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ऑन द मॉर्निंग ऑफ 14 जुलाई 1789 14 जुलाई
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1789 की सुबह फ्रांस के एक शहर पेरिस में
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आतंक का माहौल था हुआ यह कि किसी ने अपनी
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तरफ से बनाकर एक अफवा जनता में फैला दी कि
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फ्रांस का राजा फ्रांस की जनता पर गोलियां
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चलवा का आदेश देने वाला है और वह अपने
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सैनिकों से जनता को मरवाना चाहता है
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दोस्तों यह खबर पेट्रोल में लगी हुई आग की
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तरह पूरे के पूरे फ्रांस में फैल गई इस
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खबर को लेकर जनता में डर का माहौल बना हुआ
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था लोगों ने सोचा कि यार ऐसे मरने से
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अच्छा है कि कुछ करके मरा जाए इसलिए
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फ्रांस के लोगों ने एक जन सेना बनाने का
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निर्णय लिया जिसमें लगभग 7000 व्यक्ति और
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महिलाएं टाउन हॉल के सामने इकट्ठे हो गए
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और सभी लोग आपस में डिस्कस करने लगी कि
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अगर हमें राजा के अगेंस्ट खड़े होकर
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विद्रोह करना है तो उसके लिए हमें
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हथियारों की जरूरत पड़ेगी तो कुछ लोगों ने
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कहा क्यों ना सरकारी भवनों में रखे हुए
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हथियारों को जबरदस्ती लूट लेते हैं और
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लोगों ने यही किया सबसे पहले उन्होंने कई
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लोगों की तादाद में मिलकर बास्तील किले की
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जेल को तोड़ दिया जिसमें उन्हें भारी
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मात्रा में गोला बारूद मिलने की संभावना
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थी बास्तील जेल का जो कमांडर था वो
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हथियारों की उस लड़ाई में मारा गया और
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वहां उस जेल के हथियारों के साथ-साथ वहां
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के कैदियों को भी छुड़ा लिया गया दोस्तों
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वो बात अलग है कि वहां पर सात ही कैदी थे
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और इन सब ने मिलकर बास्तील किले को गिरा
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दिया और साथ में उस किले की कीमती कीमती
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वस्तुओं को बाजार में बेच दिया इन वस्तुओं
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को उन लोगों ने खरीदा जो इस घटना को अपनी
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यादों के रूप में सजाना चाहते थे दोस्तों
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ऐसा नहीं है कि इस घटना के बाद फिर कोई
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घटना नहीं हुई थी बल्कि इसके बाद कई दिनों
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तक पेरिस तथा देश के देहाती इलाकों में कई
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सारी लड़ाइयां हुई हैं जिसका रिजल्ट यह
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निकला कि जनता रोटी कपड़ा और मकान की
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बढ़ती कीमतों का रोध करने लगी बाद में
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फ्रांस के राजा को ग्लूटीन से सर काट करर
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मार दिया गया तो दोस्तों ऐसा क्यों हुआ और
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कैसे हुआ चलिए जानते हैं इस वीडियो
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में तो दोस्तों इसे जानने के लिए हमें
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जाना पड़ेगा 18वीं सदी में तो दोस्तों
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चलते हैं फ्रांस सोसाइटी ड्यूरिंग द लेट
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18 सेंचुरी तो दोस्तों यह बात है 1774 की
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जब बर्बो राजवंश का लुई 16 नामक राजा
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राजगद्दी पर बैठा जब उसकी उम्र मात्र 20
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वर्ष की थी उसका विवाह ऑस्ट्रेलिया की
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राजकुमारी मैरी एंटोनिए से करवा दिया गया
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बहुत दिनों से युद्धों के कारण उसके महल
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का खजाना खाली पड़ा हुआ था और बर्सल के
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महल की सानो सौगत बनाए रखने के लिए राजा
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को पैसे की जरूरत तो थी और लुई 16 के
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शासनकाल में ब्रिटेन से अमेरिका की 13
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कॉलोनी को छुड़ाने के लिए मदद की थी जिसके
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कारण फ्रांस के ऊपर 1 बिलियन लिब्रे से भी
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अधिक कर्ज हो चुका था और 2 बिलियन लिबो का
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कर्ज पहले से था अब जो कर्जदार थे वो राजा
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से 10 पर इंटरेस्ट के साथ मांग करने लगे
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इधर राजा के सामने कर्ज की चिंता ऊपर से
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सेना का खर्च राज दरबार का खर्च सरकारी
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कार्यालयों का खर्च विद्यालयों को चलाने
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का खर्च इन सबकी चिंताएं फ्रांस के राजा
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को सताने लगी तो जो फ्रांस का राजा था लुई
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16 उसने क्या किया कि जो फ्रांस के लोगों
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के ऊपर टैक्स बढ़ा दिया तो दोस्तों 18
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सेंचुरी में फ्रांस थ्री स्टेट्स में बटा
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हुआ था पहला स्टेट था क्लर्जी मतलब वो लोग
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जो चर्च में काम करते थे दूसरा स्टेट था
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नोबेल मतलब जिसमें राजा और राजा का परिवार
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आता था और थर्ड था जिसमें बचे हुए सारे
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लोग आते थे जैसे कि जो बड़े-बड़े
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बिजनेसमैन थे मर्चेंट्स थे लॉयर थे किसान
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थे मजदूर थे इस तरीके के लोग थर्ड स्टेट
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में आते थे फ्रांस की पूरी जनसंख्या में
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से 90 पर किसान थे तो इसका मतलब ये मत
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समझना कि इनके पास सबसे ज्यादा जमीन थी
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बल्कि ये तो नाम के ही किसान थे 60 पर
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जमीन तो फर्स्ट और सेकंड स्टेट के लोगों
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के पास थी और जो थर्ड स्टेट था उसमें कुछ
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ही लोगों के पास जमीन होती थी जो कि काफी
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ज्यादा अमीर होते थे अब दोस्तों जो पहले
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और दूसरे स्टेट के लोग थे वो चैन से जी
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रहे थे क्योंकि उन्हें कोई भी टैक्स पे
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नहीं करना पड़ता था और दूसरी तरफ थर्ड
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स्टेट के लोगों को सारे के सारे टैक्सेस
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भरने पड़ते ते थे जैसे कि जो टैक्स
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किसानों के द्वारा चर्च में जाता था उसे
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हम टत कहते थे यह टैक्स फसल का 10वां
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हिस्सा होता था और इसे धार्मिक टैक्स भी
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कहा जाता था और तो और दोस्तों राजा ने
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रोजाना उपयोग में आने वाली सामग्री पर भी
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टैक्स स्टार्ट कर दिया था जैसे कि तंबाकू
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नमक तो दोस्तों इस प्रकार राजा ने महल के
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सारे खर्च जनता के ऊपर डाल दिए थे और राजा
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उनसे जबरदस्ती टैक्स वसूलने लगा और उसे
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भरते कौन थे मात्र थर्ड स्टेट के लोग तो
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दोस्तों 1715 में फ्रांस की पॉपुलेशन थी
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2.3 करोड़ और 1789 में फ्रांस की पॉपुलेशन
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बढ़कर हो गई 2.8 करोड़ तो आप देख सकते हो
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कि जो फ्रांस की पॉपुलेशन थी वो
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कंटीन्यूअसली बढ़ती जा रही थी अब आप खुद
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ही सोचो अगर पॉपुलेशन बढ़ेगी तो उनकी
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डिमांड भी बढ़ेगी क्योंकि फसल की पैदावार
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तो उतनी ही थी मगर पॉपुलेशन के बढ़ते
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लोगों को ज्यादा फूड की रिक्वायरमेंट थी
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इसलिए फ्रांस के लोग भूखे मरने लगे उन्हें
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खाने के लिए स्ट्रगल करना पड़ता था इसके
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चलते पूरे फ्रांस में महंगाई बढ़ गई गरीब
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और गरीब होते गए और अमीर और अमीर होते गए
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ऐसा नहीं है दोस्तों कि लोगों ने इसका
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विरोध नहीं किया बल्कि विरोध किया था
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बल्कि काफी बड़ा रिवॉल्ट किया था पर वो
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उतना इफेक्टिव साबित नहीं हुआ क्योंकि
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लोगों के पास सब ना पैसा था और ना ही
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लोगों के पास एजुकेशन थी ऐसे में उनकी बात
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सुनने वाला कोई नहीं था अब जैसे-जैसे समय
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निकलता जा रहा था लोगों की इनकम बढ़ती जा
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रही थी लोग एजुकेट होते जा रहे थे उन्हें
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नए-नए आइडियाज आने लगे तब लोगों को
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रियलाइफ होने लगा कि हमारे साथ तो ये गलत
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हो रहा है अब जो एजुकेटेड लोग थे उनका
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मानना यह था कि लोगों को अधिकार उनके जन्म
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से नहीं बल्कि उनकी समाज में क्या योग्यता
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है इस आधार पर मिलनी चाहिए ऐसे ही जॉन
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लौकी और जॉ जाक रूसो नाम के दो फ वर थे
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इनका भी यही मानना यह था कि एक ऐसी
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सोसाइटी होनी चाहिए जहां पर सबको फ्रीडम
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हो और सारे के सारे कानून सबके लिए बराबर
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होनी चाहिए और गवर्नमेंट ऐसी होनी चाहिए
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जो जनता की बात सुने इसके ऊपर जॉन लॉकी ने
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अपनी किताब टू ट्रीटाइज ऑफ गवर्नमेंट में
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भी मोनर्चीज मेंट का जमके विरोध किया था
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अब दोस्तों टैक्स तो पहले से ही बढ़ा हुआ
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था ऊपर से महंगाई भी इतनी बढ़ गई थी कि
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लोगों को खाना भी नसीब नहीं हो रहा था फिर
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क्या था दोस्तों जनता राजा पर भड़क गई और
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यहीं से शुरू हुआ एक रिवोल्यूशन तो
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दोस्तों जैसा कि आप आप सभी को पता चल ही
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गया होगा कि लुई 16 का खजाना खाली हो चुका
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था कर्जदार की मांग बढ़ गई थी और उसको
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चुकाने के लिए राजा ने जनता पर टैक्स बढ़ा
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दिए थे पर क्या आपको पता है कि प्राचीन
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राजतंत्र के अनुसार कोई भी फ्रांस का राजा
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अपनी मर्जी से टैक्स नहीं बढ़ा सकता था
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इसके लिए उसे स्टेट जनरल की मीटिंग बुलाकर
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नए टैक्सों के प्रपोजल्स पर मंजूरी लेनी
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पड़ती थी तो दोस्तों अब आप सोच रहे होंगे
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कि ये स्टेट जनरल क्या होती थी तो दोस्तों
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स्टेट जनरल एक ऐसी पॉलिटिकल बॉडी थी
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जिसमें तीनों स्टेट अपने-अपने स्टेट से
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रिप्रेजेंटेटिव भेजते थे लेकिन केवल केवल
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राजा ही तय करता था कि ये मीटिंग कब बुलाई
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जानी चाहिए तो दोस्तों इसकी लास्ट मीटिंग
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1614 में बुलाई गई थी लेकिन फिर उसके बाद
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लुई 16 ने 5 मई 1789 को नए टैक्स बढ़ाने
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के लिए मीटिंग बुलाई जिसमें फर्स्ट और
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सेकंड स्टेट ने 3300 रिप्रेजेंटेटिव भेजे
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और जो थर्ड स्टेट था उसने 600
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रिप्रेजेंटेटिव भेजे और दोस्तों इस सभा
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में किसानों तथा कारीगरों को अंदर जाने की
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परमिशन नहीं थी तो दोस्तों इन्होंने क्या
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किया कि 4000 पत्रों में अपनी शिकायतें और
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मांगे लिखकर असेंबली में भेज दी लेकिन
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दोस्तों अस ली के अकॉर्डिंग हर एक स्टेट
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को केवल एक-एक वोट डालने का ही अधिकार था
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पर अबकी बार क्या हुआ कि जो थर्ड स्टेट के
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लोग थे उन्हें ये मंजूर नहीं था क्योंकि
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वो चाहते थे कि पूरी की पूरी असेंबली
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वोटिंग करें केवल तीन ही वोट पर फैसला
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नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन जो लुईस 16 था
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उसे ये प्रस्ताव स्वीकार नहीं था राजा ने
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इस थर्ड स्टेट के प्रपोजल को नहीं माना
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जिसके कारण क्या हुआ कि जो थर्ड स्टेट के
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लोग थे वो निराश होकर असेंबली के बाहर चले
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गए और यही सभी लोग 20 जून को बरसा के इंडो
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टेनिस कोर्ट में जमा हुए इन सब लोगों ने
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मिलकर एक डिसीजन लिया कि जब तक हम एक ऐसा
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कांस्टिट्यूशन नहीं बना लेते जिसमें राजा
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के पास कम पावर हो तब तक हम सब लोग मिलकर
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स्ट्रगल करते रहेंगे और राजा के खिलाफ
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लड़ते रहेंगे उन्होंने अपने आप को एक
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नेशनल असेंबली घोषित कर लिया था दोस्तों
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उस असेंबली के दो लीडर बनाए गए पहला था
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मिरा ब्यू और दूसरा था एबे शियस इन दोनों
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ने असेंबली को लीड किया दूसरी तरफ फ्रांस
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में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी जिसके कारण
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क्या हुआ कि फ्रांस की जो अधिकतम फसल थी
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वो मारी गई लोगों में भुखमरी इतनी बढ़ गई
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थी कि औरतों ने जबरदस्ती खाने पीने की
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चीजों को दुकानदारों से छीन लिया यह देखकर
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राजा ने सेना को आदेश दे दिया कि तुम शहर
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में प्रवेश करो जैसे ही सेना ने शहर में
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प्रवेश किया तो लोगों में हड़कंप मच गया
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फिर क्या था दोस्तों लोगों की भीड़ ने 14
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जुलाई को बास्तील के किले पर धावा बोल
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दिया क्योंकि गांव-गांव में अववा फैल रही
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थी कि राजा ने किसानों की फसलें बर्बाद
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करने के लिए बाहर से कुछ लोगों को बुलाया
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है अब टैक्सों की आग तो पहले से लगी हुई
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थी अब लगी हुई आग पर राजा की हवा ने
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पेट्रोल का काम और कर दिया जिससे किसानों
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ने गांव के सरकारी अन्य भंडारों को लूट
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लिया और साथ में टैक्सों से संबंधित
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डॉक्युमेंट्स को भी जला दिया आखिर में
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विरोधी प्रजा की ताकत का अंदाजा लगाकर
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राजा ने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी
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तो दोस्तों आपको तो पता ही कि जो नेशनल
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असेंबली थी वो क्या चाहती थी कि राजा की
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पावर लिमिटेड कर दी जाए तो फाइनली 4 अगस्त
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1789 की रात को नेशनल असेंबली ने एक ऑर्डर
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पास किया जिसमें फर्स्ट स्टेट के लोगों से
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कहा गया कि आप चर्च के नाम पर जो जमीन लिए
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हुए हैं उसे वापस कर दें और जो चर्च में
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फसल का 10वां हिस्सा टैक्स के रूप में
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दिया जाता था यानी कि धार्मिक टैक्स टत को
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बंद कर दिया जाए जिससे क्या हुआ कि
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गवर्नमेंट को 2 बिलियन लिबो का फायदा हुआ
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अब अब धीरे-धीरे नेशनल असेंबली ने 1791
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में एक नया कांस्टिट्यूशन तैयार कर लिया
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जिसमें राजा की पावरों को लिमिटेड कर दिया
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था और साथ में गवर्नमेंट को तीन हिस्सों
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में बांट दिया फर्स्ट लेजिस्लेटिव सेकंड
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एग्जीक्यूटिव थर्ड जुडिशरी पहली वो होती
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है जो कानून बनाती है दूसरी वो होती है जो
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ये देखती है कि जो ये रूल्स बने हैं वो
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फॉलो हो रहे हैं या नहीं हो रहे हैं और
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तीसरी वो होती है अगर कोई रूल्स फॉलो ना
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करें तो उसे सजा देने का काम कौन करती है
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जुडिशरी करती है अब दोस्तों देखते हैं कि
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1791 में जो नया कांस्टिट्यूशन बना था वो
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कैसा था तो जो फ्रांस की टोटल पॉपुलेशन थी
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वो थी 28 मिलियन उसमें से 4 मिलियन लोग ही
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ऐसे थे जो वोट डाल सकते थे और जिन्हें
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फ्रांस के लोग एक्टिव सिटीजंस कहते थे
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इसके अंदर वो लोग आते थे जो कि मेल हो और
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उनकी उम्र 25 साल से ज्यादा हो और जो
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गवर्नमेंट का टैक्स भी भरते हो और 3
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मिलियन लोग ऐसे थे जिन्हें फ्रांस में
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पैसिव सिटीजंस कहते थे जो कि वोट नहीं डाल
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सकते थे जैसे कि बच्चे औरतें और वो लोग
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आते थे जिनकी उम्र 25 साल से कम हो अब जो
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एक्टिव सिटीजंस थे वो वोट डालकर एक जज
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चुनते थे और साथ में 50000 इलेक्टर्स
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चुनते थे अब जो 50000 इलेक्टर्स थे उन्हीं
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में से 745 मेंबर नेशनल असेंबली के लिए
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बनते थे और जो 745 मेंबर थे वही राजा पर
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कंट्रोल रखते थे अब राजा के पास केवल एक
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ही पावर थी वो थी वीटो पावर जिसका मतलब
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होता है कि राजा की मर्जी के बगैर कुछ
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नहीं होगा और जो नेशनल असेंबली थी वही
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मंत्रियों को कंट्रोल भी करती थी तो ये जो
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कांस्टिट्यूशन बना था इसके अकॉर्डिंग
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लोगों को कई सारे अधिकार मिले जैसे कि
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राइट टू लाइफ फ्रीडम ऑफ स्पीच फ्रीडम ऑफ
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ओपिनियन एंड इक्वलिटी बिफोर लॉ अब दोस्तों
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राजा ने हां तो कर दिया था कि वह
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कांस्टिट्यूशन को मान रहा है लेकिन वास्तव
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में वह नहीं चाहता था कि उसकी पावर कम हो
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उसने अपने आसपास के देशों के साथ मिलकर
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सीक्रेट प्लांस किए लेकिन राजा और आसपास
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के देश कुछ कर पाते इससे पहले ही नेशनल
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असेंबली ने प्रशिया और ऑस्ट्रेलिया के
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अगेंस्ट 1789 में वॉर डिक्लेयर कर दिया
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जिससे फ्रांस के हजारों यंग मेन सेना के
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अंदर भर्ती होने लगी सभी देशभक्ति के गीत
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गाने लगी तो दोस्तों उस वॉर में काफी
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ज्यादा लोग मारे गए थे उसके साथ-साथ काफी
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ज्यादा मनी का भी लॉस हुआ था तो दोस्तों
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1791 में जो कांस्टिट्यूशन बनाया गया था
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इसमें धनवान को ज्यादा इंपोर्टेंट माना
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गया था और जो गरीब थे किसान थे उनको कम
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महत्व दिया गया था तो लोगों ने क्या किया
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अपनी आवाज सुनाने के लिए पॉलिटिकल क्लब्स
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बनाए तो ये क्या होते हैं तो ये वो होते
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हैं जिसमें अलग-अलग विचारों के लोग अपनी
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अलग-अलग बातों को बताते हैं ताकि उनकी
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बातों पर गवर्नमेंट ध्यान दे और उनकी
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बातें भी सुनी जाए ऐसे ही एक क्लब था
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जिसका नाम था जोको बन क्लब जिसका लीडर था
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मैक्स मिलियन रोवेस पियर अब जो इस क्लब के
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लोग थे उनकी कुछ अलग ही प्रकार की ड्रेस
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थी इस क्लब वाले लोगों को सुकुल भी कहा
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जाता था दोस्तों जब ब्रेड का प्राइस बढ़ने
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लगा है तो महंगाई को देखकर इस क्लब वाले
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लोगों ने जैकोबिन क्लब में एक प्लान बनाया
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और एक ऐसी योजना बनाई कि राजा को महल में
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ही घुसकर राजा को बंदी बना लिया जाए तो
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दोस्तों इन क्लब वालों ने क्या किया कि 10
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अगस्त को टूलेस के महल में धावा बोल दिया
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जिसमें राजा के कई सारे सैनिक मारे गए बाद
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में राजा और राजा के परिवार के सदस्यों को
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जेल में डाल दिया गया मतलब उन्हें बंदी
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बना लिया था और फिर नेशनल असेंबली ने
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चुनाव कराए फाइनली 21 सितंबर 1792 को
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राजाशाही राजतंत्र का अंत कर दिया गया और
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फिर मोनार्की सिस्टम खत्म हुआ और एक नया
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रिपब्लिक सिस्टम यानी कि वोट डालने का
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सिलसिला शुरू हुआ अब जो फ्रांस था वो एक
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रिपब्लिक कंट्री बन चुका था और जो लुई 16
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था जो बंदी बना लिया गया था उसे राजद्रोह
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के आरोप में मौत की सजा सुना दी गई फाइनली
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21 जनवरी 1793 को प्लेस द कंकड में राजा
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को ग्लोट से सर काटकर मार दिया गया और
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सबको वोट डालने ने का अधिकार मिल गया अब
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जो जो कोविन क्लब की जो सरकार थी यानी कि
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रोब स्पेयर की सरकार वो क्या करने लगी कि
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फ्रांस में जो भी गणतंत्र के खिलाफ होता
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चाहे वह उसकी स्वयं की पार्टी का ही क्यों
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ना हो उसे जेल में डालकर मुकदमा चलाया
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जाता था और दोषी पाए जाने पर ग्लोटिंग पर
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चढ़ाकर उसका सर कलम कर दिया जाता था पर जो
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जैकोबिन क्लब था उसने एक कम काबिले तारीफ
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किया था वो थी एबलेशन ऑफ स्लेवरी तो ये
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स्लेवरी क्या थी तो दोस्तों फ्रांस की जो
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कॉलोनी थी कैरिबियन में मार्टिन गॉडी लूप
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एंड सैन डोमिंग तो यहां से क्या होता था
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कि कई सारी चीजें इंपोर्ट होकर फ्रांस के
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अंदर आती थी जैसे कि तमाकू इंडिको शुगर
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कॉफी तो इस तरीके की चीजें यहां से फ्रांस
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के अंदर आती थी पर प्रॉब्लम क्या थी कि इन
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चीजों को बनाने के लिए वहां पर कई सारी
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लेवल्स की जरूरत पड़ती थी और यहां से काम
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करने के लिए वहां जाने के लिए कोई तैयार
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नहीं था तो इसके लिए जो फ्रांस के
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ट्रेडर्स होते थे वो क्या करते थे पहले तो
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ट्रेडर्स फ्रांस से निकलते थे और अफ्रीकन
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कॉस्ट तक जाते थी और फिर वहां से लोगों को
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खरीदा जाता था और उन्हें हाथों में
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हथकड़ियां डालकर अटलांटिक महासागर से होकर
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कैरेबियाई देशों तक ले जाया जाता था वहां
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पर उनसे जबरदस्ती काम कराया जाता था फिर
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वहां से इंडिगो तंबाकू शुगर कॉफी ये सब
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वापस फ्रांस में लाया जाता था अब दोस्तों
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नेशनल असेंबली में यह बात तय हुई थी कि
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दास प्रताप को खत्म कर दिया जाए पर यह
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नहीं हुआ ऊपर से रोब स्पेयर सरकार ने
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चर्चों को बंद करवा दिया और उनकी जगह
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सरकारी दफ्तर और बैराग बनवा दिए गए अब जो
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जो कोविन क्लब का जो लीडर था रोब स्पेयर
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वो अपनी मनमर्जी करने लगा और लगातार देशों
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से मजदूरों को खरीदता और बेचने लगा और
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लगातार लोगों को खरीदा और बेचा जाने लगा
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तो दोस्तों इसके साथ भी वही हुआ जो सबके
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साथ होता आया है तो 1794 में उसे दोषी
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घोषित कर दिया गया और उसे गिरफ्तार करके
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ग्लूटीन पर चढ़ाकर उसका सर क्लम कर दिया
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और दोस्तों यहां से जै कोविन क्लब का एंड
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हो गया दोस्तों बास्तील किले के इंसिडेंट
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के बाद 1789 की गर्मियों में एक
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महत्त्वपूर्ण कानून लागू हुआ था कि कोई भी
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बुक या न्यूज़पेपर या स्टेज परफॉर्मेंस
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नाटक सत्संग जुलूस बिना राजा के
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अधिकारियों की परमिशन के बगैर नहीं किए जा
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सकते थे पहले उनसे मंजूरी लेनी पड़ती थी
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अब वो सेंसरशिप हटा दी गई थी अब फ्रांस
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में सब लोग स्वतंत्र थे वो कुछ भी छाप
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सकते थे डांस प्रोग्राम सॉन्ग स्टेज
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प्रोग्राम जुलूस कर सकते थे अब उन्हें
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किसी की भी परमिशन लेने की कोई जरूरत नहीं
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थी अब जो अमीर लोग थे उन्होंने गवर्नमेंट
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की पावर को अपने हाथ में ले ली फिर उसके
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बाद एक नया कांस्टिट्यूशन बना फिर उसके
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अनुसार जिसके पास ज्यादा पैसा होगा वही
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वोट कर सकता था इस कांस्टिट्यूशन के
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अकॉर्डिंग दो लेजिस्लेटिव काउंसिल बनाई गई
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इन दोनों काउंसिल का काम था कि पांच मेंबर
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की बॉडी बनाना यानी कि एक दूसरे में तकरार
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होने लगी जिसका फायदा नेपोलियन बोनापार्ट
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ने उठाया 1804 में फ्रांस का एक नया राजा
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बना जिसका नाम था नेपोलियन बोनापार्ट
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नेपोलियन ने पहले तो यूरोप के लिए बहुत
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कुछ किया तो लोगों को लगा अच्छा है लेकिन
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बाद में पता चला कि नेपोलियन तो बहुत ही
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क्रूअल किंग था फाइनली 1815 में बडर लू की
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लड़ाई में नेपोलियन हार गया तो दोस्तों
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