Duain Radd Nhi Hoti | Molana Muhammad Makki Sahab دُعاٸیں رد نہیں ہوتی

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https://www.youtube.com/watch?v=cfuj2Ob0nc4

Resumo

TLDRइस सामग्री में, अल्लाह ताला से दुआ करने के महत्वपूर्ण लाभ और दुआ की पुष्टि की गई है। जब एक मोमिन दुआ करता है, तो अल्लाह उसे तीन में से एक चीज जरूर देते हैं: मांगी गई चीज, मुसीबत का दूर होना, या उसके लिए आखिरत में खुशियों का एक बड़ा इनाम। रमजान का महीना विशेष रूप से इस कार्य के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि रोजेदारों की दुआएं अस्वीकार नहीं की जाती हैं।

Conclusões

  • 🙏 दुआ के महत्व को समझें।
  • 📅 रमजान में दुआ का विशेष समय है।
  • 📖 अल्लाह ताला दुआओं को तीन तरीकों से स्वीकार करते हैं।
  • ⌛ कयामत के दिन दुआ का इनाम मिलेगा।
  • 💭 हसरत रखें कि हर दुआ का सही स्थान पर इनाम मिले।
  • 🤲 रोजेदार की दुआ स्वीकार होती है।
  • 📜 हदीस का अध्ययन करें।
  • 🕌 रोजों में दुआ करना विशेष फज़ीलत है।
  • 💚 अल्लाह ताला हमेशा सुनते हैं।
  • 🌟 दुआ की तौफीक हासिल करें।

Linha do tempo

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    A cikin wannan sashe na bidiyo, an bayyana cewa duk lokacin da mumin ya roki Allah, Allah yana ba da amsa ta hanyoyi uku: yana iya ba da abin da aka nema, yana iya kawar da wata matsala, ko kuma yana adana amsar a cikin lahira. Hadisi yana nuna cewa a ranar tashin kiyama, Allah zai tambayi mutum akan addu'oin da ya yi a duniya, kuma yaron zai gane cewa wasu daga cikin addu'o'onsa ba a amsa su a duniya ba, amma sun zama kayan latifi a lahira. An kuma bayyana cewa a cikin watan Ramadan, addu'oin masu sauri ana karɓa da ƙarfin Allah, tare da shawarar muhimmin cewa masu saurin jiya suna da girman fassara. A ƙarshe, an roƙi Allah ya ba da karfin addua da taimakon wadannan addu'oi na dukkan masu makirci.

Mapa mental

Vídeo de perguntas e respostas

  • दुआ का क्या महत्व है?

    दुआ अल्लाह ताला से मदद माँगने का एक माध्यम है, और इसे सुनने और कबूल करने वाली कहा गया है।

  • कयामत के दिन दुआ के बारे में क्या होगा?

    अल्लाह ताला व्यक्ति की दुआओं को याद दिलाएंगे और उनके अनुसार rewards देंगे।

  • रमजान में दुआ का महत्व क्या है?

    रमजान में रोजेदारों की दुआएं स्वीकार की जाती हैं और यह विशेष फजीलत का समय है।

  • कितने प्रकार से अल्लाह ताला दुआओं का उत्तर देते हैं?

    अल्लाह ताला तीन तरीकों से दुआ का उत्तर देते हैं: दुआ कबूल करना, मुसीबत को दूर करना, या आखिरत के लिए जखीरा बनाना।

  • जखिरा क्या होता है?

    जखिरा वह पुरस्कार है जो अल्लाह ताला अंत में दुआओं के बदले में देते हैं।

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    [संगीत]
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    नदन सलीला रसूल करीम अम्मा बाद नबी करीम
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    सरकार दो आलम सल्लल्लाहु अलही वसल्लम का
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    इरशाद है कि जब कोई मोमिन अल्लाह ताला से
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    दुआ करता है तो अल्लाह ताला उस दुआ के
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    बदले में उसको तीन चीजों में से एक चीज
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    जरूर इनायत फरमाते हैं या तो उस शख्स को
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    वही चीज दे दी जाती है जो उसने दुआ में
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    मांगी थी य अल्लाह ताला उस दुआ के बदले
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    में उससे कोई मुसीबत और परेशानी को हटा
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    देते हैं या वह दुआ उस शख्स के लिए आखिरत
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    में जखीरा कर दी जाती है और उसके बदले में
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    आखिरत में उसको अजर सवाब दिया
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    जाएगा एक हदीस में आप सल्लल्लाहु अलैहि
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    वसल्लम फरमाते हैं कि कयामत के दिन अल्लाह
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    ताला एक शख्स को अपने पास बुलाएंगे और
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    उसको वह दुआएं याद कराएंगे जो उसने दुनिया
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    में मांगी थी चुनांचे
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    अल्लाह ताला उससे फरमाएंगे कि मेरे बंदे
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    तूने फलां वक्त फलां दुआ मांगी थी तो
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    मैंने तेरी वह दुआ कबूल कर ली थी तो वह
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    शख्स इस बात का इकरार करेगा उसके बाद
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    अल्लाह ताला फरमाएंगे कि तूने फला दुआ
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    मांगी थी तो मैंने तेरी फला मुसीबत दूर कर
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    दी थी तो वह शख्स इस बात का भी इकरार
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    करेगा उसके बाद अल्लाह ताला उसको अजर सवाब
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    का एक बहुत बड़ा जखीरा
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    दिखाएंगे तो वह शख्स पूछेगा कि या अल्लाह
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    यह अजर सवाब का जखीरा किस चीज के बदले में
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    है तो बारी ताला इरशाद फरमाएंगे कि यह
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    जखीरा उन दुआओं के बदले में है जो तूने
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    दुनिया में मांगी थी मगर हमने उनको दुनिया
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    में कबूल नहीं किया था बल्कि आखिरत के लिए
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    उनको जखीरा कर लिया था तो उस वक्त वह बंदा
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    हसरत करेगा कि काश दुनिया में मेरी कोई
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    दुआ कबूल ना हुई होती बल्कि सब आखिरत के
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    लिए जखीरा कर ली जाती तो मेरे अजों अल्लाह
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    ताला से जब भी दुआ करें तो इस यकीन कामिल
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    के साथ करें कि अल्लाह ताला दुआओं को
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    सुनने वाला है और उनको कबूल करने वाला है
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    वैसे भी आप हजरात के इल्म में है के माहे
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    सियाम चल रहा है इसमें अल्लाह ताला की जो
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    रहमत हैं वह खास तौर पर अपने बंदों की तरफ
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    मुतजेंस
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    तौर पर दुआओं का एहतमाम करना चाहिए एक
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    हदीस में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
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    फरमाते हैं कि तीन लोग ऐसे हैं जिनकी दुआ
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    रद्द नहीं की जाती थी और उन तीनों उन तीन
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    में से एक आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने
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    फरमाया कि रोजेदार की दुआ है कि जो वह
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    अफता के वक्त करता है इसी तरीके से एक और
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    हदीस में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
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    फरमाते हैं कि अल्लाह ताला अर्श के उठाने
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    वाले फरिश्तों को हुकुम देते हैं कि
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    अपनी-अपनी इबाद तों को छोड़ दो और रोजेदार
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    की दुआ पर आमीन कहो यकीनन यह बहुत बड़ी
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    फजीलत है जो कि अल्लाह ताला ने रोजदार को
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    अता फरमाई है दुआ फरमाई अल्लाह ताला मुझे
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    भी दुआ तमाम करने की तौफीक अता फरमाए और
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    आप हजरात को भी दुआओं का एहतमाम करने की
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    तौफीक अता फरमाए वाखर दवाना हमदुलिल्ला
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    रब्बिल
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    आलमीन
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