00:00:00
का रिश्ता स्टेशन में हमने नमाज के हवाले
00:00:03
से तस्वीर के साथ पड़ा था
00:00:06
हैं और पुराणों सुन्नत की रोशनी में यह
00:00:08
जैसा लिया था कि नमाज़ की अहमियत और
00:00:12
व्याख्या की गई है
00:00:15
और इंशाल्लाह आज के सेक्शन में हम इस्लाम
00:00:19
के एक और अहम शुभ
00:00:21
अख्यात के हवाले से क़ुरआने करीम के सूरए
00:00:25
गुजरात की रोशनी में पढेंगे
00:00:28
कि चुनाचे सूरत के दो बुनियादी मौज़ूआत है
00:00:33
का पहला मौजूद यह है कि आप सल्लल्लाहू
00:00:36
अलैही वसल्लम के साथ मुसलमानों का रवैया
00:00:40
कैसा होना चाहिए
00:00:42
मैं उनसे गुफ्तगू कानदास कैसा हो उनके साथ
00:00:46
चलने का अंदाज कैसा हो उनके साथ बैठने का
00:00:50
अंदाज के समूह
00:00:52
और दूसरा व सूखे है कि मुसलमानों का आपस
00:00:56
में रहन-सहन और रवैया कैसा हो उनकी मां
00:01:00
शरत और सुसाइटी सिस्टम कैसा हो
00:01:04
है और कौन सी वह अगला की बुराइयां है
00:01:07
जिससे वह पास हो और कैसे एक पुरअमन इस्लाम
00:01:12
ई वास क्राइंग किया जा सके
00:01:15
कि अब सवाल यह पैदा होता है कि इस सूरत को
00:01:19
सूर्य गुजरात क्यों कहा जाता है
00:01:22
अब तो जवाब इसका यह है कि गुजरात
00:01:26
अरबी में उतरे की जगह है
00:01:29
कि जो कमरे को कहते हैं
00:01:31
कि इस सूरज की 64वीं आयत में नदिया क्रीम
00:01:35
सरकारे दो आलम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के
00:01:38
रिहाइशी कमरों के पीछे से आपको आवाज देने
00:01:42
से मना फ़रमाया गया है
00:01:44
है इस वजह से इस सूरत का नाम सूर्या
00:01:47
गुजरात रखा गया है तो इस सूरत की बिदाई 5
00:01:51
आयत है इसका शुक्र पर नाज़िल हुई थी और वह
00:01:55
यह कि हुजूर सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम के
00:01:58
पास अरब के मोबाइल के बहुत सारे वह पूरा
00:02:01
आया करते थे तो
00:02:03
यहां पर आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम
00:02:05
उन्हीं में से किसी को फायदा के लिए कबीले
00:02:08
का अमीर और सरदार व करण वर्मा देते थे एक
00:02:12
मर्तबा कबीले तमीम का एक वक्त आप
00:02:15
सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम की ख़िदमत में
00:02:17
आया
00:02:18
अभी आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने उनमें
00:02:21
से किसी को भी नहीं बनाया था और ना ही इस
00:02:25
सिलसिले में कोई बात की थी लेकिन आप
00:02:27
सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम की मौजूदगी में
00:02:30
ही हजरत अबू बकर रज़ी अल्लाह ताला अनहो और
00:02:33
हज़रत उमर रदियल्लाहो तअला अन्हु ने यह
00:02:36
वड़ा शुरू कर दिया कि इनमें से किसको अमीर
00:02:39
बनाया जाए हजरत अबू बकर ने एक नाम लिया
00:02:43
हजरत उमर ने दूसरा नाम लिया
00:02:46
है और इन दोनों बुजुर्गों ने अपनी-अपनी
00:02:48
राय की ताईद इस तरह करना शुरू कर दी के
00:02:52
कुछ बहस का माहौल पैदा हो गया है हैं और
00:02:55
इसमें दोनों की आवाजें बुलंद होना शुरू हो
00:02:57
गई है
00:02:58
कि इस पर सूर्य गुजरात की पहली तीन आयतें
00:03:01
नाज़िल हुई है
00:03:03
है जिसमें यह हिदायत की गई कि जिन वहां
00:03:06
इलाज का फैसला नबी-ए-करीम सरकारी दो आलम
00:03:08
सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम को करना हो और
00:03:12
आपने उनके बारे में कोई मशवरा बिना तलब
00:03:15
किया हो और वह लास्ट में आप से पहले कोई
00:03:18
राय कायम कर लेना और उस पर इसरार करना यह
00:03:21
बहस करना आपके अदब के खिलाफ है कि अगर से
00:03:26
की पहली आयत इस खास मौके पर नाज़िल हुई थी
00:03:30
लेकिन अलिफ
00:03:32
इस्तेमाल फरमाइश है ताकि यह वसूली हिदायत
00:03:36
दी जाए कि किसी भी मामले में हजरत
00:03:39
सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम से आगे बढ़ना
00:03:41
मुसलमानों के लिए दुरुस्त नहीं है
00:03:44
इसमें यह बात भी दाखिल है कि अगर आप
00:03:47
सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के साथ चलना हो
00:03:49
तो आपसे आगे ना बढ़ाए नीस आप सल्लल्लाहू
00:03:53
अलेही वसल्लम ने जिंदगी के मुताबिक होठों
00:03:56
से जो बिद्ध होकर फरमाई हैं उनसे आगे
00:04:00
निकलने की कोशिश ना की जाए
00:04:03
कि इसके बाद दूसरी और तीसरी आयतों में यह
00:04:06
हिदायत दी गई है कि आप सल्लल्लाहो अलेही
00:04:09
वसल्लम की मजलिस में बैठकर अपनी अब्बास आप
00:04:12
सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की आवाज से बुलंद
00:04:14
नहीं करनी चाहिए
00:04:16
आपसे कोई बात कहनी हो तो वह भी व्रत आवाज
00:04:20
से नहीं कहनी चाहिए
00:04:22
है बल्कि आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की
00:04:24
मजलिस में आवाज नीचे रखने का इस्तेमाल
00:04:28
करना जरूरी है
00:04:30
कि आगे आयत नंबर 6 में अल्लाह ताला बयान
00:04:32
फरमा रहे हैं कि आयल नदीना फ्रूट निंजा
00:04:36
अफवाह सिर्फ बड़ी सफलता जरूर अनंत शिव
00:04:41
विहार पुश भिक्षु फालतू
00:04:46
इस त्यौहार में
00:04:50
कि
00:04:52
अगर कोई आदमी तुम्हारे पास कोई खबर लेकर
00:04:56
तो अच्छी तरह तेज कर लिया करो
00:05:01
तुम नादानी से कुछ लोगों को नुकसान पहुंचा
00:05:05
दो और फिर अपने किए पर शर्मिंदा हो
00:05:09
अब इस आयत के साथ डुब में बशरी ने वाक्य
00:05:14
कल फरमाया है
00:05:16
थे और वो बात है यह है कि हजरत खालिफ
00:05:18
बब्बा रजि अल्लाह ताला अनहो जो के सहाबी
00:05:22
रसूल है
00:05:23
इनको आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने
00:05:26
तमिलनाडु स्थित के पास जकात वसूली करने के
00:05:30
लिए भेजा है
00:05:32
कि जब यह उनकी बस्ती के करीब पहुंचे तो वह
00:05:36
लोग आंख अगर आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम
00:05:38
के भेजे हुए इलाइची और तौसिफ के इस्तकबाल
00:05:41
के लिए बड़ी तादाद में बस्ती के बाहर जमा
00:05:44
हो गए
00:05:46
हजरत अली बिरहा रसूलल्लाह ताला अन्हु यह
00:05:49
सब देते हैं यह लोग लड़ाई करने के लिए
00:05:51
बाहर निकल आए हैं क्योंकि बास रिवायत में
00:05:55
यह भी आता है कि उनके और बंधु स्थित के
00:05:59
दरमियान जमाने चाहिए लिखित में दुश्मनी थी
00:06:03
है इसलिए हजरत बिजली बिल बकाया राशि
00:06:05
अल्लाह ताला अनु को यह खतरा हुआ कि वह लोग
00:06:08
पुरानी दुश्मनी की बिना पर उनसे लड़ने के
00:06:11
लिए ना निकल आए हो
00:06:14
थे इसी दौरान किसी शरीर आदमी रे उनसे यह
00:06:18
कहा कि लोग आप से लड़ने के लिए बाहर निकले
00:06:22
हैं
00:06:23
चुनांचे हज़रत अली विनोबा बस्ती में दाखिल
00:06:27
होने के बजाय वहीं से वापस लौट गए और जाकर
00:06:31
आला हजरत सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम से
00:06:33
अर्ज़ किया कि पर उत्तेजित के लोगों ने
00:06:36
जकात देने से इनकार कर दिया है
00:06:39
है और वह लड़ाई के लिए निकले हुए हैं
00:06:42
कि हजरत सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने जब यह
00:06:46
सुना तो हजरत खालिद बिन वलीद रजि अल्लाह
00:06:48
ताला अनु को हुक्म फ़रमाया कि तुम जाओ और
00:06:53
जाकर इस वाक्य की 33 करूं कि अगर वापसी उन
00:06:57
लोगों ने सरकशी की हो तो उससे जिहाद करो
00:07:01
कि चुनांचे हज़रत खालिद बिन वलीद
00:07:02
रदियल्लाहो तअला अन्हु वहां पहुंचे तो पता
00:07:05
चला कि वह लोग तो इस्तकबाल के लिए जमा हुए
00:07:08
थे और उन्होंने सख्त देने से इंकार नहीं
00:07:12
किया था
00:07:13
तो इस पर यह आयत नाज़िल हुई और उस शरीर
00:07:16
आदमी को इस आयत में पाचक करार दिया गया है
00:07:20
परत वर्ली तो यह तब भी की गई है कि तन्हा
00:07:23
उस शरीर आदमी की खबर पर भरोसा करने के
00:07:27
बजाय पहले उस खबर की 33 करनी चाहिए थी अ
00:07:32
कि यह आयत अगर के खास मौके के तहत नाज़िल
00:07:35
हुई है लेकिन उम्मत को यह तालीम दी गई है
00:07:39
कि अगर कोई खबर आए तो उसको आगे फैलाने से
00:07:43
पहले उसकी अच्छी तरह तेज करनी चाहिए
00:07:46
है और जैसा कि आपको मालूम है कि आजकल सोशल
00:07:50
मीडिया का दौर है और मुख्तलिफ सच्ची और
00:07:54
झूठी खबरें हमारे पास आती रहती हैं
00:07:57
इसलिए कोई भी बात आगे भेजने से पहले उसकी
00:08:01
अच्छी तरह तीर करनी चाहिए
00:08:04
को चुना चेक और हदिश में आप सल्लल्लाहू
00:08:06
अलैही वसल्लम ने फरमाया
00:08:08
आज के आदमी के झूठा होने के लिए इतना ही
00:08:11
काफी है कि वह हर सुनी सुनाई बात को आगे
00:08:14
फैला दे दो
00:08:17
कि सूर्या गुजरात की आयत नंबर 10 में
00:08:21
अल्लाह ताला बयान फरमाते हैं कि इन नवल
00:08:24
मीणा ने हुआ तुम फसलें फूल बनना अ कई को
00:08:28
वक्त अगला खून तो हम उन दो
00:08:32
अब इस आयत का तरीका यह है क्या न के साथ
00:08:35
फरमाया कि मुसलमान आपस में भाई-भाई है
00:08:39
है इसलिए अपने भाई के दरमियान 16 करवाओ
00:08:44
और अल्लाह ताला से डरो ताकि तुम्हारे साथ
00:08:48
रहने का वादा किया है
00:08:50
कि चुनाव सिसायत की रोशनी में मुसलमानों
00:08:54
को चाहिए कि वह मिल-जुलकर मोहब्बत और अमन
00:08:57
के साथ रहें हैं
00:08:59
को आपस में लड़ाई झगड़े ना करें तो
00:09:02
है और अगर कभी दो मुसलमानों के दरमियान
00:09:06
लड़ाई झगड़ा हो भी जाए तो उनके दरमियां
00:09:09
दोस्ती और सुलह करवा दी जाए तो
00:09:12
कि चुनाव के लिए करीब सरकारी दो आलम
00:09:14
सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने भी मुसलमानों
00:09:17
के आपसी ताल्लुकत को कुरान शरीफ और हदीस
00:09:20
के अंदर बयान फ़रमाया है
00:09:23
है और यह बात बयान फ़रमाए है कि मुसलमानों
00:09:26
के दरमियान आपस में कैसा ताल्लुक होना
00:09:29
चाहिए
00:09:32
21 हदीस हजरत अबू सारी रजि अल्लाह ताला
00:09:35
अन्हु से रिवायत है के अल्लाह के रसूल
00:09:37
सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया
00:09:40
कि एक मुसलमान को दूसरे मुसलमान से
00:09:43
ताल्लुक एक मजबूत इमारत जैसा है कि उसका
00:09:47
एक हिस्सा दूसरे हिस्से को मजबूत करता है
00:09:50
आज रात सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने एक हाथ
00:09:53
कि उंगलियां दूसरे हाथ की उंगलियों डालकर
00:09:56
फरमाया कि मुसलमानों को इस तरह एक-दूसरे
00:10:00
के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए जिस तरह
00:10:04
इमारत की इंटेल वाहक मिलकर मजबूत तिलावत
00:10:07
जाती हैं इसी तरह उम्मते मुस्लिमा एक किला
00:10:11
है और हर मुसलमान उसकी एक ही फिर
00:10:15
थे उनमें आपस में वही ताल्लुक होना चाहिए
00:10:19
जो किले की एक चीज का दूसरी इससे होता है
00:10:23
तो फिर आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने
00:10:25
अपने एक हाथ कि उंगलियां दूसरे हाथ की
00:10:28
उंगलियों डाल कर दिखाया कि मुसलमानों के
00:10:31
मुताबिक अपराध और तप को बाहर व्यवस्थित
00:10:35
होकर इस तरह घुमाते वाहिद बनकर रहना चाहिए
00:10:40
मैं इसी तरह हजरत उस्मान बिन बशीर रज़ी
00:10:44
अल्लाह ताला अन्हु से रिवायत है की
00:10:47
रसूल्लल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने
00:10:48
फरमाया कि सब मुसलमान एक जिस्म की तरह है
00:10:53
कि अगर उसकी आंख में तकलीफ हो तो उसका
00:10:57
सारा जिसे उस दर्द और तकलीफ को महसूस करता
00:11:00
है
00:11:02
मैं इसी तरह अगर उसके सर्वे तकलीफ हो तो
00:11:06
उसका सारा जिस्म उस तकलीफ में शरीक हो
00:11:09
जाता है
00:11:10
पूरे उम्मते मुस्लिमा दो या एक जिस्म और
00:11:13
जान है है और उसके अपराध उसके आजा है कि
00:11:18
एक उसमें अगर तकलीफ हो तो उसके सारे आजा
00:11:22
तकरीर को महसूस करते हैं
00:11:25
मैं इसी तरह पूरी घुमतें इस्लामियां को हर
00:11:28
मुसलमान पर की तकलीफ महसूस करनी चाहिए और
00:11:32
उसके द दुख और दर्द में बराबर का शरीक
00:11:34
होना चाहिए
00:11:36
कि आगे आयत नंबर 11 और 12 वें लगाला इरशाद
00:11:39
फरमाते हैं कि या यह नदी ना मन्नू लाल यह
00:11:45
कुंठा साइन गुरु-गंभीर हो
00:11:49
निशा विदिशा इन
00:11:54
विजुअल
00:12:00
सब्सक्राइब
00:12:07
लुट-लुट
00:12:15
सब्सक्राइब
00:12:23
लौह तत्व रही है
00:12:27
और आयत नंबर 11 का तरीका यह है कि अल्लाह
00:12:30
तआला ने फरमाया कि विमान वालों ना तो तुम
00:12:34
मुझसे व्रत दूसरे वर्गों का मजाक उड़ाएं
00:12:37
हो सकता है कि वह यानी जिन का मजाक उड़ाया
00:12:41
जा रहा है खुद उनसे बेहतर हो
00:12:44
है और ना औरतें दूसरी औरतों का मजाक
00:12:47
उड़ाएं हो सकता है कि वह यानी जिन का मजाक
00:12:50
उड़ाया जा रहा है उन्हें बेहतर है मैं और
00:12:54
तुम एक दूसरे को ताना दिया करो और एक
00:12:58
दूसरे को हुए अलगाव से पुकारो और आयत नंबर
00:13:02
12 का तर्जुमा यह क्या लगता है राधेश्याम
00:13:05
वर्मा है कि विमान वालों बहुत से
00:13:08
गुब्बारों से बचों
00:13:10
इसलिए के बाद हनुमान गुना होते हैं हैं और
00:13:14
किसी की टो विदा लगो इसी तरह एक दूसरे की
00:13:17
इज्जत ना करो च तुम में से कोई शख्स इस
00:13:20
बात को पसंद करेगा का यह वह अपने मुर्दा
00:13:23
भाई का गोश्त खाए यह तीन अ इससे तो तुम
00:13:27
खुद नफरत करते हो अल्लाह ताला से डरो बेशक
00:13:32
अल्लाह ताला बड़ा तोहफा कुबूल करने वाला
00:13:34
है और वह बहुत ज्यादा मेहरबान है
00:13:38
12 आया तो वे अलग-अलग 6 चीजों की व्याख्या
00:13:42
फरमाइश
00:13:43
जिनकी वजह से वाष्र्णेय अंदर लड़ाई और
00:13:47
इलाहाबाद पैदा होते हैं और आपस में झगड़े
00:13:50
पैदा होते हैं
00:13:52
कि चुनाव से पहले मुमानियत यह बयान की गई
00:13:55
है कि एक दूसरे का मजाक ना उड़ाएं
00:13:59
दूसरी इमारत यह बयान की है कि एक दूसरे पर
00:14:03
अपना लगाओ
00:14:04
तीसरी वारदात यह बयान फ़रमाए गई है कि एक
00:14:09
दूसरे को ऐसे नामों से पुकारा जिससे दूसरे
00:14:12
सलमान को तकलीफ पहुंची हो
00:14:15
134 घुमाने आज यह बयान फ़रमाए गई है कि
00:14:19
कसरतें जुबान से बच्चों
00:14:21
पांचवी हमारे हाथ यह बयान फ़रमाए गई है कि
00:14:26
बुराई तलाश करने के लिए एक दूसरे की
00:14:29
जासूसी
00:14:30
और 31वें स्थान पाया के अंदर यह बयान
00:14:34
फ़रमाए गई है कि एक दूसरे की इज्जत ना करो
00:14:39
है इंशाह अल्लाह अमेज़ चीजों को थोड़ी
00:14:42
तस्वीर के साथ शरीयत की रोशनी में आपके
00:14:44
सामने बयान पर उनका यह पहली चीज जिसकी
00:14:48
आयात में व्याप्त है वह यह है कि मुसलमान
00:14:51
आपस में एक दूसरे का मजाक ना उड़ाएं
00:14:54
क्योंकि इससे दूसरे मुसलमान की सारी
00:14:58
तकलीफें
00:14:59
और सलमान को तकलीफ पहुंचाना हराम
00:15:05
घृत वह सब थे जिसके हाथ और दूसरा मुसलमान
00:15:11
में पूछ रहे दूसरी चीज जिसकी छाया में
00:15:16
वह अलग है
00:15:18
है लंच का मतलब है किसी का यह बयान करना
00:15:22
है
00:15:23
कि अब चाहे वह भूखा तब के अंदर मौजूद हो
00:15:26
तो भी इसका तस्करा करना दुरुस्त नहीं है
00:15:30
है और वह है बुखार तब के अंदर मौजूद रहे
00:15:32
हो तब तो इस गुना की शिद्दत और भी बढ़
00:15:36
जाती है
00:15:37
के बाद रिवायात में आता है कि अगर कोई
00:15:41
शख्स
00:15:42
है कि कोई ऐप किसी दूसरे की तरफ मजबूत
00:15:45
करता है तो उस वक्त तक उसको बहुत नहीं
00:15:48
आएगी जब तक अल्लाह ताला उस शख्स को उस
00:15:53
हेल्प के अंदर बुध तलाश न कर दो
00:15:55
और तीसरी चीज जिसकी इन आयात में मुख्यत है
00:16:00
वो एक दूसरे को बुरा नाम से पुकारना है
00:16:04
कि अल्लाह ताला ने फरमाया कि भला तनाव व
00:16:08
सुलभ
00:16:09
यानी एक दूसरे को पूरा नाम से पुकारो
00:16:14
जिन
00:16:16
नामों को
00:16:19
तय करने चाहिए
00:16:22
कि जैसे किसी को अंधा कर दिया कान्हा कह
00:16:26
दिया बहरा कर दिया तो जाहिर है जिसको इन
00:16:31
नामों से पुकारा जाए का या उसको किस तकलीफ
00:16:35
होगी कभी भी बुरी आदतों की वजह से नाम पड़
00:16:38
जाते हैं
00:16:39
तो बस लग किसी ने चोरी की तो उसको चोर कहा
00:16:42
जाने लगा
00:16:44
तो फिर उसने तोबा कर ली
00:16:46
थे तभी उसको चोर कहा जा रहा है
00:16:50
कि कोई भी ऐसा लख्या नाम जिससे उसका तब को
00:16:53
तकलीफ हो उसकी दुलारी हो उससे बचना चाहिए
00:16:58
हदीस शरीफ़ में आता है कि आप सल्लल्लाहओ
00:17:00
अलैही वसल्लम ने फरमाया कि सलमान को तकलीफ
00:17:04
पहुंचाना हराम है यह याद रखना कि है कि
00:17:09
हुकूम दो तरह के होते हैं
00:17:12
कि एक हफ्ते अल्लाह का है दूसरा हक बंदूक
00:17:16
है
00:17:17
कि अब अगर अल्लाह के हक में कोई कमी यह
00:17:19
होता ही हो जाती है तो अल्लाह ताला से
00:17:22
उम्मीद है कि वह माफी मांगने और तो वह
00:17:25
करने से माफ कर दे दो
00:17:27
है लेकिन याद रखिए कि बंदूक का हक़ उस
00:17:30
वक्त तक माफ नहीं होता जब तक वह बंदा खुद
00:17:34
माफ कर दें कि जिस का हक मारा गया है
00:17:37
इसलिए बंदूक में तौर पर खयाल रखना चाहिए
00:17:43
उनके अपने ही ना हो तो
00:17:46
कि आप बोर की जीत कि जब इस आयत में मजाक
00:17:50
उड़ाने बुरा-भला कहने और बड़े नामों से
00:17:54
पुकारने की मुलाकात है तो किसी का हक
00:17:57
मारने कितना बड़ा गुनाह होगा
00:17:59
1 मर्तबा दबी यह क्रीम सरकारे दो आलम
00:18:02
सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने सहाबा इकराम
00:18:05
से पूछा कि तुम जानते हो कि सबसे बड़ा
00:18:09
पुरस्कार है
00:18:11
मैं तो साहब अरे जवाब दिया कि या
00:18:14
रसूलल्लाह जिसके पास देर हम उद्धार हो तो
00:18:19
आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने जवाब दिया
00:18:21
कि वह पुलिस व है कि जिसके पास रुपया पैसा
00:18:25
या फिर हम दोनों दूर रहो उस लिस्ट व है जो
00:18:29
क़यामत के दिन ने किया लेकर आएगा लेकिन
00:18:33
किसी को सताया होगा किसी का हक मारा होगा
00:18:36
किसी को गाली दी होगी उन तमाम लोगों को
00:18:41
इसकी लेकर दे दी जाएगी
00:18:44
है और जब ने किया खत्म हो जाएंगी तो उन
00:18:47
लोगों की बुराइयां इसके सर डाल दी जाएगी
00:18:50
कि यह तक के वह सब जो नीतियों का अंबार
00:18:54
लेकर आया था गुनाहों का अंबार अपने सर पर
00:18:57
जमा कर लेगा और फिर उसे जहन्नुम में डाल
00:19:00
दिया जाएगा
00:19:02
कि यह होगा सबसे बड़ा वह प्लीज जो लोगों
00:19:05
के हक मारने की वजह से जहन्नुम में जाएगा
00:19:09
लिए याद रखिए इंसान जवान का इस्तेमाल
00:19:13
आसानी से कर लेता है लेकिन उसको एहसास भी
00:19:17
नहीं होता कि उससे कितनों का दिल दुखे
00:19:20
चित्रों पर इज्जत पड़ी कहां-कहां वह बात
00:19:24
बनते-बनते बिगड़ गए इन आयात में जिन बातों
00:19:28
से रोका जा रहा है उनमें ज्यादातर जवान की
00:19:32
बेटियां और बुराइयां हैं
00:19:35
एक हदीस शरीफ़ में आता है कि आदमी वास
00:19:38
मर्तबा देखने में मामूली सी बाद अब से
00:19:41
निकालता है लेकिन वह उसको जमीन की
00:19:44
गहराइयों में पहुंचा देती है ई वास सुरे
00:19:46
के बिगाड़ में जवान का सबसे बड़ा दल है
00:19:50
वास्तव आप इसका ज़ख्म इतना गहरा होता है
00:19:53
कि इसका भरना आसान नहीं होता एक व्यवसाय
00:19:58
रहता है जरा हाथों से नानी रहल श्याम वल
00:20:03
आयुक्त आवाज यह दिशांत
00:20:06
है इसका मतलब यह है कि नेताओं के जख्म भरे
00:20:09
जा सकते हैं लेकिन जो जख्म जुबान से लगता
00:20:12
है वह भरा नहीं जा सकता है
00:20:15
है इसलिए खास तौर पर बोलने से पहले सोचना
00:20:18
चाहिए कि यह बात समान से निकाली जाए या
00:20:22
नहीं आ
00:20:24
234 चीज जिसके बारे में अल्लाह ताला ने
00:20:27
फरमाया है वह यह है कि कसरतें जुबान से
00:20:30
बच्चों बहुत ज्यादा जुबान करने से बच्चों
00:20:34
इसलिए उसके बाद हनुमान गुना के अंदर दाखिल
00:20:38
है
00:20:39
कि यह बात इंसान की शख्सियत के अंदर दाखिल
00:20:43
है कि वह आम तौर पर जल्दी बदगुमान हो जाता
00:20:46
है कि बुरे बुरा ख्यालात उसको घेर लेते
00:20:49
हैं किसी के बारे में अच्छा गुमान करना
00:20:52
उसके लिए करें मुश्किल होता है
00:20:55
आयत में इसीलिए फ़रमाया गया है कि कसरत
00:20:58
हनुमान से बच्चों फिर उसकी वजह यह बयान
00:21:01
फ़रमाए गई है कि बाद हनुमान बुरा की हद तक
00:21:05
पहुंच जाते हैं
00:21:06
कि किसी के बारे में अच्छा गुमान करना
00:21:09
आदमी के लिए आम तौर पर नुकसान तो नहीं
00:21:11
होता लेकिन बदजुबानी के स्रौत वास मर्तबा
00:21:16
बहुत ही ज्यादा सख्त होते हैं इसलिए बेहतर
00:21:19
यह होता है कि अगर किसी के बारे में
00:21:22
मालूमात पूरी तरह हो तो उसके बारे में
00:21:25
रखें किसी दूसरे के बारे में अगर अच्छा है
00:21:31
तो कयामत में यह सवाल नहीं होगा कि
00:21:34
ब्रेकअप के बारे में क्यों रखा लेकिन अगर
00:21:39
किसी के बारे में
00:21:41
तो क़यामत के दिन उस के बारे में जरूर
00:21:44
पूछा जाएगा कि आपके बारे में क्यों रखा है
00:21:49
21 हदीस में रबी या खरीफ सरकारे दो आलम
00:21:52
सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया का या
00:21:55
खूब दिन
00:21:57
थकावट हदीस
00:22:00
है इसका मतलब यह है कि बदजुबानी से बच्चों
00:22:03
इसलिए के बदगुमानी सबसे बड़ा झूठ है
00:22:07
है इसलिए बदजुबानी से बचने की कोशिश करनी
00:22:11
चाहिए पांचवी मुमानियत
00:22:14
है जिसका इनायत के अंदर जिक्र है वह
00:22:17
जस्टिस है
00:22:19
जो अलार्म एक साथ फरमाते हैं बलात् जस्सु
00:22:22
यानि सब्सक्राइब
00:22:25
आदमी जब किसी से बदगुमान होता है तो उसकी
00:22:29
टोह में पड़ता है उसकी हर पल हर पल हरकत
00:22:33
पर उसकी जगह होती है
00:22:35
कि उसके पीछे वह अपने जासूस लगा देता है
00:22:38
और फिर उसकी अच्छाइयां भी उसको बुराई की
00:22:41
शक्ल में नज़र आने लगती है किसी मुसलमान
00:22:44
के लिए यह दुरुस्त नहीं है कि वह अपने
00:22:47
मुसलमान भाइयों के तलाश करें यह हर किसी
00:22:51
के अंदर होते हैं किसी के अंदर मामूली और
00:22:55
किसी
00:22:56
इस्लामी घुम यह कि आदमी से चश्म पोशी करें
00:23:01
और भला उसे
00:23:04
अलबत्ता जो लोग के बाद और इस्लाम के
00:23:08
दुश्मन हैं उनके हालात से उत्पन्न होने के
00:23:11
लिए जासूसी करने
00:23:13
की इच्छुक है ताकि उनकी कमजोरी से होकर उन
00:23:19
पर काबू पाया जा सका है
00:23:22
कि 30वां नियत जिसके बारे में अल्लाह ताला
00:23:25
ने इरशाद फरमाया
00:23:27
वह भी अ
00:23:29
कि चुनांचे अल्लाह तआला फरमाते हैं
00:23:32
को बुलाया तब बारु भेजना है
00:23:36
अब इस आयत का मतलब यह है कि तुम एक दूसरे
00:23:40
की इज्जत ना करो रिश्वत कहा जाता है कि
00:23:44
पीठ पीछे किसी की बुराई करना है और हदीस
00:23:47
में इसकी वजह पुस्तक सिर्फ वह झूठ है
00:23:51
कि चुनांचे हज़रत सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम
00:23:53
ने एक मर्तबा सामूहिक राम को खिताब करते
00:23:57
हुए फरमाया है
00:23:58
है कि तुम जानते हो कि तिब्बत क्या है का
00:24:02
प्रसाद ही काम
00:24:04
को विश्वास दिलाया कि अजवाइन यूज किया
00:24:06
अल्लाह और उसके रसूल ज्यादा जानते हैं
00:24:10
आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कि
00:24:13
अपने भाई का सब्सक्राइब जो इसको पसंद है
00:24:18
कौन सा बैक राम ने पूछा कि या रसूलल्लाह
00:24:21
अगर मेरे भाई में वह अपना पसंदीदा चीज
00:24:24
मौजूद हो जो मैं कह रहा हूं तो क्या फिर
00:24:28
भी वह विवाद में शामिल होगी तो आप
00:24:30
सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया कि अगर
00:24:33
उसके अंदर वह चीज मौजूद है तब ही तो तुम
00:24:37
यदि बात कि अगर वह चीज उसमें मौजूद ही
00:24:40
नहीं है तो तुमने उस पर तोहमत लगाई जो भी
00:24:44
वक्त से भी बड़ा गुनाह है
00:24:46
है आमतौर पर लोग इस गलतफहमी का शिकार रहते
00:24:50
हैं कि अगर किसी की ऐसी बुराई बयान की जाए
00:24:53
जो उसके अंदर मौजूद है तो यह इज्जत नहीं
00:24:55
है इस हदीस में के बाद आप सल्लल्लाहू
00:24:59
अलैही वसल्लम ने साफ तौर पर बयान कर दी कि
00:25:03
तिब्बत तो जब ही है जब उसके अंदर मौजूद हो
00:25:07
अगर बुराई मौजूद नहीं तो यह बहुत आसान है
00:25:11
इल्जाम तरह
00:25:13
शीघ्र से भी बड़ा है
00:25:17
कि मौजूदा दौर में यह बीमारी अच्छे-अच्छे
00:25:20
दीनदार हलकों में भी मौजूद हो गई है कि इस
00:25:24
हदीस में आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने
00:25:26
इसको बदतरीन गुना हो अंदर शामिल किया है
00:25:30
21 हदीस में आता है किसी वक्त इससे भी
00:25:34
बड़ा गुनाह है साहब एक राम दसरथ के रसूल
00:25:37
अल्लाह
00:25:39
[संगीत]
00:25:40
सब्सक्राइब करें तो आप सल्लल्लाहू अलैही
00:25:43
वसल्लम ने फरमाया कि आदमी करता है तो कर
00:25:48
लेता है तो अल्लाह ताला उसकी को कुबूल
00:25:51
फरमाए
00:25:52
और व्रत करने वाले कि उस वक्त नहीं होती
00:25:57
जब तक वह सब माफ कर दे जिसकी उसने की है
00:26:02
है जिसकी उसने पीठ पीछे बुराई बयान की गई
00:26:04
है
00:26:06
मैं सिर्फ गुजरात की आयत नंबर 13 में लगा
00:26:10
ले साथ फरमाते हैं या यह 10 लाख
00:26:14
लुट लो एक बजाना को शुरू व ललिता आर यू इन
00:26:21
अख्यर
00:26:24
लुहा वीर
00:26:28
तब तक गुडबाय शायद का यह है कि लगा लें और
00:26:31
साथ फरमाया कि लोगों
00:26:34
हकीकत यह है कि हमने तुम सबको एक मर्द और
00:26:39
औरत पैदा किया है
00:26:41
है और तुम्हें मुतालिक पोगो है और
00:26:44
खानदानों में इसलिए तकसीम किया है ताकत
00:26:48
उसमें एक दूसरे की पहचान कर सकूं
00:26:52
रहता लकीर में सबसे ज्यादा करो और
00:26:56
सबस्क्राइब
00:26:58
में सबसे ज्यादा पुस्तकें और अल्लाह से
00:27:02
डरने वाला और
00:27:05
सब कुछ जानते हैं और हर चीज से बेखबर है
00:27:10
कि इस आए थे करीब पर मूसा बात का यह अजीब
00:27:15
उसूल बयान फ़रमाया है कि किसी की इज्जत और
00:27:19
शराफत का त्यौहार उसकी कोई और उसका कबीरा
00:27:23
यह वतन नहीं है
00:27:26
के बल के इज्जत और शराफत का ताल्लुक उसके
00:27:29
तवा की बुनियाद पर है कि जो लोग सबसे
00:27:33
ज्यादा अल्लाह से डरने वाले हैं वह अल्लाह
00:27:36
ताला के नजदीक सबसे ज्यादा कर रहा है
00:27:40
आप सब लोगों को अल्लाह ताला ने एक बर्थ
00:27:42
जाति हजरत आदम और एक औरत यानि हज़रत हव्वा
00:27:46
अलैहिस्सलाम से पैदा फरमाया है और नतालिया
00:27:49
ने लोगों को तारीफ दान और कबीलों के अंदर
00:27:52
तक टीम कर दिया है और यह तक सिर्फ इसलिए
00:27:56
दही किया ताकि लोग एक-दूसरे पर फक्र करें
00:28:00
यह अपनी बड़ाई जाता है बल्कि उसका मकसद
00:28:03
सिर्फ यह है कि लोग एक दूसरे को पहचान सके
00:28:06
कि यह सफलता कबीले से ताल्लुक रखता है और
00:28:10
यह सफलता कबीले से ताल्लुक रखता है बाकी
00:28:13
अल्लाह ताला के नजदीक वह सब सबसे ज्यादा
00:28:16
पीले इज्जत है जो उसके हक मांग पर सबसे
00:28:19
ज्यादा चलने वाला हो
00:28:21
और फिर चाहे वह किसी भी रंग नस्ल या कबीले
00:28:25
से ताल्लुक रखने वाला है