे मजमून से
- 00:01:23अंदाजा होगा कि मेरी इस वीडियो की अहमियत
- 00:01:26बाकी वीडियो से क्यों मुख्तलिफ
- 00:01:29है। और जो अभी तक मैं आपसे मुखातिब होता
- 00:01:34रहा मुख्तलिफ मज़ामीन को लेकर, कभी
- 00:01:37फाउंडेशन के मौजू को लेकर, कभी रमजान के
- 00:01:40मौजू को लेकर।
- 00:01:43आज की जो वीडियो है यह उन सबसे मुख्तलिफ
- 00:01:47है और इस वीडियो के मुख्तलिफ होने की जो
- 00:01:51वजह है वो एक वाकया है। मैं जो आगे चलूंगा
- 00:01:57मैं उस वाक्य की तरफ भी आऊंगा।
- 00:02:00लेकिन आज
- 00:02:02आपसे मैं आज आपसे मुखातिब नहीं हूं। आज
- 00:02:06मैं किसी और से मुखातिब
- 00:02:09हूं। और उस बात जिनसे मैं मुखातिब होना
- 00:02:13चाहता हूं उस उससे पहले उन हजरात से
- 00:02:18मुखातिब होने से पहले मैं तमहीदन एक बात
- 00:02:22अर्ज करना चाहता
- 00:02:24हूं कि अल्लाह ताला
- 00:02:27ने इस दुनिया के अंदर हिदायत के निजाम को
- 00:02:31चलाने के लिए बहुत ही
- 00:02:34खूबसूरत बहुत ही शानदार और बहुत ही
- 00:02:39अजीम हुक्म
- 00:02:42को मुतवजेज
- 00:02:44किया। आदम अल सलाम से लेकर हमारे नबी आखरी
- 00:02:49जमान हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहहु अलैहि
- 00:02:51वसल्लम तक सब अंबिया का अगर एक
- 00:02:57काम कहा जाए कि क्या मुश्तलक था? ऐसी क्या
- 00:03:02चीज थी जो हर नबी में कॉमन थी?
- 00:03:06तो मैं यह बरमला कहूंगा कि वह काम था दावत
- 00:03:12का, तबलीग
- 00:03:14का। क्या मतलब? दावत किस चीज की? तब्लीग
- 00:03:20किस चीज
- 00:03:21की? तब्लीग और दावत इस चीज की कि लोगों को
- 00:03:26अल्लाह की तरफ
- 00:03:28बुलाना। और उस वक्त के नबी की तरफ बुलाना,
- 00:03:31उसकी तालीमात की तरफ बुलाना ताकि
- 00:03:36वह दुनिया में भी कामयाब हो जाए और आखिरत
- 00:03:38में भी कामयाब हो जाए। गोया के अल्लाह
- 00:03:43ताला ने इस दुनिया में सबसे बुनियादी अमल
- 00:03:48जो अपने नुमाइंदों से जिनको हम अंबिया
- 00:03:51कहते हैं। जो उनसे अल्लाह ने काम लिया। उस
- 00:03:56काम को तबलीग कहते हैं। उस काम को दावत
- 00:04:01कहते हैं। के लोगों को अल्लाह की तरफ
- 00:04:04बुलाना।
- 00:04:07और यह हमें यह बात इससे समझ आती है कि
- 00:04:12अल्लाह ताला ने कायनात के अंदर इंसानियत
- 00:04:17की हिदायत और रहनुमाई के लिए जो सबसे अहम
- 00:04:21अमल हमें दिया वो दावत और तबबलीग है। तो
- 00:04:25मेरे मुजज़ नाज़रीन आज मैं जिनसे मुखातिब
- 00:04:28होना चाहता
- 00:04:29हूं उनका ताल्लुक भी इसी दावतो तबबलीग से
- 00:04:36है और मैं थोड़ा सा माजी में जाना चाहूंगा
- 00:04:40ताकि मैं अपने पैगाम को अपने मैसेज को
- 00:04:44अपनी बात
- 00:04:46को ज्यादा से ज्यादा वाज़ कर सकूं।
- 00:04:51दावत तबबलीग का काम आदम अल सलाम से चला।
- 00:04:56सारे अंबिया से होते हुए नबी आख जमा तक
- 00:05:00पहुंचा। और फिर हमारे रब ने हमारे अल्लाह
- 00:05:04ने फैसला फरमाया कि कयामत तक अब कोई नबी
- 00:05:07नहीं
- 00:05:08आएगा। तो सवाल हुआ कि फिर यह काम कौन
- 00:05:12करेगा? तो मेरे अल्लाह ने कुरान में इरशाद
- 00:05:16फरमाया कु तुम
- 00:05:18ख्मा
- 00:05:21उजनास बिल मारूफ व तन मुनकर वन बिल के ऐ
- 00:05:28मेरी नबी की उम्मत अब मैं यह
- 00:05:33सहादत
- 00:05:35ये मकाम ये मर्तबा तुम्हें सौंप रहा हूं
- 00:05:40अंबिया नहीं आएंगे लेकिन मैं यह काम
- 00:05:43तुम्हें सौंप रहा हूं कि अब यह अज़म
- 00:05:48काम यह वो काम जो मैंने
- 00:05:52124000 अपने अंबिया को
- 00:05:55दिया ऐ मेरे नबी आखरी नबी सल्लल्लाहु
- 00:05:58अलैहि वसल्लम की उम्मत मैं यह शान ये अजमत
- 00:06:02तुम्हें देना चाहता हूं। तुम हो सबसे
- 00:06:05अच्छी और खैर वाली उम्मत क्योंकि अब यह
- 00:06:08काम जो नबी करते थे मेरे डायरेक्ट
- 00:06:12एंबेसडर्स अल्लाह के जिनको मैं डायरेक्ट
- 00:06:15मुंतखब करता था, सेलेक्ट करता था लोगों की
- 00:06:18इंसानियत की हिदायत के
- 00:06:21लिए। ऐ मेरे नबी की आखरी उम्मत मैं
- 00:06:24तुम्हें यह सहादत दे रहा हूं।
- 00:06:29तो मुजज़ नाज़रीन कितनी बड़ी
- 00:06:32खुशकिस्मती कितनी बड़ी
- 00:06:35सहादत कितनी कितना बड़ा मकाम और मर्तबा
- 00:06:40मेरे और आपके नसीब में आया कि हमें अल्लाह
- 00:06:44ने उस काम के लिए चुना जिसके लिए वो अपने
- 00:06:47अंबिया को भेजा करते थे।
- 00:06:53और इस काम की सबसे जो हमारे नबी से दुनिया
- 00:06:59से जाने के
- 00:07:01बाद ये काम मुख्तलिफ शक्ल में चलता रहा।
- 00:07:06यहां तक के
- 00:07:07ये
- 00:07:09सिलसिला
- 00:07:11बाकायदा एक मुनजम तहरीक और एक मुनज्जम
- 00:07:15तरतीब तक पहुंचा।
- 00:07:17जिसकी
- 00:07:19इब्तदा हजरत मौलाना इलियास रहम्लाह ने
- 00:07:241926 में
- 00:07:26की। तारीख इस बात की गवाह है कि अल्लाह के
- 00:07:31नबी से लेकर तबबलीग के आज की जिसकी मैं
- 00:07:35बात कर रहा हूं। काम शुरू होने तक किसी भी
- 00:07:38दौर में तबबलीग का काम नहीं
- 00:07:41रुका।
- 00:07:43लेकिन आप यूं समझिए कि अल्लाह ताला ने
- 00:07:46अपने करम से अपने फजलल से हिदायत की
- 00:07:53और हिदायत की रोशनी को अल्लाह ने आगे
- 00:07:56बढ़ाना था। तो अल्लाह की तरफ से निजाम चला
- 00:07:59कि 1926 में गोया कि आज के दौर के मुनासबत
- 00:08:04से अल्लाह ने एक शख्स को मुंतखब किया
- 00:08:07जिसका नाम मौलाना इलियास रह जिन्होंने इस
- 00:08:11काम
- 00:08:13को एक नई शक्ल के साथ एक नई तरतीब के साथ
- 00:08:17शुरू किया और बेनी उनके साथ वही हुआ जो हर
- 00:08:21नया काम करने वाले के साथ होता है कि बहुत
- 00:08:25ज्यादा अजनबी ियत की वजह से उसकी मुखालफत
- 00:08:28की गई।
- 00:08:30लेकिन मैं आपको पूरे यकीन से कह सकता हूं
- 00:08:34अपने अल्लाह को हाजिर नाज़िर जानते हुए कि
- 00:08:38मौलाना इलियास साहब रह रही का लगाया हुआ
- 00:08:42यह पौधा जब एक तनावर दरख्त बना तो यह इस
- 00:08:47सदी का एक मौजजाती काम बन
- 00:08:51गया। इसने मोजजे की इस तरह काम किया। इस
- 00:08:55तबबलीग की शक्ल ने कि ना
- 00:08:59सिर्फ यह काम
- 00:09:01इंडिया या हिंदुस्तान तक महदूद रहा बल्कि
- 00:09:06अल्लाह ताला ने इस काम को छह बर्रे आजम
- 00:09:10में फैला दिया।
- 00:09:13और मेरे मोजज़ नाजरीन हजारों नहीं सैकड़ों
- 00:09:19नहीं हजारों नहीं लाखों लोगों को हिदायत
- 00:09:23की रोशनी
- 00:09:25मिली। हर तबके को इस काम ने हिट किया, टच
- 00:09:30किया और उनकीिंदगियों को बदलता चला गया।
- 00:09:34एक मौजाती तौर
- 00:09:38पर जिसको अल्फाज में बयान करना जिसकी अजमत
- 00:09:42को अल्फाज़ में वजूद देना नामुमकिन है। मैं
- 00:09:46बयान कर ही नहीं सकता कि इस काम ने किस
- 00:09:50तरह हिदायत के चिराग को छह बरआज़म में रोशन
- 00:09:55कर दिया।
- 00:09:58लेकिन हां अब मैं अपनी इस बात की तरफ आता
- 00:10:02हूं।
- 00:10:04कि जो मैंने आपसे शुरू में कहा कि आज मेरी
- 00:10:07वीडियो बाकी मेरी पहली वीडियो से मुख्तलिफ
- 00:10:11है। अब मैं इस टॉपिक की तरफ आता
- 00:10:14हूं कि जब इस काम ने इस कदर दुनिया में
- 00:10:19हिदायत की रोशनी को
- 00:10:21फैलाया, इस कदर मौजात दिखाए, इस कदर
- 00:10:25तब्दीली को पैदा किया। तो वहीं बदकिस्मती
- 00:10:30से
- 00:10:32कुछ ऐसी चीजें वजूद में आई जो बहुत ही
- 00:10:37बड़ी अनफॉर्चूनेट थी जो बहुत बड़ी
- 00:10:41बदकिस्मती की अलामात थी। मैं उस तरफ जाने
- 00:10:45से पहले मैं बताना चाहता हूं कि आज मैं
- 00:10:50तबबलीग से नहीं तबलीग वालों से मुखातिब
- 00:10:54हूं। मेरी आज की बात तबबलीग से नहीं
- 00:10:58तबबलीग वालों से है। और तबलीग वालों में
- 00:11:03से भी उनसे मैं आज मुखातिब हूं जिनके हाथ
- 00:11:07में तबबलीग की कयादत
- 00:11:10है। और जो मैं बात करने जा रहा हूं मैं
- 00:11:14इंतहाई दुख के साथ इंतहाई तकलीफ के साथ
- 00:11:19मैं यह पैगाम रिकॉर्ड करवा रहा हूं कि जिस
- 00:11:24तरह इस अज़म काम को लेकर चलना था ता
- 00:11:31कयामत और जिस तरह इस काम से फायदा पहुंचना
- 00:11:35था ता
- 00:11:36कयामत आज मैं उन अपने तबबलीग वाले
- 00:11:42मोहतरमीन से मुखातिब हूं। जिनके हाथ में
- 00:11:45इसकी कयादत है। बदकिस्मती से बदकिस्मती से
- 00:11:51बड़ी ही बदकिस्मती से उनकी
- 00:11:56तजीहात कुछ ऐसी बदली कि इस तबबलीग के
- 00:12:01खूबसूरत काम का शराजा बिखर के रह गया।
- 00:12:07और सारी की सारी तजीहात का
- 00:12:11जोर अल्लाह और उसके रसूल को बुलाने की तरफ
- 00:12:16बुलाने की बजाय अपनी कयादत और सयादत की
- 00:12:20तरफ चला
- 00:12:21गया। अपनी बका की जंग की तरफ चला गया।
- 00:12:26गोया कि आप हजरात ने जिनको अल्लाह ने चुना
- 00:12:30था तबबलीग की कयादत के लिए, लीडरशिप के
- 00:12:33लिए
- 00:12:36आप हजरात
- 00:12:37ने उसको उसके रुख को ही तब्दील कर
- 00:12:42दिया और मैं यहां जरूर जिक्र करूंगा उस
- 00:12:46हादसे का उस साने का जो 2016 या 17 में
- 00:12:49पेश आया जब तबबलीग की बहुत बड़ी शख्सियत
- 00:12:54हजरत हजरत मोहतरम हाजी अब्दुल वहाब साहब
- 00:12:58इस दुनिया से तशरीफ ले गए जो एक इंकलाबी
- 00:13:02शख्सियत थे ऐसे लोग सदियों
- 00:13:06में हजारों सालों में ऐसे लोग पैदा होते
- 00:13:09हैं के उनके जाते
- 00:13:13ही इतना बुरा
- 00:13:15वक्त इतना ज़वाल
- 00:13:19इतनी तकलीफ दे शक्ल तबबलीग के काम पे आई
- 00:13:23कि जिसने इस 100 साला मजबूत तहरीक को हिला
- 00:13:28के रख
- 00:13:29दिया और वो
- 00:13:31क्या कि वो काम तब तबबलीग का जिस जो
- 00:13:35इंसानियत को जोड़ता चला जा रहा
- 00:13:38[संगीत]
- 00:13:39था जो उम्मत को उम्मत बना रहा था जो
- 00:13:43फिरकों को खत्म कर रहा था जो तफरीकात को
- 00:13:48मिटा रहा था जो पूरी उम्मत को एक गुलदस्ता
- 00:13:52बना रहा था छह बरआम के मुसलमानों को उनके
- 00:13:58फिरकों से मसालिक से निकालकर यक जान कर
- 00:14:01रहा था वहदान ियत पर उम्मत की काम कर रहा
- 00:14:05था। इत्तेफाक पे काम कर रहा था। इतना बड़ा
- 00:14:09इम्तिहान आया कि वो काम दो हिस्सों में
- 00:14:13तकसीम हो
- 00:14:15गया। और ये मैं कहना चाहूंगा अपने उन
- 00:14:19मोहतरमीन तबबलीग वालों से जिनके हाथ में
- 00:14:23कयादत थी।
- 00:14:25जिनके हाथ में सयादत थी कि उस वक्त इस चीज
- 00:14:29का ख्याल ही ना रखा गया कि इस तबबलीग के
- 00:14:33काम
- 00:14:34को अगर इसको यह टूट गया ये दो हिस्सों में
- 00:14:38तकसीम हो गया तो इसकी जो तासीर है जो ताकत
- 00:14:43है उसको कितना नुकसान
- 00:14:46पहुंचेगा और मुझे यह कहने में कोई आर
- 00:14:49महसूस नहीं हो
- 00:14:50रही कि उस तकसीम के बाद दावत मौत का रुख
- 00:14:54ही बदल गया। और मुझे अफसोस से कहना पड़ता
- 00:14:59है
- 00:15:00के सारी सारी जिंदगियां तबबलीग को देने
- 00:15:04वालों ने यह सोचा ही नहीं कभी इस पर बैठकर
- 00:15:08किसी ने फिक्र ही नहीं की दावत का रुख ही
- 00:15:14बदल
- 00:15:15गया। पहले जहां कयादत और सियादत तबबलीग की
- 00:15:20लीडरशिप यह बात करती थी कि अल्लाह की तरफ
- 00:15:22आ जाओ। अल्लाह के रसूल की तरफ आ
- 00:15:25जाओ। आज वही कयादत और सयादत ये बात करती
- 00:15:30है कि इस फरीक की तरफ आ जाओ या इस फरीक की
- 00:15:34तरफ आ जाओ।
- 00:15:36मैं माज़रत के साथ मैं माज़रत के साथ उन
- 00:15:40तमाम अहबाब से जिनके जिनके हाथ में तबबलीग
- 00:15:44की बागदौड़ है जिनके हाथ में तबबलीग की
- 00:15:48रस्सी है। आपने जरा भी ना सोचा के दावत का
- 00:15:52तो मज़मून ही बदल दिया आपने।
- 00:15:57अब अल्लाह की तरफ बुलाया नहीं जा रहा
- 00:16:02बल्कि दो हिस्सों में जब तकसीम हुई तबबलीग
- 00:16:06तो एक फरी कहता है कि हमारी तरफ आ जाओ।
- 00:16:10दूसरा फरी कहता है हमारी तरफ आ जाओ। एक को
- 00:16:14शुरा का नाम दे दिया गया। एक को मौलाना
- 00:16:16साद ग्रुप का नाम दे दिया गया। मुझे बताइए
- 00:16:19मेरा सवाल है आपसे और मेरा हक है कि मैं
- 00:16:24आपसे यह सवाल करूं।
- 00:16:26मैं लीडरशिप से यह सवाल करूं। मैं सियादत
- 00:16:29और कयादत से सवाल
- 00:16:31करूं कि इतनी कुर्बानियों
- 00:16:35से इतनी मेहनत से इतने मुजाहिदों से वजूद
- 00:16:42में आने वाला ये काम जरा भी किसी ने लम्हा
- 00:16:47एक लम्हा नहीं सोचा कि ये हम किस तरफ चले
- 00:16:51गए।
- 00:16:55जैसे कुरान में अल्लाह कहता है अल रशीद
- 00:16:59तुम में से कोई ऐसा नहीं जो बा अकल हो बा
- 00:17:02शूर हो बा समझ
- 00:17:05हो मैं माज़त के
- 00:17:08साथ मैं उम्र में भी आपसे छोटा हूं इल्म
- 00:17:12में भी अमल में भी अक्ल में भी लेकिन मैं
- 00:17:18उस घराने का बच्चा हूं जिसकी आंख तबबलीग
- 00:17:21की गोद में खुली
- 00:17:25जिसने उस घर में वजूद पाया उस बाप का बेटा
- 00:17:31बना जिसकी
- 00:17:33जिंदगी के 53 54 साल तबबलीग में लग गए।
- 00:17:37मैं हक बजानिब हूं आज आपसे गिला करने में
- 00:17:41कि आप में से किसी ने यह ना सोचा कि ये तो
- 00:17:44सारी दौड़ सारा रुख ही अल्लाह से हट गया
- 00:17:47तबबलीग का। वो दावत और तबबलीग जो लोगों को
- 00:17:50अल्लाह की तरफ बुलाती थी। आज शुरा की तरफ
- 00:17:52बुला रही। वो दावत और तब्लीग जो लोगों को
- 00:17:56अल्लाह की तरफ बुलाती थी। आज वो मौलाना
- 00:17:58साद साहब की तरफ बुला रही। अपनेप फरीकैन
- 00:18:01की तरह बुला रहे। और इंतहाई
- 00:18:03इंतहाई तकलीफ देह लम्हा शर्मनाक लम्हा वो
- 00:18:07था के जब पिछले साल बांग्लादेश के इ्तमा
- 00:18:12पर तसादुम हो गया। तबबलीग वाले तबबलीग
- 00:18:16वालों के दस्तोगिरेबान
- 00:18:19हुए और मैं कितना अफ़सोस करूं, कैसे अपने
- 00:18:24जज़्बात का इज़हार करूं के कत्लो गारत तक
- 00:18:27नौबत आ गई। अल्लाहू अकबर।
- 00:18:32मैं अपने मोहतरम कयादत से तब्लीग की कयादत
- 00:18:36से सवाल करता हूं कि किसी को यह ख्याल
- 00:18:40नहीं आया कि इस नौबत तक पहुंचाने की का
- 00:18:44जिम्मेदार कौन है? इतने बड़े काम को इतनी
- 00:18:50बड़ी हिट
- 00:18:51पड़ी कि कत्लो गारत तक नौबत आ गई। जिस काम
- 00:18:56ने का कातिलों को वली उल्लाह बना दिया। इस
- 00:19:01काम ने कत्ल करने वालों को शरो शकर किया।
- 00:19:05आज वही आपस में लड़ के एक दूसरे के
- 00:19:07दस्तोगरे बां हुए और जान लेने जान ले ली
- 00:19:12तबबलीग वालों ने तबबलीग वालों
- 00:19:15की। कितने साथी वहां कत्ल हुए शहीद
- 00:19:22हुए। और मैं बड़े अफसोस से कहता हूं कि
- 00:19:26फिर भी होश नहीं आया हमें।
- 00:19:29मैं बजाते खुद कई बड़े अकाबरीन के साथ
- 00:19:35बैठा मिला बात की कि जी कोई तो हो इस बात
- 00:19:38को खत्म करने वाला कि किस ज़वाल की तरफ
- 00:19:42तबबलीग तेजी से जा रही है लेकिन बड़ी दुख
- 00:19:47से मुझे कहना पड़ता है
- 00:19:50कि इस वक्त गलबा सिर्फ और सिर्फ माज़रत के
- 00:19:55साथ इंतहाई माज़रत के साथ सिर्फ कयादत का
- 00:20:00है। अल्लाह और उसका रसूल निकल चुका है
- 00:20:04तबबलीग वालों में से और वो तबलीग वाले
- 00:20:09मेरे से वो मुराद हैं जो लीडरशिप का रोल
- 00:20:13अदा कर रहे हैं। जो इस काम को लीड कर रहे
- 00:20:16हैं। जो मराकिज़ में बैठे हैं। मैं पब्लिक
- 00:20:19की बात नहीं कर रहा। तबबलीग जैसा मुखलिस
- 00:20:22मजमा पूरी दुनिया में अल्लाह की कसम किसी
- 00:20:26तहरीक के पास नहीं है। मुखलिस तरीन मुखलिस
- 00:20:33तरीन मैंने खुद एक जमात के साथ पैदल जो
- 00:20:37साल में चल रही थी। पूरा चेला लगाया। किस
- 00:20:40कुर्बानी से वो लोग वो जमात के साथी निकले
- 00:20:44थे। अल्लाह की कसम हर शख्स एक दास्तान था।
- 00:20:48ऐसी दास्तान जो कलेजों को फाड़ के रख दे
- 00:20:52के इतनी कुर्बानी आज के दौर में इस दौर के
- 00:20:56अंदर जो मादियत परस्ती का दौर है उस दौर
- 00:20:59के अंदर इतनी
- 00:21:01कुर्बानी ऐसा मजमा आपको मिला लेकिन माज़रत
- 00:21:05के साथ मेरे वो तमाम अहबाब जिनके हाथ में
- 00:21:09लीडरशिप थी लीडरशिप है उनका सारा
- 00:21:13फोकस कयादत को संभालने में
- 00:21:18इ्तियार को संभालने में, अपनी लीडरशिप को
- 00:21:23संभालने में लग रहा है कि नहीं हमसे
- 00:21:25लीडरशिप ना चली जाए। अल्लाहू अकबर। ये काम
- 00:21:29तो है ही कुर्बानी का। मेरी लीडरशिप हजार
- 00:21:34दफा, लाख दफा, करोड़ दफा
- 00:21:38कुर्बान। किस पे? कि अगर जोड़ पैदा हो जाए
- 00:21:44हजार दफा कुर्बान कि अगर हिदायत वजूद में
- 00:21:47आ जाए हजार दफा करोड़ दफा
- 00:21:50कुर्बान कि अल्लाह का पैगाम दुनिया में
- 00:21:53चला जाए हम किस चक्कर में पड़
- 00:21:56गए मेरे मोहतरमन आप किस चक्कर में पड़
- 00:22:01गए हमने तो दुनिया को ही सिखाना
- 00:22:04था दुनियादारों को ही सिखाना था ये पैगाम
- 00:22:08देना था कि इ्तेदार कयादत सयादत रहने वाली
- 00:22:12चीज नहीं
- 00:22:14है। दुनिया की तारीख उठा के देखिए। यहां
- 00:22:18तो
- 00:22:19बादशाहत बर्रे आजमों की बादशाहत को सवाल आ
- 00:22:23गया तो ये तो तबबलीग का काम है। जहां है
- 00:22:26ही
- 00:22:27इलास जहां है ही लिला्लाहियत कि मैंने
- 00:22:31अपने आप को अल्लाह के लिए पेश किया
- 00:22:35है। चाहे मुझे सफाई पे लगा दिया जाए। चाहे
- 00:22:39मुझे किसी ऐसे काम कहे चाहे मुझे खिदमत पे
- 00:22:43लगा दिया
- 00:22:45जाए। इस काम में तो कयादत मैटर ही नहीं
- 00:22:48करती थी। इस काम में तो कुर्सी मैटर ही
- 00:22:51नहीं चुरा। मैटर ही नहीं करती थी। ये किस
- 00:22:54चक्कर में पड़
- 00:22:57गए? और अब
- 00:22:59मैं आखिर में उस बात की तरफ आना चाहता हूं
- 00:23:04कि आज मैं यह वीडियो क्यों बना रहा हूं।
- 00:23:07जबकि यह तो इख्तलाफ 2016 से चला रहा है।
- 00:23:11तो आज मैं क्यों मजबूर हुआ इस वीडियो को
- 00:23:14बनाने
- 00:23:16पे? तो हां मैं बताता हूं। मैं जरूर
- 00:23:21बताऊंगा। मैं जरूर
- 00:23:24बताऊंगा कि ये
- 00:23:28ज़वाल जब कयादत का रुख तजीहात इस तरफ लग
- 00:23:32जाए कि उनकी कयादत को बका मिले।
- 00:23:37उनकी कयादत बाकी
- 00:23:39रहे तो व्लाह अज़म फिर ऐसे वाक्यात वजूद
- 00:23:43में आते हैं जो इतने खूबसूरत काम को इतनी
- 00:23:47खूबसूरत मेहनत को ज़वाल की तरफ ले जाते
- 00:23:51हैं। और वो वाकया क्या हुआ?
- 00:23:55अल्लाह की कसम मैं इस वाक्य का जिक्र
- 00:23:58सिर्फ इसलिए कर रहा हूं कि यह सबब बना आज
- 00:24:01मेरी इस वीडियो का
- 00:24:03वरना मैं
- 00:24:06हमेशा कभी भी अपने वालिद के लिए किसी
- 00:24:10किस्म की कोई बात करना कैमरे के सामने आके
- 00:24:15उसको कभी जरूरी नहीं
- 00:24:18समझा क्योंकि मेरे वालिद वालिद मोहतरम
- 00:24:21हजरत मौलाना तारिक जमील साहब ने
- 00:24:24जिस फार्मूले पर अपनी जिंदगी
- 00:24:28गुजारी वो एक शेर जो वो खुद बयान करते हैं
- 00:24:31मैं वो पढ़ना चाहूंगा आपके सामने आ ना कर
- 00:24:36लबों को
- 00:24:38सी इश्क है दिल लगी
- 00:24:41नहीं सीने पे तीर खाए जा आगे कदम बढ़ाए जा
- 00:24:47मेरे वालिद
- 00:24:49मोहतरम उन्होंने लबों को सीकर जिंदगी
- 00:24:55गुजारी और मैं यह कहना चाहूंगा आज मैं यह
- 00:25:01गिला करने पे हक बजानिब हूं कि आज की जो
- 00:25:05कयादत है आज की जो लीडरशिप है तबबलीग
- 00:25:10की जब मौलाना तारिक जमील साहब तबबलीग में
- 00:25:14आए तो आप में से बहुत से लोग मुमकिन है जो
- 00:25:21भी पैदाइश ही ना हुई हो जिनकी जो इस
- 00:25:25दुनिया ही में ना आए
- 00:25:28हो और अगर उनका वजूद वो दुनिया में आ चुके
- 00:25:32थे तो शायद अपने बचपन में या अपने लड़कपन
- 00:25:35में हो जब अल्लाह ने मेरे वालिद मोहतरम
- 00:25:38हजरत मौलाना तारिक जमील साहब को आज से 54
- 00:25:43साल पहले इस काम के लिए
- 00:25:46चुना और व्लाह अज़म उन्होंने मेरी इन आंख
- 00:25:51ये गुनाहगार आंखें गवाह हैं कि किस तरह
- 00:25:55कुर्बानियां देके अपना तन मन धन
- 00:26:01लगाकर तबबलीग के काम को पूरी दुनिया में
- 00:26:06पूरी दुनिया में फैलाने की कोशिश
- 00:26:10की। आज मैं हक बजानिब हूं कि कयादत के
- 00:26:15चक्कर में, सयादत के चक्कर में इस चक्कर
- 00:26:18में कि मैं आगे आ जाऊं। मेरे हाथ से
- 00:26:21लीडरशिप ना निकल जाए। ऐसे शख्स की बेकरामी
- 00:26:26हुई। वो हस्ती जिसने 53 साल अब अल्लाह की
- 00:26:32कसम किसी भी इदारे के
- 00:26:34मुलाजिम कोई भी शख्स किसी भी इदारे में
- 00:26:37अगर इतने साल
- 00:26:39गुजारे
- 00:26:40तो उसकी अदना सी मेहनत को भी लोग बहुत
- 00:26:45ज्यादा सराते हैं कि भाई इसको 53 साल हो
- 00:26:47गए हैं इस इदारे में काम करते हुए।
- 00:26:51सिर्फ उसके वक्त की वजह से ही उसकी कदर और
- 00:26:54मंजरत बढ़ जाती
- 00:26:56है। चाहे वो कोई बहुत मामूली सा काम सर
- 00:27:00अंजाम दे रहा हो।
- 00:27:04लेकिन यहां तो अल्लाह ने अल्लाह ने अल्लाह
- 00:27:09की कसम अल्लाह ने अल्लाह की कसम अल्लाह
- 00:27:12ने मेरे वालिदे मोहतरम को चुना। और अल्लाह
- 00:27:17ने अल्लाह ने अपने फजलल से तबबलीग के काम
- 00:27:21के लिए चुना। मुझे फक्र
- 00:27:23है कि अल्लाह ने अपने फज़ल से हमारे वालिद
- 00:27:27को इस काम के लिए मुंतखब किया और उन्होंने
- 00:27:30अपनी जिंदगी को लगा दिया, मिटा दिया। अपनी
- 00:27:35जवानी को मुकम्मल कुर्बान कर दिया इस काम
- 00:27:39के लिए।
- 00:27:41हां लेकिन मुझे अफसोस से कहना पड़ता है कि
- 00:27:44जब तजीहात बदल जाए तो फिर यह वाक्यात वजूद
- 00:27:49में आते हैं कि
- 00:27:52मानसेरा पिछले हफ्ते इ्त्तमा
- 00:27:55में मौलाना तशरीफ ले
- 00:27:58गए और आप मजे की बात
- 00:28:01देखिए कि तब्लीग वो काम जो लोगों को
- 00:28:05बुलाता है इसकी बाहें हर शख्स के लिए खुली
- 00:28:10खुली है जो हर शख्स को वेलकम करता है। हर
- 00:28:14अच्छे बुरे को सीने से लगाता है। कितनी
- 00:28:17अजीब बात है
- 00:28:20के तजीहात के बदलने की वजह से आज तबबलीग
- 00:28:26का काम ऐसे शख्स पे दरवाजे बंद कर रहा है
- 00:28:31जिसकी सारी जिंदगी इस काम के साथ गुजर गई।
- 00:28:36और यह कहा जाने लगा के मौलाना को तो
- 00:28:40बुलाया ही नहीं गया इ्तमा
- 00:28:43में। यानी हर शख्स मतलूब है कि इ्त्तमा
- 00:28:47में शिरकत करे।
- 00:28:49लेकिन ऐसा शख्स जिसने जिंदगी भर अपनी
- 00:28:53कुर्बानी दी। अपनी जिंदगी को खपा दिया,
- 00:28:56लगा दिया। वो मतलूब नहीं
- 00:29:01बल्कि उससे खफ है लीडरशिप तबबलीग की कि ना
- 00:29:05मौलाना तारिक जमीलना साहब तशरीफ़ ले आए
- 00:29:08इस्तमा में। हाय हाय हाय। कितने अफसोस से
- 00:29:11कहना पड़ता है। क्यों ना तशरीफ़ ले आए कि
- 00:29:14उनका बयान करवाना पड़ जाएगा। अल्लाहू
- 00:29:17अकबर। अल्लाहू
- 00:29:19अकबर। वो मुअजज़ मेरे मोहतरमीन
- 00:29:23मेरे अहले तबबलीग की जो कैदो सयादत है
- 00:29:27मेरा आपसे यह सवाल है कि कौन सा ऐसा काम
- 00:29:33किया मौलाना तारीख जमील ने के आप हजरात
- 00:29:37उनके इ्त्तमात में आने से खफ होने लगे
- 00:29:41उनके इ्त्तमादात में बयान करने से खफ होने
- 00:29:44लगे अल्लाहू अकबर मेरा यह सवाल है
- 00:29:51आपसे और
- 00:29:53अजीब बात है। मुझे आज यह बात कहनी पड़ती
- 00:29:56है। मैं मजबूर हूं माज़रत के
- 00:29:59साथ के पूरी दुनिया अपने के इदारे जो हैं,
- 00:30:05पूरी दुनिया के इदारे अच्छे काम करने वाले
- 00:30:09को अपने एंप्लॉय को हमेशा आगे लेके आते
- 00:30:13हैं। हमेशा प्रमोट करते हैं। वह अच्छे
- 00:30:18एंप्लाइजज़ की अपने अच्छे लोगों की कदर
- 00:30:21करते हैं। उनसे काम लेते हैं। अल्लाहू
- 00:30:26अकबर। मुझे अफसोस से कहना पड़ता है कि जज
- 00:30:29मेरे वालिद को हजरत मौलाना तारिक जमील
- 00:30:32साहब को जज अल्लाह की तरफ से अल्लाह की
- 00:30:35तरफ से पजीराई मिली।
- 00:30:39लोगों की जिंदगियां बदलने लगी। अल्लाह ने
- 00:30:42उनकी आवाज में तासीर रखी। कौन अपनी आवाज
- 00:30:45में तासीर रख सकता है? एक लम्हे के लिए
- 00:30:48सोचिए। यह इंसान के बस में नहीं है कि कोई
- 00:30:52इंसान अपनी आवाज में, अपनी बात में तासीर
- 00:30:55को पैदा
- 00:30:57करे कि जिससे लोगों की जिंदगियां
- 00:31:01बदलें। तो क्या हुआ? जोज मेरे वालिद की
- 00:31:04आवाज में तासीर की वजह से लोगों की
- 00:31:07ज़िंदगियां बदलने लगी। लोग उनसे मोहब्बत
- 00:31:09करने
- 00:31:10लगे। तू तू तबबलीग ने, तब्लीग वालों ने,
- 00:31:14तबबलीगी कयादत ने उनको तबबलीग से दूर करना
- 00:31:18शुरू कर दिया और मैं कुर्बान जाऊं अल्लाह
- 00:31:21पे जितना कयादत ने चाहा लीडरशिप ने चाहा
- 00:31:27कि इस शख्स को रोक दो बात करने से उतना ही
- 00:31:31मेरे अल्लाह ने उस शख्स की बात को पूरी
- 00:31:34दुनिया में
- 00:31:35फैलाया और आज मैं अल्लाह का शुक्र अदा
- 00:31:38करते हुए ये कहता हूं आप तबबलीग वालों से
- 00:31:41कि अल्लाह ने आपको ऐसा शख्स दिया जिसकी
- 00:31:44बात आज सिर्फ मुसलमान
- 00:31:46नहीं हर वो मजहब वाला सुनता है जिसको
- 00:31:50उर्दू जुबान समझ आती
- 00:31:54है। अहलियाने
- 00:31:57तबबलीग आपको क्या हुआ कि इस शख्स को इसकी
- 00:32:02आमद को उसके बयान करने को उससे आप खफ हो
- 00:32:06गए। आप खौफजदा हो गए।
- 00:32:10और वो भी एक इलाके का इ्तमा हक तो यह बनता
- 00:32:14था कि इन इस शख्स को आप रमन जैसे सालाना
- 00:32:19इ्तमात पे हर साल बयान देते हर साल मौका
- 00:32:24देते कि वो लाखों लोगों के सामने बात करते
- 00:32:27अल्लाह की चले वो तो दरकिनार
- 00:32:31उसमें इतने सालों में इत्तेफाकी तौर पर
- 00:32:34आपने मौका दिया उनको बात करने का
- 00:32:37इत्तेफाकी तौर पे तीन चार इ्तमात बाद में
- 00:32:40बात की जिस शख्स का हक बनता था कि वह हरमा
- 00:32:43में बयान करे
- 00:32:47लेकिन
- 00:32:48आपने उसको रोका बात करने से चल माना कि
- 00:32:54आपके पास हिकमतें होंगी। माना कि आपके पास
- 00:32:57कोई ऐसी लॉजिक्स होंगी।
- 00:32:59लेकिन एक शहर का एक इलाके का एक
- 00:33:03ज्तमा उसमें अगर एक ऐसा आपका बंदा तशरीफ
- 00:33:07ले गया जिसको अल्लाह ने इज्जत दी इज्जत
- 00:33:11जल्लत देने वाला मेरा अल्लाह है तबबलीग तो
- 00:33:14सिखाती ही थी तब्लीग का तो स्लोगन ही ये
- 00:33:17है अल्लाह से होता है यही सुनते सुनते
- 00:33:22हम जवान हुए बड़े हुए और आज इस उम्र को
- 00:33:25पहुंचे कि अल्लाह से होने का यकीन अल्लाह
- 00:33:28अल्लाह के सिवा मखलूक से कुछ ना होने का
- 00:33:31यकीन। तो क्या आपको ये यकीन नहीं है कि इस
- 00:33:33शख्स को बोलने की ताकत और सलाहियत मेरे
- 00:33:36अल्लाह ने दी
- 00:33:37है? और गोया कि आप उस ताकत को उस सलाहियत
- 00:33:42को दबाना चाहते हैं जो अल्लाह ने उनको दी
- 00:33:44है। अल्लाह से मुकाबला अल्लाहू अकबर। ये
- 00:33:48कौन सी दीनदारी
- 00:33:50है? मैं ये सियादत से आवाम से नहीं। प्लीज
- 00:33:55मेरी अब बात को गलत आवाम गलत मत समझे। मैं
- 00:33:58कयादत से मुखातिब हूं। मानसेरा मौलाना
- 00:34:02तशरीफ ले
- 00:34:04गए और अपने सामने जो उनके मौजूद थे मशवरे
- 00:34:09में माज़रत के साथ। यह मशवरा तो कब से खत्म
- 00:34:13हो चुका तबबलीग में। यह मशवरा नहीं है।
- 00:34:17माज़रत के साथ। मैं लीडरशिप से मुखातिब हूं
- 00:34:21कि आपने मशवरे को मिसयूज किया है। मशवरा
- 00:34:25जैसी खूबसूरत चीज ही नहीं थी इस कायनात के
- 00:34:28अंदर लेकिन आपने इसको मिसयूज किया। सब कुछ
- 00:34:33प्लान करके मशवरे को सिर्फ एक कारवाई के
- 00:34:38तौर पे पेश करना। अल्लाह की कसम ये मशवरा
- 00:34:41नहीं है। ये मशवरे की तौहीन है। एहानत
- 00:34:46है। ऐसा खूबसूरत अमल मशवरा जिसको अल्लाह
- 00:34:50ने कुरान में कहा अपने नबी
- 00:34:52से कि ऐ मेरे नबी मशवरा करो अपने सहाबा
- 00:34:57से। मशवरे का तरीका सिखाया और मेरे नबी की
- 00:35:01सारी जिंदगी मशवरा मशवरे पर मबनी थी। और
- 00:35:04तबलीग की खूबसूरती और ताकत ही मशवरा थी।
- 00:35:09जिसको बदकिस्मती से, बदकिस्मती से, कयादत
- 00:35:12और सियादत और लीडरशिप के चक्कर में मिसयूज
- 00:35:15किया गया। प्लांटेड मशवरे होते हैं। प्लान
- 00:35:20कर दिया जाता है कि ये ये बात पहले से तय
- 00:35:24है और मशवरा सिर्फ एक सरसरी कारवाई होती
- 00:35:27है। यह हकीकत है। मैं सिर्फ हकीकत मैं
- 00:35:31आपके जो तबबलीग के जिम्मेदारान है उनके
- 00:35:34सामने यह हकीकत रख रहा हूं।
- 00:35:37मैं आपके कानों पर दस्तक दे रहा हूं। मेरी
- 00:35:40कोई औकात नहीं। लेकिन मैं फिर भी आपके
- 00:35:43कानों पर दस्तक दे रहा हूं। दिलों को
- 00:35:47आंखों को खोलने की कोशिश कर रहा हूं। कि
- 00:35:51यह मशवरा मशवरा नहीं रहा।
- 00:35:56और इससे बड़ी बदकिस्मती की बात अल्लाहू
- 00:36:00अकबर कि आपने हर उस शख्स
- 00:36:04को हर उस शख्स को जिसमें बोलने की सलाहियत
- 00:36:08थी आपने डर के मारे खौफ के मारे मौलाना की
- 00:36:14वजह से कि यार ये भी कि मौलाना तारिक जमील
- 00:36:17की तरह मशहूर मकबूल ना हो। आपने उस
- 00:36:21लीडरशिप ने हर इलाके में हर मरकज में हर
- 00:36:24शहर में ऐसे लोग मौजूद थे उन सबको कॉर्नर
- 00:36:27कर दिया
- 00:36:29गया। उन सबको एक कोने में लगा दिया गया कि
- 00:36:32यार ये कहीं एक मौलाना तारीख जमील है कहीं
- 00:36:35और ना पैदा हो जाए। मेरे मुअज़ मेरे
- 00:36:38मोहतरमीन ये क्या तबलीग इसलिए वजूद में आई
- 00:36:41थी कि जो बोलने का जिसके अंदर सलाहियत हो
- 00:36:46उसको आप चुप करा दें। अगरचे मकसूद नहीं
- 00:36:50है। मकसूद तो दावत है
- 00:36:53लेकिन दावत भी तो बोल के दी जाती है ना।
- 00:36:58दावत भी तो अल्फाज़ का नाम है ना। अगर किसी
- 00:37:02की अल्फाज़ से तासीर ज्यादा निकल रही है तो
- 00:37:06यह आपका काम आसान कर रही
- 00:37:11है। मैं फिर अपनी बात की तरफ आता हूं। बात
- 00:37:14लंबी हो चुकी है मेरी काफी।
- 00:37:17कि मानसमा में जितने भी शराकात थे वह यह
- 00:37:21तय कर चुके थे कि बयान नहीं होने
- 00:37:24देंगे। हां मौलाना ने बिल्कुल माइक पकड़ा
- 00:37:28मशवरे में और कहा मैं बयान करूंगा।
- 00:37:31बिल्कुल उन्होंने अपना अपने बयान का खुद
- 00:37:34ऐलान
- 00:37:36किया। बिल्कुल
- 00:37:38ये मजलिस के मशवरे के उसूल के खिलाफ है कि
- 00:37:43अपना बयान खुद तय कर देना। लेकिन माज़रत के
- 00:37:46साथ अगर वो मशवरा
- 00:37:49हो अगर वो प्लानिंग हो तो फिर वो मशवरा
- 00:37:52नहीं है। मौलाना ने मशवरे के खिलाफ कोई
- 00:37:55काम नहीं बल्कि उस प्लानिंग को एक्सपोज
- 00:37:59किया और कहा कि मैं बयान करूंगा और अल्लाह
- 00:38:02ने लोगों के दिलों में उनकी मोहब्बत डाली
- 00:38:05है। और हजारों
- 00:38:08नौजवान दूर-दूर से सफर कर कर इस्तेमा में
- 00:38:11आ रहे हैं। को पता है। उनके इल्म है कि
- 00:38:14मौलाना तशरीफ़ फरमा है। वो बयान
- 00:38:17करेंगे। तो मौलाना ने कहा मैं बयान
- 00:38:20करूंगा। अल्लाहू
- 00:38:22अकबर जरा थोड़ा एक लम्हे के लिए
- 00:38:25सोचिए कि अगर इस तरह हो जाता तो क्या कोई
- 00:38:30कयामत बरपा होती? क्या नाउजब्लाह दुनिया
- 00:38:34से तबलीग का काम खत्म हो जाता? क्या
- 00:38:38नाउजब्लाह कोई दुनिया के अंदर
- 00:38:43बे हिदायती फैलना शुरू हो जाती। क्या हो
- 00:38:46जाता?
- 00:38:48लेकिन अल्लाहू अकबर। ऐसी हरकत वजूद में आई
- 00:38:52माज़रत के साथ के जिसको जितने मज़म्मती
- 00:38:56अल्फाज़ में मैं बयान करूं वो कम है
- 00:39:00[संगीत]
- 00:39:01के इस अंदाज में बयान को रोकने की कोशिश
- 00:39:06की
- 00:39:07गई जैसे कोई तबबलीगी जमात सियासी जमात बन
- 00:39:12चुकी
- 00:39:14है। जैसे तबबलीगी जमात को ही कोई पार्टी
- 00:39:18बन चुकी
- 00:39:20है कि सुबह उठते हैं तो मौलाना को पैगाम
- 00:39:23दिए जाते हैं कि आप ना तशरीफ़ लाएं।
- 00:39:26आप बयान में मत आए। फिर जब मौलाना कहते
- 00:39:31हैं कि नहीं मैं आऊंगा तो पता चलता है कि
- 00:39:34मरकज की तरफ पंडाल की तरफ जाने वाले सारे
- 00:39:38रास्तों को बंद कर दिया गया। अल्लाहू अकबर
- 00:39:42हाय हाय हाय हाय हाय
- 00:39:47क्या आसमान ने तबबलीग के नक्शे देखे और
- 00:39:51जमीन ने तबबलीग की रहमतें देखी और आज जमीन
- 00:39:54जमीनो आसमान क्या देख रहे
- 00:39:57हैं मेरी बात को गौर से
- 00:40:01सुनिएगा कि तब्लीग
- 00:40:05वाले तबलीग
- 00:40:07वाले तबलीग करने वाले को तबलीग से रोक रहे
- 00:40:13हैं। सुभान
- 00:40:15अल्लाह। मैं फिर ये जुमला दोहराता हूं
- 00:40:18ताकि मेरी बात दिलों में जाए आपके दिलों
- 00:40:22में
- 00:40:23उतरे। मैं आपसे बड़ा नहीं हूं। मैं आपसे
- 00:40:26छोटा हूं लेकिन मेरे पास गुजारिश करने का
- 00:40:30हक है। छोटे को हमेशा हक हासिल होता है।
- 00:40:34बड़ा हुक्म दे सकता है। छोटा गुजारिश कर
- 00:40:37सकता है। मैं गुजारिश कर रहा हूं। कि आपने
- 00:40:41क्या किया? तबलीग वालों
- 00:40:44ने तबलीग करने वाले को तबलीग से रोक दिया।
- 00:40:49सुभान अल्लाह बल्कि
- 00:40:53अस्तकफिल्लाह
- 00:40:55नाउजुब्लाह इतनी
- 00:40:57गिरावट यह दिन देखना था तबलीग ने यह दिन
- 00:41:01देखना था तबबलीगी जमात
- 00:41:04ने जो बुरे से बुरे बुराई से बुराई करने
- 00:41:09वाले को सीने से लगाने वाली जमात थी आज वो
- 00:41:15अपने ही बंदे को जिसका अल्लाह ने तबलीग को
- 00:41:21फैलाने का जरिया बनाया पूरी दुनिया में
- 00:41:24उसको रोका जा रहा
- 00:41:26है। मैं
- 00:41:28उन उनकूल को उन दिमागों
- 00:41:33को झंझोड़ना चाहता हूं जिनके ज़हन में ये
- 00:41:37प्लानिंग आई कि आपने तबबलीग को यहां ला
- 00:41:40खड़ा किया कि गाड़ियां खड़ी कर दी। रुकावटें
- 00:41:44पैदा कर दी। रास्तों को रोक दिया रोक दिया
- 00:41:47गया। और कहा क्या कहा गया फोन पे कि
- 00:41:50इंतशार होगा मौलाना साहब और आप आएंगे
- 00:41:54इंतशार होगा और उसके जिम्मेदार आप होंगे।
- 00:41:57अल्लाहू
- 00:41:58अकबर किसको कह रहे हैं? जिस शख्स का
- 00:42:01मोहब्बत का पैगाम देते
- 00:42:05देते जुबान खुश हो गई।
- 00:42:11जिस शख्स का मोहब्बत का पैगाम देते देते
- 00:42:14उसके हड्डियों की मिक खत्म हो
- 00:42:17गई। जिस शख्स का मोहब्बत का पैगाम देते
- 00:42:22देते उसके दिमाग की रगों ने उसका साथ देना
- 00:42:26छोड़ दिया। उसको आप धमका रहे हैं। उसको
- 00:42:31आप इंतशार का फैलने का बायस बता रहे हैं।
- 00:42:37क्या अकल है?
- 00:42:39क्या समझ शूर
- 00:42:42है? अल्लाह की कसम नहीं रहा। अल्लाह की
- 00:42:46कसम नहीं
- 00:42:49रहा। कभी भी मैं यह जुर्रत ना करता इस बात
- 00:42:56को कैमरे पे करने की, वीडियो में करने की
- 00:42:59अगर यह बात वजूद में ना आई होती। और
- 00:43:02अल्लाह की कसम अल्लाह की कसम मुझे बिल्कुल
- 00:43:06इस बात की मेरे दिल में कोई दुख नहीं कि
- 00:43:09आपने मेरे वालिद को रोका नहीं नहीं नहीं
- 00:43:11नहीं नहीं
- 00:43:14ओए उनको तो सारी जिंदगी माज़रत के
- 00:43:18साथ तबबलीग वालों ने रोका तबलीग से सारी
- 00:43:24जिंदगी कि किसी तरह यह शख्स इसकी जुबान
- 00:43:28बंद हो जाए और यह बयान ना कर सके माज़रत के
- 00:43:31साथ यह हकीकत के ऊपर से मुझे पर्दा उठाना
- 00:43:34पड़ता है। पड़ रहा है। लेकिन नहीं रोक पाए
- 00:43:39क्योंकि मेरे अल्लाह
- 00:43:41को मेरे अल्लाह ने उनके साथ ये किया कि
- 00:43:44उनकी बात को चलाया। मुझे उनकी कोई फिक्र
- 00:43:47नहीं। अल्लाह की
- 00:43:48कसम। मैं यह बात अपने बाप की वजह से नहीं
- 00:43:52कर रहा। अल्लाह की
- 00:43:54कसम। मैं कसम खा के ये बात कर रहा हूं।
- 00:43:58मुझे सिर्फ आज यह वीडियो बनाने ने इस बात
- 00:44:02पर मजबूर किया
- 00:44:04कि
- 00:44:07किस खूबसूरत काम को आप नुकसान पहुंचा रहे
- 00:44:11हैं। किस खूबसूरत मेहनत को आप
- 00:44:15कयादत चौधराहट के चक्कर में
- 00:44:20लीडरशिप के चक्कर में हुब्बे जाह के चक्कर
- 00:44:24में किस चीज को आप
- 00:44:28नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिस काम से हिदायत
- 00:44:31फैलनी है।
- 00:44:34ओए हम क्या जवाब देंगे अल्लाह को? जरा
- 00:44:37सोचें। आप अपने आप को तसवुर कर रहे हैं कि
- 00:44:41हम आप तबबलीग वाले हैं। हम तब्लीग वाले
- 00:44:43हैं। क्या ये हमारे अल्लाह के यहां हमारा
- 00:44:47नहीं जा रहा। माज़रत के साथ। सारी जगह पर
- 00:44:51जहांजहां लीडरशिप बैठी है, सियासत का
- 00:44:53शिकार हो चुकी है।
- 00:44:58लेग बुलिंग उसकी टांग ख यह आगे ना आ यह
- 00:45:01पीछे ना चला जाए यह क्या देखें ये क्या वो
- 00:45:04होने लग गया तबबलीग
- 00:45:06में आपको अल्लाह ने चुना मुंतखब किया कबूल
- 00:45:10किया इसलिए कि आप इन चक्करों में पड़
- 00:45:15जाए और माज़रत के साथ कितना कितना अरसा जी
- 00:45:19लेंगे कितना अरसा जी लेंगे या तो
- 00:45:23बड़े-बड़े बादशाहों की बादशाह खत्म हो गई।
- 00:45:26ये तो बड़ा खूबसूरत प्यारा काम है और इसको
- 00:45:29बनाने
- 00:45:31वाले बिल आखिर वो भी दुनिया से चले गए
- 00:45:33जिन्होंने बुनियाद रखी थी जो बानी थे इस
- 00:45:36काम
- 00:45:37के। तो आप या मैं कब तक जी लेंगे? कितना
- 00:45:42अरसा
- 00:45:44इस तबबलीग की लीडरशिप को एंजॉय कर लेंगे।
- 00:45:47कितना अरसा?
- 00:45:50लेकिन अल्लाह का वास्ता है मैं गुजारिश
- 00:45:52करता हूं आपसे कि प्लीज मैं तो यूं कहूंगा
- 00:45:55कि एक दफा सर जोड़कर बैठे तो
- 00:45:58सही सारी तबबलीग पूरे पाकिस्तान से पूरी
- 00:46:02दुनिया से तबबलीग वाले जो कयादत के जो
- 00:46:05लीडरशिप का रोल अदा कर रहे हैं उनसे मेरी
- 00:46:07गुजारिश है कि बैठे और सबसे पहले तो इस
- 00:46:13तोड़ को जो कई साल से वजूद में आया और जो
- 00:46:17तबबलीग के काम आपको कत्लो गारत पे ले आए।
- 00:46:20इसको तो
- 00:46:21जोड़ें। सबसे पहले इसको तो जोड़ लगाएं। कोई
- 00:46:25तो हो कोई तो आप में से जागे और होश
- 00:46:28संभाले कि यार हम उठे और इस काम में सबसे
- 00:46:32पहले जो तोड़ हुआ उसको जोड़ में
- 00:46:35बदलें। और प्लीज अल्लाह के वास्ते इस काम
- 00:46:38में से इस चीज को निकाल
- 00:46:41दें। हसद को निकाल दें। कीना और दिल बुगज़
- 00:46:46को निकाल दें। अल्लाह के वास्ते और जो
- 00:46:49सलाहियत जिस बंदे में है उसको उसमें
- 00:46:54लगाएं। अगर तो आपको तबबलीग की और दीन की
- 00:46:57तरक्की मकसूद है तो अल्लाह के वास्ते ये
- 00:47:01करें। अल्लाह के वास्ते करें जो हमने
- 00:47:04देखा। मैंने देखा अल्हम्दुलिल्लाह।
- 00:47:08अल्लाह की कसम एक रोजा लगाया हुआ शख्स जब
- 00:47:12मोहल्ले में वापस आता था पूरे मोहल्ले में
- 00:47:14पता चलता था उसके असरात का कि ये इससे
- 00:47:17रोजा लगा के आया और माज़रत के साथ मुझे
- 00:47:21कहना पड़ता है आज कि चार माह लगाया हुआ आज
- 00:47:25का
- 00:47:26नौजवान कोई जिंदगी में तब्दीली
- 00:47:30नहीं कोई तब्दीली नहीं अगर है तो बड़ी आरजी
- 00:47:34और कुछ अरसे बाद वो फिर दोबारा उसी की
- 00:47:37जिंदगी में चला जाता है। ये बहुत खौफनाक
- 00:47:41अंजाम की तरफ सारी चीजें जा चुकी हैं। तो
- 00:47:46प्लीज मैं हाथ जोड़ के अपने वालिद की
- 00:47:49खातिर नहीं उनको अल्लाह ने जो काम लेना था
- 00:47:52अल्लाह ने भरपूर लिया। अल्हम्दुलिल्लाह
- 00:47:54सुम्मा
- 00:47:55अल्हम्दुलिल्लाह वो अपनी जात में अपनी
- 00:47:58मेहनत में आज भी सर धुन करो क्या हुआ उस
- 00:48:02दिन इ्त्तमा में मैं उस बात को पूरा करूं।
- 00:48:05रास्ते बंद हुए। उन्होंने गाड़ी में बैठे
- 00:48:08सरफ मारा और वापस चल दिए और अपने साथ
- 00:48:12मौजूद साथियों को कहा कि बेटा मैंने तो
- 00:48:14सारी जिंदगी ये काम नहीं किया। मैं तो
- 00:48:17फितने अल फितनातु अशद कत्ल कत्ल से ज्यादा
- 00:48:22शदीद गंदी चीज है फितना। मैंने कहा चल
- 00:48:27वापस फौरन से पहले वापसी का इरादा कर लिया
- 00:48:32और मेरे मोहतरमई
- 00:48:35तबलीग के कायदीन मेरी आपसे गुजारिश है यही
- 00:48:40उनकी तरक्की का राज है। पीछे हट
- 00:48:44जाना।
- 00:48:46अपना जात का मसला नहीं है।
- 00:48:49यह अल्लाह के काम में जात की कोई हैसियत
- 00:48:54नहीं। अपनी अना अना मैं की कोई जगह नहीं।
- 00:48:59इस काम के अंदर यहां सिर्फ इखलास और
- 00:49:02लिला्लाहियत चलती है।
- 00:49:05तो मुझे अपने वालिद की कोई फिक्र नहीं।
- 00:49:08अल्लाह ने उनसे बड़ा और आज भी मैं उनको
- 00:49:11अपनी गुनाहगार आंखों से देखता हूं जो 60
- 00:49:1460
- 00:49:15नफल 70 70 नफल अदा कर रहे हैं रोजाना
- 00:49:20फराइज़ के इलावा 72 साल की उम्र में
- 00:49:24बीमारियों के साथ सर दर्द के
- 00:49:27साथ और किस तरह बिलक बिलक के उम्मत की
- 00:49:30हिदायत के लिए और पूरे आलम की हिदायत के
- 00:49:32लिए दुआ मांगते हैं मैं आपको तफसील बताऊं
- 00:49:35तो आप मेरे पे रिया के आगे का फतवा लगा
- 00:49:39देंगे। अल्लाह की कसम वो इंशा्लाह मुझे
- 00:49:43अपने रब की रहमत से उम्मीद है कि वो
- 00:49:46सुरखरू हैं अपनी मेहनत में। लेकिन प्लीज
- 00:49:49ये जो कयादत है आप बड़े मुअजज़ मोहतरम हैं।
- 00:49:53मैं हाथ जोड़ के हाथ जोड़ के मैं कहता हूं
- 00:49:57कि ये नबियों वाले काम को इस तरह अपनी जात
- 00:50:00और अपनी अना की भेंट मत चढ़ाएं। अल्लाह का
- 00:50:04वास्ता है। अल्लाह का वास्ता देता हूं
- 00:50:07आपको। अल्लाह का वास्ता देता हूं कि प्लीज
- 00:50:11इसमें से अपना आप निकाल दें और अल्लाह को
- 00:50:13ले और अहल लोगों को आगे लाएं। प्लीज अहल
- 00:50:18लोग डरे बैठे हैं। डुब के बैठे हैं। वो
- 00:50:20आगे आने की जरूरत ही नहीं करते। उनको आगे
- 00:50:23लाएं। ताकि दावत का काम आगे जाए। मैं आगे
- 00:50:27जाऊं ना जाऊं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
- 00:50:30दावत आगे जाए, तबबलीग आगे जाए और लोगों को
- 00:50:33उसी तरह से उसी तरह से
- 00:50:37हिदायत और ईमान की रोशनी से मुनवर करे जो
- 00:50:41पिछले 100 साल से करते आ रही
- 00:50:46है। मेरा आज का पैगाम मेरी वीडियो बेशक एक
- 00:50:51लंबे वक्त पर मुहीद थी। लेकिन जो मेरे
- 00:50:55अंदर
- 00:50:56जिस दुख ने मुझे मजबूर किया कि ये मैं
- 00:50:59वीडियो रिकॉर्ड कराऊं मैं सारी दिन भी
- 00:51:02बोलूं सारी रात भी बोलूं मैं महीनों बोलता
- 00:51:05चला जाऊं तो कम
- 00:51:09है और अल्लाह की कसम मैं आखिर में कहना
- 00:51:12चाहूंगा कि मैं आज भी तबलीग और इस काम की
- 00:51:18अजमत को सलूट पेश करता हूं। सलाम पेश करता
- 00:51:22हूं।
- 00:51:24यह इतना अजीम काम है।
- 00:51:27लेकिन सिर्फ यह गिला, यह
- 00:51:31शिकवा उन लोगों से
- 00:51:33है जिन्होंने कयादत जिनको अल्लाह ने दी और
- 00:51:39वो इन चीजों का शिकार
- 00:51:42हुए। और मैं अपनी बात को इस बात पर के साथ
- 00:51:47खत्म करता
- 00:51:48हूं कि प्लीज हम जाग जाए।
- 00:51:52हम जाग
- 00:51:55जाए। नहीं तो अल्लाह की कसम अल्लाह मेरा
- 00:51:59आपका मोहताज नहीं है। अगर मैंने आज या
- 00:52:02आपने या हमने अपने आप की इस्लाह ना की तो
- 00:52:05अल्लाह खुदा ना खास्ता ये सहादत हमसे छीन
- 00:52:08लेंगे। अल्लाह किसी के मोहताज नहीं है। वो
- 00:52:12यह काम किसी और के हवाले कर देंगे। और हम
- 00:52:15वहीं के वहीं
- 00:52:17बदकिस्मत सर में मिट्टी डालते रह जाएंगे।
- 00:52:23तो कब इसके कि कोई ऐसा वक्त आए
- 00:52:27प्लीज इस तब्लीग को उसी नहज पे ले जाए
- 00:52:30जहां से ये काम शुरू हुआ था। अल्लाह ताला
- 00:52:34मुझे और आपको और पूरी उम्मत को और पूरी
- 00:52:38तबबली की कयादत को पूरी दुनिया
- 00:52:42में उस तरह चलने की तौफीक अता फरमाए जिस
- 00:52:46तरह मेरे रब की मर्जी है।
- 00:52:50दामला रब आलमीन
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