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[संगीत]
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हेलो एवरीवन आज की इस वीडियो में हम
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पढ़ेंगे क्लास 10थ जियोग्राफी का चैप्टर
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नंबर सेवन लाइफलाइंस ऑफ नेशनल इकोनॉमी तो
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हम इस पूरे चैप्टर को एनिमेशन के जरिए
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समझेंगे तो चलिए शुरू करते
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[संगीत]
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हैं हम अपने डेली लाइफ में अलग-अलग
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मटेरियल और सर्विसेस का यूज करते हैं कुछ
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चीजें हमें आसपास ही मिल जाती है जबकि कुछ
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चीजें हमें दूसरी जगह से लानी पड़ती है
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गुड्स और सर्विसेस अपने आप सप्लाई लोकेशन
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से डिमांड लोकेशन तक नहीं पहुंचती बल्कि
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इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के
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लिए ट्रांसपोर्ट की जरूरत होती है कुछ लोग
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इस मूवमेंट को आसान बनाने में लगे हुए हैं
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जिन्हें ट्रेडर्स कहते हैं जो प्रोडक्ट को
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कंज्यूमर तक ट्रांसपोर्टेशन के थ्रू
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पहुंचाते हैं इस तरह किसी कंट्री का
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डेवलपमेंट उसके गुड्स और सर्विसेस के
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प्रोडक्शन और उनके मूवमेंट पर डिपेंड करता
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है इसलिए एफिशिएंट ट्रांसपोर्ट फास्ट
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डेवलपमेंट के लिए जरूरी है पहले के समय
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में ट्रेड और ट्रांसपोर्ट सीमित था बट अब
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साइंस और टेक्नोलॉजी में डेवलपमेंट की वजह
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से किसी भी जगह से ट्रेड किया जा सकता है
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यह सब डेवलप्ड क निकेशन सिस्टम की वजह से
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पॉसिबल हुआ है इंडिया इतनी बड़ी कंट्री
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होने के बाद भी आज वर्ल्ड से अच्छे से
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कनेक्टेड है और यह सब पॉसिबल हुआ है
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रेलवेज एयरवेज वाटर वेज न्यूज़पेपर रेडियो
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टेलीविजन सिनेमा और इंटरनेट की वजह से
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गुड्स और सर्विसेस एक जगह से दूसरी जगह
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ट्रांसपोर्ट करने के तीन तरीके हैं लैंड
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से वाटर से और एयर से इसी बेसिस पे
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ट्रांसपोर्टेशन को भी तीन पार्ट्स में
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क्लासिफाई किया गया है लैंड ट्रांसपोर्ट
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वाटर ट्रांसपोर्ट और एयर ट्रांसपोर्ट लैंड
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ट्रांसपोर्ट में आता है रोडवेज रेल रेलवेज
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और पाइपलाइंस वाटर ट्रांसपोर्ट में आता है
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इनलैंड और ओवरसीज एयर ट्रांसपोर्ट में आता
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है डोमेस्टिक एयरवेज और इंटरनेशनल एयरवेज
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अब हम हर एक के बारे में डिटेल में जान
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लेते हैं सबसे पहले रोडवेज के बारे में
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जान लेते हैं इंडिया के पास दुनिया का
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सबसे बड़ा रोड नेटवर्क है जिसका टोटल लेंथ
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लगभग 62 लाख किमी है इंडिया में रोडवेज
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रेलवे से आगे है क्योंकि रेलवेज के
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कंपैरिजन में इसे बनाना और मेंटेन करना
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आसान है रोडवेज का इंपोर्टेंस रेलवेज के
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कंपैरिजन में बढ़ रहा है क्योंकि पहला
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रोडवेज का कंस्ट्रक्शन कष्ट रेलवे लाइन के
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कंपैरिजन में बहुत कम होता है दूसरा रोड
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को किसी भी ऊंची नीची जगह बनाया जा सकता
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है जबकि रेलवे को ऐसी जगहों पर नहीं बनाया
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जा सकता तीसरा रोडवेज को हिमालया जैसे
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माउंटेंस में आसानी से कंस्ट्रक्ट किया जा
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सकता है फोर्थ शॉर्ट डिस्टेंस में गुड्स
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या कम लोगों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए
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रोडवेज ज्यादा इकोनॉमिकल है फिफ्थ इसमें
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डोर टू डोर सर्विस प्रोवाइड किया जा सकता
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है सिक्स्थ यह दूसरे मोड्स ऑफ ट्रांसपोर्ट
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के लिए फीडर का काम करता है इंडिया में
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रोड्स को सिक्स क्लासेस में क्लासिफाई
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किया गया है पहला है गोल्डन क्वाड्रीलेटरल
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सुपर हाईवेज गवर्मेंट ने एक मेजर रोड
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डेवलपमेंट प्रोजेक्ट शुरू किया जिसमें
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दिल्ली कोलकाता चेन्नई मुंबई को सिक्स लेन
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सुपर हाईवे से जोड़ा गया इसी प्रोजेक्ट
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में नॉर्थ साउथ कॉरिडोर भी आता है जो
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श्रीनगर को कन्याकुमारी से लिंक करता है
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और वहीं ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर सिलचर को प्र
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बंदर से कनेक्ट करता है इस प्रोजेक्ट का
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मेन ऑब्जेक्टिव है इंडिया की मेगा सिटीज
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के बीच के डिस्टेंस को कम कर करना ताकि कम
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टाइम में ट्रेवल किया जा सके यह प्रोजेक्ट
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एनएचएआई यानी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ
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इंडिया द्वारा इंप्लीमेंट किया गया है
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दूसरा है नेशनल हाईवेज नेशनल हाईवेज
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कंट्री के एक्सट्रीम पार्ट्स को आपस में
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लिंक करता है यह प्राइमरी रोड सिस्टम है
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जिसे सीपीडब्ल्यूडी यानी सेंट्रल पब्लिक
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वक्स डिपार्टमेंट द्वारा बनाया और मेंटेन
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किया जाता है तीसरा रोड है स्टेट हाईवेज
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यह वो रोड्स होती हैं जो स्टेट कैपिटल को
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डिफरेंट डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर से
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कनेक्ट करती हैं इस तरह के रोड को बनाने
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और मेंटेन करने का काम स्टेट पब्लिक
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वर्क्स डिपार्टमेंट द्वारा किया जाता है
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चौथा है डिस्ट्रिक्ट रोड्स यह रोड
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डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर को डिस्ट्रिक्ट
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के दूसरे जगहों से कनेक्ट करती है इस रोड
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को जिला परिषद द्वारा मेंटेन किया जाता है
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पांचवा है अदर रोड्स ये रूलर रोड्स है जो
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विलेज को टाउन से कनेक्ट करती है इस रोड
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को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के
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तहत बनाया जाता है सिक्स्थ है बॉर्डर
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रोड्स ये वो रोड्स होती हैं जो बॉर्डर
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एरियाज में बनाई जाती हैं इसे बनाने का
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काम बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन करती है जो
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गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के अंदर आती है यह
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ऑर्गेनाइजेशन 1960 में एस्टेब्लिश हुई थी
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ताकि नॉर्दर्न और नॉर्थ ईस्टर्न बॉर्डर
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एरियाज में स्ट्रेटेजिक इंपोर्टेंट वाले
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रोड्स को डेवलप किया जा सके इसके अलावा
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रोड्स को उनके कंस्ट्रक्शन मटेरियल के
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बेसिस पे भी क्लासिफाई किया जा सकता है
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जैसे मेटल और अनमेट रोड्स मेटल रोड्स वो
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होती हैं जो सीमेंट कंक्रीट या बिटमिनर से
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बनी होती हैं इसलिए यह सभी मौसम झेल सकती
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हैं और अनमेट रोड्स वह होती हैं जो इन सब
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चीजों से नहीं बनी होती और जिनको रेनी
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सीजंस में यूज नहीं किया जा सके अब हम
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रेलवेज के बारे में जान लेते हैं इंडिया
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में रेलवेज पैसेंजर के लिए प्रिंसिपल मोड
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ऑफ ट्रांसपोर्टेशन है साथ ही गुड्स को
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लंबी दूरी तक ट्रांसपोर्ट करने में भी मदद
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करती है पहली ट्रेन
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18533 किमी के डिस्टेंस को तय किया इंडियन
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रेलवेज को 17 जोनस में डिवाइड किया गया है
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रेलवे नेटवर्क का डिस्ट्रीब्यूशन पैटर्न
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कंट्री में फिजियोग्राफिक इकोनॉमिक और
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एडमिनिस्ट्रेटिव फैक्टर से लार्जली
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इन्फ्लुएंस है नॉर्दर्न प्लेंस जहां लेबल
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लैंड है हाई पॉपुलेशन है और रिच
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एग्रीकल्चर रिसोर्स है जो रेलवेज के लिए
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सबसे फेवरेबल कंडीशन प्रोवाइड करता है बात
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करें पेनिंस रीजन की तो वहां रेलवे
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ट्रैक्स को लो हिल्स गैप्स या टनल्स के
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बीच में बिछाया जाता है हिमालयन
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माउंटेनियर रीजन रेलवे लाइंस के
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कंस्ट्रक्शन के लिए अनफेवरेबल है ड्यू टू
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हाई रिलीफ स्पर्स पॉपुलेशन और लैक ऑफ
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इकोनॉमिक अपॉर्चुनिटी उसी तरह वेस्टर्न
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राजस्थान के सैंडी प्लेंस में गुजरात के
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स्मस में मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ उड़ीसा और
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झारखंड के फॉरेस्टेड एरियाज में रेलवे
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ट्रैक्स को बिछाना बहुत मुश्किल होता है
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वेस्टर्न घाट या सादरी में हिल्स के गैप्स
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में रेलवे ट्रैक्स को बनाया जाता है कनकन
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रीजन में रेलवेज को वेस्ट कोस्ट पर बनाया
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जाता है रेलवेज हमारे नेशनल इकोनॉमी में
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सबसे इंपोर्टेंट है लेकिन रेल ट्रांसपोर्ट
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में अब भी कुछ प्रॉब्लम्स हैं जैसे बहुत
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सारे पैसेंजर्स बिना टिकट के ट्रेवल करते
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हैं और रेलवे प्रॉपर्टी को नुकसान
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पहुंचाते हैं कुछ लोग बिना वजह चैन खींचकर
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ट्रेन को रोक देते हैं जिससे रेलवे को को
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बहुत नुकसान होता है लैंड ट्रांसपोर्ट में
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तीसरा है पाइपलाइंस पाइपलाइन ट्रांसपोर्ट
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नए तरह का ट्रांसपोर्ट सिस्टम है पहले
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इसका इस्तेमाल पानी को सिटीज और
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इंडस्ट्रीज तक पहुंचाने के लिए होता था
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लेकिन अब इनका यूज होता है कलूड ऑयल
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पेट्रोलियम प्रोडक्ट और नेचुरल गैस को
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रिफाइनरी फर्टिलाइजर फैक्ट्रीज और बड़े
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थर्मल पावर प्लांट तक पहुंचाने के लिए
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सॉलिड्स को भी पाइपलाइन के थ्रू
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ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है जब उन्हें
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स्लरी में कन्वर्ट कर दिया जाए तब
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पाइपलाइन बिछाने का इनिशियल कॉस्ट ज्यादा
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होता है पर बाद में चलाने का कॉस्ट बहुत
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कम होता है इससे ट्रास शिपमेंट लॉस या
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डिले नहीं होता है हमारे कंट्री में
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पाइपलाइन ट्रांसपोर्टेशन के तीन
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इंपोर्टेंट नेटवर्क्स हैं पहला है अप्पर
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आसाम से कानपुर तक जो गुवाहाटी बरौनी और
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इलाहाबाद से होकर जाता है दूसरा है गुजरात
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के सलाया से पंजाब के जालंधर तक जो कि
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विराम गांव मथुरा दिल्ली और सोनीपत के
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रास्ते दूसरे जगहों को कनेक्ट करता है
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तीसरा पाइपलाइन है गुजरात के हजीरा से
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उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर तक जो मध्य
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प्रदेश के विजयपुर से होकर जाता है जिसे
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एचवी जे पाइपलाइन भी बोला जाता है वाटर
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वेज एंसन टाइम से ही इंडिया वर्ल्ड से सी
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रूट के जरिए कनेक्टेड रहा है यहां के लोग
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दूर-दूर तक जाते थे और अपने व्यापार और
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कल्चर को दूसरी कंट्रीज तक फैलाते थे वाटर
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वेज चीपेस्ट मींस ऑफ ट्रांसपोर्ट है यह
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हेवी और बल्की गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन के
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लिए सबसे सूटेबल है यह एक फ्यूल एफिशिएंट
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और एनवायरमेंट फ्रेंडली मोड ऑफ
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ट्रांसपोर्ट है इंडिया में 145 500 किमी
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लंबी इनलैंड नेविगेशन वाटर वेज है जिसमें
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से सिर्फ
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5685 किमी ही मैकेनाइज वेसल्स है
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गवर्नमेंट ने इन वाटर वेज को नेशनल वाटर
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वेज डिक्लेयर किया है जिसमें नेशनल वाटर
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वेज नंबर वन गंगा नदी में इलाहाबाद से
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हल्दिया तक है नेशनल वाटर वे सेकंड है
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ब्रह्मपुत्र रिवर में सादिया से दुबरी तक
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नेशनल वाटर वे नंबर थ्री है वेस्ट कोस्ट
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कनाल केरला में कोटम पुरम से कोलम तक
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नेशनल वाटर वे नंबर फोर है गोदावरी और
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कृष्णा रिवर में जो काकीनाडा से पुडुचेरी
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तक है नेशनल वॉटरवे नंबर फाइव है
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ब्राह्मणी रिवर के कुछ हिस्सों पर मताई
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रिवर पर और महानदी पर मेजर सी पोर्ट्स
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इंडिया की कोस्टलाइन
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7516 किमी है और इंडिया के पास 12 मेजर
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पोर्ट्स है और 200 नॉन मेजर पोर्ट्स हैं
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यह मेजर पोर्ट्स इंडिया के 95 पर फॉरेन
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ट्रेड को हैंडल करते हैं पार्टीशन से पहले
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ज्यादातर ट्रेड कराची पोर्ट से होता था बट
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पार्टीशन के बाद कराची पोर्ट पाकिस्तान
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में चला गया जिसकी वजह से ज्यादातर ट्रेड
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मुंबई पोर्ट से होने लगा इसलिए मुंबई
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पोर्ट के ट्रेड वॉल्यूम को कम करने के लिए
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कांडला पोर्ट को कच्छ में इंडिपेंडेंस के
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बाद सबसे पहले डेवलप किया गया जिसे
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दीनदयाल पोर्ट भी कहा जाता है यह एक टाइडल
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पोर्ट है यह पोर्ट जम्मूकश्मीर हिमाचल
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प्रदेश पंजाब हरियाणा राजस्थान और गुजरात
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के एक्सपोर्ट्स और इंपोर्ट्स को आसानी से
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हैंडल करता है नेक्स्ट है मुंबई पोर्ट तो
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यह पोर्ट इंडिया का सबसे बड़ा पोर्ट है जो
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नेचुरल और वेल शेल्टर्ड हार्बर है मुंबई
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पोर्ट के भीर को कम करने के लिए जवाहरलाल
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नेहरू पोर्ट एज अ हब पोर्ट बनाया गया था
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मर्माग पोर्ट जो गोवा में है यह कंट्री का
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प्रीमियर आयरन एक्सपोर्टिंग पोर्ट है जो
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कंट्री के लगभग 50 पर आयरन और एक्सपोर्ट
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को हैंडल करता है न्यू बंगलोर पोर्ट जो
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कर्नाटका में है यह कुदर मुख माइन से आयरन
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एक्सपोर्ट करता है कोची सबसे साउथ
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वेस्टर्न पोर्ट है जो कि एक नेचुरल हार्बर
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पोर्ट है अगर हम ईस्ट कोस्ट पर आगे बढ़े
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तो तमिलनाडु में टूटी कुरीन है जो कि
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एक्सट्रीम साउथ ईस्ट न पोर्ट है यह भी एक
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नेचुरल हार्बर पोर्ट है चेन्नई पोर्ट
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कंट्री के ओल्डेस्ट आर्टिफिशियल पोर्ट्स
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में से एक है मुंबई के बाद सबसे ज्यादा
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ट्रेड इसी पोर्ट से होता है विशाखापट्टनम
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सबसे डिपेड लैंड लॉक पोर्ट है इस पोर्ट को
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पहले आयरन और एक्सपोर्ट के लिए बनाया गया
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था पारा दवी पोर्ट जो उड़ीसा में है यह
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पोर्ट भी आयरन एक्सपोर्ट करता है कोलकाता
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एक इनलैंड राइन पोर्ट है यह पोर्ट गंगा
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ब्रह्मपुत्र बेसिन में है हल्दिया पोर्ट
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को कोलकाता पोर्ट पर बढ़ती प्रेशर को कम
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करने के लिए बनाया गया था एयरवेज एयर
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ट्रेवल आज के समय में सबसे फास्ट
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कंफर्टेबल और प्रेस्टीजियस मोड ऑफ
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ट्रांसपोर्ट है इससे हम मुश्किल टेरन जैसे
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हाई माउंटेंस डिजर्ट्स और डेंस फॉरेस्ट
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में आसानी से जा सकते हैं पवन हंस
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हेलीकॉप्टर लिमिटेड ऑयल और नेचुरल गैस
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कॉर्पोरेशन को ऑफशोर ऑपरेशंस के लिए
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सर्विसेस प्रोवाइड करता है कम्युनिकेशन जब
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से ह्यूमंस अर्थ पर आए हैं तब से उन्होंने
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कम्युनिकेशन के अलग-अलग तरीके यूज किए हैं
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लेकिन आज के समय में टेक्नोलॉजी की वजह से
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यह सब बहुत चेंज हो गया है अब हम अलग-अलग
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कंट्री में होने के बावजूद भी आसानी से
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बात कर सकते हैं कम्युनिकेशन दो तरह का
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होता है पहला है पर्सनल कम्युनिकेशन और
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दूसरा है मास कम्युनिकेशन इंडियन पोस्टल
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नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है
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यह पार्सल्स और पर्सनल रिटन कम्युनिकेशंस
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हैंडल करता है कार्ड्स और एनवेलप्स फर्स्ट
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क्लास मेल कहलाते हैं और इन्हें एयर और
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लैंड दोनों से एयरलिफ्ट किया जाता है
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सेकंड क्लास मेल में बुक पैकेट्स
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रजिस्टर्ड न्यूज़पेपर और पीरियोडिक आते
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हैं इन्हें सरफेस मेल से भेजा जाता है या
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लैंड और वाटर के थ्रू भेजा जाता है बड़े
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शहरों में क्विक डिलीवरी के लिए सिक्स मेल
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चैनल्स इंट्रोड्यूस किए गए हैं इन्हें
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राजधानी चैनल मेट्रो चैनल ग्रीन चैनल
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बिजनेस चैनल बल्क मेल चैनल और पीरियोडिक
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चैनल कहा जाता है इंडिया के पास एशिया का
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सबसे बड़ा टेलीकॉम नेटवर्क है अर्बन
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एरियाज को छोड़कर दो तिहाई विलेज में
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एसटीडी यानी सब्सक्राइबर ट्रंक डायलिंग
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टेलीफोन फैसिलिटी मौजूद है ताकि आसानी से
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एक जगह से दूसरी जगह कम्युनिकेट किया जा
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सके मास कम्युनिकेशन इंटरटेनमेंट प्र ड
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करता है और लोगों को नेशनल प्रोग्राम्स और
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पॉलिसीज के बारे में अवेयर करता है इसमें
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रेडियो टेलीविजन न्यूज़पेपर मैगजींस बुक्स
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और फिल्म शामिल है ऑल इंडिया रेडियो
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आकाशवाणी अलग-अलग लैंग्वेज में
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प्रोग्राम्स ब्रॉडकास्ट करता है दूरदर्शन
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इंडिया का नेशनल टेलीविजन चैनल है जो
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अलग-अलग एज ग्रुप के लिए इंटरटेनमेंट
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एजुकेशन और स्पोर्ट के प्रोग्राम दिखाता
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है इंडिया हर साल बहुत सारे न्यूज़पेपर और
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पीरियोडिक पब्लिश करता है न्यूजपेपर्स
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लगभग 100 लैंग्वेज में पब्लिश किए जाते
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हैं सबसे ज्यादा न्यूज़पेपर हिंदी में
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पब्लिश होता है इंडिया दुनिया का सबसे
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बड़ा फीचर फिल्म प्रोड्यूसर है सेंट्रल
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बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन इंडियन
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फिल्म्स को सर्टिफाई करता है इंटरनेशनल
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ट्रेड गुड्स के एक्सचेंज को ट्रेड कहते
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हैं मार्केट वो जगह है जहां यह एक्सचेंज
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होता है दो कंट्रीज के बीच ट्रेड को
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इंटरनेशनल ट्रेड कहते हैं यह सी एयर या
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लैंड से हो सकता है इंटरनेशनल ट्रेड से ही
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किसी कंट्री के इकोनॉमिक स्ट्रेंथ का पता
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चलता है इंटरनेशनल ट्रेड में दो चीजें
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होती हैं एक है एक्सपोर्ट और दूसरा है
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इंपोर्ट बैलेंस ऑफ ट्रेड होता है
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एक्सपोर्ट माइनस इंपोर्ट जब एक्सपोर्ट का
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वैल्यू इंपोर्ट से ज्यादा होता है तो इसे
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फेवरेबल बैलेंस ऑफ ट्रेड कहते हैं और अगर
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इंपोर्ट का वैल्यू एक्सपोर्ट से ज्यादा
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होता है तो इसे अनफेवरेबल बैलेंस ऑफ ट्रेड
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कहते हैं टूरिज्म एज ए ट्रेड पिछले तीन
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दशक में इंडिया में टूरिज्म बहुत बड़ा है
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15 मिलियन से ज्यादा लोग टूरिज्म
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इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं टूरिज्म नेशनल
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इंटीग्रेशन को प्रमोट करता है लोकल
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हैंडीक्राफ्ट और कल्चरल एक्टिविटीज को
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सपोर्ट करता है यह हमारे कल्चर और हेरिटेज
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के बारे में इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग
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डेवलप करने में भी मदद करता है फॉरेन
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टूरिस्ट इंडिया में हेरिटेज टूरिजम इको
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टूरिज्म एडवेंचर टूरिज्म कल्चरल टूरिज्म
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मेडिकल टूरिज्म और बिजनेस टूरिज्म के लिए
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आते हैं हमारा यह चैप्टर यहीं पर खत्म
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होता है अगर आपको यह वीडियो अच्छा लगा हो
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तो इस वीडियो को लाइक कर दें और हमारे
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