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नमस्कार मैं रवीश कुमार हमारा टैक्स कम
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करो कम करो यह आवाज इन्हीं दिनों क्यों
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मुखर हो रही है क्यों सुनाई दे रही है
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क्या इसलिए कि मिडिल क्लास का प्यारा शेयर
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बाजार डूबने लगा है 4 महीने से अधिक समय
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से गिरावट के कारण 20 करोड़ निवेशकों के
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माथे पर शिकन पड़ने लगी है उनकी कमाई घटती
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जा रही है तो टैक्स की दरें काटे की तरह
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चुभने लगी हैं बाजार में हाहाकार मचा है
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तो अब नजर सरकार पर पड़ी है कि माई बाप ही
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टैक्स घटाकर कुछ राहत दे सकते हैं ताकि
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उनके हाथ में पैसा आए और वे खरीदारी की
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तरफ लौटे शहरों में मांग में सुधार की
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उम्मीद कमजोर पड़ने लगी है इसे लेकर
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उद्योग जगत के संगठन सरकार से टैक्स कम
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करो टैक्स कम करो की गुहार लगाने लगे हैं
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90 घंटा काम करने के बयान पर कितनी बहस हो
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गई लेकिन उद्योग टैक्स की दरों को कम करने
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की बात कर रहा है उस पर किसी ने ध्यान ही
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नहीं दिया अखबारों ने भी टैक्स कम करो की
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मांग को प्रमुखता से पेश नहीं किया है
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क्या टैक्स में राहत देकर बाजार में डूब
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रहे मिडिल क्लास को सरकार राहत दे सकती है
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कहीं ऐसा तो नहीं कि मिडिल क्लास के बुरे
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दिन शुरू हो चुके हैं और इस बार उनके लिए
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अच्छे दिन का इंतजार और भी लंबा होने वाला
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है पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स से लेकर सीआईआई
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और फिक की सभी टैक्स में सुधार की मांग कर
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रहे हैं पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स की मांग
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है कि बैंकों में में जमा राशि पर जो
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ब्याज मिलता है उस पर टैक्स की दर घटा दी
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जाए एलएलपी कंपनियों पर अधिक से अधिक 25
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प्र ही टैक्स लगे और टीडीएस टैक्स की
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अलग-अलग दरों को कम से कम रखा जाए मिडिल
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क्लास चुप हो गया है उसे पैसे का पाला मार
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गया है भरोसा नहीं है कि टैक्स टैक्स
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चिल्लाने से सरकार इस बजट में कुछ ठोस
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राहत देगी इसलिए उद्योग जगत की इस मांग पर
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चुप्पी छाई हुई है मिडिल क्लास यानी एम
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क्लास को पता चल गया था कि कुछ नहीं होने
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वाला है इसलिए उसने अपनी उम्मीदें शेयर
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बाजार के ऊपर टिका दी कोविड के बाद से
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खासकर शेयर बाजार की तरफ पलायन करने लगा
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शेयर बाजार में उछाल और स्थिरता का लंबा
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दौर भी चला जिसके कारण भरोसा बन गया कि
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यहां से भरपाई हो जाएगी इसे देखते हुए
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शेयर बाजार में करोड़ों की संख्या में नए
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निवेशक आए जिन्होंने बैंकों से अपनी जमा
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पूंजी निकाली और डीमे अकाउंट खोलना शुरू
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कर दिया लेकिन अब तो शेयर बाजार भी गिरने
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लगा है जिस रफ्तार से विदेशी निवेशकों ने
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भारत के बाजार से पैसे निकाले हैं उससे
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लगता नहीं कि उनकी यहां बहुत जल्दी वापसी
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होने वाली है तो क्या हम 20 करोड़
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निवेशकों की चिंताओं को लेकर बात कर रहे
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हैं क्या अखबारों की हेडलाइन बदलने लगी है
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जिससे पता चले कि भारत के बाजार में जारी
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इस गिरावट को कैसे समझा जाए या 20 करोड़
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निवेशकों की हालत यह हो गई है कि वे अपना
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दुख किसी से नहीं कह पा रहे हैं हम आज
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उन्हीं 20 करोड़ निवेशकों की बात करेंगे
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जो म्यूचुअल फंड इक्विटी फंड वगैरह में
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निवेश करते हैं सितंबर महीने से लेकर
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सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार गिरावट आ
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रही है 4 महीने तक गिरावट का ही दौर बाजार
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में चला है बीच-बीच में कुछ सुधार हुए मगर
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अस्थाई साबित हुए गिरावट का दौर थमा नहीं
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जनवरी के 13 दिन गुजर गए और इस बात को
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लेकर कोई दावा नहीं कर सकता कि बाजार में
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खुशहाली के दिन लौट आए हैं साढ़े महीने से
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कम समय में भारतीय निवेशकों के लाखों
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करोड़ रुपए हवा हो गए सितंबर महीने से
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लेकर 10 जनवरी तक 47 लाख करोड़ निवेशकों
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के डूबे हैं पिछले चार दिनों में बॉम्बे
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स्टॉक एक्सचेंज में निवेशकों के 20 लाख
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करोड़ रुपए हवा हो गए 13 जनवरी को 8 लाख
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करोड़ घट गया एक तरह से आप कह सकते हैं कि
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सितंबर से लेकर 13 जनवरी तक करीब-करीब 50
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लाख करोड़ रुपए हवा हो गए इसमें अगर 5 लाख
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करोड़ रुपए भी छोटे निवेशकों के डूबे
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होंगे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि
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बाजार का यह करंट किन-किन घरों में झनझना
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रहा होगा बाजार में करीब 10 प्र खुदरा
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निवेशक माने जाते हैं शेयर बाजार के कारण
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सभी को भरोसा हो चला था कि मोदी सरकार के
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दौर में आर्थिक मोर्चे पर सब ठीक है
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क्योंकि इस बाजार ने रूस यूक्रेन युद्ध को
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देखा गजा पर इसराइल के हमले को झेला फिर
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भी इन चुनौतियों के बावजूद भारत का शेयर
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बाजार स्थिरता और उछाल की तरफ ही रहा अब
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ऐसा क्या हो रहा है कि पिछले 5 महीने से
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शेयर बाजार ढाला पर फिसलता नजर आ रहा है
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सितंबर 20224 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
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8583 6 अंकों पर पहुंच गया था 13 जनवरी को
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बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
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7633 अंकों पर आ गया 45 महीने में 9000
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अंक नीचे आ चुका है इस बार गिरावट का यह
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दौर कुछ दिनों का नहीं सितंबर से शुरू हुआ
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और अब जनवरी भी आधा बीतने जा रही है चार
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दिनों से सेंसेस गिरता ही जा रहा है
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विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाले जा रहे
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हैं 22000 करोड़ से अधिक पैसा भारत के
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बाजारों से निकाल चुके हैं 13 जनवरी को
00:05:24
सेंसेक्स 1000 अंकों से नीचे आया निफ्टी
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भी 345 संख नीचे आकर
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2385 पर आ गया बिजनेस अखबारों के अनुसार
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13 जनवरी को ही मार्केट से 12 से 13 लाख
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करोड़ निवेशकों के स्वाहा हो गए बाजार में
00:05:43
रक्तपात हो रहा है और गोदी मीडिया में
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गुणगान चल रहा है दिसंबर महीने में बिजनेस
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स्टैंडर्ड ने एक अध्ययन प्रकाशित किया था
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और एक चार्ट के जरिए दिखाया कि किस
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प्रधानमंत्री के कार्यकाल में भारत के
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शेयर बाजार में रिटर्न सबसे अच्छा रहा
00:06:00
जितना लगाया उससे ज्यादा मिला इस आधार पर
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यह चार्ट बना है मनमोहन सिंह यहां भी मोदी
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पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं मनमोहन सिंह
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के पहले कार्यकाल में शेयर बाजार ने 179
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प्र रिटर्न दिया इतना मुनाफा इससे अधिक
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मुनाफा केवल नरसिंहा राव के समय मिला जब
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शेयर बाजार ने 180 प्र का रिटर्न दिया
00:06:23
प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में
00:06:26
शेयर बाजार ने केवल 61.2 फ का रिटर्न दिया
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और दूसरे कार्यकाल में 81 प्र का इस साल
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जून से लेकर दिसंबर तक का रिटर्न 99.2 प्र
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रहा है इस वित्त वर्ष में क्या शेयर बाजार
00:06:42
का रिटर्न अब बेहतर हो पाएगा लेकिन जब
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शेयर बाजार ने 180 179 प्र का रिटर्न दिया
00:06:50
तब डीमेट खातों की संख्या में उस तरह से
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उछाल नहीं आया जिस तरह से मोदी सरकार के
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दौर में आया या मोदी के प्रति मिडिल क्लास
00:07:00
का विश्वास ही था कि बैंकों से पैसा
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निकालकर लोगों ने शेयर बाजार में लगाना
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शुरू कर दिया इसी के साथ डीमेट खातों की
00:07:08
रफ्तार बढ़ने लगी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने
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पिछले चार वर्षों में डीमेट खातों में हुई
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प्रगति के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित
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किया है मार्च 2020 में डीमेट खातों की
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कुल संख्या 4.1 करोड़ थी अगले 4 साल सात
00:07:25
महीने में डीमेट खातों की संख्या बढ़कर 17
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करोड़ हो जा जाती है जाहिर है
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प्रधानमंत्री मोदी के दौर में एम क्लास
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यानी मिडिल क्लास को मोदी पर ज्यादा भरोसा
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रहा तभी उसने बैंकों से पैसा निकालकर शेयर
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बाजार में लगाना शुरू किया लेकिन अब जब
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मोदी के दौर में शेयर बाजार ने मनमोहन
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सिंह से काफी कम रिटर्न दिया है यह बात
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धीरे-धीरे सामने आ रही है भारत का वोटर और
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निवेशक पैसा और वोट दोनों के मामले में एक
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जैसा बर्ताव करता है पिछले चार-पांच सालों
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में सेंसेक्स में अगर हम देखें या निफ्टी
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में बहुत तेजी से जो है वृद्धि आई है और
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इससे जो है मार्केट कैपिट इजेशन जिसको
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कहते हैं पूरा शेयर बाजार का जितना पैसा
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उसमें लगा हुआ है तो वह बहुत तेजी से जो
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है वह बढ़ते हुए नजर आया है लेकिन अगर हम
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गौर करें तो हमारा जो असली अर्थव्यवस्था
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है यानी हमारा जो उत्पादन है जो कृषि का
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उत्पादन है जो हमारा मैन्युफैक्चरिंग
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सेक्टर है उसका जो उत्पादन है हमारे जो
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एक्सपोर्ट्स है निर्यात है या हमारा जो
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कंजमेट खर्चा करते हैं यह जो असली इकोनॉमी
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है रियल इकोनॉमी जो है इसका ग्रोथ जो है
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वह शेयर बाजार के जैसा उतना तेजी से ग्रोथ
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जो है नहीं हुआ है और हम जानते हैं कि
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लोकसभा चुनाव के जो रिजल्ट्स आए थे उस समय
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एग्जिट पोल के बाद बहुत भारी रकम से जो है
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शेयर बाजार में वृद्धि आई और रिजल्ट्स आने
00:09:05
के बाद वह एकदम क्रैश हो गया तो यह दिखाता
00:09:08
है कि अभी शेयर बाजार का जो वृद्धि है वह
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काफी आर्टिफिशियल वृद्धि जो है है शेयर
00:09:15
बाजार का चढ़ना ही था कि लोकसभा चुनाव के
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समय प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित
00:09:21
शाह नतीजों से पहले शेयर बाजार में निवेश
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करने का सुझाव देने लगे अमित शाह ने कहा
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कि 400 से ज्यादा सीटें आएंगी और बाजार
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में तेजी आएगी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा
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नतीजे के दिन 4 जून को स्टॉक मार्केट सारे
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रिकॉर्ड तोड़ देगा एग्जिट पोल बीजेपी की
00:09:40
प्रचंड जीत की घोषणा कर रहे थे मार्केट
00:09:43
में जबरदस्त उछाल की भविष्यवाणी चल रही थी
00:09:47
मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बीजेपी का 400
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पार का नारा पिट गया अकेले बहुमत भी नहीं
00:09:53
मिली और बाजार बुरी तरह गिर गया धड़ाम
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निवेशकों के 30 लाख करोड़ रुपए एक दिन में
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स्वाहा हो गए इसे लेकर कांग्रेस पार्टी ने
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शिकायत भी की राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री
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और गृहमंत्री के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा
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कि 4 जून से पहले निवेश करने के उनके
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सुझाव के कारण नतीजे वाले दिन बाजार को 30
00:10:16
लाख करोड़ का घाटा हुआ है 5 करोड़ नौकरी
00:10:20
पेशा लोगों को घाटा हुआ राहुल गांधी ने इस
00:10:24
मामले में संयुक्त संसदीय समिति से जांच
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कराने की मांग की थी जिसे अनसुना कर दिया
00:10:30
गया मैं दो इंडिविजुअल्स की बात कर रहा
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हूं प्रधानमंत्री
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ने और हिंदुस्तान के सब रिटेल इन्वेस्टर
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जिनको नुकसान हुआ है मैं आपसे बोल रहा हूं
00:10:40
आपको यह बात समझ आ
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जाएगी आपका पैसा गया
00:10:45
है आपकी कमाई गई है आपको नुकसान हुआ है और
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इसमें करोड़ों युवा हैं
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जो ईमानदार है तो नरेंद्र मोदी जी ने अमित
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शाह जी ने आपको मैसेज
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कि 4 तारीख को स्टॉक मार्केट आसमान छुए
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गी और आपने उन पर भरोसा किया मगर सच्चाई
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यह थी कि नरेंद्र मोदी को मालूम था कि 4
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जून को स्टॉक मार्केट आसमान नहीं छुए
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गी 4 जून को स्टॉक मार्केट का जबरदस्त
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नुकसान होने जा रहा है क्योंकि उनके
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पास इंटेलिजेंस की रिपोर्ट थी और बीजेपी
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का जो इंटरनल असेसमेंट था 220 सीट का व
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उनके हाथ में था तो मेरा यह सवाल है और
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मैं आपसे इन्वेस्टर से कहना चाहता हूं कि
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आपको जो चोट पहुंची है जो आपको दर्द हुआ
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है वह चोट नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह के
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बयान ने आपको पहुंचाई है और हजारों करोड़
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रुपए किसी ना किसी ने चोरी की है वो आपके
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जेब से गए हैं रिटेल इन्वेस्टर्स के जेब
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से गए हैं तो मैं चाहता हूं आपके लिए बोल
00:12:04
रहा हूं
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मैं आपके लिए बोल रहा हूं कि
00:12:10
इन्वेस्टिगेशन होना चाहिए पता लगाना चाहिए
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कि प्रधानमंत्री जी
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ने होम मिनिस्टर ने आपको यह गलत
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इंफॉर्मेशन क्यों दी और यह कौन लोग
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हैं इन्वेस्टर जो है फॉरेन इन्वेस्टर्स
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हैं जिन्होंने इस दिन फायदा उ उठाया ये यह
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देखिए ग्राफ है ये यह रेड रेड चार्ट जो है
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इसको देख लीजिए ये ये यह नॉर्मल ट्रेडिंग
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है यह नॉर्मल ट्रेडिंग है यह ग्रे वाली
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नॉर्मल ट्रेडिंग है और ये यह जो ट्रेडिंग
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है यह अब नॉर्मल ट्रेडिंग है यह दो तीन
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गुना है और फिर यह हुआ है
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नुकसान तो यह यह नरेंद्र मोदी जी और अमित
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शाह से मैं पूछ रहा हूं कि आप में इसका
00:12:57
इसमें आपका क्या रोल था और इन्वेस्टर्स के
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लिए पूछ रहा हूं आपकी मदद के लिए आपकी मदद
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करने के लिए पूछ रहा हूं और इन्वेस्टिगेशन
00:13:05
होगा तो आपके लिए होगा लेकिन अब जब शेयर
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बाजार गिरता जा रहा है तब प्रधानमंत्री
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मोदी और गृहमंत्री अमित शाह शेयर बाजार को
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लेकर क्यों नहीं बोल रहे हैं वैश्विक
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चुनौतियों के नाम पर सवालों को टरका देने
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का चलन हो गया है भारत की अपनी आर्थिक
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हालत पर बात नहीं हो रही कि जीडीपी का
00:13:23
अनुमान घटाया गया है इस वित्त वर्ष में
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6.4 प्र जीडीपी की बा बात कही जा रही है
00:13:30
लोगों की आर्थिक क्षमता चौपट होती जा रही
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है उनकी कमाई पर चोट पहुंची है तो टैक्स
00:13:35
टैक्स चिल्लाने लगे हैं मंदिर पॉलिटिक्स
00:13:37
में डूबा मिडिल क्लास और पूरा देश मनी मनी
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गाने लगा है इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के
00:13:43
अनुसार दैनिक उपभोग की चीजें बनाने वाली
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कंपनियां जिन्हें हम एफएमसीजी कंपनी कहते
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हैं नई-नई तरकीबें लगा रही हैं ताकि उनका
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माल बिक जाए पहले बाजार में एंट्री लेवल
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पर सर्फ एक्सल का पैकेट ₹10 का आता था अब
00:14:00
₹10 का नया पैक लॉन्च हुआ है ₹10 से सीधे
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₹10 के पैकेट पर उम्मीद टिकी है कोलगेट का
00:14:08
टूथपेस्ट ₹10 का आता था अब 80 का एक नया
00:14:12
पैक लॉन्च किया गया है इकोनॉमिक टाइम्स की
00:14:15
इस रिपोर्ट में यही दिखाया गया है कि
00:14:16
मिडिल क्लास के पास पैसा खर्च करने के लिए
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नहीं है तो बाजार में माल नहीं बिक रहा है
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तो थोड़ा-थोड़ा करके बेचा जाए छोटे-छोटे
00:14:25
पैकेट में ताकि लोग कुछ ना कुछ खरीदते रहे
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एकदम से सब कुछ बंद ना हो मगर बाजार में
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गर्माहट नहीं आ रही है चीजें ग्राहकों के
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इंतजार में शाम तक थक जाती हैं इससे अमीर
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गरीब की बढ़ती खाई भी उजागर होती है एक
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तरफ कपड़े धोने के पाउडर का पैकेट छोटा हो
00:14:45
रहा है दूसरी तरफ बड़े-बड़े शहरों में
00:14:48
प्रीमियम प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ रही है
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बड़ी-बड़ी कारों की बिक्री बढ़ जा रही है
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छोटी कारों की बिक्री घट जा रही है आप इस
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एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं बेहतर तो आप
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लोग ही ही जानते होंगे कि आपकी हालत क्या
00:15:00
है शहरों में मांग बैठ गई है शहरों की
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मांग से ही एफएमसीजी सेक्टर आगे बढ़ता है
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लेकिन शहरों में उसकी गाड़ी पंचर बताई जा
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रही है इधर भारत का रुपया डॉलर के सामने
00:15:12
टूटता जा रहा है कहां तो एक डॉलर जब 0 का
00:15:15
होता था देश में रोज बहस होती थी बीजेपी
00:15:19
छाती पीटने लग जाती थी लेकिन वही बीजेपी ल
00:15:23
के 86 हो जाने पर शांत पड़ गई है आज तो $
00:15:27
86.5
00:15:29
पर पहुंच गया यानी 87 की तरफ बढ़ने लगा है
00:15:32
अगर नरेंद्र मोदी विपक्ष में होते तो हर
00:15:35
दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते और भारत की
00:15:37
आर्थिक दुर्दशा का प्रलाप कर रहे होते मगर
00:15:40
अब उन्हें
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87 का भी सामान्य नजर आने लगा है रुपए को
00:15:45
बचाने के लिए रिजर्व बैंक अपना भंडार खाली
00:15:49
किए जा रहा है भारत का विदेशी मुद्रा
00:15:51
भंडार 10 महीने में न्यूनतम स्तर पर है 3
00:15:54
जनवरी को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 634
00:15:58
द 59 बिलियन डॉलर का रह गया सितंबर 2024
00:16:02
में सर्वाधिक हो गया था जब
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74.8 बिलियन डॉलर का हुआ तब से 70 अरब
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डॉलर की विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ गई
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तो 2023 24 में जीडीपी 8.2 प्र रही इस
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वित्त वर्ष का अनुमान 6.4 प्र रखा गया है
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करीब 2 फ की गिरावट कोई मामूली नहीं होती
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जुलाई 2024 के आर्थिक सर्वे में अनुमान 65
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से 7 फी का बताया गया जीडीपी उससे भी कम
00:16:33
हो सकती है हो सकता है कि 6.4 फ से भी कम
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रह जाए 2019 में कॉरपोरेट टैक्स कम किया
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गया यह सपना दिखाया गया कि निजी कंपनियों
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का निवेश बढ़ेगा उनके पास पैसे आएंगे और
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नौकरियां बढ़ जाएंगी लेकिन उल्टा हुआ
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कॉरपोरेट का मुनाफा तो बढ़ गया मगर निवेश
00:16:53
नहीं बढ़ा 11 जनवरी के द हिंदू में
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प्रसनजीत बोस और सौम्यदीप विश्वास ने भारत
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की धीमी होती विकास दर पर रिपोर्ट
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प्रकाशित की है वे लिखते हैं कि यूपीए के
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10 वर्षों के दौरान वास्तविक जीडीपी की
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सालाना विकास दर
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6.8 फ थी निवेश दर 10 फ थी और निजी उपभोग
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की विकास दर 6 फी 2014 में मोदी सरकार के
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आने के बाद से लेकर कोविड तक वास्तविक
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जीडीपी की सालाना विकास दर यूपीए जितनी ही
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थी निजी उपभोग की विकास दर बढ़कर
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6.8 फ हो गई मगर वास्तविक निवेश की विकास
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दर 10 फी से गिरकर 6.3 फ पर आ गई यानी
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मोदी सरकार के दौरान आर्थिक विकास निवेश
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के कारण नहीं हुआ जबकि यूपीए के समय निवेश
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अच्छा था तब जब कॉर्पोरेट टैक्स ज्यादा था
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पिछले हफ्ते हमारा जो स्टेटस्ट मिनिस्ट्री
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है यूनियन मिनिस्ट्री है केंद्र सरकार का
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जो स्टेटिस्टिक्स का जो दफ्तर है उन्होंने
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जो इस अर्ध वर्ष के लिए 20 24 25 अर्ध
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वर्ष के लिए जो आर्थिक वृद्धि का
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एस्टिमेटर्स वृद्धि होगी असली आर्थिक
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वृद्धि होगी इसका अनुमान लगाया गया था
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उतना तेजी से वह आर्थिक वृद्धि नहीं होने
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जा रहा है पिछले साल 8 % से ज्यादा आर्थिक
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वृद्धि अ हुआ था इस हमारे देश में लेकिन
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इस साल
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वह सिर्फ 6 द अ 3 या 6.4 पर जो है वह होने
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की संभावना है तो यह जो आर्थिक वृद्धि कम
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होने का जो अभी बात आ रही है सरकारी तौर
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पे ही इसका कारण यह है कि निजी निवेश जो
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है उसमें कोई वृद्धि देखने को नहीं मिल
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रहा है और उसके साथ साथ
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कंजंक्चर क्षेत्र को देखें या सेवा के जो
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अलग-अलग क्षेत्र है उसको भी अगर हम देखें
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तो हर चीज में ही धिमी गति से आर्थिक
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वृद्धि होता हुआ नजर आ रहा है इस साल में
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तो यह जो असली अर्थव्यवस्था में जो धिमी
00:19:22
गति से जो वृद्धि हो रही है इसी से भी
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हमारे देश में जो
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विदेशी जो पूंजी है हमारा वित्तीय बाजार
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में स्टॉक मार्केट में जो फॉरेन
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पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स है वह धीरे-धीरे
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हमारे देश से पैसा जो है अभी वापस खींच ले
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रहे हैं और इसके चलते भी
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एक जो स्टॉक मार्केट के ऊपर जो है वह
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इंपैक्ट हो रहा है स्टॉक इंसेस का और हम
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लोगों का जो इतना बड़ा हुआ जो अभी
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डोमेस्टिक इन्वेस्टर्स है रिटेल
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इन्वेस्टर्स है इनका अभी भी कॉन्फिडेंस
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बना हुआ है इंडियन इकोनॉमी पे इंडियन
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ग्रोथ स्टोरी पे लेकिन यह कॉन्फिडेंस को
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धक्का लग रहा है यह जो ग्रोथ एस्टिमेट्स
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कम हुआ है तो अभी आने वाले दिनों में बजट
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भी आएगा उसके बाद क्या सुधार होगा उ उसको
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भी देखना पड़ेगा लेकिन यह बात तय है कि
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हमारे देश का जो शेयर बाजार में जो
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वर्तमान जो वैल्युएशंस है जो करंट
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प्रेजेंट वैल्युएशंस है वो काफी
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इन्फ्लेटेड वैल्युएशंस है यही लग रहा है
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तो इन्फ्लेटेड वैल्युएशंस जब भी हो होता
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है तो उसमें शार्प करेक्शंस होने की भी जो
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है गुंजाइश रहती है तो आने वाले दिनों में
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हमारा देश का स्टॉक मार्केट में सेंसेक्स
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में निफ्टी में भी हम भारी गिरावट का
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आशंका जो है जता सकते हैं इसलिए यह कहना
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पूरी तरह सही नहीं है कि भारत की
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अर्थव्यवस्था में जो गिरावट से लेकर ठहराव
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की स्थिति बताई जा रही है वह केवल वैश्विक
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चुनौतियों के कारण है अमेरिका के कारण है
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मोदी सरकार के दौर में मैन्युफैक्चरिंग
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सेक्टर कभी उठ नहीं पाया थोड़ा बहुत सुधार
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होता रहा लेकिन कुल मिलाकर इसका प्रदर्शन
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औसत रहा है रोजगार देने वाले किसी भी
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सेक्टर ने इतनी प्रगति नहीं की जिसे लेकर
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हेडलाइन चमकने लग जाए कंपनियों में सैलरी
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का बढ़ना रुकसा गया है जाहिर है मिडिल
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क्लास के पास कहीं से पैसा आ नहीं रहा है
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टैक्स में कमी तो होनी चाहिए लेकिन क्या
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टैक्स में कटौती काफी होगी भारत सरकार के
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पास कितना स्कोप बचा है कि वह टैक्स में
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कमी करें हेडलाइन के यह कुछ इधर से उधर
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किया जा सकता है लेकिन बड़ी राहत की
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उम्मीद कमी ही नजर आती है उदय कोटक ने भी
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टैक्स कम करने की बात कही है 6 जनवरी को
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लाइव मिनट की गोपिका गोप कुमार और सतीश
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जॉन से बातचीत में उन्होंने कहा निजी कर
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और कैपिटल गेन टैक्स पर मैं सरकार को बधाई
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देता हूं इनसे जुड़े नियम सरल हुए हैं मगर
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मैं मानता हूं कि ब्याज दर और निजी आय पर
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लगने वाले टैक्स को कम किया जाना चाहिए
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मेरा अपना मत है कि निजी आय पर लगने वाला
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मार्जिनल टैक्स 39 फ से कम होना चाहिए 33
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या 35 फ होना चाहिए पहले यह 42 फ था कम
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करके 39 फी पर लाया गया कॉरपोरेट टैक्स 25
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फ है तो कुल मिलाकर कॉर्पोरेट पर 1 चौथाई
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और लोगों पर 1 तिहाई मार्जिनल रेट इसका
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नतीजा अच्छा होना चाहिए तो कॉर्पोरेट को
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क्या डर लग रहा होगा कि कहीं सरकार फिर से
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उस पर टैक्स ना बढ़ा दे इसलिए अब
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कॉर्पोरेट इनकम टैक्स घटा ने की बात करने
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लगा है लेकिन सीआईआई के अध्यक्ष और
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उद्योगपति संजीव पुरी का भी कुछ कहना है
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वे मानते हैं कि 20 लाख तक की आमदनी वाले
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को टैक्स में राहत देनी चाहिए लेकिन पूरी
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भी वही कह रहे हैं जो बहुत से विशेषज्ञ और
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अर्थशास्त्री कोरोना के बाद से कहते आ रहे
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हैं अर्थव्यवस्था और आम जनता की आर्थिक
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हालत को सुधारने के लिए मांग बढ़ाने की
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बहुत जरूरत है यह निवेश को बढ़ाने से भी
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बड़ी जरूरत है लेकिन सरकार की नीति
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कॉरपोरेट निवेश को बढ़ावा देने की रही है
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वर्षों से टैक्स में छूट दी जा रही है
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कॉरपोरेट के लिए अन्य कदम भी उठाए गए
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लेकिन जिस निजी निवेश की उम्मीद सरकार
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लगाए बैठी रही वह कभी हुआ नहीं कंपनियों
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के मुनाफे बढ़ गए मगर लोगों की सैलरी नहीं
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बढ़ी नई नौकरियां पैदा नहीं हुई अब यह सब
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सच सामने आ रहा है आम जनता तक इस निवेश का
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लाभ नहीं पहुंचा उनकी खरीदने की क्षमता
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गिरती जा रही है संजीव पुरी ने सरकार
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द्वारा पूंजीगत व्यय यानी कैप को बढ़ाने
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पर जोर दिया ताकि नई नौकरियां पैदा हो और
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टैक्स से निचोड़ जा चुकी जनता तक राहत
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पहुंचे संजीव पुरी ने यह भी कहा कि कपड़ा
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और जूता के सेक्टर में हाथ के काम का
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इस्तेमाल होता है इन सेक्टरों में निर्यात
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को बढ़ावा देने की जरूरत है इंग्लैंड और
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यूरोप के देशों से मुक्त व्यापार समझौते
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होने चाहिए ताकि निर्यात बढ़े रोजगार पैदा
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हो संजीव पूरी ने वह बात कह दी जिसे कहने
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में उद्योगपतियों को खाने की मेंज पर एक
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कटोरी में ईडी एक कटोरी में इनकम टैक्स और
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चम्मच में सीबीआई नजर आने लगती है फिर भी
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राम जाने संजीव पुरी ने कैसे कह दिया कि
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पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में कटौती कर
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मिडिल क्लास को राहत पहुंचाना जरूरी है 20
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लाख सालाना आय वाले वर्ग के लिए आयकर में
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कटौती करने की जरूरत है मनरेगा वेतन में
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बढ़ोतरी की बात भी संजीव पूरी कर रहे हैं
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तो जो बात मीडिया नहीं कह पा रहा है वह
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बात अब उद्योगों के संगठन की तरफ से कही
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जाने लगी है
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कभी सोचा था आपने कि ऐसा दिन आएगा मिडिल
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क्लास यानी एम क्लास खुद नहीं बोल पाता कि
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पेट्रोल डीजल के टैक्स में कमी कीजिए कब
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से 95 लीटर पेट्रोल भरवा रहे हैं जेबे
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खाली हो गई हैं लेकिन उद्योगों के संगठन
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ने मांग की है कि टैक्स कम हो पेट्रोल
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डीजल के दाम पर भी टैक्स कम हो तब भी
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मीडिया में टैक्स को लेकर कोई बहस नहीं
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वैसे भी कुंभ के बहाने बजट सर से निकल
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जाएगा मीडिया इन बातों को छोड़कर कुंभ को
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अपना बहाना बना लेगा जैसे इन दिनों वह
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कुंभ में व्यस्त है इसलिए टैक्स या मिडिल
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क्लास की आर्थिक हालत की बात नहीं कर रहा
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20 करोड़ निवेशकों के पैसे हर दिन मार्केट
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में डूब रहे हैं उसकी बात नहीं कर रहा
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क्योंकि गोदी मीडिया कुंभ में व्यस्त है
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मार्केट से लोग आस लगाए बैठे हैं शाम
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होते-होते निराशा में डूब जा रहे हैं काम
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किए जा रहे हैं सैलरी नहीं मिल रही जहां
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निवेश कर रहे हैं वहां से लाभ नहीं अच्छा
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है कि इस बीच कुंभ शुरू हो गया है मिडिल
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क्लास का मन थोड़ा उसमें लग जाएगा थोड़ा
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नहीं बहुत लगना चाहिए उसके बाद भारत की
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राजनीति उन्हें मस्जिदों के नीचे मंदिर
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खोजने के लिए ले जाएगी उस काम में उन्हें
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व्यस्त कर देगी लेकिन इन सबके बाद भी
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बीच-बीच में मिडिल क्लास का ध्यान जब भी
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अपनी कमाई और शेयर बाजार पर आएगा तो उसका
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मन सैड ही होगा गुड नहीं होगा वह ज्यादा
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से ज्यादा लतीफा बना सकता है रुपया कमजोर
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हो गया
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86 से ज्यादा का हो गया प्रधानमंत्री मोदी
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ने भी पत्रकारों से किनारा तो नहीं किया
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है लेकिन पॉडकास्ट के नाम पर उद्योगपति को
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बुलाने लगे हैं पहले कलाकार आए इंटरव्यू
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करने अब उद्योगपति आ रहे हैं आइए मेरा
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इंटरव्यू कीजिए कमाल है जो उद्योगपति भारत
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की आर्थिक स्थिति को लेकर सवाल नहीं पूछ
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सकता वह प्रधानमंत्री से उनके बचपन के
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किस्से पूछ रहा है मिडिल क्लास को साफ
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संदेश दिया जा चुका है ज्यादा सवाल मत
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पूछिए बचपन में मैं क्या सो सता था मेरा
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गांव कैसा था जो सुना रहा हूं वही कथा
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सुनिए कथा वाच कों की डिमांड काफी बढ़ गई
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है कवि भी कविता के साथ-साथ कथा वाचन कर
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रहे हैं नमस्कार मैं रवीश कुमार