00:00:00
कौशल्या कहे दोष न का हो किसी का दोष
00:00:06
नहीं यह तो कर्म विवस दुख सुख क्षति लाहु
00:00:11
दुख सुख हानि लाभ भाग्य के आधीन है कर्म
00:00:15
विवस
00:00:17
है और देवी मोह बस सोच बादी विधि प्रपंच
00:00:22
अस अचल
00:00:23
अनादि विधाता का प्रपंच किसी को समझ में
00:00:26
नहीं आता
00:00:32
लेकिन एक बात का मुझे दुख है श्री राम जी
00:00:36
के बन जाने का नहीं राम जाहि वन राज तज भल
00:00:40
परिणाम न पोच राम जी वन को चले जाए लौटकर
00:00:44
आ जाएंगे परिणाम अच्छा होगा बुरा नहीं
00:00:48
होगा तो फिर आपके आंखों में आंसू क्यों
00:00:52
कौशल्या जी ने कहा राम जी की सौगंध मैंने
00:00:55
आज तक नहीं की लेकिन चित्रकूट जैसे तीर्थ
00:00:59
में मैं राम जी की सौगंध करके कह रही हूं
00:01:01
गवर हीय कह
00:01:16
कौशलाया गत नाही भरत जी के हृदय में छिपा
00:01:20
हुआ प्रेम
00:01:23
है भरत राम के बिना नहीं रह
00:01:27
सकते इसलिए सुनैना जी
00:01:30
आप महाराज जनक से प्रार्थना करें पंचायत
00:01:34
में ऐसा फैसला हो कि भरत जी राम जी के संग
00:01:37
चले
00:01:41
जाए श्री सीता जी को लेकर विदा हुई सुनैना
00:01:45
जी जनक जी के पास आई जनक जी ने बेटी को
00:01:48
वनवास निवेश में
00:01:52
देखा भयो प्रेम परितोष विष
00:01:56
कीी मन में स्वाभिमान का उदय हुआ कि मेरी
00:01:59
बेटी के ऐसे त्याग का जीवन लेकिन मन में
00:02:03
एक बात
00:02:05
आई किसी व्यक्ति ने अपनी बेटी का विवाह
00:02:08
किया बड़े ठाट वाट
00:02:11
से बेटी की विदा हुई ससुराल
00:02:15
गई देवयोग दूसरे दिन उसकी मृत्यु हो
00:02:19
गई सभी लोग जुड़े शोका कुल था परिवार उस
00:02:23
बेटी का पिता भी आया
00:02:25
था सबने अपनी अपनी श्रद्धांजलि दी पिता ने
00:02:29
कहा
00:02:30
कि बेटी की समाधि बनाओ तो उस पर यह दो
00:02:33
पंक्तियां मेरी ओर से लिखा देना
00:02:37
क्या दिया जो कुछ भी दे सकते थे हम इस
00:02:41
उम्मीदे ना मुरादी में कफन देना ही भूले
00:02:45
थे फकत सामान्य शादी में हम यही देना भूल
00:02:49
गए थे जनक जी भी सोचते हैं कि हम ये
00:02:55
वनवास का जो वेश धारण किया ये वस्त्र देना
00:02:59
भूल गए
00:03:02
श्री जानकी जी की ओर देखकर कहा पुत्र
00:03:05
पवित्र किए कुल दो दोनों कुलों को पवित्र
00:03:07
किया बेटी श्री जानकी
00:03:12
जी माता से विनय करके लौटकर अपने शिविर
00:03:17
में आ
00:03:19
गई जनक जी से मां सुनैना ने कहा जो
00:03:24
कौशल्या जी ने कहा था जनक जी उठकर बैठ गए
00:03:28
देवी
00:03:29
धर्म राजनीति ब्रह्म
00:03:34
विचार अत्यंत जटिल विषय है धर्म के बारे
00:03:38
में निर्णय करना कठिन किम कर्म किम अकर्म
00:03:41
कवियो अत्र मोहिता बड़े बड़े बुद्धिमान
00:03:44
मोहित होते हैं और
00:03:48
राजनीति कुछ भी निर्णय पूर्वक कहना कठिन
00:03:51
होता
00:03:51
है ब्रह्म विचार
00:03:55
वेदांत वेदांत अकथ का कथ्य है जो नहीं कहा
00:04:01
जा सकता उसको ही कहा जा रहा है कितना कठिन
00:04:05
पर श्री जनक जी कहते तीनों विषयों में
00:04:08
मेरा अधिकार
00:04:09
है पर मेरी ऐसी सूक्ष्म बुद्धि भी सो मति
00:04:13
मोर भरत महिमा ही कहे काह छु सकत न छाही
00:04:19
ऐसी मेरी बुद्धि भरत जी की महिमा क्या
00:04:22
कहेगी उनकी परीक्षाएं भी नहीं छू
00:04:27
सकती भरत जी के गुण तो एक ही है जो जानते
00:04:31
हैं वे हैं श्री राम भरत महा महिमा सुन
00:04:35
रानी जान राम न सक ही
00:04:41
बखानी पर भरत कथा भव बंध
00:04:44
विमोचन पूरी रात यही चर्चा करते
00:04:48
रहे इधर श्री भरत सब सो रहे हैं पर दो भाई
00:04:55
जाग रहे हैं एक नेम के कारण एक प्रेम के
00:05:00
कारण एक राम जी के चिंतन में एक राम जी की
00:05:05
चिंता में एक सजग लोचन है एक सजल लोचन
00:05:10
है नेम के कारण जाग रहे हैं श्री लक्ष्मण
00:05:14
और प्रेम के कारण जाग रहे हैं श्री भरत
00:05:18
लक्ष्मण जी राम जी के चिंतन में जाग रहे
00:05:20
हैं भरत जी राम जी की चिंता में जाग रहे
00:05:24
हैं नींद नहीं आती श्री भरत यही सोचते हैं
00:05:30
केही विधि होय राम अभिषेक मोही अव कलत
00:05:34
उपावन एक मुझे कोई उपाय समझ में नहीं
00:05:38
आता अहो अहो इस शिलाखंड पर बैठा कौन तपोधन
00:05:43
एकटक रहा निहार गगन को करता अश्रु
00:05:48
विसर्जन मन में एक बात
00:05:51
आई माता कौशल्या के कहने से राम जी लौट
00:05:57
जाएंगे मैं मां कौशल्या से ही कहूंगा मन
00:06:01
में हर्ष की लहर उठी
00:06:04
लेकिन फिर विषद आ
00:06:07
गया कौशल्या माता के कहने से लौट तो
00:06:10
चलेंगे श्री राम लेकिन कौशल्या माता
00:06:13
कहेंगी तब
00:06:16
ना मात कहे बहु रही रघु राऊ लेकिन राम
00:06:21
जननी हठ करवी की काऊ व्यंग कितना मधुर है
00:06:26
वे राम जी की जननी है वे हठ करना क्या
00:06:29
जाने हट करना तो भरत की मां को आता है राम
00:06:33
की मां हट करना क्या
00:06:36
जाने श्री राम जी की मैया हट नहीं
00:06:40
करेंगी तो गुरु जी के कहने से तो राम जी
00:06:43
अवश्य लौट जाएंगे ठीक है मैं गुरुदेव से
00:06:45
प्रार्थना करूंगा फिर हर्ष लेकिन लगा के
00:06:49
बात बनेगी नहीं मुनि पुनि कहो राम रुच
00:06:53
जानी राम जी का जैसा रुख देखेंगे गुरु जी
00:06:56
वैसे ही बोलेंगे
00:06:59
तो एक ही है ना गलत चाहता हूं ना सही
00:07:02
चाहता हूं जो तुम चाहते हो मैं वही चाहता
00:07:05
हूं प्रभु तेरी हां में मेरी भी हां है और
00:07:09
तुम्हारी नहीं मैं नहीं चाहता
00:07:12
हूं अच्छा भरत ही क्यों नहीं
00:07:17
कहते मैं
00:07:20
कहूंगा क्या कह
00:07:22
[संगीत]
00:07:23
पाऊंगा मैंने आज तक राम जी की ओर मुख
00:07:27
उठाकर देखा नहीं है
00:07:30
दर्शन तपत ना आज लगी प्रेम प्यासे नैन
00:07:33
मेरे
00:07:34
नेत्र भगवत दर्शन से कभी तृप्त नहीं
00:07:39
हुए और अगर मैं हट करूं तो मैं तो सेवक
00:07:43
हूं सेवक का धर्म चला जाएगा जो हट करू तो
00:07:47
निपट कुकर्म हर गिरते गुरु सेवक
00:07:52
धर्म करके नजरे इनायत वो आए मगर क्या कहे
00:07:56
यार हमको उसी वक्त पर अपने ों गुनाहों की
00:08:00
याद आ गई इसलिए उनसे नजरें मिला ना सके
00:08:04
मैं कैसे
00:08:05
कहूंगा पूरी रात बीत गई एक जुगती न मन
00:08:09
ठहराने सोचत भरत ही रन बिहानी सवेरे
00:08:13
गुरुदेव के पास आए प्रणाम
00:08:17
किया गुरुदेव ने कहा कि
00:08:20
भरत मुझे तुमसे एक बात कहनी थी
00:08:27
क्या श्री सीताराम
00:08:29
लौट जाएंगे पर एक शर्त है तुम दोनों भाई
00:08:32
बन को चले
00:08:35
जाओ गुरु जी ने य शर्त बहुत सोच समझ के
00:08:38
रखी
00:08:40
ी भरत जी राम जी के बिना रह नहीं सकेंगे
00:08:43
शर्त ऐसी रखो जिसमें राम जी के बिना रहना
00:08:47
हो तो भरत जी कहेंगे गुरु जी यह कैसे हो
00:08:50
सकता है तो मैं कहूंगा फिर राम जी कैसे
00:08:52
लौट सकते हैं लेकिन जब गुरु जी ने कहा कि
00:08:56
तुम दोनों भाई वन में चले जाओ
00:08:59
सुनत वचन पुल के दो भ्राता दोनों भाई
00:09:02
पुलकित हो गए भ प्रमोद परिपूर्ण
00:09:06
गाता भरत जी ने गुरुदेव के चरणों में
00:09:09
प्रणाम करते हुए कहा गुरुदेव क्या इतनी
00:09:13
छोटी सी शर्त पर श्री राम अयोध्या लौट
00:09:15
जाएंगे मेरे सीताराम अयोध्या लौट
00:09:20
जाएंगे गुरु जी ने कहा भरत य छोटी शर्त
00:09:23
नहीं है राम जी के बिना 14 वर्ष रहना है
00:09:31
भरत जी ने कहा कि गुरुदेव मेरे सीताराम
00:09:34
सिंहासन आसीन हो
00:09:36
जाए तो 14 वर्ष की कौन कहे मैं आपके चरणों
00:09:41
की सौगंध करके कहता हूं कानन करो जन्म भरी
00:09:46
वास मैं जीवन भर वन में रह
00:09:49
सकता अरे फिर तुम्हें राम जी नहीं मिलेंगे
00:09:53
ना मिले पर यही क्या कम है कि मेरे कान
00:09:57
सुनते रहेंगे मेरे जी राजा है प्रसन्न है
00:10:01
आनंद में
00:10:04
है वशिष्ठ जी फिर बोल नहीं सके तत सुख
00:10:15
[संगीत]
00:10:29
बने रहो नीक रहो मेरे प्यारे बने रहो
00:10:38
नियरे रहो चाहे न्यारे बने रहो नियर रहो
00:10:46
चाहे न्यारे बने
00:10:49
रहो नीके रहो मेरे प्यारे बने रहो नीके
00:10:57
रहो
00:11:00
प्यारे बने रहो श्रवन
00:11:05
से सुन सुन सुख
00:11:10
पाऊ शवन से सुन सुन सुख
00:11:16
पाऊ इतने ही
00:11:19
प्राण आधार बने रहो इतने
00:11:25
प्राण आधार बने रहो
00:11:30
नीक रहो मेरे प्यारे बने रहो नीक रहो मेरे
00:11:39
प्यारे बने रहो नीके रहो मेरे प्यारे बने
00:11:48
र भरत महा महिमा जल रासी मुनि मत ठण तीर
00:11:54
अवला पंचायत में आए श्री राम जी ने देखा
00:11:59
जनक जी विराजमान है वशिष्ठ जी विराजमान
00:12:03
है भरत जी हैं सब सभा
00:12:06
है राम जी ने कहा कि
00:12:11
गुरुदेव निर्णय कर दे गुरु जी ने कहा कि
00:12:15
मैं निर्णय नहीं कर सकता भरत भगति बस भई
00:12:18
मति मोरी मेरी बुद्धि तो भरत जी की भक्ति
00:12:21
के बस में हो गई भरत सनेह विचार न
00:12:26
राखा तो आप कुछ तो कहे गुरुदेव ने कहा
00:12:29
मोरे जान भरत रुचि राखी जो कीजिए सो सुभ
00:12:32
सिव
00:12:36
साखी राम तुम ही कुछ फैसला करो राम जी ने
00:12:40
कहा गुरुदेव विद्यमान आपनी मिथ लेस मोर कव
00:12:44
सब भाति भदे सु आप बैठे हैं महाराज जनक
00:12:47
बैठे मेरा बोलना भद्दा
00:12:50
लगेगा दो पंच चुन
00:12:53
लिए गूढ़ स्नेह भरत मन माही और जनक जी
00:12:58
जाहि राम गु सनेह भरत जी के पंच जनक जी और
00:13:04
राम जी की ओर से पंच श्री वशिष्ठ जी पर
00:13:07
दोनों पंच कुछ निर्णय करने की स्थिति में
00:13:10
नहीं तो तीसरा सरपंच चुन
00:13:12
लिया तीसरा सरपंच कौन सकल विलोक भरत मुख
00:13:17
बनई न उतर दे श्री भरत जी
00:13:21
ने देखा उठकर खड़े हो गए राम जी को बोलने
00:13:27
में जहां भद्दा लग रहा वहां श्री भरत जी
00:13:29
बोल रहे हैं भरत जी ने कहा कि प्रभु बाहर
00:13:32
भी आप हैं और मेरे भीतर हृदय में भी आप
00:13:34
हैं अगर आपको बाहर से बोलने में कुछ भद्दा
00:13:37
लग रहा है तो भीतर से बोल दीजिए वाणी मेरी
00:13:40
होगी बात आपकी होगी और भरत भारती मंजु
00:13:45
मराली श्री भरत जी सरस्वती जी का स्मरण
00:13:49
करते हैं मानो भरत जी नहीं सरस्वती जी बोल
00:13:52
रही हैं और सरस्वती जी के माध्यम से राम
00:13:55
जी बोल रहे हैं यही है वाणी भक्त की होती
00:13:58
है
00:13:59
बात भगवान की होती है श्री भरत जी ने
00:14:04
कहा मैं तो बस सेवा चाहता
00:14:07
ह भगवान ने कहा मुझे अवध ले चलकर मेरी
00:14:12
सेवा करो या मेरे साथ चलकर मेरी सेवा करो
00:14:16
श्री भरत जी बोले दोनों बात नहीं कह रहा
00:14:18
हूं फिर आज्ञा समन सु साहिब सेवा आदेश मिल
00:14:24
जाए आज्ञा मिल जाए राम जी पुलकित हो गए
00:14:29
राम जी ने कहा कि भरत पित आए सुपाल दो भाई
00:14:33
दोनों भाई पिता की आज्ञा का पालन करें मैं
00:14:37
जानता हूं कि तुम्हें इसमें बड़ी कठिनाई
00:14:39
निर्णय हो
00:14:41
गया भरत जी ने पांच दिन में चित्रकूट का
00:14:44
दर्शन किया आज सुंदर दिन जानकर जाने की
00:14:48
बात मन में है पर राम जी कुछ कहने में
00:14:51
संकोच कर रहे हैं तो राम जी ने सोचा कि हम
00:14:59
कैसे कहे कि आप लोग
00:15:01
जाओ कोई दूसरा कह दे तो श्री राम जी ने
00:15:06
देखा
00:15:08
गुरु
00:15:10
[प्रशंसा]
00:15:11
नप गुरु नृप
00:15:16
भरत सभा अवलो
00:15:22
की
00:15:24
सकुची राम पुनि अवनी
00:15:29
[संगीत]
00:15:31
गुरुदेव की ओर देखा आप कह दे गुरुदेव मन
00:15:35
ही मन सोच रहे हैं कि मेरा काम तो जीव को
00:15:38
भगवान से मिलाना है मिले मिलाए को अलग
00:15:41
करना तो नहीं श्री जनक जी की ओर देखा पर
00:15:45
श्री जनक जी कहते हैं कि मैंने तो कोई
00:15:47
फैसला किया नहीं मैं कैसे कह दूं कि
00:15:50
जाओ कोई और व्यक्ति कह
00:15:54
दे और उसके बाद राम जी ने सकुची राम पु
00:15:59
लोक धरती की ओर
00:16:03
देखा भरत जी समझ गए उठकर खड़े हुए आय सु
00:16:08
देय देव अब सब सुधारी मोर आप आज्ञा दे
00:16:13
दे आधार मिल जाए भगवान ने पादुका दी श्री
00:16:19
भरत जी ने पादुका अपने सिर पर रख
00:16:23
ली भगवान ने कहा कि भरत तुमने मुझसे आधार
00:16:27
मांगा था हमने तो तुम्हारे सिर पर भार डाल
00:16:31
दिया भरत जी ने कहा कि प्रभु भार नहीं
00:16:33
आधार
00:16:36
है आधार कहीं सिर पर रखा जाता है हां
00:16:40
प्रभु कब का सिर पर ज्यादा भार आ जाए तो
00:16:43
आधार सिर पर ही रखना होता है लोगों ने
00:16:47
मेरे सिर पर अयोध्या का भार डाल दिया आपने
00:16:50
पादुका दे दी अब राज्य का भार उठाने का
00:16:54
आधार मिल गया अब वो राज्य का भार जो मेरे
00:16:57
सिर पर था आज से पादुका पर
00:17:02
रहेगा सिर पर लोग कुछ सामान रखना हो तो
00:17:06
पगड़ी का आधार रख लेते हैं इसी तरह राज्य
00:17:10
का भार सिर पर था आपने पादुका दी अब
00:17:13
पादुका के आधार पर राज्य का भार
00:17:16
रहेगा भरत वह तो ठीक है पर पादुका किसकी
00:17:19
है क प्रभु आपकी राम जी ने कहा कि तुम तो
00:17:22
अयोध्या ले जा रहे हो फिर कैसे फैसला होगा
00:17:24
कि पादुका
00:17:26
मेरी भरत जी ने कहा फैसला हो जाएगा पादुका
00:17:30
अगर चित्रकूट में रहती तो आपके पद में
00:17:33
रहती और पादुका अगर अयोध्या में रहेगी तो
00:17:36
आपके पद पर रहेगी ये पादुका कभी पद से अलग
00:17:40
हो ही नहीं सकती चाहे पद में रहे चाहे पद
00:17:44
पर रहे पद में रहे तो पद का भार पादुका पर
00:17:47
और पद पर रहे तो पद का भार पादुका पर भरत
00:17:52
सो तो ठीक है लेकिन तुमने तो पनही मांगी
00:17:54
थी मोरे शरण रामहि की पनही और तुम्हें
00:17:57
पादुका मिल गई श्री भरत जी ने कहा यह भी
00:18:00
अच्छा रहा पनही माने जूता यह भी पांव में
00:18:04
रहता है और पादुका खड़ाऊ यह भी पांव में
00:18:07
रहती है लेकिन एक अंतर है जूता पांव को
00:18:10
संभालता है और खड़ाऊ को पांव संभालता है
00:18:15
अगर मुझे पनही मिली होती तो आपके चरणों को
00:18:18
मुझे संभालना होता पर पादुका मिल गई है अब
00:18:23
आपके जब पादुका मिली है तो आपके चरण ही
00:18:26
मुझे संभालेंगे और मैं तो यही चाहता हूं
00:18:29
कि आपके चरण मुझे समान है खड़ाऊ में एक
00:18:33
खूंटी खूंटी को अंगुर अंगुली मिलकर पकड़
00:18:37
लेते हैं मैं लकड़ी की खड़ाऊं की तरह पड़ा
00:18:40
रहूं चरणों में और मेरे विश्वास की खूंटी
00:18:43
को अंगुरी तरह से एक ओर से प्रभु आप और
00:18:46
अंगुली की तरह से एक ओर से जानकी माता
00:18:49
दोनों मिलकर संभाले रहे यही मैं चाहता
00:18:53
हूं भगवान ने कहा कि भरत सो तो ठीक है
00:18:56
लेकिन तुम्हें आधार क्या मिला
00:18:59
भरत जी ने कहा कि प्रभु मुझे भी आधार मिल
00:19:01
गया अब आपको खोजने के लिए मुझे बन बन नहीं
00:19:04
भटकना पड़ेगा क्यों पादुका मैं लेकर जा
00:19:08
रहा हूं और
00:19:11
प्रभु पादुका चरणों के पास चलकर नहीं आती
00:19:15
चरण ही वहां चलकर आते हैं जहां पादुका
00:19:18
होती है