जिन लोगों में ये पांच गुण होते हैं उनके घर ठाकुर स्वयं देवी लक्ष्मी के साथ आते हैं | 😘👣#indreshji
Resumen
TLDRयह कथा पुंडलिक नामक भक्त की है, जो अपने माता-पिता के प्रति असंवेदनशील था। जब उसके माता-पिता काशी जाने की इच्छा व्यक्त करते हैं, तो वह उनकी मदद नहीं करता। लेकिन एक रात, जब वह अपने दोस्तों के साथ यात्रा पर होता है, तो उसे तीन सुंदर नारियों का दर्शन होता है, जो गंगा, यमुना और सरस्वती हैं। वे बताती हैं कि वे अपने पवित्रता को बनाए रखने के लिए संतों की चरण रज से अपने पापों को धोती हैं। पुंडलिक को यह समझ में आता है कि उसे अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। वह तुरंत अपने माता-पिता के पास लौटता है, उनसे क्षमा मांगता है और उन्हें काशी ले जाता है। इस प्रकार, वह अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझता है और भगवान विठोबा की कृपा प्राप्त करता है।
Para llevar
- 🙏 माता-पिता की सेवा का महत्व समझें।
- 🌊 पवित्रता के लिए संतों की चरण रज का महत्व।
- 💔 असंवेदनशीलता से बचें।
- 🌟 भक्ति से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
- 🚶♂️ अपने कर्तव्यों को समझें और निभाएं।
- 💖 परिवार के प्रति प्रेम और सम्मान रखें।
- 🌈 जीवन में संतों का संग महत्वपूर्ण है।
- 🕊️ क्षमा मांगने से रिश्ते मजबूत होते हैं।
- 🌼 भक्ति का मार्ग कठिनाइयों से भरा हो सकता है।
- 🌻 सच्ची भक्ति से जीवन में सुख और शांति मिलती है।
Cronología
- 00:00:00 - 00:05:00
कथा की शुरुआत में पुंडलिक नामक भक्त का परिचय दिया गया है, जो अपने माता-पिता के प्रति प्रेम नहीं रखता था। माता-पिता काशी जाने की इच्छा व्यक्त करते हैं, लेकिन पुंडलिक उनकी मदद नहीं करता।
- 00:05:00 - 00:10:00
पुंडलिक अपने दोस्तों के साथ काशी जाने का निर्णय लेता है, लेकिन रास्ते में अपने माता-पिता को देखकर मुंह मोड़ लेता है। यह दर्शाता है कि वह अपने माता-पिता से कितना दूर है।
- 00:10:00 - 00:15:00
रात को एक आश्रम में पुंडलिक तीन नारियों को झाड़ू लगाते हुए देखता है, जो बाद में गंगा, यमुना और सरस्वती निकलती हैं। वे बताती हैं कि वे भक्तों की सेवा से पवित्र होती हैं।
- 00:15:00 - 00:20:00
नदियों से पुंडलिक को यह ज्ञान मिलता है कि माता-पिता की सेवा करने से पाप समाप्त होते हैं। वह तुरंत अपने माता-पिता के पास जाकर उनसे क्षमा मांगता है।
- 00:20:00 - 00:25:00
पुंडलिक माता-पिता को काशी ले जाकर दर्शन कराता है और उनके प्रति अपनी भक्ति को स्वीकार करता है। वह अपने जीवन को माता-पिता की सेवा में समर्पित करने का प्रण लेता है।
- 00:25:00 - 00:30:00
भगवान द्वारिकाधीश पुंडलिक की भक्ति से प्रसन्न होकर उसके पास आते हैं। पुंडलिक उन्हें पहचान नहीं पाता, लेकिन भगवान उसकी भक्ति को देखकर वहां रुक जाते हैं।
- 00:30:00 - 00:35:00
पुंडलिक अपने माता-पिता की सेवा में इतना लीन हो जाता है कि भगवान भी उसकी भक्ति को देखकर प्रभावित होते हैं।
- 00:35:00 - 00:40:00
कथा में माता-पिता के प्रति प्रेम और भक्ति का महत्व बताया गया है, और यह भी कि बच्चों को अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।
- 00:40:00 - 00:45:00
कथा में आगे कपिल देव और दे भूति माता के संवाद का उल्लेख किया गया है, जिसमें माता अपने जीवन के प्रश्न पूछती हैं।
- 00:45:00 - 00:54:48
कथा का अंत यह संदेश देता है कि मन को सुधारने के लिए संतों का संग करना चाहिए और अपने इंद्रियों पर संयम रखना चाहिए।
Mapa mental
Vídeo de preguntas y respuestas
कथा का मुख्य पात्र कौन है?
कथा का मुख्य पात्र पुंडलिक है।
पुंडलिक के माता-पिता किस स्थान पर जाना चाहते थे?
पुंडलिक के माता-पिता काशी विश्वनाथ दर्शन करने जाना चाहते थे।
पुंडलिक ने माता-पिता की मदद क्यों नहीं की?
पुंडलिक अपने माता-पिता के प्रति असंवेदनशील था और उनकी मदद नहीं करना चाहता था।
पुंडलिक को किस प्रकार की नारियों का दर्शन होता है?
पुंडलिक को गंगा, यमुना और सरस्वती नामक तीन नारियों का दर्शन होता है।
पुंडलिक ने अपने माता-पिता से क्षमा क्यों मांगी?
पुंडलिक ने अपने माता-पिता से क्षमा मांगी क्योंकि उसने उन्हें पहले नजरअंदाज किया था।
कथा का अंत क्या है?
कथा का अंत पुंडलिक के माता-पिता की सेवा और भगवान विठोबा की कृपा प्राप्त करने के साथ होता है।
Ver más resúmenes de vídeos
अगर आपके जीवन में भी है तनाव, तो अवश्य सुनिये ये कथा। प्रवचन@SwamiRajeshwaranandSaraswati
एक महात्मा जी ने साँप को चेला बनाया साँप के पसीने छूट गए - rajeshwaranand maharaj anmol hasya katha
साहित्य चिंतन, काव्य की प्रमुख आधुनिक विधाओं का परिचय du sol ncweb nep20 semester 6 Hindi DSC MINOR
अनुग्रह का समय का संदेश नहीं यह तो मुंह तोड़ थप्पड़ है l #DanielRaj l #SachinClive l #AnkurNarula l
जिन में पवित्र आत्मा नहीं होता वह फूट डालते हैं l #DanielRaj l #DrVikasKamble l SVKS l
परमानेंट रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई नहीं किया। क्या करें????
- 00:00:00इसी बात पर एक कथा सुनाकर हम फिर कथा में
- 00:00:02प्रवेश करेंगे महाराष्ट्र में एक भक्त हुए
- 00:00:04भगवान के पंडरीनाथ भगवान उनका नाम था
- 00:00:07पुंडलिक क्या नाम था
- 00:00:10पुंडलिक श्री विट्ठल भगवान जिसके लिए आज
- 00:00:14तक पंढरपुर में दोनों क कमर पर हाथ रख कर
- 00:00:17के खड़े
- 00:00:18हैं यह पुंडलिक जो था यह बिल्कुल अपने
- 00:00:22माता-पिता से प्रेम नहीं करता था बहुत
- 00:00:24ध्यान से
- 00:00:27सुनिए एक दिन माता पिता ने कहा पुंडलिक हम
- 00:00:30काशी विश्वनाथ दर्शन करने जाना चाहते हैं
- 00:00:32हमारी व्यवस्था कर
- 00:00:33दो पुंडलिक बोला भगवान ने तो पैर दिए चलकर
- 00:00:37चले
- 00:00:37जाओ माता पिता बोले बेटा यहां से बहुत दूर
- 00:00:44है देख लो लाला आने वाले हैं
- 00:00:47आज बोलो नंद के लाला की जय ये आप सबके पित
- 00:00:53प्रसन्न होकर के अश्रु धार बहा रहे कि आज
- 00:00:56हमारे परिवार में देखो कितना सुंदर उत्सव
- 00:00:59होने वाला है नंद घर आनंद होने वाला है
- 00:01:01उसी के प्रेमाश्रय जा रहे
- 00:01:05हैं कथा के मध्य में प्रारंभ में अंत में
- 00:01:08वर्षा होने का मतलब यह है कि आपके द्वारा
- 00:01:11की गई कथा और आपके द्वारा किया गया आयोजन
- 00:01:15उसमें देवताओं ने हाजरी दे दी है और उसको
- 00:01:18स्वीकार कर
- 00:01:21लिया और वैसे दूसरी बात में कहूं तो
- 00:01:24इंद्रेश कथा कर रहे हैं तो इंद्र बरसे
- 00:01:26नहीं ऐसा हो नहीं सकता आज हमको बरम केला
- 00:01:29वाले अपने आपके यहां बरमकेला में भी कथा
- 00:01:31हुई थी वहां पर भी खूब बारिश हुई थी वहां
- 00:01:34से पधारे हैं हमारे
- 00:01:36भैया अब कथा सुनो सब लोग ध्यान से तो
- 00:01:40पुंडलिक जो था वह माता-पिता का बिल्कुल
- 00:01:42प्रेमी नहीं
- 00:01:43था एक दिन उसके माता-पिता ने कहा कि हमको
- 00:01:46काशी जाना है तो पुंडलिक ने कह दिया कि
- 00:01:48पैर दिए भगवान ने चलकर चले जाओ मैं कोई
- 00:01:50व्यवस्था नहीं कराऊंगा
- 00:01:53माता-पिता बेचारे सीधे पैदल पैदल जाने
- 00:01:57लगे लेकिन कुंडलिक अपने सखा के साथ
- 00:02:00मित्रों के साथ बहुत ऐश आराम करता था तो
- 00:02:02एक दिन उसके सारे मित्र बोले अरे चलो भाई
- 00:02:04मैं नया रथ खरीद के लाया हूं इससे तुमको
- 00:02:07घुमाने ले चलता हूं पुंडलिक बोला कहां
- 00:02:09चलेंगे बोले हम लोग काशी चलते हैं थोड़ी
- 00:02:11लंबी ड्राइव पर चलते हैं पुंडलिक बोला ठीक
- 00:02:15है अब तो माता पिता को मना कर दिया था
- 00:02:17उसने लेकिन अपने मित्रों से हां बोलक उनके
- 00:02:19संग जाने
- 00:02:20लगा बीच रास्ते में पुंडलिक को दिखाई दिया
- 00:02:23कि मेरे माता-पिता जा रहे हैं तो पुंडलिक
- 00:02:25ने अपना मुंह भी फेर लिया कहीं इन्होंने
- 00:02:27मुझे देख लिया तो बोल देंगे कि हमको भी
- 00:02:29बैठा लो
- 00:02:31ऐसा माता-पिता हों से बैर करता था
- 00:02:34पुंडलिक रात्रि का समय हो गया तो एक आश्रम
- 00:02:37में जाकर के सब सखा हों ने अपना रथ
- 00:02:40रोका और सब रात्रि भोजन करके वहां सोने
- 00:02:45लगे अर्धरात्रि का समय हुआ पुंडलिक को पता
- 00:02:48नहीं भूख प्यास कुछ लगी होगी पुंडलिक उठकर
- 00:02:50के अपने कमरे से जैसे ही बाहर आया तो उसने
- 00:02:53क्या देखा उस आश्रम के आंगन में परम
- 00:02:57सुंदरी तीन
- 00:02:58नारियां परम कुरूपी तीन नारियां झाड़ू लगा
- 00:03:02रही
- 00:03:03हैं कुरूपी मतलब उनका रूप देखने लायक नहीं
- 00:03:07था उनको देख कर के ना देखने की इच्छा हो
- 00:03:10रही थी और वो झाड़ू लगा रही हैं पुंडलिक
- 00:03:14थोड़ी देर देखता रहा बोले कर क्या रहे हैं
- 00:03:16तभी उसने देखा कि ज्यों ज्यों वो झाड़ू
- 00:03:18लगाती जा रही है त्यों त्यों उनका रंग साफ
- 00:03:21होता जा रहा है नेत्र सुंदर होते जा रहे
- 00:03:23हैं नासिका सुंदर होती जा रही है उनका अंग
- 00:03:26प्रत्यंग सुंदर होता जा रहा है और अंत में
- 00:03:28पुंडलिक ने देखा कि जैसे उनकी सेवा पूर्ण
- 00:03:30हुई व परम सुंदरी नारिया अत्यंत तेजवान
- 00:03:33अत्यंत सुंदरी बनकर के उसके सामने खड़ी
- 00:03:37है पुंडलिक ने हाथ जोड़ कर के कहा माताओं
- 00:03:40आप कौन हो और यह क्या हुआ मैं जब आया था
- 00:03:44यहां पर तब आपका रूप इतना सुंदर नहीं था
- 00:03:46और अब आप परम सुंदर लग रही हो यह क्या हुआ
- 00:03:49चमत्कार मुझे इसके बारे में
- 00:03:52बताओ उन तीनों ने अपना परिचय दिया बोले कि
- 00:03:55हम तीन कोई और नहीं है तीनों नदियां हैं
- 00:03:57गंगा यमुना और सरस्वती
- 00:04:00अच्छा तो आपका ये ये ये अभी क्या हुआ था
- 00:04:03यहां पर बोले
- 00:04:04पुंडलिक दिन भर ना जाने असंख्य लोग हम में
- 00:04:08स्नान करके अपने पापों को धो कर के जाते
- 00:04:10हैं अपने पापों को हम हम में युक्त करके
- 00:04:14जाते
- 00:04:15हैं हम परम पवित्रा हैं लेकिन इतने संख्या
- 00:04:18में लोग स्नान करते हैं कि उन सबके पाप
- 00:04:20हमको कुरूप बना देते हैं तब रात्रि में हम
- 00:04:24विविध विविध आश्रमों में जाते हैं और उन
- 00:04:27आश्रमों में विचरण करने वाले वैष्णव भक्त
- 00:04:29जन
- 00:04:30संत जन उनकी जो चरण रज पड़ी होती है उसको
- 00:04:33अपनी झाड़ू से उसका मार्जन करते हैं तो जब
- 00:04:36मार्जन करते हैं तो उड़कर के हमारे अंग पर
- 00:04:38लगती है और हमारे जितने भी पाप जितने भी
- 00:04:40मेल हमें लगे हैं वह सब धुल जाते हैं और
- 00:04:42हम पुन पवित्र हो जाते
- 00:04:45हैं पुंडलिक ने बोला इतनी सामर्थ होती है
- 00:04:48संत जनों के चरण रज में तो बोले हा
- 00:04:52पुंडलिक बोला मेरे यहां संत महात्मा तो है
- 00:04:54नहीं मुझे यदि यह करना हो कि मैं रोज अपने
- 00:04:57पापों को नष्ट करूं तो मैं क्या करूं
- 00:05:00तब गंगा यमुना सरस्वती ने बताया बोले संत
- 00:05:02जनों के चरण रज मिल जाए तो अच्छा है नहीं
- 00:05:06तो घर में विराजमान संत स्वरूप जो
- 00:05:09माता-पिता है यदि कोई बालक नित्य उनको
- 00:05:11प्रणाम करे नित्य उनके चरण रज को अपने
- 00:05:13माथे से लगाए उसके पाप नित्य नष्ट होते
- 00:05:18हैं जैसे ही पुंडलिक ने यह बात सुनी नेत्र
- 00:05:22सजल हो गए पुंडलिक के बोले कि मेरे घर में
- 00:05:25माता-पिता बैठे हैं और मैं बाहर जाकर के
- 00:05:27संत जनों के चरण धू रहा हूं
- 00:05:30उसी समय तक्षण रात्रि मेंही पुंडलिक निकल
- 00:05:32गया रथ लेकर के अर्धरात्रि में बीच रास्ते
- 00:05:35में कहीं माता-पिता सोए थे जाकर के चरणों
- 00:05:37में गिर के बहुत रोया कान पकड़ के क्षमा
- 00:05:39मांगने लगा मुझे क्षमा कर दो मैं आपको
- 00:05:42पहचान ना सका आपकी कभी सेवा नहीं की मैंने
- 00:05:44मैंने बहुत बड़ा अपराध किया माता-पिता
- 00:05:47दोनों को काशी विश्वनाथ दर्शन करा कर के
- 00:05:49वापस लेकर आया और उसी दिन उसने प्रण ले
- 00:05:53लिया मेरा कर्म मेरा कर्तव्य मेरा जीवन
- 00:05:56मेरा सब कुछ मेरे माता-पिता के चरणारविंद
- 00:05:58है
- 00:06:00कोई उसको बोलता पुंडलिक मंदिर जाया करो
- 00:06:02तीर्थ या जाया करो कहीं जाया करो तो हर
- 00:06:05चीज में अपने माता-पिता को प्रणाम करता था
- 00:06:07बोले यही तीर्थ है मेरे लिए इतनी सेवा
- 00:06:10माता-पिता की करता था कि द्वारिकाधीश उसकी
- 00:06:13सेवा से प्रसन्न हो
- 00:06:14गए और एक दिन द्वारिकाधीश से रहा नहीं गया
- 00:06:19द्वारिका से निकल पड़े रुक्मिणी जी ने
- 00:06:21पूछा कहां जा रहे हो बोले अपने एक भक्त को
- 00:06:23दर्शन देने जा रहा हूं और पुंडलिक के यहां
- 00:06:27पंढरपुर में पुंडलिक सेवा कर रहा था अपने
- 00:06:30माता-पिता की तभी सुंदर चंदन की सुगंधी
- 00:06:33आने लगी तभी दिव्य तेज एक एक प्रकाश मानो
- 00:06:36जैसे गेट पैसे अंदर भीतर आने लगा नूपुर की
- 00:06:39ध्वनि ठाकुर जी के आभूषणों की मचल की
- 00:06:42ध्वनि पुंडलिक के कानों में जाने लगी
- 00:06:45पुंडलिक बोला यह सुगंधी कहां से आ रही है
- 00:06:48यह नूपुर की आवाज य इतना प्रकाश कौन दे
- 00:06:50रहा
- 00:06:52है द्वार पर खड़े हुए ठाकुर जी और ठाकुर
- 00:06:55जी के संग में खड़ी लक्ष्मी बोली
- 00:06:57कुंडलिक अरे तुम सौभाग्य शली हो देखो
- 00:07:01तुम्हारे द्वार पर साक्षात द्वारिकाधीश
- 00:07:03आकर के खड़े हुए हैं आ जाओ प्रणाम
- 00:07:07करो कुंडलिक बोला कौन द्वारिकाधीश बोले
- 00:07:10अरे नारायण नारायण के अवतार कृष्ण वो
- 00:07:14तुम्हारे आए हैं क्यों आए हैं बोले
- 00:07:17तुम्हारी माता-पिता के चरणों में जो भक्ति
- 00:07:19है उससे प्रसन्न होकर आए हैं कुंडलिक बोला
- 00:07:22मैंने तो बुलाया नहीं इनको मैंने मैंने तो
- 00:07:24इनको आमंत्रण भेजा नहीं मैं माता-पिता की
- 00:07:27सेवा इनकी प्राप्ति के लिए तो कर नहीं रहा
- 00:07:29हूं मैं तो केवल ऐसे ही मेरे माता पिता है
- 00:07:31इसलिए सेवा कर रहा हूं तो फिर यह क्यों आए
- 00:07:35हैं भगवान को तो कुछ नहीं लेकिन लक्ष्मी
- 00:07:38जी को गुस्सा आ गया बोले कि 45 मिनट से
- 00:07:40खड़े हैं और यह बारी नहीं आ रहा है ठाकुर
- 00:07:42जी बोले चलो यहां से यह तो आदर सम्मान भी
- 00:07:45नहीं कर रहा आपका ऐसे भक्त से क्यों मिलना
- 00:07:48ठाकुर जी बोले तुमको जाना है तो जाओ मैं
- 00:07:50तो अब पुंडलिक के दर्शन करके ही जाऊंगा
- 00:07:53ऐसे माता-पिता के चरण कमलों में प्रेम
- 00:07:55करने वाले पुंडलिक को बिना देखे मैं यहां
- 00:07:57से नहीं जाऊंगा लक्ष्मी जी ने कहा देखो ये
- 00:08:00तो खड़े हैं हट कर के तुम जब तक नहीं
- 00:08:01मिलोगे तब तक यहीं खड़े रहेंगे पुंडलिक के
- 00:08:04पास में एक ईटा रखा था उसने वो ईटा सरका
- 00:08:07दिया बोले लो इस पर खड़े हो जाओ और खड़े
- 00:08:09रहो जीवन भर लेकिन मैं अपने माता-पिता के
- 00:08:12चरण छोड़ के नहीं
- 00:08:13आऊंगा जैसे ही पुंडलिक ने यह बात कही
- 00:08:16लक्ष्मी जी रोकती रही लेकिन ठाकुर जी नहीं
- 00:08:19माने और उस ईंट के ऊपर जाकर के प्रतीक्षा
- 00:08:22की मुद्रा में जैसे कोई प्रतीक्षा करता है
- 00:08:25किसी की ऐसे प्रतीक्षा की मुद्रा में
- 00:08:27भगवान द्वारिकाधीश
- 00:08:29विठ्ठल बनकर के वहां पर विराजमान हो गए
- 00:08:32पुंडलिक वद श्री हरि
- 00:08:36विठ्ठल श्री पंढरीनाथ महाराज की
- 00:08:41जय माता-पिता के चरण में प्रेम करने वाले
- 00:08:44पुंडलिक के लिए ठाकुर जी वहां पर विट्ठल
- 00:08:47बन कर के खड़े
- 00:08:50हैं तो बंधुओं आजकल के बच्चों से बस यही
- 00:08:54है
- 00:08:55भाव माता पिता को ही सर्वस्व मानो चलो
- 00:08:59हमारी उम्र के बच्चे तो फिर भी समझ जाएंगे
- 00:09:01लेकिन आने वाली जो जनरेशन है वो तो बहुत
- 00:09:04खतरनाक होने वाली है कभी-कभी हमको लगता है
- 00:09:07कि आप लोगों का बुढ़ापा तो ठीक निकल जाएगा
- 00:09:10हमारा बुढ़ापा बहुत भयंकर जाने वाला
- 00:09:12है हां आजकल के माताएं लोग बच्चों की सेवा
- 00:09:17तो करती नहीं है वोह रख लेती है आया उसकी
- 00:09:20सेवा करने वाली भी एक कोई और ही रहती है
- 00:09:22वही बच्चे को उठाती है वही बच्चे को
- 00:09:24सुलाती है वही बच्चे और फिर बुढ़ापे में
- 00:09:25वो माता एक्सपेक्ट करती है कि बच्चा मेरी
- 00:09:27सेवा करे तुमने की बचपन में
- 00:09:30अरे बच्चों को बचपन में माता का लाड़
- 00:09:32प्यार करना एक प्रकार से वो भी ठाकुर जी
- 00:09:34की सेवा के समान है क्योंकि बालक श्री
- 00:09:36कृष्ण के समान है छोटे बच्चे को देखो
- 00:09:38उसमें से कभी दुर्गंध नहीं आती उसको भले
- 00:09:41ही चार दिन लाओ मत वो ब्रश करता नहीं है
- 00:09:43वो कुछ ऐसे ही रहता है सामान्य लेकिन
- 00:09:45उसमें से कोई दुर्गंध नहीं आती क्यों
- 00:09:47क्योंकि वह अंदर से निष्कपट
- 00:09:50है घर का शत्रु आकर के यदि बालक को गोद
- 00:09:53में ले ले तो बालक चिल्लाएगा नहीं उसकी
- 00:09:54गोद में जाकर भी हंसता है क्योंकि वो
- 00:09:56जानता नहीं कि मुझे किससे बेर करना है
- 00:09:58किससे प्रेम करना है किससे मित्रता करनी
- 00:10:00है किससे छल करना सबके प्रति सम रहता
- 00:10:03है इसलिए उसमें से दुर्गंध नहीं आती वह
- 00:10:06कृष्ण स्वरूप है तुम उसकी सेवा करो
- 00:10:09बाल्यकाल में बुढ़ापे में वह भी
- 00:10:11करेगा तो इसलिए भैया इन सब विषयों को
- 00:10:14समझते हुए आज के प्रश्नों को यही विराम
- 00:10:17देते हैं और कथाक्रम में हम लोग प्रवेश
- 00:10:18करते
- 00:10:20हैं कथाक्रम कल कहां तक पहुंचा था कपिल दे
- 00:10:24भूति
- 00:10:26संवाद बहुत ध्यान से सुनिए
- 00:10:30बहुत सुंदर प्रसंग है कपिल दे भूति संवाद
- 00:10:33का दे भूति माता के यहां नौ कन्याओं ने
- 00:10:36जन्म लिया और दसव पुत्र के रूप में भगवान
- 00:10:40कपिल
- 00:10:42पधारे आपसे एक बात
- 00:10:45कहूं श्रीमद् भागवत की फिलोसोफी है यह
- 00:10:49इसको दर्शन शास्त्र कहते हैं कपिल देवती
- 00:10:51संवाद को बड़े-बड़े लोग इस बात पर इस
- 00:10:55चर्चा पर पीएचडी करते हैं हमारे पूज्य
- 00:10:57पिताजी महाराज ने एम है इसी विषय पर कपिल
- 00:11:01दे भूति संवाद ये साधारण नहीं
- 00:11:04है समय की कम कटौती है इसलिए मैं थोड़ा ही
- 00:11:07कहूंगा लेकिन बहुत ध्यान से
- 00:11:09सुनिए भयंकर गण चर्चा है श्रीमद् भागवत
- 00:11:13की देव भूति माता को पता है कि मेरे पुत्र
- 00:11:17कोई और नहीं है साक्षात भगवान
- 00:11:19है एक दिन समय जान कर के उन्होंने वृक्ष
- 00:11:22के नीचे आसन बिछा के अपने पुत्र को बैठा
- 00:11:25दिया और उनका तिलक करके माला पहना के आरती
- 00:11:28करके प्रणाम करके दे भूति माता ने कहा मैं
- 00:11:30जानती हूं कि आप ईश्वर हो लेकिन मेरे
- 00:11:32पुत्र बनक आए हो यह मेरा सौभाग्य है मैं
- 00:11:35आपसे कुछ प्रश्न करना चाहती हूं अपने जीवन
- 00:11:38से संबंधित कृपा करके आप उत्तर दीजिएगा
- 00:11:41भगवान बोली जो आज्ञा मा विराजो और सामने
- 00:11:45बैठी है दे भूति माता और भगवान कपिल उनके
- 00:11:48प्रश्नों का उत्तर दे रहे हैं माता दे
- 00:11:51भूति ने पहला प्रश्न क्या पूछा ध्यान से
- 00:11:55सुनना निर्व
- 00:12:00नित राम
- 00:12:02भूमन असद
- 00:12:05[संगीत]
- 00:12:07णा येन संभाव्य
- 00:12:12माने
- 00:12:15प्रपन्ना तम
- 00:12:17[संगीत]
- 00:12:20प्रभु दे भूति माता का पहला प्रश्न क्या
- 00:12:25है हे नाथ
- 00:12:29निर्व नितम भूमन असद इंद्रिय
- 00:12:34तर्ष मैं अपनी असद इंद्रियों की इच्छाएं
- 00:12:37पूरी करते करते करते करते हार चुकी हूं
- 00:12:41लेकिन मेरी इच्छाएं पूर्णता पर नहीं पहुंच
- 00:12:43पा रही है नाथ कृपा करके मुझे यह बताइए
- 00:12:47ऐसा क्या करूं कि मेरी इच्छाएं पूर्ण हो
- 00:12:50जाए और फिर कभी दोबारा ना
- 00:12:52उठे प्रश्न समझ में आया नहीं आया ध्यान से
- 00:12:57सुनो अच्छा यह बताओ हमारे शरीर में
- 00:12:59इंद्रियां कितनी होती हैं कितनी इंद्रियां
- 00:13:03होती हैं नहीं 10 पांच नहीं 10 इंद्रियां
- 00:13:06होती
- 00:13:08हैं पांच ज्ञान इंद्रिय और पांच कर्म
- 00:13:13इंद्रिय पांच ज्ञान इंद्रिय कौन-कौन सी है
- 00:13:16जिनसे हमको कुछ पता चलता है जिनसे हमको
- 00:13:18कोई ज्ञान होता है वह पांच ज्ञानेंद्रिय
- 00:13:20हैं राहुल केला के लोग आज बड़े सुंदर लग
- 00:13:23रहे हैं कैसे पता चलता है पहली
- 00:13:27ज्ञानेंद्रिय संगीत बहुत सुमधुर बज रहा है
- 00:13:30कानों से दूसरी
- 00:13:32ज्ञानेंद्र पुष्प की सुगंधी बड़ी मधुर है
- 00:13:35तीसरी ज्ञानेंद्रिय नाक प्रसाद बहुत
- 00:13:38बढ़िया बना है चौथी ज्ञानेंद्रिय
- 00:13:40जीव आज मौसम में थोड़ी नमी है त्वचा पांच
- 00:13:45ज्ञानेंद्रिय यह पांच हो गई ज्ञानेंद्रिय
- 00:13:47पांच होती है कर्म इंद्रिय हाथ पैर मुख और
- 00:13:53दो गुप्त
- 00:13:55इंद्रिय यह होती है 10 इंद्रिया
- 00:13:59अब यहां प्रश्न दे भूति माता कर रही है कि
- 00:14:01हे नाथ मैं अपनी दसों इंद्रियों की
- 00:14:03इच्छाएं पूरी करते-करते हार चुकी हूं आप
- 00:14:05लोग खुद विचार करो सुबह उठने से लेकर के
- 00:14:08रात्रि तक आप क्या करते हो गुलामी करते
- 00:14:10हैं हम किनकी गुलामी अपनी इंद्रियों की
- 00:14:12गुलामी आंख कहती है मुझे ऐसा दर्श दिखाओ
- 00:14:15उसको दिखाने के लिए भागते हैं कान कहते
- 00:14:17हैं मुझे अरिजीत सिंह के गाने सुनाओ तुरंत
- 00:14:19सुनाने लग जाते
- 00:14:21हैं नाक कहती है मुझे बढ़िया वाला परफ्यूम
- 00:14:24सूंघना है तो वो लेने चले जाते हैं जीव
- 00:14:26कहती है मुझे तो व वो खाना है छेना पड़ा
- 00:14:31तुरंत लेकर आते हैं दुकान
- 00:14:33से त्वचा कहती है बहुत गर्मी हो गई ऐसी
- 00:14:36लगाओ कथा से आए हैं पूरे चिपचिपाहट हो रही
- 00:14:39है पैर कहते हैं ऐसी चप्पल पहनाओ हाथ कहते
- 00:14:42हैं ऐसा स्पर्श कराओ आप पूरे दिन करते
- 00:14:45क्या है वो इन दसों इंद्रियों की
- 00:14:47गुलामी इन्हीं की इच्छा हम पूरे जीवन भर
- 00:14:50पूरी करते रहते हैं लेकिन एक फुल स्टॉप
- 00:14:54कभी नहीं आता कि हमारी इंद्रियां कहती हो
- 00:14:56कि बस अब हमें कुछ नहीं चाहिए ऐसा कभी
- 00:14:58नहीं होता
- 00:15:01कितने घरों में देखा गया अब घरों की छोड़ो
- 00:15:04मेरी खुद की आदत ऐसी है अगर घर में भिंडी
- 00:15:07बनी तो मैं भोजन करता ही नहीं दूसरी बनाओ
- 00:15:10हम जीव के कितने आदि जीव कहती है मुझे यह
- 00:15:13नहीं खाना वही खाना है तो वही बनवाते हैं
- 00:15:15हम
- 00:15:16लोग लेकिन बंधुओ आप कभी विचार करो सं पूरा
- 00:15:20जीवन निकल जाता है इन इंद्रियों की इच्छा
- 00:15:22पूरी करते करते कभी इन पर लगाम लगती है कि
- 00:15:25नहीं दे भूति माता यही पूछ रही है नाथ मैं
- 00:15:28हार गई इच्छा पूरी करते करते आंखों ने जो
- 00:15:31मांगा कानों ने जो मांगा जीव ने जो मांगा
- 00:15:33हाथों ने पैरों ने गुप्त इंद्रियों ने जो
- 00:15:35मांगा सब दिया लेकिन कब तक दूं
- 00:15:38मैं ऐसा कोई उपाय बताओ कि मेरी इच्छाएं
- 00:15:41समाप्त हो जाए फिर जीवन में कभी कोई इच्छा
- 00:15:44ना आवे ऐसा कोई मार्ग
- 00:15:46बताओ हमारे पूज्य पिता जी महाराज कथा में
- 00:15:49गाते
- 00:15:52हैं देखना इंद्रियों के ना घोड़े
- 00:15:56भग उनमें हरदम जो संयम के कोड़े पड़े अपने
- 00:16:02रथ को सुमार्ग लगाते
- 00:16:06चलो कृष्ण गोविंद गोपाल गाते
- 00:16:11चलो सुख में फूलो मति दुख में भूलो मति
- 00:16:16प्राण जाए मगर नाम भूलो मति काम की वासना
- 00:16:22को मिटाते
- 00:16:25चलो कृष्ण गोविंद गोपाल ते
- 00:16:31चलो देख ना इंद्रियों के ना घोड़े भग
- 00:16:34इनमें हरदम य संयम के कोड़े पड़े ये संयम
- 00:16:39हमारे भीतर बिल्कुल नहीं
- 00:16:44है संयम जीवन में कैसे आएगा आगे अष्टांग
- 00:16:47योग के बारे में यहां बताया जाएगा उसमें
- 00:16:49मैं बताऊंगा लेकिन अभी प्रश्न पर चले मेरी
- 00:16:51इंद्रियों की इच्छाएं पूरी नहीं हो रही
- 00:16:53कैसे पूर्ण करूं इनको मुझे
- 00:16:57बताओ भगवान प्रति उत्तर देते हुए कहते हैं
- 00:17:01मां चेत लवस
- 00:17:05बंध
- 00:17:07मुक्त चत
- 00:17:10मनोम गुण सु सतम
- 00:17:14बंध
- 00:17:16रतम
- 00:17:20मुक्त चेत लवस बंध मां आपको मैं एक निवेदन
- 00:17:26करके बात कहूं मां बोली बोलो आप इंद्रियों
- 00:17:29को दोष मत
- 00:17:31दो आंख नाक कान आदि य सब इंद्रियों की कोई
- 00:17:35गलती नहीं है इनको तो मैंने बनाया आंखों
- 00:17:38को मैंने बनाया नाक आदि सब मैंने बनाई है
- 00:17:41विचार करो आंख नहीं होती तो मेरा दर्शन
- 00:17:44कभी होता कान नहीं होते तो मेरी कथा कभी
- 00:17:46सुन पाती पैर नहीं होते तो मेरी
- 00:17:49प्रदक्षिणा कैसे करती यह इंद्रिया है तो
- 00:17:52मेरी भक्ति हो पाती है इंद्रिया नहीं होती
- 00:17:54तो फिर आप कुछ कर ही नहीं
- 00:17:56पाती इसलिए मां जो इंद्रियां मेरी
- 00:17:59प्राप्ति कराती हैं वो इंद्रियां असद कैसे
- 00:18:01हो सकती
- 00:18:02हैं इंद्रियों को दोष मत दो मां बोली तो
- 00:18:07फिर किसको दोष दूं बोले यह इंद्रियां तो
- 00:18:10है आपकी एक प्रकार से ऐसा समझो भगवान कह
- 00:18:13रहे हैं यह 10 इंद्रियां हमारी 10
- 00:18:15पत्नियां
- 00:18:16हैं यह दसों इंद्रिया हमारी 10 पत्नियां
- 00:18:19है पत्नी कौन जो अपनी इच्छा पूरी करवावे
- 00:18:21पति से और पति कौन जो अपनी इच्छा पूरी
- 00:18:23करवावे पत्नी से तो ये दसों हमारी पति
- 00:18:26पत्नियां हैं ये अपनी इच्छाएं पूरी करवाते
- 00:18:28र
- 00:18:29लेकिन इनका ब्याह तो हमारे साथ हुआ लेकिन
- 00:18:31यह प्रेम किसी और से करती
- 00:18:33हैं मां बोली मैं समझी नहीं बोले मां देखो
- 00:18:36आंख नाक कान जीव हाथ पैर त्वचा आदि य
- 00:18:39समस्त इंद्रिया है तो आपकी लेकिन यह कहना
- 00:18:43किसका मानती है मन का चित्त का बंधन का
- 00:18:47कारण इंद्रिया नहीं है मां बंधन का कारण
- 00:18:50आपका मन है आपका चित्त
- 00:18:52है हाथ थोड़ी कभी कहते हैं कि मुझे ऐसा
- 00:18:55स्पर्श कराओ मन कहता है आंख थोड़ी कहती है
- 00:18:58कि मुझे ऐसा दृश्य दिखाओ मन कहता है पैर
- 00:19:01थोड़ी कहते हैं कि मुझे ऐसी चप्पल पहनाओ
- 00:19:03मन कहता है अगर पैर कहते कि हमको ऐसी
- 00:19:07ब्रांड वाली चप्पल ही पहननी है तो कितने
- 00:19:09लोग तो वो कौन सी चप्पल होती है ब्लू
- 00:19:11वाली हवाई चप्पल कई लोग तो उसमें भी
- 00:19:14प्रसन्न रहते हैं और कई लोग तो चप्पल
- 00:19:16पहनते भी नहीं है पैर इच्छा नहीं मन सबके
- 00:19:19अलग-अलग है और सबके मन की इच्छाएं अलग-अलग
- 00:19:21है इसलिए मैया बंधन के कारण इंद्रिया नहीं
- 00:19:24है बंधन का कारण मन
- 00:19:26है आप इंद्रियों को दोष मत
- 00:19:31मां बोली मैं आपकी बात समझ गई मन बंधन का
- 00:19:34कारण है तो अब यह बताओ मन कैसे
- 00:19:37सुधरेगा बोले मां यदि मन को सुधारना है तो
- 00:19:41मन के एनवायरमेंट को सुधारो एनवायरमेंट को
- 00:19:45सुधारने का मतलब मन जिन जिन वस्तुओं का
- 00:19:47संग करता है उन संग को सुधारो और दूसरा मन
- 00:19:51पर थोड़ा संयम करो संग सुधरने से सब सुधर
- 00:19:55जाएगा मन का संग सुधारो
- 00:19:59मन का संग किससे करवाना है बोले कि यह
- 00:20:02पांच गुण जिस व्यक्ति में हो ऐसे
- 00:20:05व्यक्तियों का संग करना प्रारंभ कर दो मन
- 00:20:07अपने आप सुधर जाएगा और यह पांच गुण
- 00:20:10कौन-कौन से हैं बहुत ध्यान से सुनना
- 00:20:13तिव कारु
- 00:20:16का शहिद सर्व
- 00:20:19देना अजात
- 00:20:22सत्र
- 00:20:24शांता साधव साधु भूषण
- 00:20:29यह पांच गुण जिसमें हो मां आप उसका संग
- 00:20:33करना शुरू कर दो मन सुधर
- 00:20:36जाएगा पांच गुण कौन-कौन से हैं पहला ति शव
- 00:20:42पेशेंस जिस व्यक्ति के अंदर पेशेंस हो जिस
- 00:20:46व्यक्ति के अंदर धैर्य
- 00:20:49हो और धैर्य को एक और भाषा एक और शब्द दे
- 00:20:52दूं तो सहन शक्ति हो ऐसे व्यक्ति का संग
- 00:20:56करो
- 00:20:59जिनके अंदर सहन शक्ति नहीं है जिनके अंदर
- 00:21:01धैर्य नहीं है ऐसे लोगों का संग करना बंद
- 00:21:03कर दो और ऐसा व्यक्ति घर का ही क्यों ना
- 00:21:06हो उसके पास कम उठा बैठा करो नहीं तो उसके
- 00:21:09संग संग आप भी बिना बड़ी जोर की ताली
- 00:21:13बजी दो चारों नेही बजाई जो भुगत भोगी
- 00:21:16होंगे उनने बजाई
- 00:21:17है पेशेंस जिसके अंदर हो उसका संग
- 00:21:21करो धैर्य वंतमूरी
- 00:21:28संग करोगे जिसके अंदर धैर्य नहीं है उसका
- 00:21:32संग
- 00:21:33छोड़ो तो पहला गुण
- 00:21:37तिव दूसरा गुण मां जिसका हम संग करें उसके
- 00:21:41अंदर होना चाहिए कारु का कारु का मतलब
- 00:21:44करुणा करुणा मतलब
- 00:21:47दया सब पर दया
- 00:21:50करे किसी के प्रति भी निर्दयता का भाव ना
- 00:21:53रखे सबके प्रति जिसके अंदर दया का भाव है
- 00:21:56ऐसे व्यक्ति का संग हमको करना है तो पहला
- 00:21:59गुण सहनशीलता दूसरा गुण दया और तीसरा गुण
- 00:22:03शोहिद सर्व देहि
- 00:22:06नाम समस्त देह धारियों के प्रति जो शोहिद
- 00:22:11है शोहिद मतलब अच्छा चाहने वाला वेल विशर
- 00:22:16सबका केवल मानवों का ही अच्छा चावे अपने
- 00:22:19परिवार का ही अच्छा चावे अपना ही अच्छा
- 00:22:21चावे ऐसा नहीं जो सबका भला चाहता हो ऐसे
- 00:22:25व्यक्ति का संग करना है
- 00:22:29रवींद्रनाथ
- 00:22:31टैगोर उनको एक बार नेशनल अवार्ड
- 00:22:34मिला तो उनको जब नेशनल अवार्ड मिला तो
- 00:22:37उनको सब लोगों ने आकर के बधाइयां
- 00:22:40दी लेकिन उनके घर के ठीक सामने रहने वाला
- 00:22:44पड़ोसी नहीं
- 00:22:46आया तीन पा जीवन में ऐसे आते हैं जो कि
- 00:22:49बहुत मुश्किल से खुश होते हैं पहले
- 00:22:53पड़ोसी दूसरे पत्रिक भाई बंधु मतलब चाचा
- 00:22:57ताऊ के बच्चे
- 00:22:59और तीसरे पत्नी य तीन जल्दी खुश नहीं होते
- 00:23:04बाकी मेरा अनुभव कम है तीसरे वाले में आप
- 00:23:06लोगों का ज्यादा
- 00:23:08है अच्छा एक और पा जोड़ लो पति वो भी पा
- 00:23:12है लेकिन पति जल्दी राजी हो जाते हैं
- 00:23:15पत्नियां नहीं
- 00:23:16होती तो यह तीन प बहुत जल्दी खुश नहीं
- 00:23:19होते पड़ोसी पत्रिक भाई बंधु और
- 00:23:24पत्नी तो रवींद्रनाथ टैगोर जी का पड़ोसी
- 00:23:28नहीं आए
- 00:23:29वो टेढ़ी नजर से अपनी खिड़की में से दिखता
- 00:23:30था भीड़ लगी है रविंद्रनाथ टैगोर जी के घर
- 00:23:32के बाहर वो पूरे दिन ऐसे ही बस नाक मुंह
- 00:23:35मोड़ता रहता था लेकिन एक दिन टैगोर जी ने
- 00:23:39सोचा कि सब लोग मुझे आए बधाई देने लेकिन
- 00:23:42मेरा पड़ोसी नहीं आया उन्होंने अपना
- 00:23:45अवार्ड उठाया और वह खुद गए पड़ोसी के यहां
- 00:23:48और पड़ोसी के यहां जाकर गेट खटखटाया जैसे
- 00:23:51ही उसने गेट खोला तो रवींद्रनाथ टैगोर जी
- 00:23:53ने उल्टा उसको बधाई थी बोले आपको
- 00:23:55बहुत-बहुत बधाई
- 00:23:56हो बोला अरे आप आप यहां क्यों आए अरे आप
- 00:24:00मैं मैं आने ही वाला था मैं सोच ही रहा था
- 00:24:02कि समय मिलते ही आपको बधाई देने आऊंगा
- 00:24:04लेकिन आप आ गए आपने क्यों कष्ट उठाया
- 00:24:07सामने मुंह पर तो सब ऐसे ही हो जाते हैं
- 00:24:09ना टैगोर जी ने उनको प्रणाम कहते हुए कहा
- 00:24:12कि मैं आपको धन्यवाद कहने आया हूं क्यों
- 00:24:15क्योंकि आप मेरे पड़ोसी हैं मैं नित्य
- 00:24:17उठकर के जब अपनी बालकनी में आता हूं तब आप
- 00:24:19अपने घर में मुझे कुछ करते हुए दिखते हैं
- 00:24:22मतलब मेरे दिन की शुरुआत आपको देख कर के
- 00:24:24होती है इसीलिए मेरा दिन इतना शुभ जाता है
- 00:24:26तो मेरे को आज जो भी उप मिली उसम अधिकार
- 00:24:30उसमें कृपा आपकी है इसलिए मैं आपको
- 00:24:32धन्यवाद देने आया हूं ऐसे ऐसा पिघला
- 00:24:35पड़ोसी महाराज जीवन भर मुरीद बनक रहा
- 00:24:38उनका तो यह किसके लक्षण
- 00:24:41है शोहिद सर्व देही नाम हम लोग हमेशा ईगो
- 00:24:45में रहते मैं क्यों जाऊ मैं क्यों बोलू
- 00:24:46मैं क्यों करू व वो क्यों नहीं करता है वह
- 00:24:49आवे वह बोले वह करे अरे झुक जाओ नमंति फनो
- 00:24:54वृक्षा नमंति गुणन जना स्कूल में पढ़ा था
- 00:24:57कि नहीं शुष्क काष्ठा नि मूर्खा सच नान
- 00:25:00मंती कदाचन पेड़ वही झुकता है जिसमें फल
- 00:25:04होते हैं लेकिन शुष्क काष्ट सूखा जो लकड़ा
- 00:25:08होता है वो कभी झुकता नहीं क्योंकि उस परे
- 00:25:10फल नहीं होते और जब आंधी आती है तो झुके
- 00:25:12हुए वृक्ष खड़े रहते हैं और जो तने खड़े
- 00:25:14रहते हैं सीधे-सीधे आंधी आते ही गिर जाते
- 00:25:16हैं टूट के नीचे इसलिए भैया सदैव झुके रहो
- 00:25:20और खुद को झुकना नहीं आता तो फिर जो झुक
- 00:25:23कर के चलते हैं उनका संग करो उनके साथ
- 00:25:26रहो तो पहला गुण
- 00:25:29सहनशीलता दूसरा गुण दया करुणा तीसरा गुण
- 00:25:33सबका हित स सबका वेल विशर ऐसे व्यक्तियों
- 00:25:36का संग करो चौथा गुण क्या है अजात
- 00:25:41सत्र चौथा गुण है जिसका कोई शत्रु ना
- 00:25:47हो जिसकी किसी से शत्रुता ना हो लोग भले
- 00:25:51उसको शत्रु मानते हो लेकिन वह किसी को
- 00:25:53अपना शत्रु ना मानता
- 00:25:55हो जिसके अंदर किसी के प्रति यह भाव नहीं
- 00:25:57कि य छोटा य ऐसा य वैसा ऐसी कोई भावना ना
- 00:26:01हो अजात सत्र यह चार गुण हो गए और अंतिम
- 00:26:06और सबसे विशेष गुण
- 00:26:09शांता जो बहुत कम बोलता हो बहुत शांत रहता
- 00:26:13हो ऐसे पांच गुण वाले लोगों का संग करना
- 00:26:18चाहिए आपने यदि य पांच गुण वाले लोगों का
- 00:26:21संग किया या यह पांच गुण आपने अपने भीतर
- 00:26:23ले आए तो आपका मन सुधर जाएगा और मन सुधरती
- 00:26:26इंद्रिया सुधर जाएंगी
- 00:26:28भगवान ने कितनी सहजता से बता दिया अच्छा
- 00:26:31ये पांच गुणों में सबसे कठिन कौन सा है
- 00:26:32बताओ जो अभी हमने बताए तिव कारु का शहिद
- 00:26:37सर्व देही नाम अजात सत्र शांता साधव साधु
- 00:26:41भूषण इन पांचों में सबसे कठिन कौन सा
- 00:26:43है
- 00:26:46शांता मौन रहने वाला आजकल लोग मौन नहीं
- 00:26:51रहते हां एक चीज हो गई है खुद कम बोलते
- 00:26:54हैं अंगूठे ज्यादा बोलते खुद कम बोलते हैं
- 00:26:57अंगूठे ज्यादा बोलते हैं
- 00:26:59बहन भाई में लड़ाई हो जाए एक दूसरे
- 00:27:01अलग-अलग कमरे में जाकर एक दूसरे को
- 00:27:02गालियां लिख केर भेज देते हैं उल्टी सीधी
- 00:27:04बातें लिख केर भेज देते हैं मुंह से नहीं
- 00:27:06बोलेंगे लेकिन मैसेज कर देते
- 00:27:08हैं
- 00:27:10शांत शांत
- 00:27:13रहो या फिर ऐसा कहूं तो जब बोलो तब हरि
- 00:27:18कथा बोलो जब बोलो तब अच्छा
- 00:27:21बोलो मौन एक आभूषण है
- 00:27:25बंधुओं जितना मौन रहोगे जितना कम बोलोगे
- 00:27:29उतने शब्दों में भारीपन
- 00:27:31आएगा उतना तुम्हारी बातों का प्रभाव होगा
- 00:27:35और जितना ज्यादा बोलोगे जितना चब चपड़
- 00:27:38मुंह चलाते रहोगे उतनी बात की गरिमा नष्ट
- 00:27:40होती चली जाती
- 00:27:41है इसलिए मौन रहना
- 00:27:44सीखो रात्रि में सोते समय तो सब मौन रहते
- 00:27:47हैं लेकिन दिन में जागते हुए भी जो मौन
- 00:27:49रहे उसके अंदर ही अंदर चिंतन चलता रहे ऐसा
- 00:27:52व्यक्ति जब मुंह खोलेगा ना तो सामने वाले
- 00:27:54को लगेगा मानो जैसे पुष्प वरसा दिए हो
- 00:27:56इसने
- 00:27:59ज्यादा बोलने वाला व्यक्ति भगवान को प्रिय
- 00:28:01नहीं एक बच्चा मुझसे कथा सुन रहा था तो
- 00:28:04बोला महाराज जी तो तो आप तो बिल्कुल प्रिय
- 00:28:06नहीं होंगे भगवान के क्यों चार घंटा नॉन
- 00:28:09स्टॉप बोलते ही रहते हो मैंने कहा नहीं
- 00:28:11भाई संसारी चर्चा ना करे बोले तब हरि कथा
- 00:28:15तो बंधुओ इन बातों को जीवन में उतारो यह
- 00:28:18पांच गुण या तो अपने भीतर लाओ या फिर इन
- 00:28:20पांच गुणों से युक्त व्यक्ति का संग करने
- 00:28:23लग जाओ मन अपने आप शांत हो जाएगा
- 00:28:29किसी दिन यदि आपकी जो है डोसा खाने की
- 00:28:32इच्छा हो रही है लेकिन घर में बनी करेले
- 00:28:35की सब्जी क्या करें तो तुरंत गाड़ी उठा कर
- 00:28:38के जो डोसा खाने चले जाते हैं ऐसे लोगों
- 00:28:40की ही इंद्रियां उनको बर्बाद करती हैं
- 00:28:42क्या करना है जीव की इच्छा हो रही है डोसा
- 00:28:45खाना है लेकिन आप तो सीधे जाओ रसोई घर में
- 00:28:48उठाई रोटी उसमें करेला लगाया रोल बनाया खा
- 00:28:50गए इस प्रकार जबरदस्ती अपनी इंद्रियों को
- 00:28:54हट पूर्वक उनकी इच्छाओं को पूरा ना करने
- 00:28:57पर प्र कर दो एक दिन ऐसा आएगा इंद्रियों
- 00:29:00की इच्छा समाप्त हो जाएंगी फ तुम जो दोगे
- 00:29:02जैसा रखोगे जैसे रखो इंद्रिया वैसे
- 00:29:05रहेंगी मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन
- 00:29:13हो मन की तरंग
- 00:29:18मारलो बस हो गया भजन बस यही भजन है मन में
- 00:29:23जितनी इच्छाएं प्रकट होती है ठाकुर जी के
- 00:29:26अलावा
- 00:29:28संसार से मिलने वाली जितनी भी इच्छाएं
- 00:29:31प्रकट होती है मन में उन सब पर संयम कर लो
- 00:29:35उन सबको दबा लो उन सबको पूरा मत करो बस
- 00:29:38इतना मात्र करना ही आपका भजन हो जाएगा हो
- 00:29:42मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन हो मन की
- 00:29:51तरंग मार दो बस हो गया भजन
- 00:29:58आदत बुरी सुधार लो आदत बुरी सुधार लो आदत
- 00:30:07बुरी सुधार
- 00:30:10लो आदत बुरी सुधार लो बस हो गया
- 00:30:18भजन मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन हो
- 00:30:28की तरंग मार लो बस हो गया
- 00:30:35भजन करताल थोड़ी बजा लो बस हो गया
- 00:30:42भजन आदत बुरी सुधार लो बस हो गया श्री
- 00:30:50राधा रमण लाल की जय हो
- 00:30:54[संगीत]
- 00:31:03[संगीत]
- 00:31:09[संगीत]
- 00:31:17[संगीत]
- 00:31:24श्री जगन्नाथ महाप्रभु की जय हो
- 00:31:28[संगीत]
- 00:31:41आए हो तुम कहां से और जा रहे
- 00:31:49कहां आए हो तुम कहां से और जा रहे कहां
- 00:31:58आए हो तुम कहां से और जा रहे
- 00:32:05कहां आए हो तुम कहां से और जा रहे
- 00:32:13कहां मन से सही विचार लो मन से सही विचार
- 00:32:21लो हां मन से सही
- 00:32:25विचार लो मन से सही विचार हां भैया बस हो
- 00:32:31गया भजन हो मन से सही विचार लो मस हो गया
- 00:32:40भजन ओ मन की तरंग मार लो बस हो गया
- 00:32:49भजन तरंग
- 00:32:52मारलो बस हो गया
- 00:32:56भजन आदत बुरी सुधार लो आदत बुरी सुधार लो
- 00:33:04आदत बुरी सुधार दो आदत बुरी सुधार दो बस
- 00:33:12हो गया
- 00:33:14भन मन की तरंग मार लो बस हो गया
- 00:33:21भजन भन की तरंग मार दो बस हो गया
- 00:33:27[संगीत]
- 00:33:29देखो आज इन सबको कृष्ण जन्मोत्सव की मस्ती
- 00:33:32चढ़ रही है अभी से हां देखो अभी से ही
- 00:33:35कितना मशीन बढ़िया गर्म करके आए हैं
- 00:33:38बढ़िया है अच्छी बात है बैठे हुए जो लोग
- 00:33:40हैं व भी करताल बजा के गाओ भाव से श्री
- 00:33:43जगन्नाथ महाप्रभु की
- 00:33:46[संगीत]
- 00:34:12कोई तुम्हें बुरा
- 00:34:15कहे सुनकर करो
- 00:34:19क्षमा कोई तुम्हें बुरा कहे सुनकर करो
- 00:34:25क्षमा
- 00:34:27नृत्य करो करताल बजाओ लेकिन शब्द भी सुनो
- 00:34:30क्या है कोई तुम्हें बुरा
- 00:34:34कहे सुनकर करो
- 00:34:38क्षमा कोई तुम्हें बुरा कहे सुनकर करो
- 00:34:45क्षमा अपनी वाणी का स्वर संभाल लो अपनी
- 00:34:50वाणी का स्वर संभाल लो हो अपनी वाणी का
- 00:34:55स्वर संभाल लो अपनी वाणी का स्वर संभाल लो
- 00:35:01बस हो गया भजन हो वाणी का स्वर संभाल लो
- 00:35:09बस हो गया
- 00:35:11भजन मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन हो
- 00:35:20की तरंग मार दो बस हो गया भजन
- 00:35:27बरी सुधार लो आदत बुरी सुधार लो आदत बुरी
- 00:35:35सुधार लो आदत बरी सुधार लो बस हो गया
- 00:35:43भजन मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन हो
- 00:35:50मन की तरंग पार दोस हो गया
- 00:35:56भजन गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो गोविंद
- 00:36:01बोलो हरि गोपाल बोलो गोविंद बोलो हरि
- 00:36:06गोपाल बोलो गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो
- 00:36:10श्री राधा रमण हरि गोविंद बोलो राधा रमण
- 00:36:15हरि गोविंद बोलो श्री राधा रमण हरि गोविंद
- 00:36:20बोलो राधा रमण हरि गोविंद बोलो हे गोविंद
- 00:36:25बोलो हरि गोपाल बोलो
- 00:36:28गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो गोविंद बोलो
- 00:36:32हरि गोपाल बोलो गोविंद बोलो हरि गोपाल
- 00:36:37बोलो श्री राधा रमण हरि गोविंद बोलो राधा
- 00:36:41रमण हरि गोविंद श्री राधा रमण हरि गोविंद
- 00:36:46बोलो राधा रमण हरि गोविंद बोलो हे गोविंद
- 00:36:51बोलो गोपाल बोलो गोविंद बोलो गोपाल बोलो
- 00:36:57गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो गोविंद बोलो
- 00:37:01हरि गोपाल बोलो श्री राधा रमण हरि गोविंद
- 00:37:06बोलो राधा रमण हरि गोविंद बोलो श्री राधा
- 00:37:10रमण हरि गोविंद बोलो राधा रमण हरि गोविंद
- 00:37:15बोलो राधा रमण हरि गोविंद बोलो राधा रमण
- 00:37:20हरि
- 00:37:21[संगीत]
- 00:37:23गोविंद मन की तरंग मार
- 00:37:28बस हो गया
- 00:37:30[संगीत]
- 00:37:32भजन भगवान कपिल ने बताया
- 00:37:35मां मन को सुधारना है और मन सुधरेगा संग
- 00:37:39सुधरने
- 00:37:40से बंधुओ एक बात सदा याद
- 00:37:44रखना नर्क जाने वालों में एक नाम उनका भी
- 00:37:47है जो दूषित लोगों का संग करते
- 00:37:52हैं नर्क कौन जाता है लिख
- 00:37:56लीजिएगा ये गुण जिनम वो नर्क जाने
- 00:38:00वाले कौन-कौन से गुण
- 00:38:09है कौन-कौन से गुण है अत्यंत कोप कटु काच
- 00:38:13वाणी दरिद्र ताम च स्वजन शु वैरम नीच
- 00:38:18प्रसंग कुल हीन सेवा चिन्हा नि देहे नरकम
- 00:38:22गता नाम नरक जाने वालों में यह लक्षण होते
- 00:38:25हैं पहला
- 00:38:28अत्यंत कोप भयंकर
- 00:38:30गुस्सा दूसरा कटुका च
- 00:38:33वाणी जिनकी वाणी बड़ी कड़वी है जब बोलते
- 00:38:38हैं तो सामने वाला बेचारा कानों से खून
- 00:38:40निकालने वाला ही होता है ऐसी वाणी जो
- 00:38:42बोलते हैं और एक और बात कहूं कई लोगों को
- 00:38:44मैंने देखा बात बात पर जो है गाली दे कर
- 00:38:47के बोलते हैं फ उनसे बोलो भैया ऐसे मत
- 00:38:49बोलो अरे क्या कर आदत हो गई है हमारी यह
- 00:38:51ये कटुका च
- 00:38:53वाणी तो पहले लोग जो नरक जाते हैं उनमें
- 00:38:56गुण है भयंकर गुस्सा
- 00:38:58दूसरा कटुका च वाणी तीसरा दरिद्र ताम च
- 00:39:03दरिद्र किसको कहते हैं दरिद्र कहते हैं जो
- 00:39:06असंतोष है जो सेटिस्फाइड नहीं रहता कभी भी
- 00:39:09हमेशा खुद को असंतोष समझता है कितना भी दे
- 00:39:12दो कितना भी पैसा कमा ले कितना भी घर बना
- 00:39:14ले कितना भी कुछ कर ले फिर भी उसको यह
- 00:39:17लगता है अरे यह पड़ोसी पर ज्यादा है उस पर
- 00:39:19ज्यादा है ठीक है आगे बढ़ने की इच्छा होनी
- 00:39:23चाहिए लेकिन समय पर जो है उसमें संतोष करे
- 00:39:27जो दरिद्र है जो असंतोष है उसको भी नरक
- 00:39:30जाना पड़ता है तो अत्यंत कोप कटुका चवानी
- 00:39:35दरिद्रता स्वज सुर चौथा गुण क्या है जो
- 00:39:40अपने ही स्वजनों से बैर करता है वह नरक
- 00:39:45जाएगा स्वजन वैरम और पांचवा गुण नीच
- 00:39:50प्रसंग उनका नाम तो लिया ही नहीं गया जो
- 00:39:52खाते पीते उल्टा सीधा उनका तो नाम ही नहीं
- 00:39:56है य पर यहां कह र नीच प्रसंग उनकी वो तो
- 00:40:00बहुत अब्बल कोटि वाले पापी हैं लेकिन जो
- 00:40:03व्यक्ति खाता नहीं है गलत पीता नहीं है
- 00:40:05गलत लेकिन हां वह जिनके संग उठता बैठता है
- 00:40:07वह सब खाते पीते हैं तो वह तो नरक जाने
- 00:40:10वाले हैं लेकिन उनका जो संग करेगा हम तो
- 00:40:14डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे वह तो
- 00:40:17जाएंगे ही जाएंगे नरक में लेकिन जब आप
- 00:40:19पहुंचो ग नरक में आप कहोगे मैंने तो कुछ
- 00:40:21भी गलत नहीं किया था हे यमराज जी मुझे
- 00:40:23क्यों नरक में बुलाया आपने तो यमराज
- 00:40:25कहेंगे तूने इसका संग क्यों किया इसके साथ
- 00:40:28क्यों बैठा तू आप कहोगे भाई उसकी रुचि है
- 00:40:31वह स्वतंत्र है कुछ भी खाए पिए मुझे उससे
- 00:40:33क्या मैंने केवल उसका संग किया यमराज जी
- 00:40:36कहते नहीं दूषित लोगों का संग नहीं करना
- 00:40:39है यदि संग रहोगे तो उनको सुधारो और नहीं
- 00:40:42सुधार सकते तो संग भी
- 00:40:44छोड़ो एक जगन्नाथ जी के भक्त थे उनकी कथा
- 00:40:47याद आ गई उनका नाम था अंगद जी क्या नाम था
- 00:40:52एक तो जब से सामने जगन्नाथ जी लग गए हैं
- 00:40:54मेरे तब से मेरे को मन होता है कि मैं
- 00:40:56इनके भक्तो की खूब कथा सुनाऊ और उनके ठीक
- 00:40:59बगल में हमारे गिरधर लाल जी भी बैठे उनका
- 00:41:02स्वरूप भी इतना सुंदर यह बहुत अच्छा काम
- 00:41:05किया आपने सामने दोनों लगवा दिए कभी-कभी
- 00:41:07आप लोग बातचीत करने लगते हो तो मैं उन्हीं
- 00:41:09को देख लेता हूं चलो वो तो देखो कितनी
- 00:41:11तत्परता से कथा सुनते कभी देखा बलभद्र
- 00:41:13सुभद्रा आपस में बात कर रहे हो इधर ही
- 00:41:15देखते हैं तो एक जगन्नाथ जी के भक्त थे
- 00:41:19उनका नाम था
- 00:41:21अंगद अंगद जी राजस्थान के एक राजा के
- 00:41:26महामंत्री थे
- 00:41:29भक्ति से संतों से कथाओं से तो
- 00:41:32वह दूरी बनाकर रखते थे कभी नहीं जाते थे
- 00:41:37लेकिन उन अंगज जी का विवाह जिस कन्या से
- 00:41:40हुआ था वह परम सुंदरी थी लेकिन उसके अंदर
- 00:41:44गुण यह था कि वह बहुत भक्ति करती थी खूब
- 00:41:46सत्संग करती थी कथाओं में जाती थी ठाकुर
- 00:41:48जी की सेवा करती
- 00:41:54थी अंगद जी के जीवन में यही सफलता थी यही
- 00:41:58उनके जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धि थी कि
- 00:41:59उनकी पत्नी भक्त थी और वह बिल्कुल विपरीत
- 00:42:03थे कथा आदि सत्संग आदि कहीं हो भी रहा
- 00:42:06होता था तो चार गालियां बाहर से देक जाते
- 00:42:08थे ऐसे थे अंगज
- 00:42:09जी लेकिन अपनी पत्नी से इतना प्रेम करते
- 00:42:12थे कि कभी-कभी पत्नी की खुशी के लिए मंदिर
- 00:42:15आदि चले जाते थे पत्नी के प्रति उनका बड़ा
- 00:42:19रुझान था बड़ा झुकाव था तो एक
- 00:42:23दिन अंगद जी अपने सेनापति थे जी के तो
- 00:42:27अपने काम में व्यस्त थे उनके पत्नी के
- 00:42:30गुरु जी अपने संत मंडली के साथ में एक दिन
- 00:42:33उनके घर आ गए पत्नी ने सुंदर आसन बिछाया
- 00:42:36बढ़िया व्यवस्था करके भोजन प्रसाद पवाया
- 00:42:38भोजन प्रसाद पाने के बाद उनके जो गुरुजी
- 00:42:41थे उन्होंने कथाएं सुनाना प्रारंभ किया
- 00:42:43बीच-बीच में कीर्तन होता इतना बढ़िया आनंद
- 00:42:46से उनकी पत्नी आनंद ले रही थी सत्संग का
- 00:42:48इतने में ही अंगद जी का घर पर आना हो गया
- 00:42:51जैसे ही अंगद जी घर पर आए तो आते ही
- 00:42:53उन्होंने जैसे ही देखा तम वर्ण हो गया लाल
- 00:42:55लाल आंखें पड़ गई बोले ये संत जन बाबा जी
- 00:42:59सब लोग मेरी बिना आज्ञा के मेरे घर में
- 00:43:01घुस कर के और यह कथा बथा करने लग रहे
- 00:43:04हैं जाकर के कलश लश रखे थे सब फेंक दि
- 00:43:07अंगत जी ने किसने अनुमति दी आपको अंदर आने
- 00:43:09की और यह मेरा घर है मेरी आज्ञा के बिना
- 00:43:12आप यहां पर कथा कैसे कर रहे हो चिल्लाने
- 00:43:15लगा पत्नी बार-बार कहे संकोच के कारण हम
- 00:43:18बाद में बात करते हैं ना मेरे गुरुजी आए
- 00:43:20हैं मत कहो तुम शांत रहो आज तक तुम्हारी
- 00:43:22हर बात मानी मैंने लेकिन यह सब बर्दाश्त
- 00:43:24नहीं है घर में कथा हो रही है संत जन आ गए
- 00:43:26हैं य सब बाबाजी जी लोग आ गए भगाओ इनको
- 00:43:28यहां
- 00:43:30से आओ नहीं आदर नहीं नहीं नैनन प्रेम
- 00:43:34तुलसी तहा ना जाइए तुलसीदास जी कहते हैं
- 00:43:37वहां नहीं जाना चाहिए संत जन बोले देवी हम
- 00:43:40फिर कभी आ जाएंगे अभी जाते हैं और अंगत जी
- 00:43:43की पत्नी रुदन करती रही और सब संत जन वहां
- 00:43:46से चले गए बाद में अंगत जी का गुस्सा
- 00:43:49थोड़ा शांत हुआ पत्नी के पास गए बोले सुनो
- 00:43:51तो सही बोले कि मुख मत दिखाना अपना
- 00:43:54मुझे और तुम क्या मुख नहीं दिखाओ उसी दिन
- 00:43:57घूंघट कर लिया बोले मैं आज मैं शपथ लेती
- 00:44:00हूं जो संतों का बैरी है जो हरि जनों का
- 00:44:04बैरी है जो श्रीनाथ जी के जगन्नाथ जी के
- 00:44:07भक्तों से बैर करता है मेरा दुर्भाग्य की
- 00:44:09ऐसा पति मुझे मिला लेकिन मुझे लगता था कि
- 00:44:12तुम सुधर जाओगे तुम्हारे जीवन में भक्ति आ
- 00:44:14जाएगी ठीक है तुम नहीं करते मुझे उससे कोई
- 00:44:16रुचि नहीं है तुम नहीं करो लेकिन मैं करती
- 00:44:18हूं मुझे तो करने दो लेकिन आज तुमने उसमें
- 00:44:20भी विक्षेप किया मेरे गुरुदेव को मेरे
- 00:44:22सामने तुमने षक
- 00:44:24किया मैं आज वचन देती हूं और शपथ ले
- 00:44:28जब तक जीवित रहूंगी तुमको मुख नहीं
- 00:44:30दिखाऊंगी अपना और दूसरी प्रतिज्ञा लेती
- 00:44:33हूं ऐसे संत जन और हरिजनों का अपराध करने
- 00:44:36वाले अपमान करने वाले का अन्न भी नहीं
- 00:44:39खाऊंगी बाहर से भिक्षा याटू लेकिन
- 00:44:42तुम्हारे घर का भोजन नहीं
- 00:44:45करूंगी और ऐसा कह कर के अंगत जी की पत्नी
- 00:44:47ने यह दो प शपथ ले ली अपने जीवन
- 00:44:51में और ऐसा कह कर के वो जैसे ही घर में
- 00:44:54रहती है बोले मैं अपना पाति व्रत निभाऊंगी
- 00:44:56तु रे लिए भोजन बनाऊंगी बच्चों के लिए सब
- 00:44:58कर दूंगी लेकिन मैं नहीं
- 00:45:00पाऊंगी शरीर का पतिव्रत धर्म वो नि भेगा
- 00:45:04लेकिन मेरे मानसिक भक्ति भाव को तुमने ठेस
- 00:45:07पहुंचाई इसलिए मन से मैं तुम्हारी नहीं
- 00:45:08हूं आज
- 00:45:10से यह शपथ लेकर के वह अपना निर्वहन करने
- 00:45:13लगी अब तो अंगत जी इतने उदास हो गए क्या
- 00:45:16करू तो पत्नी के विरह में अपनी पत्नी के
- 00:45:20वियोग में जब कभी उनको संत दिख जाते कहीं
- 00:45:23मंदिर में संकीर्तन होता दिख जाता या कहीं
- 00:45:26पर
- 00:45:27चलती हुई दिख जाती तो जाकर के अंगद जी
- 00:45:29वहां बैठ
- 00:45:30जाते लेकिन शास्त्र आज्ञा भाव को भाव अनख
- 00:45:35आलस नाम जपत मंगल दिस
- 00:45:39दस भाव से जपो या कु भाव से जपो ठाकुर जी
- 00:45:42को जिस पर कृपा करनी होती है वो करही देते
- 00:45:45हैं अंगत जी पर ऐसी ऐसी कृपा हुई संत जनों
- 00:45:48के सत्संग की वो करते थे अपनी पत्नी को
- 00:45:51रिझाने के लिए लेकिन धीरे-धीरे सत्संग में
- 00:45:53जाते जाते वो देह उनका शांत हो गया कि
- 00:45:55मुझे पत्नी को रिझाना है उसम उनको सुख
- 00:45:57मिलने लगा उसमें उनको आनंद होने लगा और
- 00:46:00धीरे-धीरे वो ऐसे परम भक्त हो गए श्री
- 00:46:02जगन्नाथ जी के अब तो सुबह उठते हैं और
- 00:46:05उठकर के रात्रि सेन तक पूरा दिन जगन्नाथ
- 00:46:08जी का स्मरण करते हैं कोई अच्छी चीज बनती
- 00:46:11है तो लेकर के घर आते हैं अपने ठाकुर जी
- 00:46:13का भोग लगाते हैं कहीं कोई अच्छा वस्त्र
- 00:46:15दिखता है तो लेकर के आते हैं अपने ठाकुर
- 00:46:17जी की चद्दर बना देते हैं कहीं इत्र मिलता
- 00:46:19है इत्र लाते यह सब चीज उनकी पत्नी दिखती
- 00:46:21थी और धीरे-धीरे जब उन्होंने देखा पहले तो
- 00:46:24परखने की कोशिश की कहीं मुझे र जाने को तो
- 00:46:26नहीं कर रहे लेकिन बाद में जब लगा कि
- 00:46:28रात्रि स्वप्ने में कृष्ण नाम ध्वनि हो
- 00:46:30रही है रात्रि स्वप्ने में जगन्नाथ जी का
- 00:46:32स्मरण हो रहा है पत्नी समझ गई कि मेरे पति
- 00:46:35परम भक्त हो गए तब उन्होंने अपने दोनों
- 00:46:37शपथ को तोड़ दिया और अंगत जी के साथ रहने
- 00:46:40लगे एक दिन अंगत
- 00:46:43जी अपने राजा की आज्ञा मान कर के दूसरे
- 00:46:46देश में किसी राजा के ऊपर चढ़ाई करने के
- 00:46:49लिए गए सेना को लेकर के और उस राजा राजा
- 00:46:52को हरा करके उसके तिजोरी और तैने से सारा
- 00:46:55माल लूट कर के ला रहे थे ये नियम होता था
- 00:46:58पहले जो राजा दूसरे राजा को हराता था तो
- 00:47:00उसकी सारी संपत्ति लेकर आ जाता था संपत्ति
- 00:47:03सारी बटोर रहे थे तो वहीं पर उन्होंने एक
- 00:47:05मुकुट देखा उस मुकुट में दिव्य दिव्य
- 00:47:08मनिया दिव्य दिव्य रत्न लगे थे लेकिन उस
- 00:47:10मुकुट के मध्य में एक अद्भुत हीरा था
- 00:47:15जिसका मोल कहने सुनने की बात ही नहीं है
- 00:47:18अद्भुत था
- 00:47:19वो उस हीरे को देखकर के अंगत जी ने मन में
- 00:47:22विचार किया कि सब राजा के पास चला जाए
- 00:47:25लेकिन यह हीरा तो मेरे जग जी को मिलना
- 00:47:27चाहिए यह तो मेरे ठाकुर जी के लिए उपयोग
- 00:47:30में आना राजा के पास बहुत हीरे हैं लेकिन
- 00:47:32यह अनमोल
- 00:47:33है मेरी ऐसी इच्छा है कि जगन्नाथ जी की
- 00:47:36सेवा में जाना चाहिए और उन्होंने क्या
- 00:47:38किया कि सारी मनिया मुकुट से निकाल कर के
- 00:47:41एक जगह बांधी और वह हीरा लेकर के अपनी
- 00:47:43पगड़ी के अंदर उसको दबा लिया यह मेरे
- 00:47:48ठाकुर जी का
- 00:47:50है अब कैसे ना कैसे करके यह बात
- 00:47:55[संगीत]
- 00:47:57उस राजा को पता चल
- 00:47:59गई कि अंगज जी ने अपनी पगड़ी में एक हीरा
- 00:48:02छिपा करके रखा है उसको यह थोड़ी पता था कि
- 00:48:05ठाकुर जी के लिए रखा
- 00:48:07है लेकिन वह अंगत जी जो थे व राजा के
- 00:48:10रिश्ते में कुछ लगते थे चाचा या ताऊ इसलिए
- 00:48:14राजा ने सोचा कि मैं सीधे बोलूंगा तो नहीं
- 00:48:16स्वीकार करेंगे मैं दूसरे तरीके अपनाता
- 00:48:19हूं सारे तरीके अपनाए लेकिन कहीं से भी
- 00:48:20हीरा नहीं
- 00:48:22मिला तो अंगद जी जो थे वह नित्य राजा की
- 00:48:25बे राजा की ब बन जो थी उसके घर प्रसाद
- 00:48:28पाने जाते
- 00:48:29थे और बहन की जो बेटी थी उसके प्रति इतनी
- 00:48:33इतनी रुचि थी कि पहले थोड़ा कवल उसको
- 00:48:35खिलाते थे फिर स्वयं पाते थे राजा ने एक
- 00:48:38दिन सही समय जान के अपनी अपनी बहन को बहुत
- 00:48:41सारा धन दे दिया और कहा अंगत जी तुम्हारे
- 00:48:43यहां रोज भोजन करने आते हैं ना बोले हां
- 00:48:44उनकी पगड़ी में हीरा रखा है वो देते नहीं
- 00:48:46है किसी को हमने बहुत प्रयास कर लिया निकल
- 00:48:48भी नहीं पा रहा है अब एक ही उपाय है वो
- 00:48:50तुम्हारे यहां भोजन करने आएंगे तुम उनको
- 00:48:52भोजन में जहर मिलाकर दे दो उनकी मृत्यु हो
- 00:48:55जाएगी तो वो हीरा हमें मिल
- 00:48:58जाएगा बहन ने बहुत धन देख कर के अपने भाई
- 00:49:02की बात मान
- 00:49:04ली और जैसे ही श्री अंगद जी महाराज प्रसाद
- 00:49:08पाने आए तो व प्रसाद पाने से पहले एक कवल
- 00:49:11तोड़ कर के उस बहन की बेटी को खिलाते थे
- 00:49:15आज उसने अपनी बेटी छुपा रखी थी कि बोले कि
- 00:49:17कहीं खिला ना दे क्योंकि उसमें तो जहर
- 00:49:19है अंगत जी से बोला चाचा जी आप पाओ ना
- 00:49:23लेकिन आज तो मेरी बेटी कहीं गई हुई है वो
- 00:49:26नहीं है आप
- 00:49:27अंगद जी बोले नहीं मेरा तो नियम है मैं तो
- 00:49:29उसको पहला उसको खिलाता हूं मां स्वरूप मान
- 00:49:31कर के उसको देता हूं उसको मैं सुभद्रा जी
- 00:49:33का रूप मानता हूं जब तक वो भोग नहीं लगाई
- 00:49:35कि मैं खाऊंगा ही
- 00:49:36नहीं बोले आप हट क्यों कर रहे हो आप पाइए
- 00:49:39ना बोले नहीं लाली आज क्षमा कर मुझको मेरा
- 00:49:42मेरा तेरी बेटी के प्रति कोई वैसा भाव
- 00:49:45नहीं है कि वह मेरी लाली है या बेटी मैं
- 00:49:46तो उसको सुभद्रा मानता हूं मैं पहला कवल
- 00:49:49उसको खिलाता हूं मेरे को लगता है कि मेरा
- 00:49:50भोग लग गया तब मैं पाता हूं बिना भोग के
- 00:49:52कैसे पाऊ आज भूखा ही
- 00:49:54रहूंगा तो उस कन्या के मन में भाव आया
- 00:49:57मेरी बेटी के लिए इतने इतने भाव से यह
- 00:50:00बैठे हैं और बीच में यह भी हुआ कि उसने वो
- 00:50:03थाली उठा कर के अपने मंदिर में रख दी और
- 00:50:06कहा देखो मैं आपके सामने ठाकुर जी का भोग
- 00:50:07लगा के ला रही हूं अब तो पालो बोले कि
- 00:50:09नहीं ठाकुर जी का भोग लग गया मतलब जगन्नाथ
- 00:50:11बलभद्र ने तो लगा दिया लेकिन सुभद्रा उसके
- 00:50:14बिना नहीं पाऊंगा सुभद्रा को बुलाओ पहले
- 00:50:16और सुभद्रा तेरी बेटी है तो यह बात देख कर
- 00:50:19के उसने सोचा कि चाचा जी के हृदय में इतना
- 00:50:21प्रेम मेरी बेटी के लिए और मैं इनको जहर
- 00:50:23दे रही हूं उसने सत्य बोल दिया बोले कि यह
- 00:50:27आपके लिए है भी नहीं क्यों क्योंकि इसमें
- 00:50:30विष मिला है मुझे भैया ने बहुत धन दिया
- 00:50:33आपको देने के लिए ताकि आपकी पगड़ी में
- 00:50:35छुपा जो हीरा है व उसको ले सके
- 00:50:39आपसे अंगद जी तो अब लेकर के बैठे थाली
- 00:50:42बोले अब तो मैं इसको पाऊंगा बोले नहीं
- 00:50:45चाचा जी आपके योग्य नहीं है बोले बेटा
- 00:50:48मेरे योग्य नहीं है और तूने इसका भोग लगा
- 00:50:50दिया ठाकुर जी को ठाकुर जी के सामने विष
- 00:50:53युक्त भोजन रख दिया और तु मुझसे कहती है
- 00:50:54मेरे योग्य नहीं है मेरे नाथ ने विष खाया
- 00:50:57है मैं भी
- 00:50:59खाऊंगा तेरी बेटी त उसको दूर रख लेकिन मैं
- 00:51:02तो खाऊंगा और हट पूर्वक अंगत जी ने जैसे
- 00:51:04ही भोजन करना प्रारंभ किया राजा ने सैनिक
- 00:51:07भेजे हुए थे देखना जैसे मृत्यु हो मुझे
- 00:51:09खबर देना सैनिक सब देख रहे थे देखते देखते
- 00:51:11अचंबा यह हुआ कि जैसे ही वह प्रसाद पाने
- 00:51:13लगे ज्यों ज्यों प्रसाद पा रहे हैं त्यों
- 00:51:16त्यों अंगद जी के अंग की कांति और
- 00:51:18ऊर्जावान होती जा रही
- 00:51:20है उनको देख कर के उतनी ही नद मस्तक उनके
- 00:51:24प्रति हो रही है
- 00:51:28यह दृश्य देख कर के भी राजा को अनुभव नहीं
- 00:51:30हुआ कि मेरे सेनापति बहुत बड़े भक्त हैं
- 00:51:34एक दिन राजा ने सोचा कि आज चाचा जी को
- 00:51:38कैसे भी मरवाना है इनका वह हीरा जो है वह
- 00:51:41मुझे लाना अंगद जी को रात्रि में यह बात
- 00:51:44पता चल गई सैनिकों के द्वारा कि सुबह होते
- 00:51:46ही मेरा वध हो जाएगा तो रात्रि में ही घर
- 00:51:49से निकल गए बोले कि हे जगन्नाथ मैं आपकी
- 00:51:51वस्तु आप तक पहुंचा दूं क्योंकि मेरे जीवन
- 00:51:53का कुछ पता नहीं
- 00:51:55है जै ही निकल कर के जाने लगे राजा ने
- 00:51:59अपने सैनिकों को पीछे छोड़ दिया बोले जहां
- 00:52:01मिल जाए वहीं वध कर देना और उनसे वो मणि
- 00:52:03लेकर के वो हीरा लेकर के आ
- 00:52:05जाना बीच रास्ते में सैनिकों ने अंगत जी
- 00:52:08को पकड़ लिया और कहा कि महाराज हमको आज्ञा
- 00:52:10है जहां देखें आपको मार दें और आपसे वो
- 00:52:12हीरा ले ले आपकी कोई अंतिम इच्छा हो तो आप
- 00:52:15पूरी कर लो बाकी फिर हम अपना कार्य शुरू
- 00:52:18करेंगे अंगत जी मुस्कुराने लगे बोले अब
- 00:52:20क्या करूं तुम लोग मुझे जीवित तो छोड़ोगे
- 00:52:22नहीं सामने एक सरोवर था सरोवर देख कर के
- 00:52:25अंगत जी बोले मैं अंतिम इच्छा य है कि मैं
- 00:52:28सरोवर में स्नान कर लूं उसके बाद हीरा
- 00:52:30तुमको दे दूंगा कहा ठीक है अंगद जी ने
- 00:52:34जैसे ही नेत्र बंद किए सरोवर के पास जाकर
- 00:52:36के बैठे जगन्नाथ स्वामी नयन पथ गामी भवतु
- 00:52:42में हे
- 00:52:44जगन्नाथ यह आपकी वस्तु है यह आपके लिए
- 00:52:48मैंने संभाल करके रखी है यदि आप तक नहीं
- 00:52:51पहुंचेगी तो सिंह के शिकार को यदि गीदड़
- 00:52:53ले जाएगा तो इसमें सिंह का बल क्षीण माना
- 00:52:56जाता हे नाथ ये ये हीरा आपका है नाथ आपके
- 00:53:00लिए मैं प्रस्तुत लेकर के आया हूं इसको
- 00:53:01स्वीकार करो मैं आपके पास नहीं आ सकता
- 00:53:04लेकिन आप तो जगत नाथ हो आप मेरे पास आ
- 00:53:06सकते हो आप आकर के यह ले जाओ और देखते
- 00:53:09देखते समस्त सैनिकों के सामने वह हीरा
- 00:53:12निकाल कर के श्री अंगद जी ने नदी में
- 00:53:16स्नान करते हुए उस नदी में सबके सामने
- 00:53:19छोड़ दिया देखते ही सैनिक सब कूद पड़े नदी
- 00:53:22के अंदर उस सरोवर के अंदर सब खोज लिया
- 00:53:24महाराज लेकिन वो हीरा नहीं मिला अंगद जी
- 00:53:28को बंधी बना लिया राजा को पता चला कि हीरा
- 00:53:30यहीं डाल दिया हमारे सामने डाला अंगद जी
- 00:53:32ने राजा ने अपना बल लगा कर के पूरे सरोवर
- 00:53:35को सुखा दिया लेकिन हीरा नहीं
- 00:53:38मिला राजा आया कोड़ा लेकर के अंगत जी से
- 00:53:40बोला मैं आपसे अंतिम बार पूछ रहा हूं हीरा
- 00:53:43कहां है बोले जिसका था उसके पास है बो
- 00:53:46किसका था बोले वो जगन्नाथ प्रभु के लिए
- 00:53:48मैं लाया था और मैंने उन्हीं को दे दिया
- 00:53:51बो आपने तो सरोवर में डाला था तो बोले
- 00:53:54क्या सरोवर में जगन्नाथ नहीं है जगन्नाथ
- 00:53:56तो यत्र तत्र सर्वत्र है देखने के लिए
- 00:53:58दृष्टि चाहिए वो तो सब जगह है मैंने वहीं
- 00:54:01दे दिया और मेरे ऊपर बड़ी कृपा मुझे सुनक
- 00:54:04बड़ा अच्छा लगा कि सरोवर सूख गया हीरा
- 00:54:06नहीं मिला मतलब नाथ ने स्वीकार कर लिया
- 00:54:08सुनो राजन तुम्हारी भी संशा का समाधान हो
- 00:54:12जाएगा और मैं भी प्रसन्न हो जाऊंगा जरा
- 00:54:14जगन्नाथ पुरी चलकर देखें तो सही हीरा
- 00:54:16स्वीकार हुआ कि नहीं राजा अंगद जी को बंधी
- 00:54:19स्वरूप में ही और सेना के साथ में जगन्नाथ
- 00:54:21पुरी पहुंचा जैसे ही जगन्नाथ जी का दर्शन
- 00:54:23किया श्री जगन्नाथ भगवान के हृदय पटल पर
- 00:54:25वो हीरा विराजा हुआ था और आज तक श्री
- 00:54:29जगन्नाथ जी के श्रृंगार में अंगज जी के
- 00:54:32द्वारा प्रदान किया गया कोसों दूर से वह
- 00:54:34हीरा आज भी जगन्नाथ जी अपने कंठ में धारण
- 00:54:37करते हैं आज भी पहनते
- 00:54:42हैं ऐसे भक्त वत्सल हैं करुणा वत्सल हैं
- 00:54:45श्री जगन्नाथ जी
- पुंडलिक
- कथा
- भगवान विठोबा
- माता-पिता
- गंगा
- यमुना
- सरस्वती
- भक्ति
- क्षमा
- धार्मिकता