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देखो इस टॉपिक से जुड़े ना आपको सिर्फ
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पांच चीजें समझनी है और आप खुद डिसाइड कर
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पाओगे कि जो सारे चेंजेस हो रहे हैं ये
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सही है या गलत है और क्यों ये एक नेशनलेंस
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का मुद्दा है सबसे पहला बक्स का क्या मतलब
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होता है दूसरा क्या एक रिलीजियस इशू है या
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एक प्रॉपर्टी इशू है तीसरा क्या एक नॉन
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मुस्लिम अपनी प्रॉपर्टी डोनेट कर सकता है
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इसमें चौथा क्या वक् फैमिली में डॉटर्स के
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लिए फेयर है और पांचवा क्या वक्स बोर्ड जो
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इंडिया में आर्म फर्सेस और रेलवे के बाद
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थर्ड लार्जेस्ट लैंड ओनर है इनके पास जो
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भी प्रॉपर्टीज है क्या ये डोनेटेड है या
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एक्वायर्ड है और इसमें क्या डिफरेंस है हे
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एवरीबॉडी मैं हूं प्रिया और आज की इस
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वीडियो में हम इन सारी चीजों को बहुत ही
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सिंपली बट बिना घुमाए फिराए इंटेलिजेंटली
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समझेंगे ताकि देश में क्या हो रहा है और
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क्यों हो रहा है सब कुछ समझ पाए चलिए इस
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वीडियो को स्टार्ट करते हैं तो चलिए एकदम
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बेसिक से स्टार्ट करते हैं सबसे पहले हम
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यह समझते हैं कि वफ का क्या मतलब होता है
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तो एकदम सिंपल और सरल शब्दों में ये एक
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मुस्लिम लॉ का कांसेप्ट है जिसका मतलब ये
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होता है कि अगर कोई इंसान अपनी प्रॉपर्टी
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को चाहे वो मूवेबल प्रॉपर्टी हो या
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इमूवेबल प्रॉपर्टी हो उसे किसी रिलीजियस
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या चैरिटेबल पर्पस के लिए परमानेंटली इन द
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नेम ऑफ़ गॉड डोनेट करना चाहता है तो वो
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प्रॉपर्टी वकफ बन जाती है और जो इंसान इसे
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डोनेट कर रहा है वो वाकिफ बन जाता है अब
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एक बार आपने प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर दी तो
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उसे वापस लेने का कोई तरीका नहीं होता
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इसलिए कहा जाता है कि वंस अ वक्स ऑलवेज अ
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वक्स क्योंकि प्रॉपर्टी वक्स में दी तो जा
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सकती है लेकिन इसे वापस लेने का कोई तरीका
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नहीं होता जो ओनरशिप होता है ये
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परमानेंटली ट्रांसफर किया जाता है इन द
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नेम ऑफ़ गॉड आगे समझते हैं तो आपने
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प्रॉपर्टी को वक्स बना दिया तो ये चला
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जाता है स्टेट वक्स बोर्ड के कंट्रोल में
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मान के जाओ कि प्रॉपर्टी वो एक पीस ऑफ
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लैंड हो सकती है एक बिल्डिंग होती है अब
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स्टेट व बोर्ड डिसाइड करता है कि इसमें ना
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हम एक मस्जिद बनाएंगे या कब्रिस्तान
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बनाएंगे या स्कूल बनाएंगे जो भी डिसाइड
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करता है तो उन सारी चीजों को मैनेज करने
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के लिए वो केयरटेकर मैनेजर जिन्हें
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मुतावली कहते हैं उन्हें अपॉइंट किया जाता
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है अब मुतावली इस प्रॉपर्टी को इस वक्स को
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बेच नहीं सकते किसी और के नाम पे ट्रांसफर
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नहीं कर सकते लेकिन उन्हें इस वक्त
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प्रॉपर्टी पर इनकम जनरेट करनी होती है और
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जो भी इनकम जनरेट की जाएगी उसे वापस
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मुस्लिम कम्युनिटी के रिलीजियस और
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चैरिटेबल पर्पस के लिए यूज़ किया जाएगा बस
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इस इनकम का जो 7% हिस्सा होता है क्योंकि
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स्टेट वफ बोर्ड इतनी सारी चीजें कर रही है
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7% ऑफ़ द इनकम वापस स्टेट वफ बोर्ड में
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कंट्रीब्यूट की जाती है सिंपल एक वापस
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रीकैप करते हैं तो आपने प्रॉपर्टी को वक्फ
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बना दिया जो परमानेंट नेचर का होता है
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वापस नहीं लिया जा सकता अब इस वफ को मैनेज
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करने के लिए मुतावलीज अपॉइंट किए जाते हैं
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जो आंसरेबल होते हैं स्टेट वक्फ बोर्ड को
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इंडिया के हर स्टेट का अपना खुद का स्टेट
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वक्फ बोर्ड होता है जिसके मेंबर्स को
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स्टेट गवर्नमेंट नॉमिनेट करते हैं वैसे ही
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सेंट्रल लेवल पर वक्फ काउंसिल होता है
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जिनके मेंबर्स को सेंट्रल गवर्नमेंट
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नॉमिनेट करती है अगर कोई प्रॉपर्टी
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डिस्प्यूट हो जाए तो उसे मैनेज करने के
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लिए ट्राइबनल भी बनाया गया है और इन सारी
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चीजों को मैनेज करने के लिए है वक्फ एक्ट
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जिसे हम अब समझने वाले हैं अब इंडिपेंडेंस
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के पहले से लेकर 1995 तक वफ एक्ट में टाइम
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टू टाइम चेंजेस किए गए लेकिन प्रॉब्लम्स
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और कंट्रोवर्सीज बरकरार रही फाइनली 2025
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में जो चेंजेस और अमेंडमेंट पास किए गए
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हैं इन प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए
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लेकिन इससे पहले भी एक बार इन प्रॉब्लम्स
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को सॉल्व करने के लिए वफ में मेजर
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अमेंडमेंट्स किए गए थे और ये हुआ था 2013
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में सच कमिटी रिपोर्ट के बेसिस पे तो जरा
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सा इस रिपोर्ट के बारे में जान लेते हैं
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तो हुआ ये कि मुस्लिम कम्युनिटी के सोशल
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इकोनमिक और एजुकेशनल कंडीशंस को एनालाइज
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करने के लिए 2005 में जस्टिस राजेंद्र सच
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कमेटी का गठन हुआ जिन्होंने 2006 में अपनी
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रिपोर्ट सबमिट की अब इस रिपोर्ट में एक
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डेडिकेटेड सेक्शन था ऑन स्टेटस एंड
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पोटेंशियल ऑफ़ व प्रॉपर्टीज के ऊपर जिसमें
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कुछ मेजर कंसर्न्स हाईलाइट किए गए जैसे
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सबसे पहले रिपोर्ट हाईलाइट करती है कि
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2006 में 4.9 लाख रजिस्टर्ड वक्स
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प्रॉपर्टीज है अक्रॉस इंडिया जिसका टोटल
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एरिया अप्रोक्सिममेटली 6 लाख एकड़ का है
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जिसमें हाईएस्ट कंसंट्रेशन है वेस्ट बंगाल
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और उत्तर प्रदेश में अब जहां इन
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प्रॉपर्टीज की मार्केट वैल्यू 1.2 लाख
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करोड़ एस्टीमेट की जा रही है वहीं इनकी
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बुक वैल्यू सिर्फ 6000 करोड़ की है और
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इतने वास लैंड होल्डिंग और हाई मार्केट
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वैल्यू होने के बावजूद इन प्रॉपर्टीज से
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जो एनुअल इनकम जनरेट हो रही है वो सिर्फ
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163 करोड़ की है मतलब सिर्फ 2.7 का रेट ऑफ
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रिटर्न यह पुअर इनकम जनरेशन इनबक्स
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प्रॉपर्टीज का अंडर यूटिलाइजेशन और
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मिसमनेजमेंट दिखाता है स्ट्रक्चर कमिटी
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रिपोर्ट ने इनबक्स प्रॉपर्टीज का इममेंस
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पोटेंशियल पर एम्फसाइज करते हुए कहा कि
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अगर इन प्रॉपर्टीज को एफिशिएंटली मैनेज
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किया जाता है तो ये मुस्लिम कम्युनिटी के
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सोशियोइकोनॉमिक और एजुकेशन डेवलपमेंट में
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बहुत अच्छे से कंट्रीब्यूट कर सकते हैं और
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एक मिनिमम साइड ऑफ रेट ऑफ रिटर्न भी रखे
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तो 10% ऑफ़ द मार्केट वैल्यू मतलब ₹1,000
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करोड़ की एनुअल इनकम जनरेट की जा सकती है
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अब इन की फाइंडिंग के बेसिस पर कमेटी ने
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कुछ रेकमेंडेशन भी दिए जैसे स्ट्रिक्टर
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रूल्स हो सकते हैं बेटर मैनेजमेंट के लिए
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मुतावलीस के लिए डिजिटल रिकॉर्ड कीपिंग हो
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सकती है ताकि ट्रांसपेरेंट रिकॉर्ड कीपिंग
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हो एनक्रोचमेंट इशू ना हो ट्राइबनल की
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पावर के बारे में बात की गई वुमेन
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रिप्रेजेंटेशन के बारे में बात की गई
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टाइमली सर्वे के बारे में बात की गई और ये
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भी कहा गया कि वफ प्रॉपर्टीज के बेटर
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डेवलपमेंट और मैनेजमेंट के लिए आप मुस्लिम
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कम्युनिटी के बाहर से भी प्रोफेशनल
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एक्सपर्ट्स को हायर कर सकते हो अब इन
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रेकमेंडेशन के बेसिस पर 2013 का ये
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अमेंडमेंट एक्ट पास किया गया था अब ध्यान
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देने वाली बात ये है कि ये जो स्ट्रक्चर
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कमिटी रिपोर्ट है 2024 में जब बिल पेश
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किया गया था उसमें भी इस रिपोर्ट की
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रेकमेंडेशन को ध्यान रखा गया था अब व एक्ट
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में डिफरेंट अमेंडमेंट के बावजूद भी जो
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प्रॉब्लम्स है ये सॉल्व नहीं हो रही थी
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जिस कारण 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ
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अमेंडमेंट बिल और मुसलमान वफ रिपील बिल को
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इंट्रोड्यूस किया गया क्यों किया गया वफ
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रिलेटेड रूल्स को क्लियर करने के लिए वफ
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बोर्ड के फंक्शनिंग को स्मूदर करने के लिए
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और व प्रॉपर्टीज के बेटर मैनेजमेंट और
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डेवलपमेंट के लिए इन बिल्स को इंट्रोड्यूस
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किया गया लेकिन इन बिल्स को काफी
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क्रिटिसिज्म मिला जिस कारण इन्हें जॉइंट
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पार्लियामेंट्री कमेटी को रेफर किया गया
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कमेटी ने पब्लिक एक्सपर्ट स्टेक होल्डर
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डिफरेंट ऑर्गेनाइजेशन से मीटिंग करने के
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बाद उनकी ओपिनियन कलेक्ट किए और इन बिल्स
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के लिए 25 रेकमेंडेशंस दिए जिन्हें इन बिल
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में इंट्रोड्यूस किया गया जिसके बाद कमेटी
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ने 30th जनवरी को अपनी रिपोर्ट सबमिट की
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और उसके बाद ये बिल लोकसभा में और फिर
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राज्यसभा में पास हो गया तो अभी तक हमने
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वक्त के कांसेप्ट को बहुत अच्छे से समझ
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लिया तो इस कांसेप्ट में ना कोई प्रॉब्लम
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नहीं है लेकिन इस कांसेप्ट को अचीव करने
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के लिए जो सिस्टम रूल्स और एक्ट बनाए गए
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हैं यह काफी कंट्रोवर्शियल प्रॉब्लमैटिक
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और आर्बिट्रेरी थे तो एक-एक करके ना हम
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समझते हैं कि एक्ट के कौन से पार्ट्स
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एक्चुअली में कंट्रोवर्शियल थे और जो
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अमेंडमेंट लाए गए क्या ये कोई सशन
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प्रोवाइड करते हैं या नहीं आप एंड में
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बताइएगा जैसे सबसे पहले ये एक्ट कहता था
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कि एक नॉन मुस्लिम भी हिंदू जैन सिख भी
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अपनी प्रॉपर्टी को एज वक्त डेडिकेट कर
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सकता था लेकिन अब ये एक्ट कहता है सिर्फ
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वही लोग जो पिछले 5 साल से इस्लाम
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प्रैक्टिस कर रहे हैं सिर्फ वही लोग अपनी
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प्रॉपर्टी को एज वक्त डेडिकेट कर सकते हैं
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वरना नहीं दूसरा इस एक्ट का मेरे हिसाब से
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सबसे आर्बिट्रेरी प्रोविजन जो था सबसे
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कंट्रोवर्शियल प्रोविजन था वो है वक्फ बाय
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यूजर का मैं समझाती हूं हमने अभी तक क्या
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देखा कि वक्स बनाने के क्या रूल्स हैं तीन
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सिंपल रूल है अगर आप अपनी प्रॉपर्टी को
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रिलीजियस या चैरिटेबल पर्पस के लिए इन द
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नेम ऑफ़ गॉड परमानेंटली डोनेट कर देते हो
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तो वो वक्स बन जाती है जब नीचे के दो
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प्रोविज़न समझना बहुत आसान है प्रॉब्लम आती
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है पहले वाले प्रोविज़ में देखो हम क्या
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करते हैं अगर प्रॉपर्टी का खरीद बेच करना
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है तो हम क्या करते हैं रिटन
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डॉक्यूमेंटेशन करते हैं सीएल लीड कराते
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हैं रजिस्ट्री कराते हैं लेकिन इस
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प्रोविजन के हिसाब से अगर किसी प्रॉपर्टी
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को वफ मानना है या नहीं इसके लिए कोई रिटन
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डॉक्यूमेंटेशन कोई रजिस्ट्री किसी चीज की
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जरूरत नहीं है अ लॉट ऑफ़ टाइम्स ये मान
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लिया जाता था यूसेज के हिसाब से सालों से
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उस प्रॉपर्टी में क्या गतिविधियां हो रही
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है उसके हिसाब से कि वो वक्स है या नहीं
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जैसे ये बहुत ही फेमस और लैंडमार्क केस है
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जिसमें क्या था एक पीस ऑफ़ लैंड था उसके
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एनसेेस्टर्स ने वहां पर मॉस्क बनाया था और
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वो पब्लिक के लिए ओपन था कि वो वहां आके
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प्रेयर्स ऑफर कर सकते हैं लेकिन जब ओनरशिप
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की बात आई ना कि क्या ये जो प्रॉपर्टी है
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मेरी है या फिर ये वक्स है और बात सुप्रीम
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कोर्ट तक भी पहुंच गई सुप्रीम कोर्ट ने
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उसे दिखाया कि मेरे पास दो सेल डीड है ये
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दिखाने के लिए कि ये पीस ऑफ लैंड का मैं
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ओनर हूं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम
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क्या देख रहे हैं ये पीस ऑफ लैंड पब्लिकली
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ओपन था यहां पे लोग आके नमाज पढ़ते थे
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अजान ऑफर करते थे ये सारी चीजें करते थे
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तो हम ये प्रिज्यूम कर लेंगे हम ये अस्यूम
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कर लेंगे इनफर कर लेंगे कि ये जो पीस ऑफ़
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लैंड है ये वक्फ है आप इसके राइट फुल ओनर
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नहीं हो यही केस ज्ञानवापी मॉस्क केस में
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भी साइड किया गया था और ये कहा गया था
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क्योंकि इस प्लेस में मॉस्क है तो ये एक
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वक्स प्रॉपर्टी है और वक्स प्रॉपर्टी को
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वापस नहीं लिया जा सकता तो वक्स बाय यूजर
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का ये कांसेप्ट होता है कि एक प्रॉपर्टी
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में अगर सालों से ऐसी गतिविधियां हो रही
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है जिसको देख के ये लगे कि ये वक्स
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प्रॉपर्टी है तो बिना रिटन डॉक्यूमेंटेशन
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के बिना रजिस्ट्री के बिना किसी चीज के भी
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ये प्रिज्यूम कर लिया जाता था कि ये
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प्रॉपर्टी वक् प्रॉपर्टी है और एक बार अगर
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प्रॉपर्टी बन गई तो वापस नहीं लिया जा
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सकता अब नए अमेंडमेंट में वक्फ बाय यूजर
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के इस कांसेप्ट को हटा दिया गया है और
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क्लियरली ये कहा गया है कि सिर्फ और सिर्फ
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अगर ऑफिशियल डिक्लेरेशन होगा तो ही किसी
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प्रॉपर्टी को हम वक्फ मानेंगे वरना नहीं
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और अगर कोई इंसान लास्ट 5 साल से मिनिमम
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इस्लाम प्रैक्टिस कर रहा है और वो राइटफुल
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ओनर है तभी वो अपनी प्रॉपर्टी को एज वक्फ
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डेडिकेट कर सकता है वरना नहीं नेक्स्ट
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मेरे हिसाब से बहुत ही इंपॉर्टेंट
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अमेंडमेंट रिलेट करता है गवर्नमेंट लैंड
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से रिसेंटली हमने देखा हैदराबाद में एक
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बसे बसाए घने फॉरेस्ट को तबाह करने से
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पहले प्रोग्रेस के नाम पर गवर्नमेंट आधी
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रात के लिए भी नहीं रुकी लेकिन रिपोर्ट्स
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ये बताती है कि ऐसी हजारों गवर्नमेंट लैंड
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है प्रॉपर्टीज है जो वक्फ ने क्लेम कर रखी
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है जिस कारण बहुत सारा पब्लिक डेवलपमेंट
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इंफ्रास्ट्रक्चर रेलवे हाईवे ये सब का सब
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स्थगित पड़ा हुआ है तो फॉरेस्ट को तबाह
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करने जितना थोड़ी ना आसान है ना वक्त से
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प्रॉपर्टी क्लेम करना इसलिए फॉरेस्ट तबाह
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कर रहे हैं लेकिन अमेंडमेंट के बाद ये कहा
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गया कि कोई भी गवर्नमेंट लैंड चाहे वो
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तालाब हो या ग्राम समाज की जमीन हो कोई भी
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ऐसी गवर्नमेंट लैंड हो जिसके लिए कोई
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ऑफिशियल या प्रॉपर रिकॉर्ड ना हो यह बताने
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के लिए कि वो व की प्रॉपर्टी है और व ने
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अगर क्लेम कर लिया कि ये गवर्नमेंट लैंड
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अब वक्स का है तो अब वो ऑटोमेटिकली वफ
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नहीं रहेगी ये वेरीफाई करने का पावर
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कलेक्टर को दिया गया कि वो जाए और ओनरशिप
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वेरीफाई करे अगर कोई ऑफिशियल रिकॉर्ड नहीं
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मिलता है और यह पता चलता है कि ओनरशिप
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एक्चुअली गवर्नमेंट की है तो फिर रेवेन्यू
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रिकॉर्ड्स को अपडेट किया जाएगा और वक्स की
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लिस्ट से गवर्नमेंट प्रॉपर्टी का नाम हटा
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दिया जाएगा मतलब किसी भी संपत्ति को हम
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वक्स की संपत्ति सिर्फ तभी मानेंगे अगर
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ऑफिशियल रिकॉर्ड एक्सिस्ट करते हो ये
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क्लियरली दिखाने के लिए कि स्पष्ट रूप से
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इस लैंड को वक्स के लिए डेडिकेट किया गया
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था वरना अब वो प्रॉपर्टी जो पहले वक्त
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क्लेम की गई थी वो गवर्नमेंट प्रॉपर्टी
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वापस बन जाएगी अब ना हम एक साथ तीन
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प्रॉब्लम्स डिस्कस करने वाले हैं तो आप
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ध्यान से सुनिएगा सबसे पहले तो आप मुझे यह
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बताइए कि यह कौन डिसाइड करता है डिस्प्यूट
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के केस में या नॉर्मली भी कि एक स्टेट में
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कौन-कौन सी प्रॉपर्टी वक्स प्रॉपर्टी है
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या नहीं तो हर स्टेट में एक सर्वे कमिश्नर
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अपॉइंट किया जाता है जो सर्वे करते हैं कि
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स्टेट में कौन-कौन सी प्रॉपर्टी वक्त है
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या नहीं जिसे करने का खर्चा स्टेट
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गवर्नमेंट उठाती है अब सर्वे करने के बाद
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अपनी फाइंडिंग वो स्टेट गवर्नमेंट को
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सबमिट करते हैं स्टेट वक्स बोर्ड को सबमिट
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करते हैं सारी फॉर्मेलिटीज करने के बाद
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स्टेट गवर्नमेंट एक गजेट नोटिफिकेशन
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पब्लिश करती है मतलब एक लिस्ट पब्लिश करती
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है ये बताने के लिए कि स्टेट की ये ये
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प्रॉपर्टीज वक्स प्रॉपर्टी है दूसरा
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लिमिटेशन पीरियड अब जैसे ही ये लिस्ट आ
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जाती है आपके पास एक साल का पीरियड होता
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है ये चैलेंज करने के लिए कि क्या आपकी
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प्रॉपर्टी वक्स है या नहीं अगर एक साल से
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ज्यादा का टाइम बीत जाता है तो आप इस
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प्रॉपर्टी को चैलेंज नहीं कर सकते हो
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क्योंकि अब स्टेट व बोर्ड उस प्रॉपर्टी को
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एज अ वक्त रजिस्टर कर लेती है तो सिर्फ एक
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साल का टाइम होता है तीसरा ट्राइबनल इशू
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इन केस अगर आपका कोई डिस्प्यूट है कि नहीं
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ये जो प्रॉपर्टी है मेरी है वक्त है ही
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नहीं तो आप कहां केस फाइल कर सकते हो
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नॉर्मली जो प्रॉपर्टी के केसेस होते हैं
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ये हम सिविल कोर्ट में रेवेन्यू कोर्ट में
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यहां लड़ते हैं डिपेंडिंग ऑन नेचर ऑफ़ द
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प्रॉपर्टी लेकिन वक्त से रिलेटेड जो सारे
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डिस्प्यूट होते हैं वो सिर्फ और सिर्फ
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वक्त ट्राइबनल में ही लड़े जा सकते हैं अब
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इसमें क्या प्रॉब्लमैटिक है प्रॉब्लम ये
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है कि जो ट्राइबनल का डिसीजन होता है ना
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वो फुल एंड फाइनल होता है ऐसा मैं क्यों
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कह रही हूं क्योंकि सिर्फ कुछ टेक्निकल
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एरर के मामले में ही आप आगे हाई कोर्ट में
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या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं
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फॉर एग्जांपल अगर कोई कॉन्स्टिट्यूशनल
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मैटर हुआ या कोई लीगल एरर हुआ सिर्फ
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इन्हीं केसेस में अपील हो सकती है वरना
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नहीं वरना इन ऑल केसेस ट्राइबल का जो
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डिसीजन होगा वो फुल एंड फाइनल होगा तो
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ओवरऑल प्रॉब्लम क्या है पहला तो जो सर्वे
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कर रहा है वो सर्वे कमिश्नर कर रहा है जो
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कि स्टेट अथॉरिटी नहीं है दूसरा लिस्ट आने
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के एक साल के अंदर का ही आपके पास पीरियड
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होता है कि आप चैलेंज कर लो कौन देखता
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रहता है एक गजब नोटिफिकेशन और तीसरा अगर
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कोई डिस्प्यूट होता है तो उसे आप सिर्फ
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ट्राइबनल में ही लड़ सकते हो जिसमें भी
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आपके पास जीतने के चांसेस काफी स्लिम होते
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हैं अब अमेंडमेंट के बाद जो चेंजेस हुए
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हैं वो आप साफ-साफ देख सकते हैं जैसे
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स्टेट में अब कौन सी प्रॉपर्टी वक्त है या
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नहीं इसका सर्वे अब डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर
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करेंगे जिससे कि बेटर लैंड रिकॉर्ड
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मैनेजमेंट हो सके डिस्प्यूट रेोल्यूशन को
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थोड़ा और न्यूट्रल और ट्रांसपेरेंट करने
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के लिए डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को ऐड किया
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गया है नए अमेंडमेंट के हिसाब से अगर
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कलेक्टर यह डिसाइड करते हैं कि यह
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प्रॉपर्टी गवर्नमेंट की है तो फिर वो आगे
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से वफ नहीं मानी जाएगी रेवेन्यू रिकॉर्ड्स
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को अपडेट कर दिया जाएगा लेकिन अगर वक्फ
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बोर्ड या कोई दूसरा पार्टी कलेक्टर के
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डिसीजन से सेटिस्फाइड नहीं है अग्री नहीं
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करता तो उनके पास वफ ट्राइबल में अपील
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करने का ऑप्शन अवेलेबल है पहले ट्राइबनल
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का डिसीजन फाइनल होता था लेकिन नए
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अमेंडमेंट के बाद अब ट्राइबनल के आर्डर के
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अगेंस्ट 90 डेज के अंदर हाई कोर्ट में भी
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अपील की जा सकती है अब एक और प्रॉब्लमैटिक
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एरिया जो हमने डिस्कस किया था वो था
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लिमिटेशन का तो लिमिटेशन एक्ट 1963 एक
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लीगल फ्रेमवर्क है जो क्या बात करती है कि
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कोई भी केस फाइल करने का क्या टाइम लिमिट
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होना चाहिए ये क्यों है ताकि केसेस जो है
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डिस्प्यूट जो है वो टाइमली रेल्व हो जाए
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और सालों साल ना चलते रहे फॉर एग्जांपल
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अगर किसी इंसान की प्रॉपर्टी इललीगली
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ऑक्यूुपाई हो जाती है तो उसके पास 12 साल
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का टाइम पीरियड होता है केस फाइल करने के
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लिए क्लेम रेज करने के लिए वहीं अगर
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गवर्नमेंट की प्रॉपर्टी इललीगली ऑक्यूुपाई
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हो जाती है तो उनके पास 30 साल का टाइम
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पीरियड होता है केस फाइल करने के लिए
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लेकिन वक्स प्रॉपर्टीज पर ये रूल अप्लाई
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नहीं होते उन्हें एक्सेप्शन मिला है मतलब
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अगर कोई 100 साल पुरानी प्रॉपर्टी भी हो
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तो भी वक्फ बोर्ड उस पर क्लेम कर सकती है
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कि ये जो प्रॉपर्टी है ना ये तो हमारी है
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ये जो एक्सेप्शन है ना ये सिर्फ वक्फ
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बोर्ड और प्रॉपर्टीज को मिला हुआ है ये
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बाकी किसी रिलीजियस ट्रस्ट एंडमेंट को
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नहीं मिला हुआ है और इसके ऑोजिट अगर किसी
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इंसान की प्रॉपर्टी पर वक्फ बोर्ड ने
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क्लेम किया कि ये वक्फ की प्रॉपर्टी है तो
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उसे 12 साल का टाइम पीरियड नहीं मिलता
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लिमिटेशन एक्ट के हिसाब से उसे सिर्फ एक
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साल का टाइम पीरियड मिलता है कि तुम एक
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साल में केस फाइल कर लो अगर तुमने नहीं
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किया तो ये प्रॉपर्टी हमेशा के लिए व की
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हो जाएगी अब नए अमेंडमेंट के बाद ये जो
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एक्सेप्शन है इसे हटा दिया गया है
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लिमिटेशन एक्ट 1963 उसी तरीके से वक्फ
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बोर्ड और प्रॉपर्टीज पर अप्लाई होगा जैसे
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कि पूरे इंडिया में अप्लाई होता है एक साल
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के एक्सेप्शन को हटा दिया गया है 12 साल
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का टाइम पीरियड मिलेगा और जैसा कि हमने
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डिस्कस किया कि अगर कोई गवर्नमेंट
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प्रॉपर्टी और वफ के बीच में डिस्प्यूट चल
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रहा है कि किसकी है तो जब तक डिस्प्यूट
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सॉल्व नहीं हो जाता हम उसे गवर्नमेंट
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प्रॉपर्टी ही मानेंगे और अगर यह पता चलता
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है कि ओनरशिप एक्चुअली गवर्नमेंट की है तो
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वफ लिस्ट से उस प्रॉपर्टी का नाम हटा दिया
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जाएगा रेवेन्यू रिकॉर्ड अपडेट किए जाएंगे
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और उसे हम गवर्नमेंट प्रॉपर्टी ही मानेंगे
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नेक्स्ट अमेंडमेंट रिलेट करता है वुमेन
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राइट से तो वफ क्रिएट करने का एक और
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कांसेप्ट है व अलल औलाद का फॉर एग्जांपल
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कोई भी इंसान ये बोल सकता है कि जिस भी
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दिन मेरी फैमिली लाइन मतलब मेरी लाइन ऑफ़
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सक्सेशन खत्म हो जाए कोई भी लीगल हायर जब
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ना बचे तो उस दिन ऑटोमेटिकली मेरी जो
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प्रॉपर्टी है वो रिलीजियस पर्पस के लिए
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डेडिकेट हो जाएगी और वफ बन जाएगी इसमें बस
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प्रॉब्लम ये है कि इसके लिए ना सिर्फ मेल
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लीगल हायर्स को ही कंसीडर किया जाता है
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मेनली मैरिड वुमेन डॉटर्स को कंसीडर नहीं
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किया जाता था लेकिन अमेंडमेंट के बाद
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डॉटर्स भी इक्वल राइट क्लेम कर पाएगी उनके
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इन्हहेरिटेंस के राइट डिनाई नहीं होंगे वो
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अपना शेयर क्लेम कर सकती हैं अब अगर हम ये
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जो डिफरेंट बॉडीज है इनके कंपोज़िशन में
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क्या चेंजेस हुए हैं इसकी बात करें तो
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पहले सिर्फ मुस्लिम्स ही वक्फ बोर्ड के
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मेंबर्स बन सकते थे लेकिन अब वक्फ बोर्ड
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और सेंट्रल वक्फ काउंसिल में दो नॉन
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मुस्लिम मेंबर्स भी होंगे और दो मुस्लिम
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वुमेन का रिप्रेजेंटेशन भी कंपलसरी किया
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गया है यह जो नॉन मुस्लिम मेंबर्स होंगे
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ना इनका रोल सिर्फ एडमिनिस्ट्रेशन या
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चैरिटी रिलेटेड मैटर्स में ही होगा
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रिलीजियस एक्टिविटीज में नहीं इसके बाद
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अगर हम ट्राइबनल में क्या चेंजेस हुए हैं
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उसकी बात करें तो पहले वक्त ट्राइबनल में
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एक मुस्लिम लॉ एक्सपर्ट मेंबर होता था जो
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इस्लामिक जुरिसुडेंस के बेसिस पर फैसले
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लेता था और ट्राइबनल का डिसीजन फाइनल होता
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था लेकिन अब मुस्लिम लॉ एक्सपर्ट की
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पोजीशन हटा दी गई है और उसकी जगह एक
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प्रेसिडेंट या फॉर्मर डिस्ट्रिक्ट जज
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होंगे तो पहले ट्राइबल के डिसीजन सिर्फ
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इस्लामिक लीगल प्रिंसिपल के बेसिस पर होते
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थे अब जुडिशियल ऑफिसर्स लीगल प्रिंसिपल्स
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फॉलो करेंगे अब हम दो इंपॉर्टेंट क्वेश्चन
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डिस्कस करते हैं पहला ये कि क्या वक्
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रिलीजियस इशू है या प्रॉपर्टी इशू है तो
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वक्स का जो कांसेप्ट है जैसा कि मैंने
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आपको बताया ये एक रिलीजियस इशू है लेकिन
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प्रॉपर्टी ट्रांसफर करना इनफैक्ट स्टेट
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वक्स बोर्ड सेंट्रल वक्स काउंसिल इनका काम
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ही है वक्स प्रॉपर्टीज को बेटर मैनेज करना
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और डेवलप करना तो वक्स डेफिनेटली एक
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रिलीजियस इशू है लेकिन ये जो इंस्टीटशंस
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है ना स्टेट बोर्ड हो गया सेंट्रल काउंसिल
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हो गया ये रिलीजियस इंस्टीटशंस नहीं है तो
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इनको मैनेज करने के लिए बनाया गया वक्स
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एक्ट एक रिलीजियस इशू नहीं है प्रॉपर्टी
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इशू है दूसरे क्वेश्चन पर आते हैं कि
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गवर्नमेंट सिर्फ एक माइनॉरिटी के रिलीजियस
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अफेयर्स सिर्फ इस कम्युनिटी के रिलीजियस
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अफेयर्स में क्यों इंटरफेयर कर रहे हैं तो
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हम एक काम करते हैं हम मेजॉरिटी रिलीजंस
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के जो रिलीजियस इंस्टीट्यूशन है उनको कैसे
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मैनेज किया जाता है इसे पैरेलल डॉ करते
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हैं उसे समझते हैं तो जैसा कि हमने जाना
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कि वक्स प्रॉपर्टीज को मैनेज करने के लिए
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क्या-क्या है स्टेट वक्स बोर्ड है सेंट्रल
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वक्स काउंसिल है लेकिन हिंदू टेंपल्स को
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मेजॉरिटी मोस्टली स्टेट गवर्नमेंट ही
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कंट्रोल करती है फॉर एग्जांपल अगर हम फेमस
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तिरुपति टेंपल की बात करें तो इसका
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मैनेजमेंट डायरेक्टली आंध्र प्रदेश
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गवर्नमेंट के कंट्रोल में है टेंपल का हेड
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कौन होगा ना ये भी स्टेट गवर्नमेंट डिसाइड
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करती है दूसरा वक्त प्रॉपर्टीज को लेके
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अगर कोई डिस्प्यूट हो तो वो सीधा कहां
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जाता है ट्राइबनल के पास जाता है लेकिन
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बाकी रिलीजियस इंस्टीटशंस या ट्रस्ट की
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बात करें हिंदू सिख जैन क्रिश्चियन इनके
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प्रॉपर्टी में अगर कोई डिस्प्यूट होता है
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तो वो या तो सिविल कोर्ट जाता है या तो
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हाई कोर्ट जाता है तीसरा वफ प्रॉपर्टी
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बनने के बाद इसे वापस लेने का कोई तरीका
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नहीं है टोटल रेस्ट्रिक्शन है बाकी
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रिलीजियस इंस्टीटशंस पे ये अप्लाई नहीं
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होता ट्रांसफर वापस करने का थोड़ा
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रेस्ट्रिक्शन होते हैं लेकिन टोटल
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रेस्ट्रिक्शन नहीं होता चौथा लिमिटेशन
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पीरियड बाकी रिलीजियस इंस्टीटशंस पे
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अप्लाई होता है लेकिन लिमिटेशन पीरियड का
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एक्सेप्शन सिर्फ और सिर्फ वक्स प्रॉपर्टीज
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है इसमें एक साल का ही टाइम पीरियड मिलता
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है आपको केस फाइल करने का उसके बाद नहीं
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मिलता है तो जहां वक्स प्रॉपर्टीज को
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मैनेज करने के लिए स्टेट वक्स बोर्ड है
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सेंट्रल काउंसिल है मेजॉरिटी ऑफ़ हिंदू
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टेंपल्स डायरेक्टली स्टेट गवर्नमेंट के
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कंट्रोल में आते हैं तो आप मुझे बताइए कि
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गवर्नमेंट का कंट्रोल ज्यादा कहां पर हुआ
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अब यहां पर ना मेरा काम है लॉ क्यों लाया
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गया कैसे लाया गया और क्या प्रॉब्लम सॉल्व
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करता है या हाईलाइट करता है उसे समझाना
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आपको लॉ से एग्री कराना ये मेरा काम नहीं
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है तो अगर आपको लगता है कि हां जो भी
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प्रॉब्लम से ये नया लॉ सॉल्व करता है तो
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आप मुझे कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं
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कुछ प्रॉब्लम्स छूट गई हो तो ये भी बता
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सकते हैं अगर आप लॉ से एग्री नहीं करते
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हैं तो ये भी आप मुझे कमेंट सेक्शन में
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बता सकते है एंड वी कैन हैव अ सिविलाइज्ड
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डिस्कशन ओवर इट मैं उम्मीद करती हूं कि आज
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के इस वीडियो में आपको कुछ नया सीखने को
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मिला हो दैट्स इट फॉर नाउ सी यू इन द
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नेक्स्ट क्लास बाई-बाई