The Power of Discipline By Daniel Walter | Discipline की Power को जानिए | Book Insider

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Summary

TLDR"The Power of Discipline" by Daniel Walter highlights the significance of discipline and mindset in achieving goals. The book explains that our natural tendency is to choose instant gratification over hard work. However, by developing the right habits and mindset, one can enhance discipline in life. It shares the journey of a young boy named Ravi, who dreams big but struggles with self-discipline. Encouraged by an elder, Ravi learns to take small steps towards change, embrace discomfort, and accurately assess personal abilities and expectations. Through this process, he discovers that consistent effort and realistic expectations can lead to success.

Takeaways

  • 💡 Discipline helps achieve goals by fostering productive habits.
  • 📚 The book stresses the importance of mindset and consistent effort.
  • 🚀 Ravi's story illustrates the challenges in practicing discipline.
  • 🔄 Embrace change to overcome mental resistance to new habits.
  • 🙌 Small steps can lead to significant change over time.
  • 🧭 Realistic expectations prevent discouragement.
  • 😀 Embracing discomfort leads to personal growth.
  • 💪 Understanding personal limitations helps in setting achievable goals.
  • 👏 Feedback and self-assessment are crucial.
  • 🏆 Success involves continuous effort and patience.

Timeline

  • 00:00:00 - 00:05:00

    The book "The Power of Discipline" by Daniel Walter explains how increasing discipline in life makes it easier to achieve goals. Naturally, humans are inclined towards instant gratification and comfort, avoiding the paths of discipline and effort, which often seem daunting. Walter emphasizes that adopting the right habits and mindset is crucial for better discipline. In the book, he discusses the importance of productive habits and the mental and physical barriers to discipline, as well as the challenges faced.

  • 00:05:00 - 00:10:00

    The narrative focuses on a boy named Ravi who dreams big but struggles with self-discipline. Despite setting goals and making schedules, he often reverts to his lazy lifestyle. He meets an elderly man who introduces him to the concept of "The Power of Discipline," teaching Ravi the initial lesson of "Craving Consistency." According to the elder, Ravi's fear of change holds him back, as his mind prefers familiarity and comfort.

  • 00:10:00 - 00:15:00

    Ravi attempts to incorporate small changes consistently but faces setbacks, feeling his old habits resurface. The elder narrates the lesson of "Overestimating Personal Abilities," warning Ravi not to misjudge his capabilities and emphasizing the importance of seeking feedback from others. Ravi learns about procrastination as his significant hurdle, which prevents him from achieving his goals and how to combat it with timely actions rather than excessive planning.

  • 00:15:00 - 00:22:19

    Ravi's journey of self-improvement is marked by understanding "Unrealistic Expectations." The elder advises him to have a realistic timeframe and effort for achieving goals – understanding that success takes time, patience, and dedication. He learns the value of finding comfort in discomfort by stepping out of his comfort zone, training himself to embrace challenging tasks daily. With guidance, Ravi's mindset evolves, gaining confidence and mental strength, eventually realizing he no longer needs external validation as he continues his disciplined journey.

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Video Q&A

  • What is the book 'The Power of Discipline' about?

    It's about how discipline and consistent habits can help you achieve your goals.

  • Who is the author of 'The Power of Discipline'?

    The author is Daniel Walter.

  • Why is discipline important according to Daniel Walter?

    Discipline is important because it helps develop productive habits and a strong mindset to overcome challenges.

  • What is Ravi's struggle in the story?

    Ravi struggles with maintaining discipline and gives up soon after starting.

  • What advice does the elder give Ravi about discipline?

    The elder advises Ravi to take small steps towards change and to embrace discomfort.

  • What is 'craving consistency' according to the book?

    It refers to the tendency of the mind to stick to familiar routines and resist change.

  • How should one handle the fear of failure, according to the elder in the story?

    By facing new experiences and discomfort, you'll overcome the fear of failure.

  • What lesson does Ravi learn about comfort zones?

    Ravi learns that stepping out of comfort zones and embracing discomfort leads to growth.

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    द पावर ऑफ डिसिप्लिन बुक में ऑथर डेनियल वाल्टर बताते हैं कि कैसे हम अपने जीवन
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    में डिसिप्लिन को बढ़ाकर अपने गोल्स को आसानी से हासिल कर सकते हैं हमारी नेचुरल
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    टेंडेंसी होती है कि हम तुरंत मिलने वाली खुशी और आराम को चुनते हैं जबकि डिसिप्लिन
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    और मेहनत की राह थोड़ी कठिन लगती है लेकिन डैनियल का मानना है कि सही हैबिट्स एंड
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    माइंडसेट डेवलप करने से हम अपने जीवन में बेहतर डिसिप्लिन ला सकते हैं इस किताब में
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    डेनियल वाल्टर समझाते हैं कि कैसे हम प्रोडक्टिव हैबिट्स बना सकते हैं किस तरह
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    से हमारे शरीर और दिमाग में डिसिप्लिन की बाधाएं होती हैं और हमें किन चुनौतियों का
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    सामना करना होता है हेलो फ्रेंड्स बुक इनसाइडर पर आप सभी का स्वागत है आज हम बात
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    करने वाले हैं द पावर ऑफ डिसिप्लिन बुक के बारे में जिसको लिखा है डेनियल वाल्टर ने
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    एक छोटे से कस्बे में रहने वाला रवि एक साधारण लड़का था लेकिन उसकी आंखों में
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    सपने बड़े थे वह हमेशा से कुछ बड़ा करना चाहता था उसकी सबसे बड़ी चाहत थी कि वह
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    खुद को डिसिप्लिन बनाए ताकि वह अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल कर सके लेकिन उसकी
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    सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही थी कि वह डिसिप्लिन में रह ही नहीं पाता था हर सुबह
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    रवि अपने दिन की शुरुआत बड़े जोश से करता वह अपने लिए टाइम टेबल बनाता समय पर उठने
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    का वादा करता और पूरे दिन में क्या-क्या करना है इसकी लिस्ट भी बनाता पर दिन के
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    अंत तक वह वही पुरानी गलतियों में फंस जाता सुबह उठने का वादा टूट जाता लिस्ट
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    अधूरी रह जाती और वह फिर से वही पुरानी आलसी जिंदगी जीने लगता उसे समझ नहीं आ रहा
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    था कि आखिर क्यों वह खुद पर काबू नहीं रख पा रहा फिर एक दिन उसकी मुलाकात एक
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    बुजुर्ग आदमी से हुई वह आदमी गांव के बाहर एक पुराने पीपल के पेड़ के नीचे बैठा हुआ
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    था उसकी आंखों में गहरी समझ और चेहरे पर सुकून था रवि उसे देखकर रुक गया बुजुर्ग
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    ने मुस्कुराते हुए रवि से कहा तू परेशान दिख रहा बेटा क्या बात है रवि ने
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    धीरे-धीरे अपनी परेशानी उस आदमी को बता दी उसने कहा मैं अपने जीवन में कुछ बड़ा करना
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    चाहता हूं लेकिन मुझसे डिसिप्लिन नहीं हो पाता मैं हर बार कोशिश करता हूं पर कुछ ही
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    दिनों में हार मान लेता हूं मैं समझ नहीं पा रहा कि आखिर में क्यों बार-बार असफल हो
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    जाता हूं बुजुर्ग ने ध्यान से रवि की बातें सुनी और फिर बोले बेटा तुझे द पावर
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    ऑफ डिसिप्लिन के बारे में पता है रवि ने सिर हिला दिया नहीं यह क्या है बुजुर्ग ने
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    अपने पास रखी किताब उठाई और कहा यह किताब एक बहुत खास चीज सिखाती है डिसिप्लिन कैसे
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    बनाया जाए इसका सबसे पहला सबक है क्रेविंग कंसिस्टेंसी तेरी सबसे बड़ी परेशानी यही
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    है कि तू बदलाव से डरता है तेरा दिमाग चाहता है कि तू वही करता रहे जो तू हमेशा
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    से करता आया है यही कारण है कि तू बार-बार असफल हो जाता है रवि ने आश्चर्य से पूछा
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    लेकिन मैं कैसे इस इस डर को जीत सकता हूं बुजुर्ग ने कहा तेरा दिमाग बदलाव से
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    घबराता है वह चाहता है कि तू आराम में रहे क्योंकि बदलाव से उसे डर लगता है जब भी तू
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    कुछ नया करने की कोशिश करेगा तेरा दिमाग तुझे रोकने की कोशिश करेगा लेकिन याद रख
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    बदलाव ही तुझे उस जगह पहुंचा सकता है जहां तू जाना चाहता है रवि ने ध्यान से सुना
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    उसे महसूस हुआ कि उसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही थी वह अपनी पुरानी आदतों में ही फंसा
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    हुआ था उसे बदलाव से डर लगता और इसी वजह से वह आगे नहीं बढ़ पा रहा था
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    बुजुर्ग ने आगे कहा तुझे हर दिन छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे शुरुआत में बदलाव मुश्किल
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    लगेगा लेकिन जैसे जैसे तू लगातार कोशिश करेगा तेरा दिमाग भी इसे अपनाने लगेगा रवि
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    ने धीरे से सिर हिलाया उसे लगने लगा कि उसकी प्रॉब्लम का हल मिल गया था वह जानता
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    था कि अब उसे बदलाव की आदत डालनी होगी भले ही शुरुआत में उसे कितना ही असहज लगे
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    बुजुर्ग ने आखिर में कहा न रख बदलाव ही तुझे सफलता के रास्ते पर ले जाएगा और एक
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    दिन तू खुद पर गर्व करेगा कि तूने अपने डर को पीछे छोड़ दिया चेहरे पर एक नई उम्मीद
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    की चमक आ गई उसने ठान लिया था कि वह अब हर दिन छोटे-छोटे बदलाव करेगा और अपने डर से
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    लड़कर आगे बढ़ेगा अब वह जान गया था कि उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद उसके
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    दिमाग की थी और उसे ही जीतना था इस तरह रवि की जिंदगी में एक नया मोड़ आया लेकिन
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    यह बस शुरुआत थी उसे अभी बहुत कुछ सीखना था और यह पहला कदम
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    था उस लंबी यात्रा का जो उसे सच्ची सफलता की ओर ले जाएगी रवि अब हर दिन थोड़ा-थोड़ा
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    बदलाव करने की कोशिश कर रहा था उसने बुजुर्ग की बातें दिल से लगाई थी और
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    क्रेविंग कंसिस्टेंसी पर काम शुरू कर दिया था लेकिन बदलाव करना जितना आसान लगता है
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    उतना होता नहीं कुछ दिनों तक तो रवि ने अच्छा काम किया पर फिर से एक प्रॉब्लम
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    सामने आने लगी उसे लगा कि वह अब बदल चुका है और यहीं उसने गलती कर दी एक दिन जब रवि
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    फिर से उसी पीपल के पेड़ के नीचे बैठा था वह बुजुर्ग वहां फिर से आए उनकी निगाहें
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    फिर से रवि के चेहरे पर टिकी जैसे वह सब समझ रहे हो रवि ने थोड़ा झेंप हुए कहा
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    मुझे लग रहा था कि मैंने अपने जीवन में बदलाव लाना शुरू कर दिया है लेकिन कुछ
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    दिनों बाद फिर से वही पुरानी आदतें वापस आ गई बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा यह बहुत
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    स्वाभाविक है बेटा बदलाव लाने का सफर लंबा होता है और इसमें एक बहुत ही जरूरी चीज है
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    जो तुझे समझनी होगी तुझे अ पावर ऑफ डिसिप्लिन का दूसरा सबक सिखाने का समय आ
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    गया है रवि ने उत्सुकता से पूछा दूसरा सबक क्या है बुजुर्ग ने बताया दूसरा सबक है
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    ओवर एस्टीमेट पर्सनल एबिलिटीज यानी अपनी क्षमताओं का गलत अनुमान लगाना जब हम सोचते
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    हैं कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं लेकिन असल में हमारी क्षमता उतनी नहीं होती तो हम
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    असफल हो जाते हैं अगर आपको हमारी फ्री समरी अच्छी लगती है तो तो आप हमारे चैनल
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    को सब्सक्राइब कर सकते हैं हमारी मेंबरशिप खरीद सकते हैं या हमें यूपीआई के थ्रू
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    सपोर्ट कर सकते हैं अब समरी पर वापस चलते हैं रवि ने ध्यान से सुना लेकिन इसका मेरी
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    प्रॉब्लम से क्या संबंध है बुजुर्ग ने समझाते हुए कहा देख जब तूने थोड़ा बदलाव
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    किया तो तुझे लगा कि तूने बहुत कुछ हासिल कर लिया है तुझे लगा कि अब तुझे और मेहनत
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    की जरूरत नहीं है और यहीं पर तेरी गलती हुई यह वही होता है जिसे हम
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    डनियर जब हम खुद को जितना काबिल समझते हैं असल में उतने होते नहीं हमें लगता है कि
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    हम सब कुछ कर सकते हैं लेकिन असल में हम अपनी कमजोरियों को नजरअंदाज कर रहे होते
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    हैं रवि की आंखों में सवाल थे तो मैं इसे कैसे सुधार सकता हूं बुजुर्ग ने कहा इसके
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    लिए सबसे पहले तुझे अपनी असली क्षमताओं का सही-सही अंदाजा लगाना होगा तुझे अपने आप
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    से ईमानदार होना होगा और इसके लिए एक बहुत अच्छी तकनीक है फीडबैक लेना जब तक तू किसी
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    अनुभवी व्यक्ति से सलाह नहीं लेगा तू अपनी असली क्षमताओं को पहचान नहीं पाएगा रवि ने
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    सिर हिलाते हुए कहा मुझे हमेशा लगता है कि मैं कुछ कर लूंगा और फिर मैं असफल हो जाता
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    हूं बुजुर्ग ने कहा यही है तेरा असली मसला तू अपने आप पर बहुत ज्यादा भरोसा करता है
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    लेकिन मेहनत कम करता है जब तुझे लगता है कि तूने कुछ हासिल कर लिया तब असल में
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    तेरी मेहनत बस शुरू होती है यही वह पल है जब तुझे रुकना नहीं है बल्कि और मेहनत
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    करनी है रवि ने गहरी सांस ली और प्रोक्रेस्टिनेशन
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    मुझे अक्सर ऐसा लगता है कि मैं काम डालता रहता हूं और अंत में वह काम कभी पूरा ही
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    नहीं होता बुजुर्ग ने गंभीरता से जवाब दिया प्रोक्रेस्टिनेशन तेरा सबसे बड़ा
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    दुश्मन है यह दो रूपों में आता है पहला तू कठिन काम को छोड़कर आसान और तत्काल संतोष
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    देने वाले कामों में उलझ जाता है दूसरा तू काम करने से पहले इतना ज्यादा योजना बनाने
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    में समय बिताता है कि असली काम के लिए समय बचता ही नहीं रवि ने चौक हुए कहा हां मैं
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    हमेशा योजना बनाने में ज्यादा समय बर्बाद कर देता हूं बुजुर्ग ने कहा योजना बनाना
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    बुरा नहीं है लेकिन जब तक तू 70 प्र निश्चित ना हो जाए कि तुझे क्या करना है
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    तब तक योजना बनाते रहना एक प्रॉब्लम बन जाता है उस बिंदु के बाद तुझे काम शुरू कर
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    देना चाहिए याद रख जितनी जल्दी तू काम शुरू करेगा उतना जल्दी तेरा
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    प्रोक्रेस्टिनेशन दूर होगा रवि ने महसूस किया कि उसकी प्रोक्रेस्टिनेशन की आदत ने
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    उसे कितना पीछे धकेल दिया था वो अक्सर कठिन काम को बात के लिए टाल देता था और
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    फिर कभी-कभी वह काम कर ही नहीं पाता था उसने खुद से वादा किया कि अब से वह
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    प्रोक्रेस्टिनेशन को जीतने की कोशिश करेगा बुजुर्ग ने आखिरी सलाह देते हुए कहा तुझे
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    अपनी असली क्षमताओं को जानने की जरूरत है और इसके लिए तुझे ईमानदारी से खुद का
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    आंकलन करना होगा साथ ही तुझे काम शुरू करने में देरी नहीं करनी चाहिए जब भी तुझे
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    लगे कि तू बस सोचता जा रहा है तो समझ ले कि अब काम शुरू करने का समय है रवि ने
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    बुजुर्ग की बातें ध्यान से सुनी अब उसे समझ आ गया था कि बदलाव सिर्फ शुरू करना ही
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    नहीं बल्कि लगातार मेहनत और खुद की क्षमताओं का सही आंकलन करना भी जरूरी है
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    उसने मन ही मन ठान लिया कि अब वह ना सिर्फ बदलाव करेगा बल्कि अपनी असल क्षमताओं को
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    भी सही से पहचाने का और मेहनत से पीछे नहीं हटेगा लेकिन यह तो बस उसकी यात्रा का
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    दूसरा कदम था अभी उसे और भी बहुत कुछ सीखना था और उस बुजुर्ग की बातें उसकी राह
  • 00:09:29
    को और आसान बना रही थी रवि ने अपनी जिंदगी में बुजुर्ग की सिखाई हुई बातें अपनानी
  • 00:09:35
    शुरू कर दी थी वह खुद को बेहतर बनाने और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की कोशिश में था
  • 00:09:41
    लेकिन एक दिन उसे महसूस हुआ कि जितनी मेहनत वह कर रहा था वह नाकाफी लग रही थी
  • 00:09:47
    उसकी अपेक्षाएं काफी बड़ी थी लेकिन परिणाम उतने उत्साहजनक नहीं थे निराश होकर वह फिर
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    से उसी पीपल के पेड़ के नीचे जा बैठा जहां उसकी मुलाकात उस बुजुर्ग से हुई थी
  • 00:09:59
    कुछ देर बाद वही बुजुर्ग वहां फिर से आए रवि ने अपनी परेशानी को छुपाने की कोशिश
  • 00:10:05
    की लेकिन बुजुर्ग उसकी आंखों में छिपी उदासी को समझ चुके थे वह धीरे से बोले आज
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    फिर से परेशान लग रहा है बेटा क्या हुआ रवि ने गहरी सांस ली और बोला मैंने आपकी
  • 00:10:18
    सिखाई बातें मानी बदलाव करने की कोशिश की लेकिन अब लग रहा है कि शायद यह सब मेरे बस
  • 00:10:24
    का नहीं है मैं जितना सोचता हूं कि मेन कर लूंगा उतना हो नहीं पाता मेरे सपने बहुत
  • 00:10:30
    बड़े हैं लेकिन उन तक पहुंचने में जितना समय लग रहा है उससे मैं हिम्मत खो रहा हूं
  • 00:10:35
    बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा यही तो तेरी अगली सीख है तेरे सपनों में कोई
  • 00:10:40
    बुराई नहीं है लेकिन प्रॉब्लम तेरी अवा स्तक अपेक्षाओं यानी अवा स्तक अपेक्षाओं
  • 00:10:47
    में है रवि ने सवालिया नजरों से उनकी ओर देखा अवा स्तक अपेक्षाएं इसका क्या मतलब
  • 00:10:53
    है बुजुर्ग ने समझाते हुए कहा बहुत बार हम अपने लक्ष्यों को पाने के लिए जितना समय
  • 00:10:59
    और मेहनत चाहिए उसे सही से नहीं समझ पाते हम सोचते हैं कि सब कुछ जल्दी हो जाएगा और
  • 00:11:05
    जब वह नहीं होता तो हम हिम्मत हार जाते हैं यह वही होता है जब हम अपनी अपेक्षाओं
  • 00:11:10
    को अ वास्तविक रूप में सेट कर लेते हैं और जब हमें अपेक्षा अनुसार परिणाम नहीं मिलते
  • 00:11:17
    तो हम खुद को असफल मानने लगते हैं रवि ने सिर हिलाते हुए कहा मुझे लगता है कि मैंने
  • 00:11:23
    भी यही किया मैंने सोचा कि कुछ दिनों की मेहनत से सब कुछ बदल जाएगा बुजुर्ग ने कहा
  • 00:11:29
    बिल्कुल और जब तुझे तुरंत परिणाम नहीं मिले तो तूने खुद से ही उम्मीदें तोड़ दी
  • 00:11:34
    यही है अवा स्तक अपेक्षाओं का जाल देख किसी भी काम में समय और मेहनत लगती है अगर
  • 00:11:41
    तू एक बड़ा लक्ष्य तय करता है तो उसे पाने के लिए धैर्य और समर्पण की जरूरत होती है
  • 00:11:47
    रवि ने थोड़ी निराशा से पूछा तो फिर क्या मैं अपने सपनों को छोड़ दूं बुजुर्ग ने
  • 00:11:52
    प्यार से उसकी ओर देखा और कहा नहीं बेटा सपने कभी मत छोड़ना पर हां उन्हें पाने के
  • 00:11:58
    लिए अपनी अपेक्षाओं को यथार्थ के धरातल पर रखना सीख अपने आप से यह मत कह कि सब कुछ
  • 00:12:04
    तुरंत हो जाएगा इसके बजाय अपनी मेहनत का सही आंकलन कर और जितना समय व प्रयास चाहिए
  • 00:12:11
    उसे समझने की कोशिश कर रवि ने बुजुर्ग की बातों को ध्यान से सुना उसे लगा जैसे उसकी
  • 00:12:17
    गलतफहमी धीरे-धीरे साफ हो रही थी बुजुर्ग ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा मान ले
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    कि तुझे बुनाई सीखनी है अगर तू सोचता है कि एक हफ्ते में तू कुशल हो जाएगा तो यह
  • 00:12:29
    तेरा भ्रम होगा बुनाई एक कला है और इसे सीखने में समय लगेगा शुरुआत में तुझे हो
  • 00:12:35
    सकता है कि मुश्किल हो लेकिन जब तू नियमित अभ्यास करेगा धीरे-धीरे तुझ में निपुणता आ
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    जाएगी बस यही तेरी समझ में कमी है तू अपने लक्ष्य के लिए जो समय और मेहनत चाहिए उसे
  • 00:12:46
    कम आंकता है रवि ने सिर झुकाते हुए कहा मैं समझ गया मैंने बहुत जल्दी परिणाम की
  • 00:12:52
    उम्मीद की थी मैंने सोचा था कि मैं तुरंत सफल हो जाऊंगा और जब नहीं हुआ तो मैं
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    निराश हो गया बुजुर्ग ने सिर हिलाते हुए कहा बिल्कुल और जब तू इतनी जल्दी उम्मीद
  • 00:13:03
    छोड़ देता है तो तू अपने आप को सफलता से दूर करता है यह अ वास्तविक अपेक्षाएं तुझे
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    हिम्मत हारने पर मजबूर कर देती हैं अगर तू धैर्य रखे और अपने लक्ष्य को सही समय दे
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    तो तुझे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता रवि ने एक गहरी सांस ली और पूछा तो मुझे
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    क्या करना चाहिए बुजुर्ग ने समझाते हुए कहा सबसे पहले तो तुझे अपने लक्ष्य का सही
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    सही आंकलन करना होगा देखना होगा कि वह लक्ष्य पाने में कितना समय और मेहनत लगेगी
  • 00:13:32
    और सबसे जरूरी बात तुझे हर दिन थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ना होगा अपनी
  • 00:13:37
    अपेक्षाओं को यथार्थवादी बनाना होगा जितनी जल्दी तू इसे समझेगा उतनी जल्दी तेरा सफर
  • 00:13:43
    आसान हो जाएगा रवि ने बुजुर्ग की बातों को गंभीरता से लिया उसे अब समझ में आ रहा था
  • 00:13:49
    कि उसके सपने बड़े थे लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए उसे जितनी मेहनत और धैर्य की
  • 00:13:54
    जरूरत थी वह उसने सही से नहीं समझा था बुजुर्ग ने अंत में कहा सपने बड़े होने
  • 00:14:00
    चाहिए लेकिन उनके लिए रास्ता भी बड़ा होना चाहिए अगर तुझे खुद को सफलता की ओर ले
  • 00:14:06
    जाना है तो तुझे अपने अंदर का धैर्य और मेहनत को सही दिशा में लगाना होगा और सबसे
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    जरूरी बात तुझे खुद से नकारात्मक बातें नहीं करनी चाहिए खुद पर यकीन रख और
  • 00:14:18
    छोटी-छोटी जीतों से हिम्मत पाता जा ऐसा करने से तेरे अंदर खुद
  • 00:14:22
    बखुदा रवि ने अब ठान लिया था कि वह इस बार अपनी अपेक्षाओं को यथार्थवादी बनाएगा वह
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    समझ चुका था कि कोई भी बड़ा सपना मेहनत समय और धैर्य मांगता है अब उसे
  • 00:14:36
    जल्दी-जल्दी परिणाम की चिंता नहीं थी वह जान गया था कि उसे अपने सपनों को पूरा
  • 00:14:41
    करने के लिए सही रास्ते पर लगातार चलते रहना होगा रवि की जिंदगी में एक नया मोट
  • 00:14:47
    तब आया जब उसने बुजुर्ग की बातों को ध्यान से सुना और उन्हें अमल में लाना शुरू किया
  • 00:14:53
    उसके अंदर एक नई ऊर्जा थी एक नई समझ और सच्ची अनुशासन की जा लेकिन व यह यह भी
  • 00:14:59
    जानता था कि उसे अब भी बहुत कुछ सीखना बाकी है इसलिए जब वह अगली बार पीपल के
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    पेड़ के नीचे बुजुर्ग से मिला तो वह तैयार था अगली सीख लेने के लिए बुजुर्ग
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    मुस्कुराते हुए बोले बेटा अब तक तूने बहुत कुछ सीखा है तुझे अवा स्तक अपेक्षाओं से
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    बचना आ गया है और तुझे खुद पर और अपनी मेहनत पर यकीन होना शुरू हो गया है अब
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    अगली बात जो तुझे समझनी है वह है डिस्कंफर्ट यानी असुविधा के साथ सहज होना
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    रवि ने थोड़ा उलझन में बुजुर्ग की ओर देखा और पूछा असुविधा के साथ सहज होना इसका
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    क्या मतलब है बुजुर्ग ने गहरी सांस लेते हुए कहा देख जीवन में अनुशासन तभी आता है
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    जब हम उन कामों को करने की आदत डालते हैं जो हम करना नहीं चाहते अगर तू हमेशा
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    उन्हीं चीजों को करता रहेगा जिनसे तुझे आराम और खुशी मिलती है तो अनुशासन कैसे
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    सीखेगा अनुशासन का असली मतलब है अपने आराम के दायरे से बाहर निकलकर उनका कामों को
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    करना जो तुझे असुविधा जनक लगते हैं लेकिन जो तुझे आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है रवि
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    ने सिर हिलाते हुए कहा मुझे समझ आ रहा है कि आप क्या कहना चाहते हैं लेकिन मैं इस
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    डिस्कंफर्ट को कैसे अपनाओ बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा यही तो तुझे सिखाने
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    आया हूं देख असुविधा से डरना बहुत स्वाभाविक है हमारा मन हमेशा उसी दिशा में
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    जाता है जहां हमें सबसे ज्यादा आराम मिलता है लेकिन अगर तुझे अपने लक्ष्यों तक
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    पहुंचने का असली रास्ता देखना है तो तुझे अपने आराम के दायरे से बाहर निकलना होगा
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    रवि ने बुजुर्ग से पूछा तो मुझे शुरुआत कहां से करनी चाहिए बुजुर्ग ने एक पेड़ के
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    पास बैठे कुत्ते की ओर इशारा करते हुए कहा देख इस कुत्ते को यह आराम से बैठा है इसे
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    खाने की चिंता नहीं सोने की चिंता नहीं इसे बस आराम चाहिए लेकिन इंसान अगर ऐसे
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    आराम से बैठा रहेगा तो क्या वह आगे बढ़ पाएगा रवि ने थोड़ी देर सोचा और फिर जवाब
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    दिया नहीं शायद नहीं बुजुर्ग ने फिर कहा बिल्कुल सही तुझे अपनी जिंदगी में वह काम
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    करने की आदत डालनी होगी जो तुझे असुविधा जनक लगते हैं जैसे अगर तुझे पार्टी में
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    जाना ज्यादा अच्छा लगता है और काम करना मुश्किल तो तुझे अपनी इच्छाओं को कंट्रोल
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    करना होगा काम करने से तुझे जो लाभ मिलेगा वह पार्टी के आनंद से कहीं अधिक होगा यही
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    है असुविधा में सहज होने की कला रवि ने ध्यान से सुना और सोचा कि वह कई बार ऐसे
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    ही छोटी-छोटी चीजों में खुद को असुविधा जनक महसूस करता था वह मंच पर जाने से डरता
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    था नए लोगों से मिलने से घबराता था और जब भी उसे किसी कठिनाई का सामना करना होता तो
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    वह पीछे हट जाता था बुजुर्ग ने उसकी सोच को भांपते हुए कहा अगर तुझे मंच पर जाने
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    से डर लगता है तो शुरुआत छोटे कदमों से कर जैसे तू अपने दोस्तों के साथ जाकर कराओ के
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    मैं गाना गा सकता है इससे तुझे यह अनुभव होगा कि असुविधा का सामना कैसे करना है और
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    धीरे-धीरे तेरा डर कम होता जाएगा रवि को यह बात समझ में आ गई उसने सोचा कि यह सही
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    है कि वह सीधे किसी बड़े मंच पर जाकर भाषण नहीं दे सकता लेकिन छोटे-छोटे कदम लेकर
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    अपने डर को कम जरूर कर सकता है बुजुर्ग ने कहा असुविधा से निपटने के लिए सबसे जरूरी
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    बात है कि तू उसे छोटी-छोटी चुनौतियों के रूप में देख अगर तू सीधे बड़ी असुविधा हों
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    का सामना करेगा तो हो सकता है तुझे हिम्मत हारने पड़े इसलिए हमेशा छोटे कदमों से
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    शुरू कर ताकि तुझे धीरे-धीरे असुविधा में भी सहज होने की आदत हो जाए र ने फिर सवाल
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    किया लेकिन अगर मैं बार-बार असफल हो गया तो यह डर मेरे अंदर हमेशा रहता है बुजुर्ग
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    ने गंभीरता से कहा असफलता का डर हर किसी के अंदर होता है लेकिन यही डर तुझे
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    असुविधा में फंसाए रखता है अगर तू हर बार असफल होने के डर से पीछे हटेगा तो तेरा
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    अनुशासन कभी नहीं बन पाएगा तू यह समझ ले कि असुविधा अस्थाई होती है लेकिन अगर तू
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    उसे झेलने की हिम्मत रखेगा तो तेरा आत्मविश्वास और तेरी काबिलियत दोनों बढ़ें
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    रवि को अब लग रहा था कि उसे असफलता के डर को हटाकर नए अनुभवों को अपनाना होगा उसने
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    बुजुर्ग से कहा मैं समझ गया मुझे अपने आराम के दायरे से बाहर निकलकर छोटे-छोटे
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    कदम उठाने होंगे बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा बिल्कुल सही और याद रखना असुविधा
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    में ही असली विकास छिपा है जब तू अपने डर अपनी असुविधा को अपनाए तभी तू खुद को नई
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    ऊंचाइयों पर पहुंचा पाएगा रवि ने मन ही मन ठान लिया कि वह अब हर दिन एक नया असुविधा
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    जनक कदम उठाएगा चाहे वह कितना भी छोटा क्यों ना हो उसे पता चल गया था कि अनुशासन
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    का मतलब सिर्फ काम करना नहीं बल्कि उन कामों को करना है जो उसे मुश्किल लगते हैं
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    और जिनसे वह बचता आया है बुजुर्ग ने जाते-जाते एक आखिरी बात कही याद रख सफलता
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    उन्हीं को मिलती है जो असुविधा में भी आराम ढूंढ लेते हैं असुविधा को दोस्त बना
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    और देख फिर तेरे साथ क्या-क्या बदलाव होता है रवि ने मुस्कुराते हुए हिलाया और मन ही
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    मन सोचा कि अब वह असुविधा से भागेगा नहीं बल्कि उसका सामना करेगा वह जान चुका था कि
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    यही रास्ता उसे उसके सपनों तक ले जाएगा रवि ने बुजुर्ग की हर बात को गहराई से
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    आत्मसात कर लिया था वह जान चुका था कि सफलता के रास्ते पर चलने के लिए उसे सिर्फ
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    असुविधा से ही नहीं बल्कि खुद से भी लड़ना होगा अनुशासन के पथ पर आगे बढ़ने के लिए
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    रवि ने खुद को पूरी तरह बदलने का निर्णय लिया हर दिन वह खुद को असुविधा जनक
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    परिस्थितियों में डालने लगा शुरुआत छोटी-छोटी चीजों से की जैसे सुबह जल्दी
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    उठकर दौड़ना दोस्तों की पार्टी छोड़कर पढ़ाई करना और अपने डर का सामना करने के
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    लिए नए लोगों से मिलना धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि वह पहले से ज्यादा
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    आत्मविश्वास और मानसिक रूप से मजबूत हो रहा था फिर एक दिन जब वह उसी पीपल के पेड़
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    के नीचे बुजुर्ग से मिलने पहुंचा तो उसकी आंखों में आत्मविश्वास की चमक थी बुजुर्ग
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    ने उसे देखते ही पहचान लिया कि रवि अब एक नया इंसान बन चुका है जो असुविधा को गले
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    लगाकर अपनी सीमाओं को तोड़ चुका है बुजुर्ग मुस्कुराए और बोले अब तुझे मेरी
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    जरूरत नहीं बेटा तूने खुद को खोज लिया है अब तेरा सफर खुद तुझे सिखाएगा रवि ने
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    बुजुर्ग के पांव छूकर धन्यवाद किया और कहा आपकी सीख ने मुझे बदल दिया है अब मैं
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    जानता हूं कि अनुशासन का असली अर्थ क्या है और कैसे उसे हासिल करना है बुजुर्ग ने
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    कहा याद रखना बेटा जीवन में असुविधा और चुनौतियां हमेशा रहेंगी लेकिन जब तक तेरे
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    पास अनुशासन है तू किसी भी मुश्किल का सामना कर सकता है रवि ने सिर हिलाया और एक
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    नई ऊर्जा के साथ अपने भविष्य की ओर कदम बढ़ाया अब वह जानता था कि असुविधा ही असली
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    सफलता की कुंजी है उसने ना केवल अनुशासन सीखा था बल्कि आत्मविश्वास और मानसिक
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    दृढ़ता भी हासिल की थी वह लड़का जो कभी खुद से लड़ता था अब अपने सपनों की ओर तेजी
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    से बढ़ रहा था उसकी कहानी खत्म नहीं हुई थी बल्कि अब शुरू हो रही थी एक ऐसी कहानी
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    जहां वह हर असुविधा को पार कर अपने लक्ष्यों को हासिल करने वाला था तो
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    फ्रेंड्स यह थी हमारी आज की बुक समरी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं और
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    धन्यवाद आपका समरी एंड तक सुनने के लिए
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