एक आदमी पहली बार ससुराल गया - rajeshwaranand ji maharaj anmol hasya katha

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https://www.youtube.com/watch?v=XdhH-iamZcA

Summary

TLDRThe story narrates a humorous incident where a man visits his in-laws with a friend, who lends him clothes. This leads to a series of misunderstandings about identity and social perceptions. The narrative explores themes of friendship, the significance of appearances, and deeper philosophical reflections on the divine and human relationships. Through comedic situations, it illustrates how perceptions can be influenced by clothing and social interactions, ultimately emphasizing the importance of understanding and communication in relationships.

Takeaways

  • 👔 Clothing influences identity and perception.
  • 😂 Humor arises from misunderstandings in social situations.
  • 🤝 Friendship is central to navigating life's complexities.
  • 💬 Communication is key to resolving misunderstandings.
  • 🌍 Cultural norms shape our interactions and expectations.
  • 🧠 Philosophical reflections on the divine and human nature.
  • 🎭 Appearances can be deceiving in social contexts.
  • 📖 Stories can convey deeper moral lessons.
  • 🤔 Understanding others requires empathy and patience.
  • 💡 Life's complexities often lead to humorous outcomes.

Timeline

  • 00:00:00 - 00:05:00

    A man visits his in-laws and is accompanied by a friend. The friend humorously comments on the lack of preparation for the visit, leading to a light-hearted exchange about sharing clothes. They receive a warm welcome at the in-laws' place, but the friend feels embarrassed when the man introduces him, leading to a series of misunderstandings about their attire.

  • 00:05:00 - 00:10:00

    As they continue to meet people, the friend expresses his discomfort about being introduced in borrowed clothes. The man reassures him, but the friend insists on not discussing their clothing anymore. This highlights the theme of appearances and how they can affect perceptions in social situations.

  • 00:10:00 - 00:15:00

    The narrative shifts to a couple searching for each other in a crowded fair. They seek divine help, leading to a humorous interaction with a priest who suggests they pray to Hanuman. The husband insists on praying directly to Ram, showcasing the different beliefs people hold about divine intervention.

  • 00:15:00 - 00:20:00

    The story continues with a philosophical discussion about the nature of God and how people perceive divinity based on their emotions. It emphasizes that one's devotion and feelings shape their experience of God, leading to a deeper understanding of faith and spirituality.

  • 00:20:00 - 00:29:06

    The final part of the narrative illustrates the absurdity of blind faith and the influence of societal norms. A man with a cut nose tries to hide his embarrassment by pretending to be a saint, leading to a humorous yet poignant commentary on how people often follow the crowd without questioning their beliefs.

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Video Q&A

  • What is the main theme of the story?

    The main theme revolves around friendship, misunderstandings, and the nature of appearances.

  • What humorous situation arises in the story?

    The protagonist wears his friend's clothes to his in-laws' house, leading to comedic misunderstandings.

  • How does the story explore the concept of identity?

    It discusses how clothing and social interactions can influence perceptions of identity.

  • What philosophical ideas are presented in the story?

    The story touches on deeper ideas about the divine and human relationships.

  • What role does friendship play in the narrative?

    Friendship is central to the story, showcasing loyalty and the humorous dynamics between friends.

  • How does the story use humor to convey its message?

    Humor is used through misunderstandings and the absurdity of social situations.

  • What is the significance of clothing in the story?

    Clothing symbolizes identity and how others perceive us in social contexts.

  • Are there any moral lessons in the story?

    Yes, it highlights the importance of understanding and communication in relationships.

  • What cultural elements are present in the story?

    The story reflects cultural norms around family, friendship, and social gatherings.

  • How does the story conclude?

    It concludes with reflections on the nature of understanding and the complexities of human interactions.

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  • 00:00:00
    एक बार एक व्यक्ति अपनी ससुराल जा रहा था
  • 00:00:04
    मित्र से मिलने गया मित्र ने कहा कहां आज
  • 00:00:07
    बड़े तैयार दिखाई दे रहा उसने कहा ससुराल
  • 00:00:09
    जा रहे तुम भी चलो मित्र बोला यह कोई ले
  • 00:00:12
    जाने का ढंग है पहले से बताते तो हम भी
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    अपने कपड़े आदि पहनकर तैयार
  • 00:00:17
    रहते मित्र बोला कपड़ों में क्या हमारी
  • 00:00:20
    पहन लेना देत लेत मन संक न धरी मित्रता
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    में क्या हमारे पहन लेना ठीक
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    है मित्र ने ने कपड़े दे दिए उसने पहन लिए
  • 00:00:31
    दोनों मिलकर ससुराल गए अब वहां लोगों ने
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    बड़ा स्वागत सत्कार किया पड़ोस में बैठने
  • 00:00:37
    के लिए गए तो एक ने पूछा बहुत दिन बाद आए
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    आपकी बड़ी प्रतीक्षा हो रही थी आपके आने
  • 00:00:43
    से बड़ा अच्छा लगा लेकिन आपके साथ कौन है
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    अब उन्होंने परिचय देना शुरू हमारे मित्र
  • 00:00:49
    बहुत अच्छे आदमी
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    है बोले कहां जा रहे हो हमने कहा ससुराल
  • 00:00:54
    हमने कहा तुम भी चलो बोले कपड़े नहीं है
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    तो कपड़े भी हमारे ही पहने हैं
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    मित्र बहुत
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    अच्छे अब मित्र को बड़ा बुरा
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    लगा एकांत पाकर मित्र ने कहा मैं तो जा
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    रहा हूं तुम्हारे जैसा हमने आदमी नहीं
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    देखा लोग हमारे बारे में पूछते कि कपड़ों
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    के बारे में तो कपड़ों के बारे में काहे
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    को बताते हो अरे बोला अब क्षमा करो गलती
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    हो गई अब अब नहीं
  • 00:01:23
    बोलूंगा दूसरी जगह फिर बैठने गए लोगों ने
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    परिचय पूछा कहने लगे हमारे बड़े अच्छे
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    मित्र हैं और हमने कहा ससुराल जा रहे एक
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    ही कहने से हमारे साथ आ गए और कहते कहते
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    निकल गया कपड़े अब मित्र फिर डांटे का कि
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    कपड़े तो लोगों ने कहा कपड़े क्या कपड़े
  • 00:01:40
    तो बोले
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    कपड़े इनके अपने है ये खुद खुद के कपड़े
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    पहने हैं
  • 00:01:49
    केने और लोगों ने सोचा कपड़े तो सब खुद के
  • 00:01:52
    पहनते हैं
  • 00:01:54
    इसमें मित्र ने फिर कहा कि अब मैं नहीं
  • 00:01:56
    रुकूंगा तुमने फिर कपड़ों के बारे में तो
  • 00:02:00
    कहा हमने तो तुम्हारे ही बताए तो बताए
  • 00:02:02
    क्यों लोग हमारे बारे में पूछते कि कपड़ों
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    के बारे
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    में बोला अब मैं कहूंगा ही नहीं बिल्कुल
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    नहीं कहूंगा मित्र फिर रुक गया पर तीसरी
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    जगह बैठने गए लोगों ने परिचय पूछा कि आप
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    तो बड़े अच्छे आ आपके साथ हमारे मित्र हैं
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    बड़े प्रेमी हैं एक ही कहने से हमारे साथ
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    आए और इनकी जितने गुण गाए जाए सब कम है
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    लेकिन क्षमा करें हम कपड़ों के बारे में
  • 00:02:24
    कुछ नहीं कहना
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    चाहते अ फिर कपड़े
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    अभी तर भरे कपड़े हम जो चीज खाएंगे डकार
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    में गंध भी तो उसी की आएगी
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    तो भीतर जो भरा हो वही बाहर
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    दिखेगा निराकार हूं मैं ना साकार हूं भक्त
  • 00:02:46
    की भावना से तदा का हू भक्त मुझे जिस
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    दृष्टि से देखता है उसी दृष्टि से मैं
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    दिखाई पड़ता हूं अपने भाव के अनुसार भगवान
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    का दर्शन होता है
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    सब भगवान को अलग-अलग रूपों में देख रहे
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    हैं अलग-अलग भावना से देख रहे हैं कोई
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    प्रेम से भर रहे हैं कोई भय से भर रहे
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    हैं यही विध रहा जाए जस भाव जिसको जैसी
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    भावना रहे राम जी से अधिक राम जी के दास
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    की महिमा मैंने एक संत के मुख से सुना था
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    एक बार एक दंपति पति पत्नी मेले में
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    गए अब मेला में उनका मेल बिछड़ गया ऐसा
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    भीड़ का रेला पति एक तरफ पत्नी एक तरफ अब
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    दोनों एक दूसरे को
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    ढूंढे तो ऐसे मौके का फायदा उठाने वाले
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    लोग चूकते
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    कहां राम जी का मंदिर था
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    सामने पुजारी बोला क्या बात है बोले बहुत
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    ढूंढ रहे हैं पत्नी यहीं कहीं खो गई अरे
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    बोले भगवान से प्रार्थना करो
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    चलो बड़े संपन्न आदमी थे पुराने जमाने की
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    बात एक थाल में लड्डू मंगा कर रख लिए 500
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    रुपए रख दिए और प्रार्थना करने लगे अब तो
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    रघुनाथ कृपा कर दो घरनी को लगे ना बिना
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    घरनी
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    को सामने हनुमान जी का मंदिर था व अलग
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    हनुमान जी के मंदिर के पुजारी ने सोचा कि
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    इतने लड्डू और रुपया सब रही
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    जाएगा इधर आता तो ठीक रहता तो वहीं से
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    बैठे बैठे बोला सेठ जी वहा क चले ग य आओ
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    ार से बोला य आओ सेठ जी थाल ले आव
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    इथे कर देय कृपा जो लला अंजनी को हनुमान
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    जी के पास ले आओ काम बन
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    जाएगा कपिराज से प्रीत बनी
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    [संगीत]
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    करो फिर से मुख देख सको पत्नी
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    को सेठ जी बोले कैसी बात करते हो हनुमान
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    जी तो सेवक है राम जी तो इनके स्वामी है
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    हम सीधे स्वामी के पास पहुंचे सेवक के पास
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    आने की क्या जरूरत है राम जी कर सकते हैं
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    सब
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    कुछ अरे बोले सेवक स्वामी की बात छोड़ो
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    अपने अपने विभाग की बात
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    है यह काम उनसे नहीं बनेगा क्यों नहीं
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    बनेगा राम जी सब कुछ कर सकते तो मेरी
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    पत्नी को भी खोज सकते हैं हनुमान जी के
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    मंदिर का पुजारी बोला कि जाने दो तेरी
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    त्रिया को मिलावे कहा जो पतो ना लगाए सके
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    अपनी
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    को तुम्हारी पत्नी को क्या ढूंढेंगे उनकी
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    भी खो गई थी तो यही गए थे
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    ढूंढने और उसने तो अपने मतलब के लिए तर्क
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    दिया पुजारी पर सेठ जी के मन में बात जम
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    गई हनुमान जी के मंदिर पर आए सचमुच उनकी
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    पत्नी भी आ गई वही दर्शन के
  • 00:06:04
    लिए सबके मुख से निकला कि भाई विनोद में
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    ही सही पर राम ते अधिक राम कर
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    दासा हनुमान जी की आज भी पूछ है लेकिन यह
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    पूछ है
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    क्यों क्योंकि जास हृदय आगार बस राम सर
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    चाप धर अभिमान हृदय में रखने वालों की पूछ
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    नहीं रहती भगवान को हृदय में रखने वालों
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    की पूछ रहती
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    है यह विचार करो तुम्हें भगवान ने बनाया
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    कि भगवान को तुमने
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    बनाया वह आदमी सोचने लगा कि हम तो भगवान
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    की पूजा के लिए जा रही कहां से तर्क करने
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    वाला रास्ते में मिल गया यह तो उसने कहा
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    कि भैया तुम बताओ क्या करें
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    हम हम तो मंदिर में दिया रखने जा रहे हैं
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    पूर्वजों से हमारे
  • 00:07:00
    पितर यही करते आए हैं तो व क्या बोला इतने
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    दिनों से गलती चली आए तो क्या सही मान ली
  • 00:07:07
    जाएगी इसका अर्थ तुम भी गलत तुम्हारी
  • 00:07:10
    पीढ़ियां भी
  • 00:07:12
    गलत उस व्यक्ति ने कहा तो हम क्या करें यह
  • 00:07:15
    बताओ वो बोला विचार करो यह दिए में ज्योति
  • 00:07:19
    कहां से आई अब है विचित्र बात की नहीं अब
  • 00:07:24
    दिए में ज्योति कहां से आई उस व्यक्ति ने
  • 00:07:26
    सोचा कि अगर हम कह दें कि माचिस की तीली
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    से आई
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    तो यह पूछेगा कि तीली में कहां से आई इस
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    कहां का तो अंत ही नहीं
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    है उस व्यक्ति ने बड़ा अच्छा काम किया
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    जैसे उसने पूछा कि दिए में ज्योति कहां से
  • 00:07:40
    आई उसने फूंक मारकर दिही बुझा
  • 00:07:44
    दिया जैसे ही दिया बुझाया तो उस व्यक्ति
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    ने कहा तुमने दिया क्यों बुझा दिया तो यह
  • 00:07:50
    व्यक्ति बोला अब तुम ही बताओ दिए की
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    ज्योति कहां
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    गई कहां गई उसने कहा इसका क्या
  • 00:08:01
    अर्थ इस व्यक्ति ने कहा कि जहां गई वहीं
  • 00:08:04
    से आई
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    थी आई थी हम नहीं बता सकते गई थी तुम नहीं
  • 00:08:09
    बता सकते काहे को बेकार विवाद में पड़ते
  • 00:08:16
    हैं अच्छा इस तर्क से
  • 00:08:19
    कुछ हल भी नहीं होता कुछ हाथ भी नहीं
  • 00:08:23
    लगता तर्क से आप कुछ भी सिद्ध कर दो
  • 00:08:27
    महाभारत का कहते हैं तर्को
  • 00:08:30
    प्रतिष्ठा इस तर्क की कोई प्रतिष्ठा नहीं
  • 00:08:38
    है
  • 00:08:40
    देखो एक व्यक्ति पढ़कर
  • 00:08:43
    आया उसने
  • 00:08:47
    बहुत विद्या अर्जित की
  • 00:08:54
    थी मां ने कहा कि बेटा तू अभी अभी लौटा है
  • 00:09:01
    स्वल्पाहार कर ले दो लड्डू खा
  • 00:09:05
    ले बेटा बोला पहले मेरी विद्या का चमत्कार
  • 00:09:08
    देखो जो मैंने पढ़ा
  • 00:09:10
    है मां बोली क्या चमत्कार बेटा बोला असंभव
  • 00:09:14
    को संभव सिद्ध कर
  • 00:09:16
    दूं मां बोली कैसे करेगा जो है नहीं उसको
  • 00:09:20
    कैसे सिद्ध
  • 00:09:22
    करेगा पिता भी पास आकर बैठ गया कि देखे
  • 00:09:27
    विद्या बेटा बो लड्डू कितने रखे हैं मां
  • 00:09:30
    बोली दो बेटा बोला
  • 00:09:33
    तीन कहा कैसे बो अभी सिद्ध कर देता हूं क
  • 00:09:37
    गिनो मां ने गिनना शुरू किया एक लड्डू में
  • 00:09:40
    एक दूसरे लड्डू पर उंगली रखी दो बेटा बोला
  • 00:09:44
    दो और एक
  • 00:09:48
    तीन अब मां इधर से भी गिने एक बेटा कहे
  • 00:09:52
    ठीक दो बेटा तुरंत क दो और एक तीन गणित का
  • 00:09:57
    सिद्धांत जहा दो और एक तीन तो होते ही है
  • 00:10:01
    अब मां ने कहा कि बेटा मैं सिद्ध भले ही
  • 00:10:03
    ना कर पाऊ पर लड्डू तो दो है बेटा बोला
  • 00:10:06
    सिद्ध करो तो मानो लड्डू तो तीन
  • 00:10:12
    है उसका पिता बैठा था पास
  • 00:10:18
    में और पिता भी तो उसी का पिता
  • 00:10:25
    था उसने कहा कि बेटा तुम्हारी मां बिना
  • 00:10:28
    पढ़ी लिखी है समझ नहीं है पर मुझे साफसाफ
  • 00:10:31
    दिखाई देरहे लड्डू तीन
  • 00:10:35
    है तुमने जो सिद्ध किया बिल्कुल सही लड्डू
  • 00:10:39
    तीन है अब एक काम करना कहा क्या एक लड्डू
  • 00:10:43
    मैं खा लूंगा दूसरा लड्डू तुम्हारी मां खा
  • 00:10:45
    लेगी और तीसरा तुम खा
  • 00:10:49
    [प्रशंसा]
  • 00:10:52
    लेना अरे भाई हाथ लगा क्या
  • 00:10:59
    इश्क वाले कर गए त
  • 00:11:01
    मंजिलें इश्क वाले कर गए त मंजिलें आकि के
  • 00:11:05
    रास्ते दु स्वार्थ
  • 00:11:11
    है एक आदमी गांव में गया अपने मित्र के
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    साथ घूमने निकला तो छोटा सा गांव एक
  • 00:11:19
    व्यक्ति तेल बेचता था अकेला आदमी और भीतर
  • 00:11:24
    उसने कोलू चला रखा और बाहर बैठकर तेल बेचे
  • 00:11:30
    इस व्यक्ति ने देखा कि अकेला आदमी कैसे
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    करता है तो उसने कहा कि तुम यह बैल को
  • 00:11:36
    हकते नहीं हो और कैसे बिना तुम्हारे चलाए
  • 00:11:39
    चलता
  • 00:11:41
    है तो उस आदमी ने कहा कि बैल को मैं हाक
  • 00:11:45
    देता हूं और जब चलने लगता है तो बाहर आकर
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    बैठ जाता
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    हूं तो उसे पता नहीं लगता कि तुम पीछे
  • 00:11:53
    हो तेल बेचने वाले ने कहा हमने उसकी आंख
  • 00:11:56
    पर पट्टी बांध रखी
  • 00:12:01
    सो तो ठीक है लेकिन तुम बाहर बैठे हो बैल
  • 00:12:03
    अगर चलना बंद कर दे तो तुम्हें कैसे पता
  • 00:12:06
    लगेगा तेल बेचने वाला बोला हमने उसके गले
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    में घंटी बांध रखी चलना बंद होता घंटी
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    बजनी बंद हो जाती हम फिर जाक आंख देते हैं
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    पर वह तार्किक मानने कोई तैयार नहीं वह
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    कहने लगा कि नहीं यह भी कोई बात नहीं हुई
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    कहा क्यों कहा ऐसा भी तो हो सकता है कि
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    बैल एक ही जगह खड़ा-खड़ा गर्दन हिलाता
  • 00:12:25
    रहे एक ही जगह खड़ा खड़ा गर्दन हिलाता रहे
  • 00:12:28
    तो भी तो घंटी बजेगी तेल बेचने वाला हाथ
  • 00:12:31
    जोड़ के बोला बाबू जी वह बैल है आपकी तरह
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    तार्किक नहीं
  • 00:12:42
    है एक बार दो बड़े संपन्न श्रीमंत सेठ
  • 00:12:47
    बैठे थे आपस में चर्चा हुई एक बोला हमारा
  • 00:12:51
    नौकर बड़ा मूर्ख
  • 00:12:53
    है दूसरा बोला हमारे नौकर से ज्यादा मूर्ख
  • 00:12:56
    नहीं हो सकता पहले वाला बोला नमूना
  • 00:12:59
    देखोगे उस अरे इधर आ बुलाया र दिए जाओ
  • 00:13:04
    बाजार से टेलीविजन ले आओ 10 में और वो रप
  • 00:13:08
    लेकर चला गया टेलीविजन
  • 00:13:11
    ले उसने अपने मित्र का देखा इसका यह र में
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    टेलीविजन लेने जा
  • 00:13:18
    रहा दूसरा बोला कि अब हमें अपने नौकर का
  • 00:13:22
    नमूना दिखाने का अवसर दो हां उसने अपने
  • 00:13:24
    नौकर को बला इधर आओ हां कहिए सा तुम ऐसा
  • 00:13:28
    करो ि तुमने देखा है हां देखा ऑफिस में
  • 00:13:31
    चले जाओ हां तो वहां जाक ये देखो हम वहां
  • 00:13:34
    है कि
  • 00:13:36
    नहीं और दूसरा भी चला
  • 00:13:41
    गया मालिक दोनों हंस रहे थे कि कैसे मूर्ख
  • 00:13:44
    है लेकिन ये मूर्ख की पहचान अपने को मूर्ख
  • 00:13:47
    समझे जिसे अपनी मूर्खता समझ में ना आए वो
  • 00:13:50
    दोनों मिल गए
  • 00:13:51
    वहां नौकर मिले तो कहने लगे हमारा मालिक
  • 00:13:54
    बड़ा मूर्ख है
  • 00:13:59
    क्यों कह रहा था र में टेलीविजन ले आओ
  • 00:14:01
    टेलीविजन तो चार ले जाते पर उसे यह तो
  • 00:14:04
    सोचना चाहिए था आज इतवार है बाजार बंद है
  • 00:14:08
    बोलो और दूसरा क्या कहता है हमारा मालिक
  • 00:14:12
    और ना समझ हमसे कहता तो ऑफिस में जाकर
  • 00:14:14
    देखो हम वहां है कि नहीं हमको भेजने की
  • 00:14:17
    क्या जरूरत थी फोन नहीं कर सकता
  • 00:14:23
    था दोनों ही नहीं समझ रहे एक गुरु जी ने
  • 00:14:26
    एक चेला बनाया
  • 00:14:29
    तो
  • 00:14:30
    चेला बनते ही वो बोला कि गुरु जी अब आप
  • 00:14:33
    गुरु हम चेला हमें कुछ
  • 00:14:37
    सुना पहले शिष्य लोग कहते महाराज कुछ समझा
  • 00:14:40
    दो अब समझा
  • 00:14:43
    सुनाओ तो गुरु जी ने कहा कि बेटा राम राम
  • 00:14:46
    किया करो अरे कय साधारण सब लोग लेते इसमें
  • 00:14:49
    क्या
  • 00:14:50
    है गुरु जीी भी समझ गए चेला नहीं गुरु ही
  • 00:14:53
    मिला
  • 00:14:55
    है तो गुरु जी ने कहा बेटा रामायण रामचरित
  • 00:14:59
    मानस रामायण और सब बोले ये भी साधन हि सब
  • 00:15:02
    लोग गाते हैं रामायण में क्या
  • 00:15:04
    है ऊंचा सुनाओ ऊंची
  • 00:15:08
    बात गुरु जी ने कहा फिर
  • 00:15:11
    गीता हां ये कुछ कुछ चलेगी तो गुरु जी
  • 00:15:15
    बोले महात्मा आज सुनाते हैं गीता कल
  • 00:15:17
    सुनाएंगे महात्मा ही सुनाओ तो गुरु जी ने
  • 00:15:20
    वही श्लोक सर्वो उपनिषद गाव दोग धा गोपाल
  • 00:15:24
    नंदन और ब सभी उपनिषद जो है सो गाए हैं
  • 00:15:27
    दोने वाले भगवान श्री कृष्ण है और यह गीता
  • 00:15:30
    ज्ञान ही दुग्ध है पान करने वाला बछड़ा
  • 00:15:32
    अर्जुन है और चेला कहे वाह महाराज आ आ
  • 00:15:36
    महाराज क्या बात क्या बात वाह वाह वाह सो
  • 00:15:40
    गुरु जी एक घंटे की जगह डेढ़ घंटे बोलते
  • 00:15:43
    रहे बाद में गुरु जी ने कहा कि बेटा कुछ
  • 00:15:47
    समझ में ना आया हो तो पूछ
  • 00:15:49
    लो बोला हमें समझना है आप कम समझाते हो हम
  • 00:15:53
    ज्यादा समझते
  • 00:15:55
    हैं गुरु जी नेने मन ही मन कहा कि हम ही
  • 00:15:58
    नहीं समझ पहले
  • 00:16:00
    तुम्हे लेकिन फिर भी कहा कि हम गुरु जी
  • 00:16:05
    हैं तो कुछ तो पूछ लो गुरु होने की
  • 00:16:10
    कुछ अच्छा तो और सब समझ में आए एक एक
  • 00:16:14
    अक्षर समझ में एक जरा सी बात समझ में नहीं
  • 00:16:16
    आई गुरु जी बोले वो क्या बोले आप बारबार
  • 00:16:19
    कहते थे दो गधा गोपाल नंदना तो यह दो गधा
  • 00:16:22
    कौन
  • 00:16:23
    थे
  • 00:16:27
    बोलो गुरुजी ने माथा पीटा चेला बोला बताया
  • 00:16:32
    नहीं दो गधा कौन थे गुरु जी बोले एक हम और
  • 00:16:35
    दूसरे तुम एक गांव में रहता था कोई
  • 00:16:39
    व्यक्ति उसकी नाक कट गई झगड़े में या किसी
  • 00:16:44
    तरह कट गई अब कौन वहां तक पता लगाने जाए
  • 00:16:48
    कट गई अब बिचारा परेशान एक तो नाक कट गई
  • 00:16:53
    गांव में जहां से भी निकले सभी लोग कहते
  • 00:16:56
    नक भैया
  • 00:16:59
    कोई कहता नकटे ताऊ कोई नकटे चाचा कोई राम
  • 00:17:03
    राम भी करता तो कहता नकटे चाचा राम
  • 00:17:06
    राम उस बिचारे को बड़ा बुरा लगे लेकिन करे
  • 00:17:11
    क्या नाक को छुपावे भी तो
  • 00:17:14
    कैसे कान कटे तो कुछ टोपी लगा ले कपड़ा
  • 00:17:18
    बांध ले आंख ना हो तो चश्मा लगा ले नाक का
  • 00:17:22
    क्या करें सीधे सामने
  • 00:17:26
    साफ तो उसने सोचा नाक कट गई तो नकटे की
  • 00:17:29
    कोई इज्जत तो होती नहीं
  • 00:17:32
    है तो उस नकटे ने इज्जत पाने के लिए एक
  • 00:17:37
    युक्ति सोची क्या साधु बन
  • 00:17:44
    जाओ ताकि हमारी कटी हुई नाक पर ध्यान ना
  • 00:17:48
    जाए पर लोग भी तो विचित्र बिचारा साधु भी
  • 00:17:52
    हो गया तो भी लोग कहते नकटे बाबा
  • 00:17:56
    आए नकटे स्वामी जी
  • 00:18:01
    अब बड़ी मुसीबत और कोई कहता न तो दूसरे
  • 00:18:05
    लोग डांटते ऐसे बोलते हो साधु है ऐसे मत
  • 00:18:08
    बोलो तो उसे लगता कि शायद पक्ष में हो
  • 00:18:11
    लेकिन वो भी यही पूछता महाराज कैसे कट
  • 00:18:18
    गई अब उसको लगा
  • 00:18:21
    कि क्या
  • 00:18:23
    करें तो एक कुटिल योजना उसने मन में
  • 00:18:27
    बनाई एक आदमी ने एकांत में आकर पूछा कि
  • 00:18:30
    नाक कैसे कट गई
  • 00:18:33
    बोला ये बहुत बड़े रहस्य की बात
  • 00:18:37
    है कटी नहीं है हमने खुद काटी
  • 00:18:40
    है सो
  • 00:18:42
    क्यों एक दिन भगवान ने
  • 00:18:46
    कहा स्वप्न
  • 00:18:49
    में तू मुझे चाहता है मेरा भक्त है तो
  • 00:18:53
    मेरे लिए क्या कर सकता
  • 00:18:55
    है तो मैं तुझे प्राप्त हो जाऊं
  • 00:19:00
    मैंने स्वप्न में कहा आप जो कहे सिर काट
  • 00:19:02
    कर रख दो भगवान ने कहा सिर नहीं केवल नाक
  • 00:19:05
    काट
  • 00:19:06
    ले मैं दर्शन दूंगा और सदा तुम्हारे सामने
  • 00:19:10
    रहूंगा तो जब से नाक कटी काट दी मैंने
  • 00:19:14
    भगवान प्रकट हो गए और देखो यह दिख रहे हैं
  • 00:19:17
    सामने दर्शन रहा जय हो प्रभु यह भगवान दिख
  • 00:19:20
    हमेशा रहते हमको खूब दिखते हैं और भगवान
  • 00:19:24
    ने एक बात और कही थी कि तुम जिसकी काट
  • 00:19:27
    दोगे उसे भी देखेंगे
  • 00:19:35
    अब भगवान का दर्शन कौन नहीं चाहता नाक कटे
  • 00:19:38
    तो
  • 00:19:39
    कटे बोले लोग भले ही कुछ समझे नाक कटे तो
  • 00:19:42
    भगवान मिल र है तो कहा एक बात है
  • 00:19:48
    क्या हमको भी मिलेंगे भगवान हां मिलेंगे
  • 00:19:52
    ने काहे को नाक कटवा दो बोले नहीं नाक जाए
  • 00:19:54
    तो जाए दर्शन तो
  • 00:19:55
    हो तो क आ जाओ सवेरे
  • 00:20:00
    गया उसकी भी
  • 00:20:03
    काट अब कहीं भगवान ऐसे मिलते हैं उसकी नाक
  • 00:20:07
    कटी उसने कहा हमें तो नहीं दिख रहे कहीं
  • 00:20:10
    बोला हमें भी नहीं
  • 00:20:15
    दिखते फिर हमारी का काट दी हम अकेले
  • 00:20:18
    परेशान
  • 00:20:20
    थे सब दो हो गए अब उस बिचारे को मिला कुछ
  • 00:20:25
    नहीं था उस नकटे के पास और नट के किसी को
  • 00:20:29
    कुछ मिलता भी नहीं लेकिन क्योंकि अपनी नाक
  • 00:20:32
    कट गई तो मजबूरी थी अब वही हल्ला मचाने
  • 00:20:36
    भगवान दिख य दिख रहे प्रत्यक्ष दिख रहे
  • 00:20:38
    सामने दिख रहे अब पहले तो एक कहता
  • 00:20:43
    था अब दो कहने
  • 00:20:47
    लगे
  • 00:20:50
    बोलो प्रचार इतना हावी हो जाता
  • 00:20:54
    है कि प्रचार
  • 00:20:59
    [संगीत]
  • 00:21:00
    इतना प्रभावपूर्ण ढंग से जीवन में अपना
  • 00:21:04
    प्रभाव डालता है कि प्रचार के चक्कर में
  • 00:21:07
    आदमी विचार करने भूल जाता
  • 00:21:10
    है विचार बिचारा जैसी
  • 00:21:14
    कोताज कोई क अरे क्या बात करते हो अगर कुछ
  • 00:21:17
    नहीं होता तो इतना
  • 00:21:19
    होता तो आदमी फिर चुप रह जाए अब दो कहने
  • 00:21:22
    लगे आ यह दिख रहे भगवान ये दिख रहे दो में
  • 00:21:26
    से किसी को नहीं दिख रहे पर की नाक कटी थी
  • 00:21:29
    तो मजबूरी में कहना कि दिख रहे हैं तो
  • 00:21:32
    तीसरे ने भी कटवा लि तीन हो गए अरे तीन
  • 00:21:36
    क्या उन्होंने 300 कर दिए धीरे-धीरे 3000
  • 00:21:39
    हो गए इतने नाक
  • 00:21:41
    कटी अब जब भीड़ हो गई तो आदमी को विश्वास
  • 00:21:44
    करना मजबूरी थी मिले होंगे भगवान इतने लोग
  • 00:21:48
    नाक
  • 00:21:52
    कटाते नकट का समूह का समूह चल पड़ा भीड़
  • 00:21:56
    की भीड़ नकट की किसी को कुछ नहीं मिला सब
  • 00:21:59
    हल्ला मचा रहे झूम रहे मिल गए ये मिल ग वो
  • 00:22:03
    तो एक साहसी आदमी आया उसने कहा हमारी कटी
  • 00:22:07
    सु कटी औरों की तो बचा
  • 00:22:09
    ले तब उसने हिम्मत करके कहा कि यहां कुछ
  • 00:22:14
    नहीं
  • 00:22:15
    है यही
  • 00:22:19
    है भीड़ के साथ एक ही शब्द है
  • 00:22:23
    भाड़ भीड़
  • 00:22:25
    भाड़ भीड़ अक्सर आदमी को भाड़ में ले जाती
  • 00:22:33
    है अब प्रचार की क्या बात कहे आप अन्यथा
  • 00:22:38
    ना ले मैं श्री राम कथा ही कह रहा हूं एक
  • 00:22:42
    पल नहीं जिए जो इंसान की तरह एक पल नहीं
  • 00:22:46
    जिए जो इंसान की तरह वि पुज रहे हैं आजकल
  • 00:22:50
    भगवान की
  • 00:22:54
    तरह एक पल नहीं जिए जो इंसान की तरह रहे
  • 00:22:58
    आजकल भगवान की तरह मेहरबानी मीडिया
  • 00:23:03
    [संगीत]
  • 00:23:05
    की मेहरबानी मीडिया की रुपयों की वजह से
  • 00:23:09
    दुनिया में छा गए हैं तूफान की
  • 00:23:13
    तरह उपदेश दे रहे हैं औरों को शांति
  • 00:23:18
    का उपदेश दे रहे हैं औरों को शांति का आपस
  • 00:23:22
    में लड़ रहे हैं पहलवान की
  • 00:23:26
    तरह और फूलों की तर
  • 00:23:29
    खिलते मिलते नहीं है
  • 00:23:33
    संत फूलों की तरह खिलते मिलते नहीं है संत
  • 00:23:38
    टीवी के खुलते खुलते दुकान की
  • 00:23:41
    तरह और राजेश त्याग हरि को धनियां के हाथ
  • 00:23:45
    में साधु भी बिक रहे हैं सामान की तरह
  • 00:23:52
    क्या यह विडंबना
  • 00:23:55
    है और यह बात मुझे तब याद आती
  • 00:23:59
    जब मैं सोचता हूं कि राम जी के दर्शन के
  • 00:24:02
    लिए अयोध्या की देवियां भी गई पर सहज
  • 00:24:06
    श्रृंगार क्योंकि जानती हैं भगवान सहजता
  • 00:24:09
    पर रीते हैं आप जैसे हैं वैसे ही भगवान के
  • 00:24:13
    सामने पहुंच जाए अच्छा आप जैसे हैं वैसे
  • 00:24:16
    ही भगवान के सामने पहुंच जाए तो आप भगवान
  • 00:24:20
    के लिए अनमोल
  • 00:24:22
    है और अग आप जैसे है वैसे ही दुनिया के
  • 00:24:26
    सामने पहुंच जाए
  • 00:24:28
    तो आप करोड़ों के भी हो तो दो कौड़ी
  • 00:24:33
    के और आप हो कुछ और देखें कुछ तो दो कौड़ी
  • 00:24:37
    के भी हो तो करोड़ों
  • 00:24:39
    के पर बनावट जहां चले तो ठीक पर भगवान के
  • 00:24:45
    य तो चले इसलिए सहज श्रृंगार सहजता ही
  • 00:24:50
    जीवन का श्रृंगार है
  • 00:24:54
    सरलता एक व्यक्ति अपनी ससुराल गया
  • 00:25:00
    गांव का रहने वाला
  • 00:25:03
    था पत्नी शिक्षित मिल
  • 00:25:08
    गई ससुराल पहुंच गया बिना सूचना
  • 00:25:12
    के उसकी देवी ने बड़ी प्रशंसा कर रखी थी
  • 00:25:15
    कि बड़े सुयोग्य हैं बहुत समझदार हैं तो
  • 00:25:18
    उसकी सहेलियां इकट्ठी हो गई वह भोजन के
  • 00:25:21
    लिए बैठे पत्नी मन ही मन डर रही थी कि
  • 00:25:23
    इतनी इनकी बात बनाई है और यह कैसे हैं सो
  • 00:25:27
    तो मैं जानती ही
  • 00:25:30
    हूं चलो तो गांव की परंपरा वो भोजन बनाने
  • 00:25:35
    बैठी चूड़े पर और
  • 00:25:38
    उसने सामने उनको बिठाया भोजन करें अब उसकी
  • 00:25:43
    सहेलियां परोस रही थी भोजन बार-बार
  • 00:25:47
    पूड़ी साग थाली में आया वोह ऐसा विचित्र
  • 00:25:51
    आदमी एक पूड़ी उठा गए सोच रहा था छोटी सी
  • 00:25:55
    पूड़ी है इसके टुकड़े करना ग्रास करना तो
  • 00:25:57
    बेकार है
  • 00:25:59
    पूड़ी ही ग्रास
  • 00:26:01
    है व एक पूड़ी में साग रखे
  • 00:26:07
    और अब उस देवी को बड़ा संकोच लगा बड़ी लाज
  • 00:26:12
    लगी किसीने नाक कटवा दी और सहेलियां
  • 00:26:16
    मुस्कुरा मुस्कुरा कर क जैसा आपने कहा था
  • 00:26:18
    वैसे ही है बड़े समझदार है
  • 00:26:21
    [प्रशंसा]
  • 00:26:24
    बहुत तो महिला बड़ी विवेक वती थी उसने
  • 00:26:27
    सोचा कि बात किसी तरह बन
  • 00:26:31
    जाए तो वह तो पूरी खाई जा रहे उसको था कि
  • 00:26:35
    हमारी तरफ देखे तो हम इशारा
  • 00:26:39
    करें तो जैसे उस उधर देखा तो उसने भोजन
  • 00:26:43
    बनाते बनाते इशारा किया उंगली द उठाई गवार
  • 00:26:48
    पन पति को
  • 00:26:50
    देख एक एक पूरी के ग्रास दुई करे जा दो
  • 00:26:55
    उंगली उठाई कम से कम एक पूड़ी के दो दो
  • 00:26:58
    टुकड़े तो
  • 00:27:01
    करो इतनी छोटी भी नहीं है कि तुम दो
  • 00:27:04
    टुकड़े ना
  • 00:27:06
    करो पति ने समझा कि हमारी पत्नी पूरी
  • 00:27:10
    सहानुभूति के साथ कह रही थके हुए हो इतनी
  • 00:27:14
    दूर से चल कर आए एक पूड़ी में क्या होता
  • 00:27:16
    है दो
  • 00:27:20
    दो अब तो एक पूड़ी उठावे उस पर साग रखे
  • 00:27:24
    दूसरी पूड़ी उसके ऊपर रख
  • 00:27:30
    दो दोए को चावे लागयो मूढ़ जब एक
  • 00:27:35
    साथ तो पत्नी ने अपना माथा पीट लिया
  • 00:27:39
    समझाने वाले तभी माथा पीटते हैं कि समझने
  • 00:27:42
    वाला उल्टा ही
  • 00:27:44
    समझे तो माथ ठोक त्रिया कहे लाज स डरे
  • 00:27:50
    जा मथा पीटा लाज तो ख कुछ तो
  • 00:27:55
    समझ पति ने समझा ओ बड़ी भूल हो रही थी
  • 00:28:00
    पत्नी कह रही है कि यह पुणिया साधारण नहीं
  • 00:28:04
    है पूजा की पड़िया है इन्हें पहले प्रणाम
  • 00:28:08
    करो माथे से लगाओ फिर
  • 00:28:11
    खाओ पतिदेव समझे की पावे के प्रथम इन
  • 00:28:15
    पूजनीय पूर्ण को शीश पर धरे
  • 00:28:20
    जा अब तो वो दो पूड़ी और साथ फिर माथे से
  • 00:28:23
    लगा फिर
  • 00:28:25
    खाए तो पत्नी ने
  • 00:28:30
    अवसर देखा तो पति को समझाने के लिए चूल्हे
  • 00:28:35
    से
  • 00:28:36
    बोली एक लकड़ी लगाई अग्नि प्रज्वलित की और
  • 00:28:40
    बोल उठी रोस भरी चूल्हे से चतुर नारी और
  • 00:28:45
    चतुर नारी ने यही कहा अरे
  • 00:28:48
    चूल्हे जैसो जरे आयो प्रथम तैसो ही जने जा
  • 00:28:53
    इससे तो त पहले ही अच्छा था जैसा जल रहा
  • 00:28:56
    था वैसे ही जलता रहे समझाने से तो और
  • 00:28:59
    उल्टा हो
  • 00:29:01
    गया कई बार लोग उल्टा ही समझते हैं
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